Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )

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Sr No : 1000213
Scripture Name( English ): Acharang Translated Scripture Name : आचारांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-८ विमोक्ष

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-८ विमोक्ष

Section : उद्देशक-१ असमनोज्ञ विमोक्ष Translated Section : उद्देशक-१ असमनोज्ञ विमोक्ष
Sutra Number : 213 Category : Ang-01
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] से जहेयं भगवया पवेदितं आसुपण्णेण जाणया पासया। अदुवा गुत्ती वओगोयरस्स सव्वत्थ सम्मयं पावं। तमेव उवाइकम्म। एस मह विवेगे वियाहिते। गामे वा अदुवा रण्णे? नेव गामे नेव रण्णे धम्ममायाणह–पवेदितं माहणेण मईमया। जामा तिण्णि उदाहिया, जेसु इमे आरिया संबुज्झमाणा समुट्ठिया। जे णिव्वुया पावेहिं कम्मेहिं, अनियाणा ते वियाहिया।
Sutra Meaning : जिस प्रकार से आशुप्रज्ञ भगवान महावीर ने इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है, वह (मुनि) उसी प्रकार से प्ररूपणसम्यग्वाद का निरूपण करे; अथवा वाणी विषयक गुप्ति से (मौन) रहे। ऐसा मैं कहता हूँ। (वह मुनि उन मतवादियों से कहे – ) (आप के दर्शनों में आरम्भ) पाप सर्वत्र सम्मत है। मैं उसी (पाप) का निकट से अति – क्रमण करके (स्थित हूँ) यह मेरा विवेक (विमोक्ष) कहा गया है। धर्म ग्राम में होता है, अथवा अरण्य में ? वह न तो गाँव में होता है, न अरण्य में, उसी (सम्यग्‌ आचरण) को धर्म जानो, जो मतिमान्‌ महामाहन भगवान ने प्रवेदित किया (बतलाया) है। (उस धर्म के) तीन याम – १. प्राणातिपात – विरमण, २. मृषावाद – विरमण, ३. अदत्तादान – विरमण रूप तीन महाव्रत कहे गए हैं, उन (तीनों यामों) में ये आर्य सम्बोधि पाकर उस त्रियाम रूप धर्म का आचरण करने के लिए सम्यक्‌ प्रकार से उत्थित होते हैं; जो शान्त हो गए हैं; वे (पापकर्मों के) निदान से विमुक्त कहे गए हैं।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] se jaheyam bhagavaya paveditam asupannena janaya pasaya. Aduva gutti vaogoyarassa Savvattha sammayam pavam. Tameva uvaikamma. Esa maha vivege viyahite. Game va aduva ranne? Neva game neva ranne dhammamayanaha–paveditam mahanena maimaya. Jama tinni udahiya, jesu ime ariya sambujjhamana samutthiya. Je nivvuya pavehim kammehim, aniyana te viyahiya.
Sutra Meaning Transliteration : Jisa prakara se ashuprajnya bhagavana mahavira ne isa siddhanta ka pratipadana kiya hai, vaha (muni) usi prakara se prarupanasamyagvada ka nirupana kare; athava vani vishayaka gupti se (mauna) rahe. Aisa maim kahata hum. (vaha muni una matavadiyom se kahe – ) (apa ke darshanom mem arambha) papa sarvatra sammata hai. Maim usi (papa) ka nikata se ati – kramana karake (sthita hum) yaha mera viveka (vimoksha) kaha gaya hai. Dharma grama mem hota hai, athava aranya mem\? Vaha na to gamva mem hota hai, na aranya mem, usi (samyag acharana) ko dharma jano, jo matiman mahamahana bhagavana ne pravedita kiya (batalaya) hai. (usa dharma ke) tina yama – 1. Pranatipata – viramana, 2. Mrishavada – viramana, 3. Adattadana – viramana rupa tina mahavrata kahe gae haim, una (tinom yamom) mem ye arya sambodhi pakara usa triyama rupa dharma ka acharana karane ke lie samyak prakara se utthita hote haim; jo shanta ho gae haim; ve (papakarmom ke) nidana se vimukta kahe gae haim.