Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002455 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-५ |
Translated Chapter : |
स्थान-५ |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 455 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] पंचहिं ठाणेहिं निग्गंथा निग्गंथीओ य एगतओ ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेमाणा नातिक्कमंति, तं जहा- १. अत्थेगइया निग्गंथा य निग्गंथीओ य एगं महं अगामियं छिण्णावायं दीहमद्धमडविमनुपविट्ठा, तत्थेगयतो ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेमाणा नातिक्कमंति। २. अत्थेगइया निग्गंथा य निग्गंथीओ य गामंसि वा नगरंसि वा खेडंसि वा कव्वडंसि वा मडंबंसि वा पट्टणंसि वा दोणमुहंसि वा आगरंसि वा निगमंसि वा आसमंसि वा सन्निवेसंसि वा रायहाणिंसि वा वासं उवागता एगतिया जत्थ उवस्सयं लभंति, एगतिया नो लभंति, तत्थेगतो ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेमाणा नातिक्कमंति। ३. अत्थेगइया निग्गंथा य निग्गंथीओ य नागकुमारावासंसि वा ‘सुवण्णकुमारावासंसि वा’ वासं उवागता, तत्थेगओ ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेमाणा नातिक्कमंति। ४. आमोसगा दीसंति, ते इच्छंति निग्गंथीओ चीवरपडियाए पडिगाहित्तए, तत्थेगओ ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेमाणा नातिक्कमंति। ५. जुवाणा दीसंति, ते इच्छंति निग्गंथीओ मेहुणपडियाए पडिगाहित्तए, तत्थेगओ ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेमाणा नातिक्कमंति। इच्चेतेहिं पंचहिं ठाणेहिं निग्गंथा निग्गंथीओ य एगतओ ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेमाणा नातिक्कमंति। पंचहिं ठाणेहिं समणे निग्गंथे अचेलए सचेलियाहिं निग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे नातिक्कमति, तं०– १. खित्तचित्ते समणे निग्गंथे निग्गंथेहिमविज्जमानेहिं अचेलए सचेलियाहिं निग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे नातिक्कमति। २. दित्तचित्ते समणे निग्गंथे निग्गंथेहिमविज्जमानेहिं अचेलए सचेलियाहिं निग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे नातिक्कमति। ३. जक्खाइट्ठे समणे निग्गंथे निग्गंथेहिमविज्जमानेहिं अचेलए सचेलियाहिं निग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे नातिक्कमति। ४. उम्मायपत्ते समणे निग्गंथे निग्गंथेहिमविज्जमानेहिं अचेलए सचेलियाहिं निग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे नातिक्कमति। ५. निग्गंथीपव्वाइयए समणे निग्गंथेहिं अविज्जमानेहिं अचेलए सचेलियाहिं निग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे नातिक्कमति। | ||
Sutra Meaning : | पाँच कारणों से निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियाँ एक जगह ठहरे, सोये या बैठे तो भगवान की आज्ञा का अतिक्र – मण नहीं होता है। यथा – निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियाँ कदाचित् अनेक योजन लम्बी, निर्जन एवं अगम्य अटवी में पहुँच जावे तो – किसी ग्राम, नगर यावत् राजधानी में निर्ग्रन्थ या निर्ग्रन्थियों में से किसी एक को ही उपाश्रय मिला हो तो – नागकुमार या सुपर्णकुमारावास में स्थान मिला हो तो – निर्ग्रन्थियों के वस्त्र यदि चोर ले जावें तो – यदि तरुण गुण्डे निर्ग्रन्थियों के साथ बलात्कार करना चाहें तो – पाँच कारणों से अचेल निर्ग्रन्थ सचेल निर्ग्रन्थियों के साथ एक स्थान में रहे तो भगवान की आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करता है। यथा – विक्षिप्त चित्त श्रमण के साथ यदि अन्य श्रमण न हो तो – इसी प्रकार हर्षातिरेक से दृप्तचित्त यक्षाविष्ट और वायु रोग से उन्मत्त हो तो – किसी साध्वी का पुत्र दीक्षित हो और उसके साथ यदि अन्य श्रमण न हो तो। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] pamchahim thanehim niggamtha niggamthio ya egatao thanam va sejjam va nisihiyam va chetemana natikkamamti, tam jaha- 1. Atthegaiya niggamtha ya niggamthio ya egam maham agamiyam chhinnavayam dihamaddhamadavimanupavittha, tatthegayato thanam va sejjam va nisihiyam va chetemana natikkamamti. 2. Atthegaiya niggamtha ya niggamthio ya gamamsi va nagaramsi va khedamsi va kavvadamsi va madambamsi va pattanamsi va donamuhamsi va agaramsi va nigamamsi va asamamsi va sannivesamsi va rayahanimsi va vasam uvagata egatiya jattha uvassayam labhamti, egatiya no labhamti, tatthegato thanam va sejjam va nisihiyam va chetemana natikkamamti. 3. Atthegaiya niggamtha ya niggamthio ya nagakumaravasamsi va ‘suvannakumaravasamsi va’ vasam uvagata, tatthegao thanam va sejjam va nisihiyam va chetemana natikkamamti. 4. Amosaga disamti, te ichchhamti niggamthio chivarapadiyae padigahittae, tatthegao thanam va sejjam va nisihiyam va chetemana natikkamamti. 5. Juvana disamti, te ichchhamti niggamthio mehunapadiyae padigahittae, tatthegao thanam va sejjam va nisihiyam va chetemana natikkamamti. Ichchetehim pamchahim thanehim niggamtha niggamthio ya egatao thanam va sejjam va nisihiyam va chetemana natikkamamti. Pamchahim thanehim samane niggamthe achelae sacheliyahim niggamthihim saddhim samvasamane natikkamati, tam0– 1. Khittachitte samane niggamthe niggamthehimavijjamanehim achelae sacheliyahim niggamthihim saddhim samvasamane natikkamati. 2. Dittachitte samane niggamthe niggamthehimavijjamanehim achelae sacheliyahim niggamthihim saddhim samvasamane natikkamati. 3. Jakkhaitthe samane niggamthe niggamthehimavijjamanehim achelae sacheliyahim niggamthihim saddhim samvasamane natikkamati. 4. Ummayapatte samane niggamthe niggamthehimavijjamanehim achelae sacheliyahim niggamthihim saddhim samvasamane natikkamati. 5. Niggamthipavvaiyae samane niggamthehim avijjamanehim achelae sacheliyahim niggamthihim saddhim samvasamane natikkamati. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Pamcha karanom se nirgrantha aura nirgranthiyam eka jagaha thahare, soye ya baithe to bhagavana ki ajnya ka atikra – mana nahim hota hai. Yatha – nirgrantha aura nirgranthiyam kadachit aneka yojana lambi, nirjana evam agamya atavi mem pahumcha jave to – kisi grama, nagara yavat rajadhani mem nirgrantha ya nirgranthiyom mem se kisi eka ko hi upashraya mila ho to – nagakumara ya suparnakumaravasa mem sthana mila ho to – nirgranthiyom ke vastra yadi chora le javem to – yadi taruna gunde nirgranthiyom ke satha balatkara karana chahem to – Pamcha karanom se achela nirgrantha sachela nirgranthiyom ke satha eka sthana mem rahe to bhagavana ki ajnya ka atikramana nahim karata hai. Yatha – vikshipta chitta shramana ke satha yadi anya shramana na ho to – isi prakara harshatireka se driptachitta yakshavishta aura vayu roga se unmatta ho to – kisi sadhvi ka putra dikshita ho aura usake satha yadi anya shramana na ho to. |