Sutra Navigation: Mahanishith ( महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1017158 | ||
Scripture Name( English ): | Mahanishith | Translated Scripture Name : | महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-२ कर्मविपाक प्रतिपादन |
Translated Chapter : |
अध्ययन-२ कर्मविपाक प्रतिपादन |
Section : | उद्देशक-३ | Translated Section : | उद्देशक-३ |
Sutra Number : | 458 | Category : | Chheda-06 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] भयवं किमनुविज्जंते सुव्वंते जाणिए इ वा। सोहेइ सव्व-पावाइं पच्छित्ते सव्वण्णु-देसिए ॥ | ||
Sutra Meaning : | हे भगवंत ! सर्वज्ञ ने बताए प्रायश्चित्त थोड़े से भी आचरण में, सूनने में या जानने में क्या सर्व पाप की शुद्धि होती है ? हे गौतम ! गर्मी के दिनों में अति प्यास लगी हो, पास ही में अति स्वादिष्ट शीतल जल हो, लेकिन जब तक उसका पान न किया जाए तब तक तृषा की शान्ति नहीं होती उसी तरह प्रायश्चित्त जानकर जब तक निष्कपट भाव से सेवन न किया जाए तब तक उस पाप की वृद्धि होती है लेकिन कम नहीं होता। सूत्र – ४५८–४६० | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] bhayavam kimanuvijjamte suvvamte janie i va. Sohei savva-pavaim pachchhitte savvannu-desie. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavamta ! Sarvajnya ne batae prayashchitta thore se bhi acharana mem, sunane mem ya janane mem kya sarva papa ki shuddhi hoti hai\? He gautama ! Garmi ke dinom mem ati pyasa lagi ho, pasa hi mem ati svadishta shitala jala ho, lekina jaba taka usaka pana na kiya jae taba taka trisha ki shanti nahim hoti usi taraha prayashchitta janakara jaba taka nishkapata bhava se sevana na kiya jae taba taka usa papa ki vriddhi hoti hai lekina kama nahim hota. Sutra – 458–460 |