Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011775 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Translated Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Section : | 10. उत्तम मार्दव (अमानित्व) | Translated Section : | 10. उत्तम मार्दव (अमानित्व) |
Sutra Number : | 272 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | आचार.। २.३ सूत्र १,; तुलना: भगवती आराधना । १४२७-२८ | ||
Mool Sutra : | सोऽसकृदुच्चैर्गोत्रे असकृन्नीचैर्गोत्रे, नो हीनः नोऽप्यतिरिक्तः। न स्पृहयेत् इति संख्याय, को गोत्रवादी को मानवादी ।। | ||
Sutra Meaning : | यह जीव अनेक बार उच्च गोत्र में उत्पन्न हो चुका है, और अनेक बार नीच गोत्र में जन्म ले चुका है। परन्तु वस्तुतः न तो आज तक यह कभी हीन हुआ है और न कभी कुछ वृद्धि को ही प्राप्त हुआ है। अतः हे श्रमण! तू उच्च जाति आदि को प्राप्त करने की इच्छा न कर। क्योंकि इस तथ्य को जानकर भी कौन पुरुष उच्च गोत्र की इच्छा अथवा उसका मान करेगा? | ||
Mool Sutra Transliteration : | Sosakriduchchairgotre asakrinnichairgotre, No hinah nopyatiriktah. Na sprihayet iti samkhyaya, Ko gotravadi ko manavadi\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Yaha jiva aneka bara uchcha gotra mem utpanna ho chuka hai, aura aneka bara nicha gotra mem janma le chuka hai. Parantu vastutah na to aja taka yaha kabhi hina hua hai aura na kabhi kuchha vriddhi ko hi prapta hua hai. Atah he shramana! Tu uchcha jati adi ko prapta karane ki ichchha na kara. Kyomki isa tathya ko janakara bhi kauna purusha uchcha gotra ki ichchha athava usaka mana karega? |