Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011792 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Translated Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Section : | 2. जीव द्रव्य (आत्मा) | Translated Section : | 2. जीव द्रव्य (आत्मा) |
Sutra Number : | 289 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | भा. पा.। १४८; तुलना: अध्यात्मसार । १८.३८-३९, सन्मति १.५१ | ||
Mool Sutra : | कर्ता, भोक्ता अमूर्त्तः, शरीरमात्रः अनादिनिधनः च। दर्शनज्ञानोपयोगः, जीवः निर्दिष्टः जिनवरेन्द्रैः ।। | ||
Sutra Meaning : | जीव या आत्मा आकाशवत् अमूर्तीक है और (देह में रहता हुआ) देह-प्रमाण है। यह अनादि निधन अर्थात् स्वतः सिद्ध है। ज्ञान व दर्शन रूप उपयोग ही उसका प्रधान लक्षण है। (देहधारी) वह अपने शुभाशुभ कर्मों का कर्ता है तथा उनके सुख-दुःख आदि फलों का भोक्ता भी है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Karta, bhokta amurttah, shariramatrah anadinidhanah cha. Darshanajnyanopayogah, jivah nirdishtah jinavarendraih\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jiva ya atma akashavat amurtika hai aura (deha mem rahata hua) deha-pramana hai. Yaha anadi nidhana arthat svatah siddha hai. Jnyana va darshana rupa upayoga hi usaka pradhana lakshana hai. (dehadhari) vaha apane shubhashubha karmom ka karta hai tatha unake sukha-duhkha adi phalom ka bhokta bhi hai. |