Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011646 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Translated Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Section : | 4. कर्मयोग-रहस्य | Translated Section : | 4. कर्मयोग-रहस्य |
Sutra Number : | 144 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | सूत्र कृतांग । ८.१.९; तुलना: समयसार । क. २०५ | ||
Mool Sutra : | एतत्सकर्मवीर्यं, बालानां तु प्रवेदितम्। अतोऽकर्मवीर्यं पण्डितानां श्रणुत मे ।। | ||
Sutra Meaning : | अब तक जो कहा गया है वह अज्ञानी जनों का सकर्म वीर्य है। अब ज्ञानी जनों का अकर्म-वीर्य कहता हूँ। सो सुनो। अर्थात् अज्ञानी जनों की क्रियाएँ सकर्म होती हैं और ज्ञानी जनों की अकर्म। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Etatsakarmaviryam, balanam tu praveditam. Atokarmaviryam panditanam shranuta me\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Aba taka jo kaha gaya hai vaha ajnyani janom ka sakarma virya hai. Aba jnyani janom ka akarma-virya kahata hum. So suno. Arthat ajnyani janom ki kriyaem sakarma hoti haim aura jnyani janom ki akarma. |