[सूत्र] निग्गंथे निग्गंथिं दुग्गंसि वा विसमंसि वा पव्वयंसि पक्खुलमाणिं वा पवडमाणिं वा गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा नाइक्कमइ।
Sutra Meaning :
दुर्ग, विषमभूमि या पर्वत पर से सरकती या गिरती, दलदल, कीचड़, शेवाल या पानी में गिरती या डूबती नौका पर चड़ती या ऊतरती, विक्षिप्त चित्तवाली हो (तब पानी में अग्नि में या ऊपर से गिरनेवाली) ऐसी साध्वी को यदि कोई साधु पकड़ ले या सहारा देकर बचाए तो जिनाज्ञा का उल्लंघन नहीं होता, उसी तरह प्रलाप करती या अशान्त चित्तवाली, भूत – प्रेत आदि से पीड़ित, उन्मादवाली या पागल किसी तरह के उपसर्ग के कारण से गिरनेवाली या भटकती साध्वी को पकड़ने वाले या सहारा देनेवाले साधु को जिनाज्ञा का उल्लंघन नहीं होता।
सूत्र – २०२–२०९
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] niggamthe niggamthim duggamsi va visamamsi va pavvayamsi pakkhulamanim va pavadamanim va ginhamane va avalambamane va naikkamai.
Sutra Meaning Transliteration :
Durga, vishamabhumi ya parvata para se sarakati ya girati, daladala, kichara, shevala ya pani mem girati ya dubati nauka para charati ya utarati, vikshipta chittavali ho (taba pani mem agni mem ya upara se giranevali) aisi sadhvi ko yadi koi sadhu pakara le ya sahara dekara bachae to jinajnya ka ullamghana nahim hota, usi taraha pralapa karati ya ashanta chittavali, bhuta – preta adi se pirita, unmadavali ya pagala kisi taraha ke upasarga ke karana se giranevali ya bhatakati sadhvi ko pakarane vale ya sahara denevale sadhu ko jinajnya ka ullamghana nahim hota.
Sutra – 202–209