Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )

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Sr No : 1001663
Scripture Name( English ): Sutrakrutang Translated Scripture Name : सूत्रकृतांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-२

अध्ययन-२ क्रियास्थान

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-२

अध्ययन-२ क्रियास्थान

Section : Translated Section :
Sutra Number : 663 Category : Ang-02
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] से एगइओ आयहेउं वा ‘नाइहेउं वा’ अगारहेउं वा परिवारहेउं वा नायगं वा सहवासियं वा निस्साए–१. अदुवा अणुगामिए २.अदुवा उवचरए ३.अदुवा पाडिपहिए ४.अदुवा संधिच्छेयए ५.अदुवा गंठि-च्छेयए ६. अदुवा ओरब्भिए ७. अदुवा सोयरिए ८. अदुवा वागुरिए ९. अदुवा साउणिए १. अदुवा मच्छिए ११. अदुवा गोवालए १२. अदुवा गोघायए १३. अदुवा सोवणिए १४. अदुवा सोवणियंतिए से एगइओ अणुगामियभावं पडिसंधाय तमेव अणुगमिय हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेति–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ उवचरगभावं पडिसंधाय तमेव उवचरिय हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ पाडिपहियभावं पडिसंधाय तमेव, पडिपहे ठिच्चा हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ –इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ संधिच्छेदगभावं पडिसंधाय तमेव, संधि छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ गंठिच्छेदगभावं पडिसंधाय तमेव, गंठिं छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ ओरब्भियभावं पडिसंधाय उरब्भं वा अन्नतरं वा तसं पाणं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ सोयरियभावं पडिसंधाय महिसं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ वागुरियभावं पडिसंधाय मियं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ साउणियभावं पडिसंधाय सउणिं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ मच्छियभावं पडिसंधाय मच्छं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ गोवालगभावं पडिसंधाय तमेव गोणं परिजविय हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ गोघायगभावं पडिसंधाय गोणं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ सोवणियभावं पडिसंधाय सुणगं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति। से एगइओ सोविणियंतियभावं पडिसंधाय मणुस्सं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेइ–इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति।
Sutra Meaning : कोई पापी मनुष्य अपने लिए अथवा अपने ज्ञातिजनों के लिए अथवा कोई अपना घर बनाने के लिए या अपने परिवार के भरण – पोषण के लिए अथवा अपने नायक या परिचित जन तथा सहवासी के लिए निम्नोक्त पापकर्म का आचरण करने वाले बनते हैं – अनुगामिक बनकर, उपचरक बनकर, प्रातिपथिक बनकर, सन्धिच्छेदक बनकर, ग्रन्थिच्छेदक बनकर, औरभ्रिक बनकर, शौकरिक बनकर, वागुरिक बनकर, शाकुनिक बनकर, मात्स्यिक बनकर, गोपालक बनकर, गोघातक बनकर, श्वपालक बनकर या शौवान्तिक बनकर। (१) कोई पापी पुरुष उसका पीछा करने की नीयत से साथ में चलने की अनुकूलता समझाकर उसके पीछे – पीछे चलता है और अवसर पाकर उसे मारता है, हाथ – पैर आदि अंग काट देता है, अंग चूर चूर कर देता है, विडम्बना करता है, पीड़ित कर या डरा – धमका कर अथवा उसे जीवन से रहित करके (उसका धन लूट कर) अपना आहार उपार्जन करता है। इस प्रकार वह महान (क्रूर) पापकर्मों के कारण (महापापी के नाम से) अपने आपको जगत में प्रख्यात कर देता है। (२) कोई पापी पुरुष किसी धनवान की अनुचरवृत्ति, सेवकवृत्ति स्वीकार करके उसी को मार – पीट कर, उसका छेदन, भेदन एवं प्रहार करके, उसकी विडम्बना और हत्या करके उसका धन हरण कर अपना आहार उपार्जन करता है। इस प्रकार वह महापापी व्यक्ति बड़े – बड़े पापकर्म करके महापापी के रूप में अपने आपको प्रख्यात कर लेता है। (३) कोई पापी जीव किसी धनिक पथिक को सामने से आते देख उसी पथ पर मिलता है, तथा प्राति – पथिक भाव धारण करके पथिका का मार्ग रोककर उसे मारपीट करके यावत उसका धन लूटकर अपना आहार – उपार्जन करता है। इस प्रकार महापापी के नाम से प्रसिद्ध होता है। (४) कोई पापी जीव सेंध डालकर उस धनिक के परिवार को मार – पीट कर, यावत्‌ उसके धन को चूरा कर अपनी जीविका चलाता है। इस प्रकार वह स्वयं को महापापी के नाम से प्रसिद्ध करता है। (५) कोई पापी व्यक्ति धनाढ्यों के धन की गाँठ काटने का धंधा अपनाकर धनिकों की गाँठ काटता रहता है। वह मारता – पीटता है यावत्‌ उसका धन हरण कर लेता है, और इस तरह अपना जीवन – निर्वाह करता है। इस प्रकार स्वयं को महापापी के रूप में विख्यात कर लेता है। (६) कोई पापात्मा भेड़ों का चरवाहा बनकर भेड़ों में से किसी को या अन्य किसी भी त्रस प्राणी को मार – पीट कर यावत्‌ अपनी आजीविका चलाता है। इस प्रकार स्वयं को महापापी के नाम से प्रसिद्ध कर लेता है। (७) कोई पापकर्मा जीव सूअरों को पालने का या कसाई का धंधा अपना कर भैंसे, सूअर या दूसरे त्रस प्राणी को मार – पीट कर, यावत्‌ अपनी आजीविका का निर्वाह करता है। इस प्रकार का महान पाप – कर्म करने के कारण संसार में वह अपने आपको महापापी के नाम से विख्यात कर लेता है। (८) कोई पापी जीव शिकारी का धंधा अपनाकर मृग या अन्य किसी त्रस प्राणी को मार – पीट कर, यावत्‌ अपनी आजीविका उपार्जन करता है। इस प्रकार स्वयं को महापापी के नाम से प्रसिद्ध कर लेता है। (९) कोई पापात्मा बहेलिया बनकर पक्षियों को जाल में फँसाकर पकड़ने का धंधा स्वीकार करके पक्षी या अन्य किसी त्रस प्राणी को मारकर यावत्‌ अपनी आजीविका कमाता है। वह स्वयं को महापापी के नाम से प्रख्यात कर लेता है। (१०) कोई पापकर्मजीवी मछुआ बनकर मछलियों को जाल में फँसा कर पकड़ने का धंधा अपनाकर मछली या अन्य त्रस जलजन्तुओं का हनन करके यावत्‌ अपनी आजीविका चलाता है। अतः स्वयं को महापापी के नाम से प्रसिद्ध कर लेता है। (११) कोई पापात्मा गोवंशघातक का धंधा अपना कर गाय, बैल या अन्य किसी भी त्रस प्राणी का हनन, छेदन करके यावत्‌ अपनी जीविका कमाता है। अपने को महापापी के रूप में प्रसिद्ध कर लेता है। (१२) कोई व्यक्ति गोपालन का धंधा स्वीकार करके उन्हीं गायों या उनके बछड़ों को टोले से पृथक्‌ निकालनिकाल कर बार – बार उन्हें मारता – पीटता तथा भूखे रखता है यावत्‌ अपनी रोजी – रोटी कमाता है। स्वयं महापापियों की सूची में प्रसिद्धि पा लेता है। (१३) कोई अत्यन्त नीचकर्म कर्ता व्यक्ति कुत्तों को पकड़कर पालने का धंधा अपना कर उनमें से किसी कुत्ते को या अन्य किसी त्रस प्राणी को मरकर यावत्‌ अपनी आजीविका कमाता है। स्वयं को महापापी के नाम से प्रसिद्ध कर लेता है। (१४) कोई पापात्मा शिकारी कुत्तों को रखकर श्वपाक वृत्ति अपना कर ग्राम आदि के अन्तिम सिरे पर रहता है और पास से गुजरने वाले मनुष्य या प्राणी पर शिकारी कुत्ते छोड़ कर उन्हें कटवाता है, फड़वाता है, यहाँ त तक कि जान से मरवाता है। वह इस प्रकार का भयंकर पापकर्म करने के कारण महापापी के रूप में प्रसिद्ध हो जाता है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] se egaio ayaheum va ‘naiheum va’ agaraheum va parivaraheum va nayagam va sahavasiyam va nissae–1. Aduva anugamie 2.Aduva uvacharae 3.Aduva padipahie 4.Aduva samdhichchheyae 5.Aduva gamthi-chchheyae 6. Aduva orabbhie 7. Aduva soyarie 8. Aduva vagurie 9. Aduva saunie 1. Aduva machchhie 11. Aduva govalae 12. Aduva goghayae 13. Aduva sovanie 14. Aduva sovaniyamtie Se egaio anugamiyabhavam padisamdhaya tameva anugamiya hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam ahareti–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio uvacharagabhavam padisamdhaya tameva uvachariya hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio padipahiyabhavam padisamdhaya tameva, padipahe thichcha hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei –iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio samdhichchhedagabhavam padisamdhaya tameva, samdhi chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio gamthichchhedagabhavam padisamdhaya tameva, gamthim chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio orabbhiyabhavam padisamdhaya urabbham va annataram va tasam panam hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio soyariyabhavam padisamdhaya mahisam va annayaram va tasam panam hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio vaguriyabhavam padisamdhaya miyam va annayaram va tasam panam hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio sauniyabhavam padisamdhaya saunim va annayaram va tasam panam hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio machchhiyabhavam padisamdhaya machchham va annayaram va tasam panam hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio govalagabhavam padisamdhaya tameva gonam parijaviya hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio goghayagabhavam padisamdhaya gonam va annayaram va tasam panam hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio sovaniyabhavam padisamdhaya sunagam va annayaram va tasam panam hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati. Se egaio soviniyamtiyabhavam padisamdhaya manussam va annayaram va tasam panam hamta chhetta bhetta lumpaitta vilumpaitta uddavaitta aharam aharei–iti se mahaya pavehim kammehim attanam uvakkhaitta bhavati.
Sutra Meaning Transliteration : Koi papi manushya apane lie athava apane jnyatijanom ke lie athava koi apana ghara banane ke lie ya apane parivara ke bharana – poshana ke lie athava apane nayaka ya parichita jana tatha sahavasi ke lie nimnokta papakarma ka acharana karane vale banate haim – anugamika banakara, upacharaka banakara, pratipathika banakara, sandhichchhedaka banakara, granthichchhedaka banakara, aurabhrika banakara, shaukarika banakara, vagurika banakara, shakunika banakara, matsyika banakara, gopalaka banakara, goghataka banakara, shvapalaka banakara ya shauvantika banakara. (1) koi papi purusha usaka pichha karane ki niyata se satha mem chalane ki anukulata samajhakara usake pichhe – pichhe chalata hai aura avasara pakara use marata hai, hatha – paira adi amga kata deta hai, amga chura chura kara deta hai, vidambana karata hai, pirita kara ya dara – dhamaka kara athava use jivana se rahita karake (usaka dhana luta kara) apana ahara uparjana karata hai. Isa prakara vaha mahana (krura) papakarmom ke karana (mahapapi ke nama se) apane apako jagata mem prakhyata kara deta hai. (2) koi papi purusha kisi dhanavana ki anucharavritti, sevakavritti svikara karake usi ko mara – pita kara, usaka chhedana, bhedana evam prahara karake, usaki vidambana aura hatya karake usaka dhana harana kara apana ahara uparjana karata hai. Isa prakara vaha mahapapi vyakti bare – bare papakarma karake mahapapi ke rupa mem apane apako prakhyata kara leta hai. (3) koi papi jiva kisi dhanika pathika ko samane se ate dekha usi patha para milata hai, tatha prati – pathika bhava dharana karake pathika ka marga rokakara use marapita karake yavata usaka dhana lutakara apana ahara – uparjana karata hai. Isa prakara mahapapi ke nama se prasiddha hota hai. (4) koi papi jiva semdha dalakara usa dhanika ke parivara ko mara – pita kara, yavat usake dhana ko chura kara apani jivika chalata hai. Isa prakara vaha svayam ko mahapapi ke nama se prasiddha karata hai. (5) koi papi vyakti dhanadhyom ke dhana ki gamtha katane ka dhamdha apanakara dhanikom ki gamtha katata rahata hai. Vaha marata – pitata hai yavat usaka dhana harana kara leta hai, aura isa taraha apana jivana – nirvaha karata hai. Isa prakara svayam ko mahapapi ke rupa mem vikhyata kara leta hai. (6) koi papatma bherom ka charavaha banakara bherom mem se kisi ko ya anya kisi bhi trasa prani ko mara – pita kara yavat apani ajivika chalata hai. Isa prakara svayam ko mahapapi ke nama se prasiddha kara leta hai. (7) koi papakarma jiva suarom ko palane ka ya kasai ka dhamdha apana kara bhaimse, suara ya dusare trasa prani ko mara – pita kara, yavat apani ajivika ka nirvaha karata hai. Isa prakara ka mahana papa – karma karane ke karana samsara mem vaha apane apako mahapapi ke nama se vikhyata kara leta hai. (8) koi papi jiva shikari ka dhamdha apanakara mriga ya anya kisi trasa prani ko mara – pita kara, yavat apani ajivika uparjana karata hai. Isa prakara svayam ko mahapapi ke nama se prasiddha kara leta hai. (9) koi papatma baheliya banakara pakshiyom ko jala mem phamsakara pakarane ka dhamdha svikara karake pakshi ya anya kisi trasa prani ko marakara yavat apani ajivika kamata hai. Vaha svayam ko mahapapi ke nama se prakhyata kara leta hai. (10) koi papakarmajivi machhua banakara machhaliyom ko jala mem phamsa kara pakarane ka dhamdha apanakara machhali ya anya trasa jalajantuom ka hanana karake yavat apani ajivika chalata hai. Atah svayam ko mahapapi ke nama se prasiddha kara leta hai. (11) koi papatma govamshaghataka ka dhamdha apana kara gaya, baila ya anya kisi bhi trasa prani ka hanana, chhedana karake yavat apani jivika kamata hai. Apane ko mahapapi ke rupa mem prasiddha kara leta hai. (12) koi vyakti gopalana ka dhamdha svikara karake unhim gayom ya unake bachharom ko tole se prithak nikala – nikala kara bara – bara unhem marata – pitata tatha bhukhe rakhata hai yavat apani roji – roti kamata hai. Svayam mahapapiyom ki suchi mem prasiddhi pa leta hai. (13) koi atyanta nichakarma karta vyakti kuttom ko pakarakara palane ka dhamdha apana kara unamem se kisi kutte ko ya anya kisi trasa prani ko marakara yavat apani ajivika kamata hai. Svayam ko mahapapi ke nama se prasiddha kara leta hai. (14) koi papatma shikari kuttom ko rakhakara shvapaka vritti apana kara grama adi ke antima sire para rahata hai aura pasa se gujarane vale manushya ya prani para shikari kutte chhora kara unhem katavata hai, pharavata hai, yaham ta taka ki jana se maravata hai. Vaha isa prakara ka bhayamkara papakarma karane ke karana mahapapi ke rupa mem prasiddha ho jata hai.