Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1001636 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-१ पुंडरीक |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-१ पुंडरीक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 636 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अहावरे तच्चे पुरिसजाते– अह पुरिसे पच्चत्थिमाओ दिसाओ आगम्म तं पोक्खरणिं, तीसे पोक्खरणीए तीरे ठिच्चा पासति तं महं एगं पउमवरपोंडरीयं अणुपुव्वट्ठियं ऊसियं रुइलं वण्णमंतं गंधमंतं रसमंतं फासमंतं पासादियं दरिसणीयं अभिरूवं पडिरूवं। ते तत्थ दोण्णि पुरिसजाते पासति पहीणे तीरं, अपत्ते पउमवरपोंडरीयं, नो हव्वाए नो पाराए, अंतरा पोक्खरणीए सेयंसि विसण्णे। तए णं से पुरिसे एवं वयासी–अहो! णं इमे पुरिसा अदेसकालण्णा अखेत्तण्णा अकुसला अपंडिया अविअत्ता अमेधावी बाला नो मग्गण्णा नो मग्गविदू नो मग्गस्स गति-आगतिण्णा नो परक्कमण्ण, जण्णं एते पुरिसा एवं मण्णे– ‘अम्हे तं पउमवरपोंडरीयं उण्णिक्खिस्सामो’ नो य खलु एतं पउमवरपोंडरीयं एवं उण्णिक्खेयव्वं जहा णं एते पुरिसा मण्णे। अहमंसि पुरिसे देसकालण्णे खेत्तण्णे कुसले पंडिए विअत्ते मेधावी अबाले मग्गण्णे मग्गविदू मग्गस्स गति-आगतिण्णे परक्क-मण्णू, अहमेयं पउमवरपोंडरीयं उण्णिक्खिस्सामि त्ति वच्चा से पुरिसे अभिक्कमे तं पोक्खरणिं। जाव-जाव च णं अभिक्कमेइ ताव-तावं च णं महंते उदए महंते सेए पहीणे तीरं, अपत्ते पउमवरपोंडरीयं, नो हव्वाए नो पाराए, अंतरा पोक्खरणीए सेयंसि विसण्णे–तच्चे पुरिसजाते। | ||
Sutra Meaning : | दूसरे पुरुष के पश्चात् तीसरा पुरुष पश्चिम दिशा से उस पुष्करिणी के पास आकर उसके किनारे खड़ा हो कर उस एक महान श्रेष्ठ पुण्डरीक कमल को देखता है, जो विशेष रचना से युक्त यावत् पूर्वोक्त विशेषणों से युक्त अत्यन्त मनोहर है। वह वहाँ उन दोनों पुरुषों को भी देखता है, जो तीर से भ्रष्ट हो चूके और उस उत्तम श्वेत कमल को भी नहीं सके, तथा जो न इस पार के रहे और न उस पार के रहे, अपितु पुष्करिणी के अधबीच में अगाध कीचड़ में ही फँस कर दुःखी हो गए थे। इसके पश्चात् उस तीसरे पुरुष ने उन दोनों पुरुषों के लिए कहा – ‘‘अहो ! ये दोनों व्यक्ति खेदज्ञ या क्षेत्रज्ञ नहीं है, कुशल भी नहीं है, न पण्डित हैं यावत् जिस मार्ग पर चलकर जीव अभीष्ट को सिद्ध करता है, उसे ये नहीं जानते। इसी कारण ये दोनों पुरुष ऐसा मानते थे कि हम इस उत्तम श्वेत कमल को उखाड़ कर बाहर नीकाल लाएंगे, परन्तु इस उत्तम श्वेत कमल को इस प्रकार उखाड़ लाना सरल नहीं, जितना कि ये दोनों पुरुष मानते हैं।’’ ‘‘अलबत्ता मैं खेदज्ञ (क्षेत्रज्ञ), कुशल, पण्डित, परिपक्व बुद्धिसम्पन्न, यावत् ज्ञाता हूँ। मैं इस उत्तम श्वेत कमल को बाहर नीकाल कर ही रहूँगा, मैं यह संकल्प करके ही यहाँ आया हूँ।’’ यों कहकर उस तीसरे पुरुष ने पुष्करिणी में प्रवेश किया और ज्यों – ज्यों उसने आगे कदम बढ़ाए, त्यों – त्यों उसे बहुत अधिक पानी और अधिकाधिक कीचड़ का सामना करना पड़ा। अतः वह तीसरा व्यक्ति भी वहीं कीचड़ में फँस गया, अत्यन्त दुःखी हो गया। न इस पार का रहा और न उस पार का। यह तीसरे पुरुष की कथा है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ahavare tachche purisajate– aha purise pachchatthimao disao agamma tam pokkharanim, tise pokkharanie tire thichcha pasati tam maham egam paumavarapomdariyam anupuvvatthiyam usiyam ruilam vannamamtam gamdhamamtam rasamamtam phasamamtam pasadiyam darisaniyam abhiruvam padiruvam. Te tattha donni purisajate pasati pahine tiram, apatte paumavarapomdariyam, no havvae no parae, amtara pokkharanie seyamsi visanne. Tae nam se purise evam vayasi–aho! Nam ime purisa adesakalanna akhettanna akusala apamdiya aviatta amedhavi bala no magganna no maggavidu no maggassa gati-agatinna no parakkamanna, jannam ete purisa evam manne– ‘amhe tam paumavarapomdariyam unnikkhissamo’ no ya khalu etam paumavarapomdariyam evam unnikkheyavvam jaha nam ete purisa manne. Ahamamsi purise desakalanne khettanne kusale pamdie viatte medhavi abale magganne maggavidu maggassa gati-agatinne parakka-mannu, ahameyam paumavarapomdariyam unnikkhissami tti vachcha se purise abhikkame tam pokkharanim. Java-java cha nam abhikkamei tava-tavam cha nam mahamte udae mahamte see pahine tiram, apatte paumavarapomdariyam, no havvae no parae, amtara pokkharanie seyamsi visanne–tachche purisajate. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Dusare purusha ke pashchat tisara purusha pashchima disha se usa pushkarini ke pasa akara usake kinare khara ho kara usa eka mahana shreshtha pundarika kamala ko dekhata hai, jo vishesha rachana se yukta yavat purvokta visheshanom se yukta atyanta manohara hai. Vaha vaham una donom purushom ko bhi dekhata hai, jo tira se bhrashta ho chuke aura usa uttama shveta kamala ko bhi nahim sake, tatha jo na isa para ke rahe aura na usa para ke rahe, apitu pushkarini ke adhabicha mem agadha kichara mem hi phamsa kara duhkhi ho gae the. Isake pashchat usa tisare purusha ne una donom purushom ke lie kaha – ‘‘aho ! Ye donom vyakti khedajnya ya kshetrajnya nahim hai, kushala bhi nahim hai, na pandita haim yavat jisa marga para chalakara jiva abhishta ko siddha karata hai, use ye nahim janate. Isi karana ye donom purusha aisa manate the ki hama isa uttama shveta kamala ko ukhara kara bahara nikala laemge, parantu isa uttama shveta kamala ko isa prakara ukhara lana sarala nahim, jitana ki ye donom purusha manate haim.’’ ‘‘alabatta maim khedajnya (kshetrajnya), kushala, pandita, paripakva buddhisampanna, yavat jnyata hum. Maim isa uttama shveta kamala ko bahara nikala kara hi rahumga, maim yaha samkalpa karake hi yaham aya hum.’’ yom kahakara usa tisare purusha ne pushkarini mem pravesha kiya aura jyom – jyom usane age kadama barhae, tyom – tyom use bahuta adhika pani aura adhikadhika kichara ka samana karana para. Atah vaha tisara vyakti bhi vahim kichara mem phamsa gaya, atyanta duhkhi ho gaya. Na isa para ka raha aura na usa para ka. Yaha tisare purusha ki katha hai. |