Sutra Navigation: Uttaradhyayan ( उत्तराध्ययन सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1022838 | ||
Scripture Name( English ): | Uttaradhyayan | Translated Scripture Name : | उत्तराध्ययन सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-२९ सम्यकत्व पराक्रम |
Translated Chapter : |
अध्ययन-२९ सम्यकत्व पराक्रम |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 1138 | Category : | Mool-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एगग्गमणसन्निवेसणयाए णं भंते! जीवे किं जणयइ? एगग्गमणसन्निवेसणयाए णं चित्तनिरोहं करेइ। | ||
Sutra Meaning : | भन्ते ! मन को एकाग्रता में संनिवेशन करने से जीव को क्या प्राप्त होता है ? मन को एकाग्रता में स्थापित करने से चित्त का निरोध होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] egaggamanasannivesanayae nam bhamte! Jive kim janayai? Egaggamanasannivesanayae nam chittaniroham karei. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhante ! Mana ko ekagrata mem samniveshana karane se jiva ko kya prapta hota hai\? Mana ko ekagrata mem sthapita karane se chitta ka nirodha hota hai. |