Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004284 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २०. सम्यक्चारित्रसूत्र | Translated Section : | २०. सम्यक्चारित्रसूत्र |
Sutra Number : | 284 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | नयचक्र 348 | ||
Mool Sutra : | यथैव निरुद्धम् अशुभं, शुभेन शुभमपि तथैव शुद्धेन। तस्मादनेन क्रमेण च, योगी ध्यायतु निजात्मानम्।।२३।। | ||
Sutra Meaning : | (इसीलिए कहा गया है कि) जैसे शुभ चारित्र के द्वारा अशुभ (प्रवृत्ति) का निरोध किया जाता है, वैसे ही शुद्ध (-उपयोग) के द्वारा शुभ (प्रवृत्ति) का निरोध किया जाता है। अतएव इसी क्रम से--व्यवहार और निश्चय के पूर्वापर क्रम से--योगी आत्मा का ध्यान करे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Yathaiva niruddham ashubham, shubhena shubhamapi tathaiva shuddhena. Tasmadanena kramena cha, yogi dhyayatu nijatmanam..23.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (isilie kaha gaya hai ki) jaise shubha charitra ke dvara ashubha (pravritti) ka nirodha kiya jata hai, vaise hi shuddha (-upayoga) ke dvara shubha (pravritti) ka nirodha kiya jata hai. Ataeva isi krama se--vyavahara aura nishchaya ke purvapara krama se--yogi atma ka dhyana kare. |