Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011794 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Translated Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Section : | 2. जीव द्रव्य (आत्मा) | Translated Section : | 2. जीव द्रव्य (आत्मा) |
Sutra Number : | 291 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | आचारांग। ५.६ सूत्र ६; तुलना: आराधनासार। ८१ | ||
Mool Sutra : | सर्वे स्वराः निवर्तन्ते, तर्को यत्र न विद्यते। मतिस्तत्र न ग्राहिका, ओजः अप्रतिष्ठानस्य खेदज्ञः ।। | ||
Sutra Meaning : | (शास्त्र केवल मनुष्यादिक व्यवहारिक जीवों का ही विस्तार करने वाले हैं। इन सर्व विकल्पों से अतीत) मुक्तात्मा का स्वरूप बतलाने में सभी शब्द निवृत्त हो जाते हैं, तर्क वहाँ तक पहुँच नहीं पाता, और बुद्धि की उसमें गति नहीं। वह मात्र चिज्ज्योति स्वरूप है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Sarve svarah nivartante, tarko yatra na vidyate. Matistatra na grahika, ojah apratishthanasya khedajnyah\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (shastra kevala manushyadika vyavaharika jivom ka hi vistara karane vale haim. Ina sarva vikalpom se atita) muktatma ka svarupa batalane mem sabhi shabda nivritta ho jate haim, tarka vaham taka pahumcha nahim pata, aura buddhi ki usamem gati nahim. Vaha matra chijjyoti svarupa hai. |