Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001041 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-१ समय |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-१ समय |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 41 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] माहणा समणा एगे सव्वे नाणं सयं वए । ‘सव्वलोगे वि’ जे पाणा न ते जाणंति किंचणं ॥ | ||
Sutra Meaning : | कुछेक ब्राह्मण और श्रमण अपने ज्ञान को सत्य कहते हैं। उनके अनुसार सम्पूर्ण लोक में उनके मत से जो भिन्न प्राणी हैं, वे कुछ भी नहीं जानते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] mahana samana ege savve nanam sayam vae. ‘savvaloge vi’ je pana na te janamti kimchanam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Kuchheka brahmana aura shramana apane jnyana ko satya kahate haim. Unake anusara sampurna loka mem unake mata se jo bhinna prani haim, ve kuchha bhi nahim janate haim. |