Sutra Navigation: Nandisutra ( नन्दीसूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1023562 | ||
Scripture Name( English ): | Nandisutra | Translated Scripture Name : | नन्दीसूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
नन्दीसूत्र |
Translated Chapter : |
नन्दीसूत्र |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 62 | Category : | Chulika-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से किं तं आनुगामियं ओहिनाणं? आनुगामियं ओहिनाणं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा–अंतगयं च मज्झगयं च। से किं तं अंतगयं? अंतगयं तिविहं पन्नत्तं, तं जहा–पुरओ अंतगयं, मग्गओ अंतगयं, पासओ अंतगयं। से किं तं पुरओ अंतगयं? पुरओ अंतगयं–से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चुडलियं वा अलायं वा मणिं वा जोइं वा पईवं वा पुरओ काउं पणोल्लेमाणे-पणोल्लेमाणे गच्छेज्जा। से त्तं पुरओ अंतगयं। से किं तं मग्गओ अंतगयं? मग्गओ अंतगयं–से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चुडलियं वा अलायं वा मणिं वा जोइं वा पईवं वा मग्गओ काउं अणुकड्ढेमाणे-अणुकड्ढेमाणे गच्छेज्जा। से त्तं मग्गओ अंतगयं। से किं तं पासओ अंतगयं? पासओ अंतगयं–से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चुडलियं वा अलायं वा मणिं वा जोइं वा पईवं वा पासओ काउं परिकड्ढेमाणे-परिकड्ढेमाणे गच्छेज्जा। से त्तं पासओ अंतगयं। से त्तं अंतगयं। से किं तं मज्झगयं? मज्झगयं–से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चुडलियं वा अलायं वा मणिं वा जोइं वा पईवं वा मत्थए काउं गच्छेज्जा। से त्तं मज्झगयं। अंतगयस्स मज्झगयस्स य को पइविसेसो? पुरओ अंतगएणं ओहिनाणेणं पुरओ चेव संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा जोयणाइं जाणइ पासइ। मग्गओ अंतगएणं ओहिनाणेणं मग्गओ चेव संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा जोयणाइं जाणइ पासइ। पासओ अंतगएणं ओहिनाणेणं पासओ चेव संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा जोयणाइं जाणइ पासइ। मज्झगएणं ओहिनाणेणं सव्वओ समंता संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा जोयणाइं जाणइ पासइ। से त्तं आनुगामियं ओहिनाणं। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! वह आनुगामिक अवधिज्ञान कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का है। अन्तगत, मध्यगत। अन्तगत अवधिज्ञान तीन प्रकार का है – पुरतःअन्तगत, मार्गतःअन्तगत, पार्श्वतःअन्तगत – आगे से अन्तगत अवधिज्ञान कैसा है ? जैसे कोई व्यक्ति दीपिका, घासफूस की पूलिका अथवा जलते हुए काष्ठ, मणि, प्रदीप या किसी पात्र में प्रज्वलित अग्नि रखकर हाथ अथवा दण्ड से उसे आगे करके क्रमशः आगे चलाता है और मार्ग में स्थित वस्तुओं को देखता जाता है। इसी प्रकार पुरतःअन्तगत अवधिज्ञान भी आगे के प्रदेश में प्रकाश करता हुआ साथ – साथ चलता है। मार्गतःअन्तगत अवधिज्ञान किस प्रकार का है ? जैसे कोई व्यक्ति उल्का, तृणपूलिका, अग्रभाग से जलते हुए काष्ठ यावत् दण्ड द्वारा पीछे करके उक्त वस्तुओं के प्रकाश से पीछे – स्थित पदार्थों को देखता हुआ चलता है, उसी प्रकार जो ज्ञान पीछे के प्रदेश को प्रकाशित करता है वह मार्गतः अन्तगत अवधिज्ञान है। पार्श्व से अन्तगत अवधिज्ञान किसे कहते हैं ? जैसे कोई पुरुष दीपिका, चटुली, अग्रभाग से जलते हुए काठ को, मणि, प्रदीप या अग्नि को पार्श्वभाग से परिकर्षण करते हुए चलता है, इसी प्रकार यह अवधिज्ञान पार्श्ववर्ती पदार्थों का ज्ञान कराता हुआ आत्मा के साथ – साथ चलता है। यह अन्तगत अवधिज्ञान का कथन हुआ। भगवन् ! मध्यगत अवधिज्ञान कौन – सा है ? भद्र ! जैसे कोई पुरुष उल्का, तृणों की पूलिका, यावत् शरावादि में रखी हुई अग्नि को मस्तक पर रखकर चलता है। इसी प्रकार चारों ओर के पदार्थों का ज्ञान कराते हुए जो ज्ञान ज्ञाता के साथ चलता है वह मध्यगत अवधिज्ञान है। अन्तगत और मध्यगत अवधिज्ञान में क्या अंतर है ? पुरतः अवधिज्ञान से ज्ञाता सामने संख्यात अथवा असंख्यात योजनों में स्थित रूपी द्रव्यों को जानता और देखता है। मार्ग से – पीछे से अन्तगत अवधिज्ञान द्वारा पीछे से तथा पार्श्वतः अन्तगत अवधिज्ञान से पार्श्व में स्थित द्रव्यों को संख्यात अथवा असंख्यात योजनों तक जानता व देखता है। यह आनुगामिक अवधिज्ञान हुआ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se kim tam anugamiyam ohinanam? Anugamiyam ohinanam duviham pannattam, tam jaha–amtagayam cha majjhagayam cha. Se kim tam amtagayam? Amtagayam tiviham pannattam, tam jaha–purao amtagayam, maggao amtagayam, pasao amtagayam. Se kim tam purao amtagayam? Purao amtagayam–se jahanamae kei purise ukkam va chudaliyam va alayam va manim va joim va paivam va purao kaum panollemane-panollemane gachchhejja. Se ttam purao amtagayam. Se kim tam maggao amtagayam? Maggao amtagayam–se jahanamae kei purise ukkam va chudaliyam va alayam va manim va joim va paivam va maggao kaum anukaddhemane-anukaddhemane gachchhejja. Se ttam maggao amtagayam. Se kim tam pasao amtagayam? Pasao amtagayam–se jahanamae kei purise ukkam va chudaliyam va alayam va manim va joim va paivam va pasao kaum parikaddhemane-parikaddhemane gachchhejja. Se ttam pasao amtagayam. Se ttam amtagayam. Se kim tam majjhagayam? Majjhagayam–se jahanamae kei purise ukkam va chudaliyam va alayam va manim va joim va paivam va matthae kaum gachchhejja. Se ttam majjhagayam. Amtagayassa majjhagayassa ya ko paiviseso? Purao amtagaenam ohinanenam purao cheva samkhejjani va asamkhejjani va joyanaim janai pasai. Maggao amtagaenam ohinanenam maggao cheva samkhejjani va asamkhejjani va joyanaim janai pasai. Pasao amtagaenam ohinanenam pasao cheva samkhejjani va asamkhejjani va joyanaim janai pasai. Majjhagaenam ohinanenam savvao samamta samkhejjani va asamkhejjani va joyanaim janai pasai. Se ttam anugamiyam ohinanam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Vaha anugamika avadhijnyana kitane prakara ka hai\? Do prakara ka hai. Antagata, madhyagata. Antagata avadhijnyana tina prakara ka hai – puratahantagata, margatahantagata, parshvatahantagata – Age se antagata avadhijnyana kaisa hai\? Jaise koi vyakti dipika, ghasaphusa ki pulika athava jalate hue kashtha, mani, pradipa ya kisi patra mem prajvalita agni rakhakara hatha athava danda se use age karake kramashah age chalata hai aura marga mem sthita vastuom ko dekhata jata hai. Isi prakara puratahantagata avadhijnyana bhi age ke pradesha mem prakasha karata hua satha – satha chalata hai. Margatahantagata avadhijnyana kisa prakara ka hai\? Jaise koi vyakti ulka, trinapulika, agrabhaga se jalate hue kashtha yavat danda dvara pichhe karake ukta vastuom ke prakasha se pichhe – sthita padarthom ko dekhata hua chalata hai, usi prakara jo jnyana pichhe ke pradesha ko prakashita karata hai vaha margatah antagata avadhijnyana hai. Parshva se antagata avadhijnyana kise kahate haim\? Jaise koi purusha dipika, chatuli, agrabhaga se jalate hue katha ko, mani, pradipa ya agni ko parshvabhaga se parikarshana karate hue chalata hai, isi prakara yaha avadhijnyana parshvavarti padarthom ka jnyana karata hua atma ke satha – satha chalata hai. Yaha antagata avadhijnyana ka kathana hua. Bhagavan ! Madhyagata avadhijnyana kauna – sa hai\? Bhadra ! Jaise koi purusha ulka, trinom ki pulika, yavat sharavadi mem rakhi hui agni ko mastaka para rakhakara chalata hai. Isi prakara charom ora ke padarthom ka jnyana karate hue jo jnyana jnyata ke satha chalata hai vaha madhyagata avadhijnyana hai. Antagata aura madhyagata avadhijnyana mem kya amtara hai\? Puratah avadhijnyana se jnyata samane samkhyata athava asamkhyata yojanom mem sthita rupi dravyom ko janata aura dekhata hai. Marga se – pichhe se antagata avadhijnyana dvara pichhe se tatha parshvatah antagata avadhijnyana se parshva mem sthita dravyom ko samkhyata athava asamkhyata yojanom taka janata va dekhata hai. Yaha anugamika avadhijnyana hua. |