Sutra Navigation: Chandrapragnapati ( चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007412 | ||
Scripture Name( English ): | Chandrapragnapati | Translated Scripture Name : | चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्राभृत-१ |
Translated Chapter : |
प्राभृत-१ |
Section : | प्राभृत-प्राभृत-१ | Translated Section : | प्राभृत-प्राभृत-१ |
Sutra Number : | 112 | Category : | Upang-06 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तत्थ खलु इमाओ बावट्ठिं पुण्णिमासिणीओ बावट्ठिं अमावासाओ पन्नत्ताओ। बावट्ठिं एते कसिणा रागा, बावट्ठिं एते कसिणा विरागा। एते चउव्वीसे पव्वसते एते चउव्वीसे कसिणरागविरागसते, जावतिया णं पंचण्हं संवच्छराणं समया एगेणं चउव्वीसेणं समयसतेनूनका एवतिया परित्ता असंखेज्जा देसरागविरागसता भवंतीति मक्खाता। ता अमावासाओ णं पुण्णिमासिणी चत्तारि बाताले मुहुत्तसते छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहितेति वदेज्जा। ता पुण्णिमासिणीओ णं अमावासा चत्तारि बाताले मुहुत्तसते छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहितेति वदेज्जा। ता अमावासाओ णं अमावासा अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते तीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहितेति वदेज्जा। ता पुण्णिमासिणीओ णं पुण्णिमासिणी अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते तीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहितेति वदेज्जा। एस णं एवतिए चंदे मासे, एस णं एवतिए सगले जुगे। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! चंद्रमा की क्षयवृद्धि कैसे होती है ? ८८५ मुहूर्त्त एवं एक मुहूर्त्त के ३०/६२ भाग से शुक्लपक्ष से कृष्णपक्षमें गमन करके चंद्र ४४२ मुहूर्त्त एवं एक मुहूर्त्त के ४६/६२ भाग यावत् इतने मुहूर्त्त में चंद्र राहुविमान प्रभा से रंजित होता है, तब प्रथम दिन का एक भाग यावत् पंद्रहवे दिन का पन्द्रहवे भाग में चंद्र रक्त होता है, शेष समय में चंद्र रक्त या विरक्त होता है। यह पन्द्रहवा दिन अमावास्या होता है, यह है प्रथम पक्ष। इस कृष्णपक्ष से शुक्लपक्ष में गमन करता हुआ चंद्र ४४२ मुहूर्त्त एवं एक मुहूर्त्त के छयालीस बासठांश भाग से चंद्र विरक्त होता जाता है, एकम में एक भाग से यावत् पूर्णिमा को पन्द्रह भाग से विरक्त होता है, यह है पूर्णिमा और दूसरा पक्ष। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tattha khalu imao bavatthim punnimasinio bavatthim amavasao pannattao. Bavatthim ete kasina raga, bavatthim ete kasina viraga. Ete chauvvise pavvasate ete chauvvise kasinaragaviragasate, javatiya nam pamchanham samvachchharanam samaya egenam chauvvisenam samayasatenunaka evatiya paritta asamkhejja desaragaviragasata bhavamtiti makkhata. Ta amavasao nam punnimasini chattari batale muhuttasate chhattalisam cha bavatthibhage muhuttassa ahiteti vadejja. Ta punnimasinio nam amavasa chattari batale muhuttasate chhattalisam cha bavatthibhage muhuttassa ahiteti vadejja. Ta amavasao nam amavasa atthapamchasite muhuttasate tisam cha bavatthibhage muhuttassa ahiteti vadejja. Ta punnimasinio nam punnimasini atthapamchasite muhuttasate tisam cha bavatthibhage muhuttassa ahiteti vadejja. Esa nam evatie chamde mase, esa nam evatie sagale juge. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Chamdrama ki kshayavriddhi kaise hoti hai\? 885 muhurtta evam eka muhurtta ke 30/62 bhaga se shuklapaksha se krishnapakshamem gamana karake chamdra 442 muhurtta evam eka muhurtta ke 46/62 bhaga yavat itane muhurtta mem chamdra rahuvimana prabha se ramjita hota hai, taba prathama dina ka eka bhaga yavat pamdrahave dina ka pandrahave bhaga mem chamdra rakta hota hai, shesha samaya mem chamdra rakta ya virakta hota hai. Yaha pandrahava dina amavasya hota hai, yaha hai prathama paksha. Isa krishnapaksha se shuklapaksha mem gamana karata hua chamdra 442 muhurtta evam eka muhurtta ke chhayalisa basathamsha bhaga se chamdra virakta hota jata hai, ekama mem eka bhaga se yavat purnima ko pandraha bhaga se virakta hota hai, yaha hai purnima aura dusara paksha. |