Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011644 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Translated Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Section : | 3. चारित्र (कर्म) में सम्यक्त्व व ज्ञान का स्थान | Translated Section : | 3. चारित्र (कर्म) में सम्यक्त्व व ज्ञान का स्थान |
Sutra Number : | 142 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | मोक्षपाहुड । १००; तुलना: देखो अगली गाथा १४३। | ||
Mool Sutra : | यदि पठति बहुश्रुतानि च, यदि करिष्यति बहुविधं च चारित्रम्। तत् बालश्रुतं चरणं, भवति आत्मनः विपरीतम् ।। | ||
Sutra Meaning : | आत्मा से विपरीत अर्थात् आत्मा को स्पर्श किये बिना बहुत सारे शास्त्रों का पढ़ना बालश्रुत है और बहुत प्रकार के चारित्र का करना बाल-चरण है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Yadi pathati bahushrutani cha, yadi karishyati bahuvidham cha charitram. Tat balashrutam charanam, bhavati atmanah viparitam\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Atma se viparita arthat atma ko sparsha kiye bina bahuta sare shastrom ka parhana balashruta hai aura bahuta prakara ke charitra ka karana bala-charana hai. |