[सूत्र] जे भिक्खू नावाओ उदगं भायणेण वा पडिग्गहेण वा मत्तेण वा नावा उस्सिंचणेण वा उस्सिंचति, उस्सिंचंतं वा सातिज्जति।
Sutra Meaning :
जो साधु – साध्वी नाँव में भरे पानी को नौका के सम्बन्धी पानी नीकालने के बरतन से आहारपात्र से या मात्रक – पात्र से बाहर नीकाले, नीकलवाए या अनुमोदना करे, नाँव में पड़े छिद्र में से आनेवाले पानी को, ऊपर चड़ते हुए पानी से डूबती हुई नाँव को बचाने के लिए हाथ, पाँव, पीपल के पत्ते, घास, मिट्टी, वस्त्र या वस्त्रखंड़ से छिद्र बन्द करे, करवाए, अनुमोदना करे तो प्रायश्चित्त।
सूत्र – १२७४, १२७५
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] je bhikkhu navao udagam bhayanena va padiggahena va mattena va nava ussimchanena va ussimchati, ussimchamtam va satijjati.
Sutra Meaning Transliteration :
Jo sadhu – sadhvi namva mem bhare pani ko nauka ke sambandhi pani nikalane ke baratana se aharapatra se ya matraka – patra se bahara nikale, nikalavae ya anumodana kare, namva mem pare chhidra mem se anevale pani ko, upara charate hue pani se dubati hui namva ko bachane ke lie hatha, pamva, pipala ke patte, ghasa, mitti, vastra ya vastrakhamra se chhidra banda kare, karavae, anumodana kare to prayashchitta.
Sutra – 1274, 1275