सागारिक को अपने पूज्य पुरुष या महेमान को आश्रित करके जो आहार – वस्त्र – कम्बल आदि उपकरण बनाए हो या देने के लिए रखे हो वो पूज्यजन या अतिथि को देने के बाद जो कुछ बचा हो वो सागारिक को परत करने के लायक हो या न हो, बचे हुए हिस्से में से सागारिक या उसके परिवारजन कुछ दे तो साधु – साध्वी को लेना न कल्पे, वो पूज्य पुरुष या अतिथि दे तो भी लेना न कल्पे।
सूत्र – ७५–७८
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] sagariyassa puyabhatte uddesie cheie pahudiyae, sagariyassa uvagaranajae nitthie nisatthe padi-harie, tam sagario dei sagariyassa parijano dei, tamha davae no se kappai padiggahittae.
Sutra Meaning Transliteration :
Sagarika ko apane pujya purusha ya mahemana ko ashrita karake jo ahara – vastra – kambala adi upakarana banae ho ya dene ke lie rakhe ho vo pujyajana ya atithi ko dene ke bada jo kuchha bacha ho vo sagarika ko parata karane ke layaka ho ya na ho, bache hue hisse mem se sagarika ya usake parivarajana kuchha de to sadhu – sadhvi ko lena na kalpe, vo pujya purusha ya atithi de to bhi lena na kalpe.
Sutra – 75–78