Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001264 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-४ स्त्री परिज्ञा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-४ स्त्री परिज्ञा |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 264 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] सुद्धं रवइ परिसाए अह रहस्सम्मि दुक्कडं कुणइ । जाणंति य णं ‘तथा वेदा’ माइल्ले महासढेऽयं ति ॥ | ||
Sutra Meaning : | वह परीषद् में स्वयं को शुद्ध बतलाता है पर एकान्त में दुष्कर्म करता है। तत्ववेत्ता उसे जानते हैं कि यह मायावी है, महाशठ है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] suddham ravai parisae aha rahassammi dukkadam kunai. Janamti ya nam ‘tatha veda’ maille mahasadheyam ti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Vaha parishad mem svayam ko shuddha batalata hai para ekanta mem dushkarma karata hai. Tatvavetta use janate haim ki yaha mayavi hai, mahashatha hai. |