Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000367 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-१ पिंडैषणा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-१ पिंडैषणा |
Section : | उद्देशक-६ | Translated Section : | उद्देशक-६ |
Sutra Number : | 367 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अह तत्थ कंचि भूंजमाणं पेहाए, तं जहा–गाहावइं वा, गाहावइ-भारियं वा, गाहावइ-भगिनिं वा, गाहावइ-पुत्तं वा, गाहावइ-धूयं वा, सुण्हं वा, धाइं वा, दासं वा, दासिं वा, कम्मकरं वा, कम्मकरिं वा। से पुव्वामेव आलोएज्जा–आउसो! त्ति वा, भइणि! त्ति वा दाहिसि मे एत्तो अन्नयरं भोयणजायं? से सेवं वयंतस्स परो हत्थं वा, मत्तं वा, दव्विं वा, भायणं वा, सीओदग-वियडेण वा, उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज्ज वा, पहोएज्ज वा। से पुव्वामेव आलोएज्जा–आउसो! त्ति वा, भइणि! त्ति वा, मा एयं तुमं हत्थं वा, मत्तं वा, दव्विं वा, भायणं वा, सीओदग-वियडेण वा, उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेहि वा, पहोएहि वा, अभिकंखसि मे दाउं? एमेव दलयाहि। से सेवं वयंतस्स परो हत्थं वा, मत्तं वा, दव्विं वा, भायणं वा, सीओदग-वियडेण वा, उसिणोदग-वियडेण वा, उच्छोलेत्ता पहोइत्ता आहट्टु दलएज्जा–तहप्पगारेण पुरेकम्मकएण हत्थेण वा, मत्तेण वा, दव्वीए वा, भायणेण वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अफासुयं अनेसणिज्जं ति मन्नमाणे लाभे संते नो पडिगाहेज्जा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो पुरेकम्मकएण, उदउल्लेण। तहप्पगारेण उदउल्लेण हत्थेण वा, मत्तेण वा, दव्वीए वा, भायणेण वा, असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अफासुयं अनेसणिज्जं ति मन्नमाणे लाभे संते नो पडिगाहेज्जा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो उदउल्लेण, ससिणिद्धेण। तहप्पगारेण ससिणिद्धेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो ससिणिद्धेण, ससरक्खेण। तहप्पगारेण ससरक्खेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो ससरक्खेण, मट्टिया-संसट्ठेण। तहप्पगारेण मट्टिया-ससट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो मट्टिया-संसट्ठेण, ऊस-संसट्ठेण। तहप्पगारेण ऊस-ससट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो ऊस-संसट्ठेण, हरियाल-संसट्ठेण। तहप्पगारेण हरियाल-संसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो हरियालसंसट्ठेण, हिंगुलयसंसट्ठेण। तहप्पगारेण हिंगुलयसंसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो हिंगुलय-संसट्ठेण, मणोसिला-संसट्ठेण। तहप्पगारेण मणोसिला-संसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो मणोसिलासंसट्ठेण, अंजणसंसट्ठेण। तहप्पगारेण अंजणसंसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो अंजण-संसट्ठेण, लोण-संसट्ठेण। तहप्पगारेण लोण-संसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो लोण-संसट्ठेण, गेरुय-संसट्ठेण। तहप्पगारेण गेरुय-संसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो गेरुय-संसट्ठेण, वण्णियासंसट्ठेण। तहप्पगारेण वण्णियासंसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो वण्णियासंसट्ठेण, सेडियासंसट्ठेण। तहप्पगारेण सेडियासंसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो सेडिया-संसट्ठेण, सोरट्ठिया-संसट्ठेण। तहप्पगारेण सोरट्ठिया-संसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो सोरट्ठिया-संसट्ठेण, पिट्ठ-संसट्ठेण। तहप्पगारेण पिट्ठ-संसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो पिट्ठ-संसट्ठेण, कुक्कस-संसट्ठेण। तहप्पगारेण कुक्कस-संसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो कुक्कससंसट्ठेण, उक्कुट्ठसंसट्ठेण। तहप्पगारेण उक्कुट्ठसंसट्ठेण हत्थेण वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–नो ‘असंसट्ठे, संसट्ठे’। तहप्पगारेण संसट्ठेण हत्थेण वा, मत्तेण वा, दव्वीए वा, भायणेण वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा फासुयं एसणिज्जं ति मन्नमाणे लाभे संते पडिगाहेज्जा। | ||
Sutra Meaning : | गृहस्थ के यहाँ आहार के लिए प्रविष्ट साधु या साध्वी किसी व्यक्ति को भोजन करते हुए देखे, जैसे कि – गृहस्वामी, उसकी पत्नी, उसकी पुत्री या पुत्र, उसकी पुत्रवधू या गृहपति के दास – दासी या नौकर – नौकरानियों में से किसी को, पहले अपने मन में विचार करके कहे – आयुष्मन् गृहस्थ इसमें से कुछ भोजन मुझे दोगे ? उस भिक्षु के ऐसा कहने पर यदि वह गृहस्थ अपने हाथ को, मिट्टी के बर्तन को, दर्वी को या कांसे आदि के बर्तन को ठंडे जल से या ठंडे हुए उष्णजल से एक बार धोए या बार – बार रगड़कर धोने लगे तो वह भिक्षु पहले उसे भली – भाँति देखकर कहे – ‘आयुष्मन् गृहस्थ ! तुम इस प्रकार हाथ, पात्र, कुड़छी या बर्तन को सचित्त पानी से मत धोओ। यदि मुझे भोजन देना चाहती हो तो ऐसे ही दे दो।’ साधु के इस प्रकार कहने पर यदि वह शीतल या अल्प उष्णजल से हाथ आदि को एक बार या बार – बार धोकर उन्हीं से अशनादि आहार लाकर देने लगे तो उस प्रकार के पुरः कर्मरत हाथ आदि से लाए गए अशनादि चतुर्विध आहार को अप्रासुक और अनेषणीय समझकर प्राप्त होने पर भी ग्रहण न करे। यदि साधु यह जाने कि दाता के हाथ, पात्र आदि भिक्षा देने के लिए नहीं धोए हैं, किन्तु पहले से ही गीले हैं; उस प्रकार के सचित्त जल से गीले हाथ, पात्र, कुड़छी आदि से लाकर दिया गया आहार भी अप्रासुक – अनेष – णीय जानकर प्राप्त होने पर भी ग्रहण न करे। यदि यह जाने कि हाथ आदि पहले से गीले तो नहीं हैं, किन्तु सस्निग्ध हैं, तो उस प्रकार लाकर दिया गया आहार भी ग्रहण न करे। यदि यह जाने कि हाथ आदि जल से आर्द्र या सस्निग्ध तो नहीं हैं, किन्तु क्रमशः सचित्त मिट्टी, क्षार, हड़ताल, हिंगलू, मेनसिल, अंजन, लवण, मेरू, पीली मिट्टी, खड़िया मिट्टी, सौराष्ट्रिका, बिना छाना आटा, आटे का चोकर, पीलुपर्णिका के गीले पत्तों का चूर्ण आदि में से किसी से भी हाथ आद संसृष्ट हैं तो उस प्रकार के हाथ आदि से लाकर दिया गया आहार भी ग्रहण न करे। यदि वह यह जाने कि दाता के हाथ आदि सचित्त जल से आर्द्र, सस्निग्ध या सचित्त मिट्टी आदि से असंसृष्ट तो नहीं हैं, किन्तु जो पदार्थ देना है, उसी से हाथ आदि संसृष्ट हैं तो ऐसे हाथों या बर्तन आदि से दिया गया अशनादि आहार प्रासुक एवं एषणीय मानकर प्राप्त होने पर ग्रहण कर सकता है(अथवा) यदि वह भिक्षु यह जाने कि दाता के हाथ आदि सचित्त जल, मिट्टी आदि से संसृष्ट नहीं हैं, किन्तु जो पदार्थ देना है, उसी से संसृष्ट हैं, तो ऐसे हाथों या बर्तन आदि से दिया गया आहार प्रासुक एवं एषणीय समझ – कर प्राप्त होने पर ग्रहण करे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] aha tattha kamchi bhumjamanam pehae, tam jaha–gahavaim va, gahavai-bhariyam va, gahavai-bhaginim va, gahavai-puttam va, gahavai-dhuyam va, sunham va, dhaim va, dasam va, dasim va, kammakaram va, kammakarim va. Se puvvameva aloejja–auso! Tti va, bhaini! Tti va dahisi me etto annayaram bhoyanajayam? Se sevam vayamtassa paro hattham va, mattam va, davvim va, bhayanam va, siodaga-viyadena va, usinodaga-viyadena va uchchholejja va, pahoejja va. Se puvvameva aloejja–auso! Tti va, bhaini! Tti va, ma eyam tumam hattham va, mattam va, davvim va, bhayanam va, siodaga-viyadena va, usinodaga-viyadena va uchchholehi va, pahoehi va, abhikamkhasi me daum? Emeva dalayahi. Se sevam vayamtassa paro hattham va, mattam va, davvim va, bhayanam va, siodaga-viyadena va, usinodaga-viyadena va, uchchholetta pahoitta ahattu dalaejja–tahappagarena purekammakaena hatthena va, mattena va, davvie va, bhayanena va asanam va panam va khaimam va saimam va aphasuyam anesanijjam ti mannamane labhe samte no padigahejja. Aha puna evam janejja–no purekammakaena, udaullena. Tahappagarena udaullena hatthena va, mattena va, davvie va, bhayanena va, asanam va panam va khaimam va saimam va aphasuyam anesanijjam ti mannamane labhe samte no padigahejja. Aha puna evam janejja–no udaullena, sasiniddhena. Tahappagarena sasiniddhena hatthena va. Aha puna evam janejja–no sasiniddhena, sasarakkhena. Tahappagarena sasarakkhena hatthena va. Aha puna evam janejja–no sasarakkhena, mattiya-samsatthena. Tahappagarena mattiya-sasatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no mattiya-samsatthena, usa-samsatthena. Tahappagarena usa-sasatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no usa-samsatthena, hariyala-samsatthena. Tahappagarena hariyala-samsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no hariyalasamsatthena, himgulayasamsatthena. Tahappagarena himgulayasamsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no himgulaya-samsatthena, manosila-samsatthena. Tahappagarena manosila-samsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no manosilasamsatthena, amjanasamsatthena. Tahappagarena amjanasamsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no amjana-samsatthena, lona-samsatthena. Tahappagarena lona-samsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no lona-samsatthena, geruya-samsatthena. Tahappagarena geruya-samsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no geruya-samsatthena, vanniyasamsatthena. Tahappagarena vanniyasamsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no vanniyasamsatthena, sediyasamsatthena. Tahappagarena sediyasamsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no sediya-samsatthena, soratthiya-samsatthena. Tahappagarena soratthiya-samsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no soratthiya-samsatthena, pittha-samsatthena. Tahappagarena pittha-samsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no pittha-samsatthena, kukkasa-samsatthena. Tahappagarena kukkasa-samsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no kukkasasamsatthena, ukkutthasamsatthena. Tahappagarena ukkutthasamsatthena hatthena va. Aha puna evam janejja–no ‘asamsatthe, samsatthe’. Tahappagarena samsatthena hatthena va, mattena va, davvie va, bhayanena va asanam va panam va khaimam va saimam va phasuyam esanijjam ti mannamane labhe samte padigahejja. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Grihastha ke yaham ahara ke lie pravishta sadhu ya sadhvi kisi vyakti ko bhojana karate hue dekhe, jaise ki – grihasvami, usaki patni, usaki putri ya putra, usaki putravadhu ya grihapati ke dasa – dasi ya naukara – naukaraniyom mem se kisi ko, pahale apane mana mem vichara karake kahe – ayushman grihastha isamem se kuchha bhojana mujhe doge\? Usa bhikshu ke aisa kahane para yadi vaha grihastha apane hatha ko, mitti ke bartana ko, darvi ko ya kamse adi ke bartana ko thamde jala se ya thamde hue ushnajala se eka bara dhoe ya bara – bara ragarakara dhone lage to vaha bhikshu pahale use bhali – bhamti dekhakara kahe – ‘ayushman grihastha ! Tuma isa prakara hatha, patra, kurachhi ya bartana ko sachitta pani se mata dhoo. Yadi mujhe bhojana dena chahati ho to aise hi de do.’ Sadhu ke isa prakara kahane para yadi vaha shitala ya alpa ushnajala se hatha adi ko eka bara ya bara – bara dhokara unhim se ashanadi ahara lakara dene lage to usa prakara ke purah karmarata hatha adi se lae gae ashanadi chaturvidha ahara ko aprasuka aura aneshaniya samajhakara prapta hone para bhi grahana na kare. Yadi sadhu yaha jane ki data ke hatha, patra adi bhiksha dene ke lie nahim dhoe haim, kintu pahale se hi gile haim; usa prakara ke sachitta jala se gile hatha, patra, kurachhi adi se lakara diya gaya ahara bhi aprasuka – anesha – niya janakara prapta hone para bhi grahana na kare. Yadi yaha jane ki hatha adi pahale se gile to nahim haim, kintu sasnigdha haim, to usa prakara lakara diya gaya ahara bhi grahana na kare. Yadi yaha jane ki hatha adi jala se ardra ya sasnigdha to nahim haim, kintu kramashah sachitta mitti, kshara, haratala, himgalu, menasila, amjana, lavana, meru, pili mitti, khariya mitti, saurashtrika, bina chhana ata, ate ka chokara, piluparnika ke gile pattom ka churna adi mem se kisi se bhi hatha ada samsrishta haim to usa prakara ke hatha adi se lakara diya gaya ahara bhi grahana na kare. Yadi vaha yaha jane ki data ke hatha adi sachitta jala se ardra, sasnigdha ya sachitta mitti adi se asamsrishta to nahim haim, kintu jo padartha dena hai, usi se hatha adi samsrishta haim to aise hathom ya bartana adi se diya gaya ashanadi ahara prasuka evam eshaniya manakara prapta hone para grahana kara sakata hai(athava) yadi vaha bhikshu yaha jane ki data ke hatha adi sachitta jala, mitti adi se samsrishta nahim haim, kintu jo padartha dena hai, usi se samsrishta haim, to aise hathom ya bartana adi se diya gaya ahara prasuka evam eshaniya samajha – kara prapta hone para grahana kare. |