Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011149 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Translated Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Section : | 4. कर्मयोग-रहस्य | Translated Section : | 4. कर्मयोग-रहस्य |
Sutra Number : | 147 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | समयसार । क. १५३; तुलना: आचारांग ४.२.१ (१३०)। | ||
Mool Sutra : | त्यक्तं येन फलं स कर्मकुरुते नेति प्रतीमो वयं, किन्त्वस्यापि कुतोऽपि किंचिदपि तत्कर्मावशेनापतेत्। | ||
Sutra Meaning : | जिसने कर्म-फल का त्याग कर दिया है, वह कर्म करता है ऐसी प्रतीति हमें नहीं होती। परन्तु इतना विशेष है कि ऐसे ज्ञानी को भी कदाचित् किसी कारणवश कोई कर्म करना अवश्य पड़ता है। उसके आ पड़ने पर भी जो अकम्प परमज्ञान में स्थित है, ऐसा ज्ञानी कर्म करता है या नहीं, यह कौन जानता है? अर्थात् वह कर्म करता हुआ भी नहीं करता है। (निष्काम योगी किसी भी प्रकार का पाप नहीं करता।) | ||
Mool Sutra Transliteration : | Tyaktam yena phalam sa karmakurute neti pratimo vayam, Kintvasyapi kutopi kimchidapi tatkarmavashenapatet. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jisane karma-phala ka tyaga kara diya hai, vaha karma karata hai aisi pratiti hamem nahim hoti. Parantu itana vishesha hai ki aise jnyani ko bhi kadachit kisi karanavasha koi karma karana avashya parata hai. Usake a parane para bhi jo akampa paramajnyana mem sthita hai, aisa jnyani karma karata hai ya nahim, yaha kauna janata hai? Arthat vaha karma karata hua bhi nahim karata hai. (nishkama yogi kisi bhi prakara ka papa nahim karata.) |