Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )

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Sr No : 1000503
Scripture Name( English ): Acharang Translated Scripture Name : आचारांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-२

चूलिका-२

अध्ययन-११ [४] शब्द विषयक

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-२

चूलिका-२

अध्ययन-११ [४] शब्द विषयक

Section : Translated Section :
Sutra Number : 503 Category : Ang-01
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेति, तं जहा–वप्पाणि वा, फलिहाणि वा, उप्पलाणि वा, पल्ललाणि वा, उज्झराणि वा, निज्झराणि वा, वावीणि वा, पोक्खराणि वा, दीहियाणि वा, गुंजालियाणि वा, सराणि वा, सागराणि वा, सरपंतियाणि वा, सरसरपंतियाणि वा, अन्नयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं सद्दाइं कण्णसोय-पडियाए नो अभिसंधारेज्जा गमणाए। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेति, तं जहा–कच्छाणि वा, णूमाणि वा, गहणाणि वा, वनानि वा, वनदुग्गाणि वा, पव्वयाणि वा, पव्वयदुग्गाणि वा, अन्नयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं सद्दाइं कण्णसोय-पडियाए नो अभिसंधारेज्जा गमणाए। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेति, तं जहा–गामाणि वा, णगराणि वा, णिगमाणि वा, रायहाणीणि वा, आसम-पट्टण-सन्निवेसाणि वा, अन्नयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं सद्दाइं कण्णसोय-पडियाए नो अभिसंधारेज्जा गमणाए। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेति, तं जहा–आरामाणि वा, उज्जाणाणि वा, वनानि वा, वनसंडाणि वा, देवकुलाणि वा, सभाणि वा, पवाणि वा, अन्नयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं सद्दाइं कण्णसोय-पडियाए नो अभिसंधारेज्जा गमणाए। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेति, तं जहा–अट्टाणि वा, अट्टालयाणि वा, चरियाणि वा, दाराणि वा, गोपुराणि वा, अन्नयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं सद्दाइं कण्णसोय-पडियाए नो अभिसंधारेज्जा गमणाए। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेति, तं जहा–तियाणि वा, चउक्काणि वा, चच्चराणि वा, चउम्मुहाणि वा, अन्नयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं सद्दाइं कण्णसोय-पडियाए नो अभिसंधारेज्जा गमणाए। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेति, तं जहा–महिसट्ठाण-करणाणि वा, वसभट्ठाण-करणाणि वा, अस्सट्ठाण-करणाणि वा, हत्थिट्ठाण-करणाणि वा, कुक्कुडट्ठाण-करणाणि वा, मक्कडट्ठाण-करणाणि वा, लावयट्ठाण-करणाणि वा, वट्ठयट्ठाण-करणाणि वा, तित्तिरट्ठाण-करणाणि वा, कवोयट्ठाण-करणाणि वा, कविंजलट्ठाण-करणाणि वा, अन्नयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं सद्दाइं कण्णसोय-पडियाए नो अभिसंधारेज्जा गमणाए। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेति, तं जहा–महिस-जुद्धाणि वा, वसभ-जुद्धाणि वा, अस्स-जुद्धाणि वा, हत्थि-जुद्धाणि वा, कुक्कड-जुद्धाणि वा, मक्कड-जुद्धाणि वा, लावय-जुद्धाणि वा, वट्टय-जुद्धाणि वा, तितिर-जुद्धाणि वा, कवोय-जुद्धाणि वा, कविंजल-जुद्धाणि वा, अन्नयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं सद्दाइं कण्णसोय-पडियाए णोअभिसंधारेज्जा गमणाए। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेति, तं जहा– ‘जूहिय-ट्ठाणाणि’ वा, हयजूहिय-ट्ठाणाणि वा, गयजूहिय-ट्ठाणाणि वा, अन्नयराइं वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं सद्दाइं कण्णसोय-पडियाए नो अभिसंधारेज्जा गमणाए।
Sutra Meaning : वह साधु या साध्वी कईं प्रकार के शब्द श्रवण करते हैं, जैसे कि – खेत की क्यारियों में तथा खाईयों में होने वाले शब्द यावत्‌ सरोवरों में, समुद्रों में, सरोवर की पंक्तियों या सरोवर के बाद सरोवर की पंक्तियों के शब्द, अन्य इसी प्रकार के विविध शब्द, किन्तु उन्हें कानों से श्रवण करने के लिए जाने के लिए मन में संकल्प न करे। साधु या साध्वी कतिपय शब्दों को सूनते हैं, जैसे कि नदी तटीय जलबहुल प्रदेशों (कच्छों) में, भूमिगृहों या प्रच्छन्न स्थानों में, वृक्षों में, सघन एवं गहन प्रदेशों में, वनों में, वन के दुर्गम प्रदेशों में, पर्वतों या पर्वतीय दुर्गों में तथा इसी प्रकार के अन्य प्रदेशों में, किन्तु उन शब्दों को कानों से श्रवण करने के उद्देश्य से गमन करने का संकल्प न करे। साधु या साध्वी कईं प्रकार के शब्द श्रवण करते हैं, जैसे – गाँवों में, नगरों में, निगमों में, राजधानी में, आश्रम, पत्तन और सन्निवेशों में या अन्य इसी प्रकार के नाना रूपों में होने वाले शब्द किन्तु साधु – साध्वी उन्हें सूनने की लालसा से न जाए। साधु या साध्वी के कानों में कईं प्रकार के शब्द पड़ते हैं, जैसे कि – आरामगारों में, उद्यानों में, वनों में, वन – खण्डों में, देवकुलों में, सभाओं में, प्याऊओं में, या अन्य इसी प्रकार के स्थानों में, किन्तु इन शब्दों को सूनने की उत्सुकता से जाने का संकल्प न करे। साधु या साध्वी कईं प्रकार के शब्द सूनते हैं, जैसे कि – अटारियों में, प्राकार से सम्बद्ध अट्टालयों में, नगर के मध्य में स्थित राजमार्गों में; द्वारों में या नगर – द्वारों तथा इसी प्रकार के अन्य स्थानों में, किन्तु इन शब्दों को सूनने के हेतु किसी भी स्थान में जाने का संकल्प न करे। साधु या साध्वी कईं प्रकार के शब्द सूनते हैं, जैसे कि – तिराहों पर, चौको में, चौराहों पर, चतुर्मुख मार्गों में तथा इसी प्रकार के अन्य स्थानों में, परन्तु इन शब्दों को श्रवण करने के लिए कहीं भी जाने का संकल्प न करे। साधु या साध्वी कईं प्रकार के शब्द श्रवण करते हैं, जैसे कि – भैंसों के स्थान, वृषभशाला, घुड़साल, हस्तिशाला यावत्‌ कपिंजल पक्षी आदि के रहने के स्थानों में होने वाले शब्दों या इसी प्रकार के अन्य शब्दों को, किन्तु उन्हें श्रवण करने हेतु कहीं जाने का मन में विचार न करे। साधु या साध्वी कईं प्रकार के शब्द सूनते हैं, जैसे कि – जहाँ भैंसों के युद्ध, साँड़ों के युद्ध, अश्व युद्ध, यावत्‌ कपिंजल – युद्ध होते हैं तथा अन्य इसी प्रकार के पशु – पक्षियों के लड़ने से या लड़ने के स्थानों में होने वाले शब्द, उनको सूनने हेतु जाने का संकल्प न करे। साधु या साध्वी के कानों में कईं प्रकार के शब्द पड़ते हैं, जैसे कि – वर – वधू युगल आदि के मिलने के स्थानों में या वरवधू – वर्णन किया जाता है, ऐसे स्थानों में, अश्वयुगल स्थानों में, हस्तियुगल स्थानों में तथा इसी प्रकार के अन्य कुतूहल एवं मनोरंजक स्थानों में, किन्तु ऐसे श्रव्य – गेयादि शब्द सूनने की उत्सुकता से जाने का संकल्प न करे।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] se bhikkhu va bhikkhuni va ahavegaiyaim saddaim suneti, tam jaha–vappani va, phalihani va, uppalani va, pallalani va, ujjharani va, nijjharani va, vavini va, pokkharani va, dihiyani va, gumjaliyani va, sarani va, sagarani va, sarapamtiyani va, sarasarapamtiyani va, annayaraim va tahappagaraim viruvaruvaim saddaim kannasoya-padiyae no abhisamdharejja gamanae. Se bhikkhu va bhikkhuni va ahavegaiyaim saddaim suneti, tam jaha–kachchhani va, numani va, gahanani va, vanani va, vanaduggani va, pavvayani va, pavvayaduggani va, annayaraim va tahappagaraim viruvaruvaim saddaim kannasoya-padiyae no abhisamdharejja gamanae. Se bhikkhu va bhikkhuni va ahavegaiyaim saddaim suneti, tam jaha–gamani va, nagarani va, nigamani va, rayahanini va, asama-pattana-sannivesani va, annayaraim va tahappagaraim viruvaruvaim saddaim kannasoya-padiyae no abhisamdharejja gamanae. Se bhikkhu va bhikkhuni va ahavegaiyaim saddaim suneti, tam jaha–aramani va, ujjanani va, vanani va, vanasamdani va, devakulani va, sabhani va, pavani va, annayaraim va tahappagaraim viruvaruvaim saddaim kannasoya-padiyae no abhisamdharejja gamanae. Se bhikkhu va bhikkhuni va ahavegaiyaim saddaim suneti, tam jaha–attani va, attalayani va, chariyani va, darani va, gopurani va, annayaraim va tahappagaraim viruvaruvaim saddaim kannasoya-padiyae no abhisamdharejja gamanae. Se bhikkhu va bhikkhuni va ahavegaiyaim saddaim suneti, tam jaha–tiyani va, chaukkani va, chachcharani va, chaummuhani va, annayaraim va tahappagaraim viruvaruvaim saddaim kannasoya-padiyae no abhisamdharejja gamanae. Se bhikkhu va bhikkhuni va ahavegaiyaim saddaim suneti, tam jaha–mahisatthana-karanani va, vasabhatthana-karanani va, assatthana-karanani va, hatthitthana-karanani va, kukkudatthana-karanani va, makkadatthana-karanani va, lavayatthana-karanani va, vatthayatthana-karanani va, tittiratthana-karanani va, kavoyatthana-karanani va, kavimjalatthana-karanani va, annayaraim va tahappagaraim viruvaruvaim saddaim kannasoya-padiyae no abhisamdharejja gamanae. Se bhikkhu va bhikkhuni va ahavegaiyaim saddaim suneti, tam jaha–mahisa-juddhani va, vasabha-juddhani va, assa-juddhani va, hatthi-juddhani va, kukkada-juddhani va, makkada-juddhani va, lavaya-juddhani va, vattaya-juddhani va, titira-juddhani va, kavoya-juddhani va, kavimjala-juddhani va, annayaraim va tahappagaraim viruvaruvaim saddaim kannasoya-padiyae noabhisamdharejja gamanae. Se bhikkhu va bhikkhuni va ahavegaiyaim saddaim suneti, tam jaha– ‘juhiya-tthanani’ va, hayajuhiya-tthanani va, gayajuhiya-tthanani va, annayaraim va tahappagaraim viruvaruvaim saddaim kannasoya-padiyae no abhisamdharejja gamanae.
Sutra Meaning Transliteration : Vaha sadhu ya sadhvi kaim prakara ke shabda shravana karate haim, jaise ki – kheta ki kyariyom mem tatha khaiyom mem hone vale shabda yavat sarovarom mem, samudrom mem, sarovara ki pamktiyom ya sarovara ke bada sarovara ki pamktiyom ke shabda, anya isi prakara ke vividha shabda, kintu unhem kanom se shravana karane ke lie jane ke lie mana mem samkalpa na kare. Sadhu ya sadhvi katipaya shabdom ko sunate haim, jaise ki nadi tatiya jalabahula pradeshom (kachchhom) mem, bhumigrihom ya prachchhanna sthanom mem, vrikshom mem, saghana evam gahana pradeshom mem, vanom mem, vana ke durgama pradeshom mem, parvatom ya parvatiya durgom mem tatha isi prakara ke anya pradeshom mem, kintu una shabdom ko kanom se shravana karane ke uddeshya se gamana karane ka samkalpa na kare. Sadhu ya sadhvi kaim prakara ke shabda shravana karate haim, jaise – gamvom mem, nagarom mem, nigamom mem, rajadhani mem, ashrama, pattana aura sanniveshom mem ya anya isi prakara ke nana rupom mem hone vale shabda kintu sadhusadhvi unhem sunane ki lalasa se na jae. Sadhu ya sadhvi ke kanom mem kaim prakara ke shabda parate haim, jaise ki – aramagarom mem, udyanom mem, vanom mem, vana – khandom mem, devakulom mem, sabhaom mem, pyauom mem, ya anya isi prakara ke sthanom mem, kintu ina shabdom ko sunane ki utsukata se jane ka samkalpa na kare. Sadhu ya sadhvi kaim prakara ke shabda sunate haim, jaise ki – atariyom mem, prakara se sambaddha attalayom mem, nagara ke madhya mem sthita rajamargom mem; dvarom mem ya nagara – dvarom tatha isi prakara ke anya sthanom mem, kintu ina shabdom ko sunane ke hetu kisi bhi sthana mem jane ka samkalpa na kare. Sadhu ya sadhvi kaim prakara ke shabda sunate haim, jaise ki – tirahom para, chauko mem, chaurahom para, chaturmukha margom mem tatha isi prakara ke anya sthanom mem, parantu ina shabdom ko shravana karane ke lie kahim bhi jane ka samkalpa na kare. Sadhu ya sadhvi kaim prakara ke shabda shravana karate haim, jaise ki – bhaimsom ke sthana, vrishabhashala, ghurasala, hastishala yavat kapimjala pakshi adi ke rahane ke sthanom mem hone vale shabdom ya isi prakara ke anya shabdom ko, kintu unhem shravana karane hetu kahim jane ka mana mem vichara na kare. Sadhu ya sadhvi kaim prakara ke shabda sunate haim, jaise ki – jaham bhaimsom ke yuddha, samrom ke yuddha, ashva yuddha, yavat kapimjala – yuddha hote haim tatha anya isi prakara ke pashu – pakshiyom ke larane se ya larane ke sthanom mem hone vale shabda, unako sunane hetu jane ka samkalpa na kare. Sadhu ya sadhvi ke kanom mem kaim prakara ke shabda parate haim, jaise ki – vara – vadhu yugala adi ke milane ke sthanom mem ya varavadhu – varnana kiya jata hai, aise sthanom mem, ashvayugala sthanom mem, hastiyugala sthanom mem tatha isi prakara ke anya kutuhala evam manoramjaka sthanom mem, kintu aise shravya – geyadi shabda sunane ki utsukata se jane ka samkalpa na kare.