Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006855 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२८ आहार |
Translated Chapter : |
पद-२८ आहार |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 555 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] बेइंदिया णं भंते! आहारट्ठी? हंता गोयमा! आहारट्ठी। बेइंदिया णं भंते! केवतिकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति? जहा नेरइयाणं, नवरं–तत्थ णं जेसे आभोगनिव्वत्तिए से णं असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए वेमायाए आहारट्ठे समुप्पज्जति। सेसं जहा पुढविक्काइयाणं जाव आहच्च नीससंति, नवरं–नियमा छद्दिसिं। बेइंदिया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गलाणं सेयालंसि कतिभागं आहारेंति? कतिभागं अस्साएंति? गोयमा! असंखेज्जतिभागं आहारेंति, अनंतभागं अस्साएंति। बेइंदिया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते किं सव्वे आहारेंति? नो सव्वे आहारेंति? गोयमा! बेइंदियाणं दुविहे आहारे पन्नत्ते, तं जहा–लोमाहारे य पक्खेवाहारे य। जे पोग्गले लोमाहारत्ताए गेण्हंति ते सव्वे अपरिसेसे आहारेंति, जे पोग्गले पक्खेवाहारत्ताए गेण्हंति तेसिं असंखेज्जइ-भागमाहारेंति नेगाइं च णं भागसहस्साइं अफासाइज्जमाणाइं अनासाइज्जमाणाइं विद्धंसमागच्छंति। एतेसि णं भंते! पोग्गलाणं अनासाइज्जमाणाणं अफासाइज्जमाणाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा पोग्गला अनासाइज्जमाणा, अफासाइज्जमाणा अनंतगुणा। बेइंदिया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति? गोयमा! जिब्भिंदिय-फासिंदियवेमायत्ताए ते तेसिं भुज्जो-भुज्जो परिणमंति। एवं जाव चउरिंदिया, नवरं–नेगाइं च णं भागसहस्साइं अनग्घाइज्जमाणाइं अफासाइज्ज-माणाइं अणस्साइज्जमाणाइं विद्धंसमागच्छंति। एतेसि णं भंते! पोग्गलाणं अनाघाइज्जमाणाणं अनासाइज्जमाणाणं अफासाइज्जमाणाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा पोग्गला अनग्घाइज्जमाणा, अनस्साइज्जमाणा अनंतगुणा, अफासाइज्जमाणा अनंतगुणा। तेइंदिया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति? गोयमा! घाणिंदिय-जिब्भिंदिय-फासिंदियवेमायत्ताए ते तेसिं भुज्जो-भुज्जो परिणमंति। चउरिंदियाणं चक्खिंदिय-घाणिंदिय-जिब्भिंदिय-फासिंदियवेमायत्ताए ते तेसिं भुज्जो-भुज्जो परिणमंति, सेसं जहा तेइंदियाणं। पंचेंदियतिरिक्खजोणिया जहा तेइंदिया, नवरं–तत्थ णं जेसे आभोगनिव्वत्तिए से जहन्नेणं अंतोमुहुत्तस्स, उक्कोसेणं छट्ठभत्तस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति। पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति? गोयमा! सोइंदिय-चक्खिंदिय-घाणिंदिय-जिब्भिंदिय-फासें-दियवेमायत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति। ...मनूसा णं भंते! आहारट्ठी? हंता गोयमा! आहारट्ठी। मनूसा णं भंते! केवतिकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति? गोयमा! मनूसाणं आहारे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आभोगनिव्वत्तिए य अणाभोगनिव्वत्तिए य। तत्थ णं जेसे अणाभोगनिव्वत्तिए से णं अणुसमयमविरहिए आहारट्ठे समुप्पज्जति। तत्थ णं जेसे आभोगनिव्वत्तिए से णं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तस्स, उक्कोसेणं अट्ठमभत्तस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति। मनूसा णं भंते! किमाहारमाहारेंति? गोयमा! दव्वओ अनंतपदेसियाइं खेत्तओ असंखेज्ज-पदेसोगाढाइं, कालतो अण्णतरठितियाइं, भावओ वण्णमंताइं गंधमंताइं रसमंताइं फासमंताइं। जाइं भावओ वण्णमंताइं आहारेंति ताइं किं एगवण्णाइं आहारेंति जाव किं पंचवण्णाइं आहारेंति? गोयमा! ठाणमग्गणं पडुच्च एगवण्णाइं पि आहारेंति जाव पंचवण्णाइं पि आहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कालवण्णाइं पि आहारेंति जाव सुक्किलाइं पि आहारेंति। जाइं वण्णओ कालवण्णाइं आहारेंति ताइं किं एगगुणकालाइं आहारेंति जाव दसगुणकालाइं आहारेंति? संखेज्जगुणकालाइं असंखेज्जगुणकालाइं अनंतगुणकालाइं आहारेंति? गोयमा! एगगुणकालाइं पि आहारेंति जाव अनंतगुणकालाइं पि आहारेंति। एवं जाव सुक्किलाइं पि। एवं गंधओ वि रसतो वि। जाइं भावओ फासमंताइं ताइं नो एगफासाइं आहारेंति नो दुफासाइं आहारेंति नो तिफासाइं आहारेंति, चउफा-साइं आहारेंति जाव अट्ठफासाइं पि आहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कक्खडाइं पि आहारेंति जाव लुक्खाइं पि। जाइं फासओ कक्खडाइं आहारेंति ताइं किं एगगुणकक्खडाइं आहारेंति जाव अनंतगुणकक्खडाइं आहारेंति? गोयमा! एगगुणकक्खडाइं पि आहारेंति जाव अनंतगुणकक्खडाइं पि आहारेंति। एवं अट्ठ वि फासा भाणियव्वा जाव अनंतगुणलुक्खाइं पि आहारेंति। जाइं भंते! अनंतगुणलुक्खाइं आहारेंति ताइं किं पुट्ठाइं आहारेंति? अपुट्ठाइं आहारेंति? गोयमा! पुट्ठाइं आहारेंति नो अपुट्ठाइं आहारेंति। जाइं भंते! पुट्ठाइं आहारेंति, ताइं किं ओगाढाइं आहारेंति? अणोगाढाइं आहारेंति? गोयमा! ओगाढाइं आहारेंति नो अणोगाढाइं आहारेंति। जाइं भंते! ओगाढाइं आहारेंति, ताइं किं अनंतरोगाढाइं आहारेंति? परंपरोगाढाइं आहारेंति? गोयमा! अनंतरोगाढाइं आहारेंति, नो परंपरोगाढाइं आहारेंति। जाइं भंते! अनंतरोगाढाइं आहारेंति, ताइं किं अणूइं आहारेंति? बादराइं आहारेंति? गोयमा! अणूइं पि आहारेंति, बादराइं पि आहारेंति। जाइं भंते! अणूइं पि आहारेंति, बादराइं पि आहारेंति, ताइं किं उड्ढं आहारेंति? अहे आहारेंति? तिरियं आहारेंति? गोयमा! उड्ढं पि आहारेंति, अहे वि आहारेंति, तिरियं पि आहारेंति। जाइं भंते! उड्ढं पि आहारेंति, अहे वि आहारेंति, तिरियं पि आहारेंति, ताइं किं आहारेंति? मज्झे आहारेंति? पज्जवसाणे आहारेंति? गोयमा! आदिं पि आहारेंति, मज्झे वि आहारेंति, पज्जवसाणे वि आहारेंति। जाइं भंते! आदिं पि आहारेंति, मज्झे वि आहारेंति, पज्जवसाणे वि आहारेंति, ताइं किं सविसए आहारेंति? अविसए आहारेंति? गोयमा! सविसए आहारेंति, नो अविसए आहारेंति। जाइं भंते! सविसए आहारेंति, ताइं किं आनुपुव्विं आहारेंति? अनानुपुव्विं आहारेंति? गोयमा! आनुपुव्विं आहारेंति, नो अनानुपुव्विं आहारेंति। जाइं भंते! आनुपुव्विं आहारेंति, ताइं किं तिदिसिं आहारेंति जाव छद्दिसिं आहारेंति? गोयमा! नियमा छद्दिसिं आहारेंति। ओसन्नकारणं न भवति, वण्णतो काल-नील-लोहिय-हालिद्द-सुक्किलाइं, गंधओ सुब्भिगंध-दुब्भिगंधाइं, रसओ तित्त-कडुय-कसाय-अंबिलमहुराइं, फासतो कक्खड-मउय-गरुअ-लहुय-सीय-उसिण-निद्ध-लुक्खाइं, तेसिं पोराणे वण्णगुणे गंध-गुणे रसगुणे फासगुणे विप्परिणामइत्ता परिपीलइत्ता परिसाडइत्ता परिविद्धंसइत्ता अण्णे अपुव्वे वण्णगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे उप्पाएत्ता आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले सव्वप्पणयाए आहारमाहारेंति। मनूसा णं भंते! सव्वतो आहारेंति सव्वतो परिणामेंति सव्वओ ऊससंति सव्वओ नीससंति, अभिक्खणं आहारेंति अभिक्खणं परिणामेंति अभिक्खणं ऊससंति अभिक्खणं नीससंति, आहच्च आहारेंति आहच्च परिणामेंति आहच्च ऊससंति आहच्च नीससंति? हंता गोयमा! मनूसा सव्वतो आहारेंति एवं तं चेव जाव आहच्च नीससंति। मनूसा णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गलाणं सेयालंसि कतिभागं आहारेंति? कतिभागं आसाएंति? गोयमा! असंखेज्जतिभागं आहारेंति, अनंतभागं आसाएंति। मनूसा णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते किं सव्वे आहारेंति? नो सव्वे आहारेंति? गोयमा! मनूसाणं दुविहे आहारे पन्नत्ते, तं जहा–लोमाहारे य पक्खेवाहारे य। जे पोग्गले लोमाहारत्ताए गेण्हंति ते सव्वे अपरिसेसे आहारेंति, जे पोग्गले पक्खेवाहारत्ताए गेण्हंति तेसिं असंखेज्जइ-भागमाहारेंति नेगाइं च णं भागसहस्साइं अणग्घाइज्जमाणाइं अफासाइज्जमाणाइं अनस्साइज्ज-माणाइं विद्धंसमागच्छंति। एतेसिं भंते! पोग्गलाणं अणाघाइज्जमाणाणं अणासाइज्जमाणाणं अफासाइज्जमाणाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा पोग्गला अणग्घाइज्जमाणा, अणस्साइज्जमाणा अनंतगुणा, अफासाइज्जमाणा अनंतगुणा। मनूसा णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति? गोयमा! सोइंदिय-चक्खिंदिय-घाणिंदिय-जिब्भिंदिय-फासिंदियवेमायत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति। वाणमंतरा जहा नागकुमारा। एवं जोइसिया वि, नवरं–आभोगनिव्वत्तिए जहन्नेणं दिवसपुहत्तस्स, उक्कोसेण वि दिवसपुहत्तस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति। एवं वेमानिया वि, नवरं–आभोगनिव्वत्तिए जहन्नेणं दिवसपुहत्तस्स, उक्कोसेणं तेत्तीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे समुप्पज्जति। सेसं जहा असुरकुमाराणं जाव ते तेसिं भुज्जो-भुज्जो परिणमंति। सोहम्मे आभोगनिव्वत्तिए जहन्नेणं दिवसपुहत्तस्स, उक्कोसेणं दोण्हं वाससहस्साणं आहारट्ठे समुप्पज्जइ। ईसाने पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं दिवसपुहत्तस्स सातिरेगस्स, उक्कोसेणं सातिरेगाणं दोण्हं वाससहस्साणं। सणंकुमारे पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं दोण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं सत्तण्हं वाससहस्साणं। माहिंदे पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं दोण्हं वाससहस्साणं सातिरेगाणं, उक्कोसेणं सत्तण्हं वाससहस्साणं सातिरेगाणं बंभलोए पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं सत्तण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं दसण्हं वाससहस्साणं। लंतए पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं दसण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं चोद्दसण्हं वाससहस्साणं। महासुक्के पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चोद्दसण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं सत्तरसण्हं वास-सहस्साणं। सहस्सारे पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं सत्तरसण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं अट्ठारसण्हं वास-सहस्साणं। आणए पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं अट्ठारसण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं एगूणवीसाए वास-सहस्साणं। पाणए पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं एगूणवीसाए वाससहस्साणं, उक्कोसेणं वीसाए वास-सहस्साणं। आरणे पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं वीसाए वाससहस्साणं, उक्कोसेणं एक्कवीसाए वास-सहस्साणं। अच्चुए पुच्छा। गोयमा! जहन्ने एक्कवीसाए वाससहस्साणं, उक्कोसेणं बावीसाए वास-सहस्साणं। हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जगाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं बावीसाए वाससहस्साणं, उक्कोसेणं तेवीसाए वाससहस्साणं। एवं सव्वत्थ सहस्साणि भाणियव्वाणि जाव सव्वट्ठं। हेट्ठिममज्जिमाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं तेवीसाए, उक्कोसेणं चउवीसाए। हेट्ठिमउवरिमाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउवीसाए, उक्कोसेणं पणुवीसाए। मज्झिमहेट्ठिमाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं पणुवीसाए, उक्कोसेणं छव्वीसाए। मज्झिममज्झिमाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं छव्वीसाए, उक्कोसेणं सत्तावीसाए। मज्झिमउवरिमाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं सत्तावीसाए, उक्कोसेणं अट्ठावीसाए। उवरिमहेट्ठिमाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं अट्ठावीसाए, उक्कोसेणं एगूणतीसाए। उवरिममज्झिमाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं एगूणतीसाए, उक्कोसेणं तीसाए। उवरिमउवरिमगेवेज्जगाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं तीसाए, उक्कोसेणं एक्कतीसाए। विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं एक्कतीसाए, उक्कोसेणं तेत्तीसाए। सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं पुच्छा। गोयमा! अजहन्नमणुक्कोसेणं तेत्तीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे समुप्पज्जति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! क्या द्वीन्द्रिय जीव आहारार्थी होते हैं ? हाँ, गौतम ! होते हैं। भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीवों को कितने काल में आहार की अभिलाषा होत है ? गौतम ! नारकों के समान समझना। विशेष यह कि उनमें जो आभोग – निर्वर्तित आहार है, उसकी अभिलाषा असंख्यातसमय के अन्तर्मुहूर्त्त में विमात्रा से होती है। शेष कथन पृथ्वी – कायिकों के समान ‘‘कदाचित् निःश्वास लेते हैं’’ तक कहना। विशेष यह कि वे नियम से छह दिशाओं से आहार लेते हैं। भगवन् ! द्वीन्द्रिय जिन पुद्गलों को आहार के रूप में ग्रहण करते हैं, वे भविष्य में उन पुद्गलों के कितने भाग का आहार और कितने भाग का आस्वादन करते हैं ? गौतम ! नैरयिकों के समान कहना। भगवन् ! द्वीन्द्रिय जिन पुद्गलों को आहार के रूप में ग्रहण करते हैं, क्या वे उन सबका आहार करते हैं अथवा नहीं ? गौतम ! द्वीन्द्रिय जीवों का आहार दो प्रकार का है। – लोमाहार और प्रक्षेपाहार। वे जिन पुद्गलों को लोमाहार के रूप में ग्रहण करते हैं, उन सबका समग्ररूप से आहार करते हैं और जिन पुद्गलों को प्रक्षेपाहाररूप में ग्रहण करत हैं, उनमें से असंख्यातवें भाग का ही आहार करते हैं उनके बहुत – से सहस्र भाग यों ही विध्वंस को प्राप्त हो जाते हैं, न ही उनका स्पर्श होता है और न ही आस्वादन होता है। इन पूर्वोक्त प्रक्षेपाहारपुद्गलों में से आस्वादन न किये जानेवाले तथा स्पृष्ट न होनेवाले पुद्गलों मैं कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम आस्वादन न किये जानेवाले पुद्गल हैं, उनसे अनन्तगुणे स्पृष्ट न होनेवाले हैं। द्वीन्द्रिय जीव जिन पुद्गलों को आहार के रूप में ग्रहण करते हैं, वे पुद्गल किस – किस रूप में पुनः पुनः परिणत होते हैं ? जिह्वेन्द्रिय और स्पर्शेन्द्रिय की विमात्रा के रूप में पुनः पुनः परिणत होते हैं। इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय तक कहना। विशेष यह कि इनके द्वारा प्रक्षेपाहाररूप में गृहीत पुद्गलों के अनेक सहस्र भाग अनाघ्रायमाण, अस्पृश्यमान तथा अनास्वाद्यमान ही विध्वंस को प्राप्त होते हैं। इन अनाघ्रायमाण, अस्पृश्यमान और अनास्वाद्यमान पुद्गलों में से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम ! अनाघ्रायमाण पुद्गल सबसे कम हैं, उससे अनन्तगुणे पुद्गल अनास्वाद्यमान हैं और अस्पृश्यमान पुद्गल उससे अनन्तगुणे हैं। त्रीन्द्रिय जीव जिन पुद्गलों को आहार के रूप में ग्रहण करते हैं, वे पुद्गल उनमें घ्राणेन्द्रिय, जिह्वेन्द्रिय और स्पर्शेन्द्रिय की विमात्रा से पुनः पुनः परिणत होते हैं। चतुरिन्द्रिय द्वारा आहार के रूप में गृहीत पुद्गल चक्षुरिन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, जिह्वेन्द्रिय एवं स्पर्शेन्द्रिय की विमात्रा से पुनः पुनः परिणत होते हैं। शेष कथन त्रीन्द्रियों के समान समझना। पंचेन्द्रिय तिर्यंचों का कथन त्रीन्द्रिय जीवों के समान जानना। विशेष यह कि उनमें जो आभोगनिर्वर्तित आहार है, उस आहार की अभिलाषा उन्हें जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त से और उत्कृष्ट षष्ठभक्त से होती है। भगवन् ! पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जिन पुद्गलों को आहार के रूप में ग्रहण करते हैं, वे पुद्गल पाँचों इन्द्रियों में विमात्रा में पुनः पुनः परिणत होते हैं। मनुष्यों की आहार – सम्बन्धी वक्तव्यता भी इसी प्रकार है। विशेष यह कि उनकी आभोगनिर्वर्तित आहार की अभिलाषा जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त में और उत्कृष्ट अष्टमभक्त होने पर होती है। वाण – व्यन्तर देवों का आहार नागकुमारों के समान जानना। इस प्रकार ज्योतिष्कदेवों का भी कथन है। किन्तु उन्हें आभोगनिर्वर्तित आहार की अभिलाषा जघन्य और उत्कृष्ट भी दिवस – पृथक्त्व में होती है। इसी प्रकार वैमानिक देवों की भी आहारसम्बन्धी वक्तव्यता जानना। विशेष यह कि इनको आभोगनि – र्वर्तित आहार की अभिलाषा जघन्य दिवस – पृथक्त्व में और उत्कृष्ट तैंतीस हजार वर्षों में उत्पन्न होती है। शेष वक्तव्यता असुरकुमारों के समान ‘उनके उन पुद्गलों का बार – बार परिणमन होता है’ यहाँ तक कहना। सौधर्म – कल्प में आभोगनिर्वर्तित आहार की इच्छा जघन्य दिवस – पृथक्त्व से और उत्कृष्ट दो हजार वर्ष से समुत्पन्न होती है। ईशानकल्प में जघन्य कुछ अधिक दिवस – पृथक्त्व में और उत्कृष्ट कुछ अधिक दो हजार वर्ष में होती है। सनत्कुमार को जघन्य दो हजार वर्ष में और उत्कृष्ट सात हजार वर्ष में आहारेच्छा होती है। माहेन्द्रकल्प में ? जघन्य कुछ अधिक दो हजार वर्ष में और उत्कृष्ट कुछ अधिक सात हजार वर्ष में, ब्रह्मलोक में जघन्य सात और उत्कृष्ट दस हजार वर्ष में; लान्तककल्प में जघन्य दस और उत्कृष्ट चौदह हजार वर्ष में; महाशुक्रकल्प में जघन्य चौदह और उत्कृष्ट सत्तरह हजार वर्ष में; सहस्रारकल्प में जघन्य सत्तरह और उत्कृष्ट अठारह हजार वर्ष में; आनत – कल्प में जघन्य अठारह और उत्कृष्ट उन्नीस हजार वर्ष में; प्राणतकल्प में जघन्य उन्नीस और उत्कृष्ट बीस हजार वर्ष में; आरणकल्प में जघन्य बीस और उत्कृष्ट इक्कीस हजार वर्ष में; अच्युतकल्प में जघन्य २१ और उत्कृष्ट २२ हजार वर्ष में आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है। भगवन् ! अधस्तन – अधस्तन ग्रैवेयक देवों की आहारसम्बन्धी पृच्छा है। गौतम ! जघन्य २२ और उत्कृष्ट २३ हजार वर्ष में देवों को आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है। अधस्तन – मध्यम ग्रैवेयकों में, गौतम ! जघन्य २३ और उत्कृष्ट २४ हजार वर्ष में; अधस्तन – उपरिम ग्रैवेयकों में, जघन्य २४ और उत्कृष्ट २५ हजार वर्ष में; मध्यम – अधस्तन ग्रैवेयकों में जघन्य २५ और उत्कृष्ट २६ हजार वर्ष में; मध्यम – मध्यम ग्रैवेयकों में जघन्य २६ और उत्कृष्ट २७ हजार वर्षों में; मध्यम – उपरिम ग्रैवेयकों में जघन्य २७ और उत्कृष्ट २८ हजार वर्ष में, उपरिम – अधस्तन ग्रैवेयकों में जघन्य २८ और उत्कृष्ट २९ हजार वर्ष में; उपरिम – मध्यम ग्रैवेयकों में जघन्य २९ और उत्कृष्ट ३० हजार वर्षों में; उपरिम – उपरिम ग्रैवेयकों में जघन्य ३० और उत्कृष्ट ३१ हजार वर्ष में आहार की ईच्छा होती है। विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित देवों को कितने काल में आहार की अभिलाषा होती है ? गौतम ! जघन्य ३१ और उत्कृष्ट ३३ हजार वर्ष में आहारेच्छा होती है। सर्वार्थसिद्ध देवों को अजघन्य – अनुत्कृष्ट तेंतीस हजार वर्ष में आहार की ईच्छा उत्पन्न होती है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] beimdiya nam bhamte! Aharatthi? Hamta goyama! Aharatthi. Beimdiya nam bhamte! Kevatikalassa aharatthe samuppajjati? Jaha neraiyanam, navaram–tattha nam jese abhoganivvattie se nam asamkhejjasamaie amtomuhuttie vemayae aharatthe samuppajjati. Sesam jaha pudhavikkaiyanam java ahachcha nisasamti, navaram–niyama chhaddisim. Beimdiya nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te nam tesim poggalanam seyalamsi katibhagam aharemti? Katibhagam assaemti? Goyama! Asamkhejjatibhagam aharemti, anamtabhagam assaemti. Beimdiya nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te kim savve aharemti? No savve aharemti? Goyama! Beimdiyanam duvihe ahare pannatte, tam jaha–lomahare ya pakkhevahare ya. Je poggale lomaharattae genhamti te savve aparisese aharemti, je poggale pakkhevaharattae genhamti tesim asamkhejjai-bhagamaharemti negaim cha nam bhagasahassaim aphasaijjamanaim anasaijjamanaim viddhamsamagachchhamti. Etesi nam bhamte! Poggalanam anasaijjamananam aphasaijjamanana ya katare katarehimto appa va bahuya va tulla va visesahiya va? Goyama! Savvatthova poggala anasaijjamana, aphasaijjamana anamtaguna. Beimdiya nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te nam tesim poggala kisattae bhujjo-bhujjo parinamamti? Goyama! Jibbhimdiya-phasimdiyavemayattae te tesim bhujjo-bhujjo parinamamti. Evam java chaurimdiya, navaram–negaim cha nam bhagasahassaim anagghaijjamanaim aphasaijja-manaim anassaijjamanaim viddhamsamagachchhamti. Etesi nam bhamte! Poggalanam anaghaijjamananam anasaijjamananam aphasaijjamanana ya katare katarehimto appa va bahuya va tulla va visesahiya va? Goyama! Savvatthova poggala anagghaijjamana, anassaijjamana anamtaguna, aphasaijjamana anamtaguna. Teimdiya nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te nam tesim poggala kisattae bhujjo-bhujjo parinamamti? Goyama! Ghanimdiya-jibbhimdiya-phasimdiyavemayattae te tesim bhujjo-bhujjo parinamamti. Chaurimdiyanam chakkhimdiya-ghanimdiya-jibbhimdiya-phasimdiyavemayattae te tesim bhujjo-bhujjo parinamamti, sesam jaha teimdiyanam. Pamchemdiyatirikkhajoniya jaha teimdiya, navaram–tattha nam jese abhoganivvattie se jahannenam amtomuhuttassa, ukkosenam chhatthabhattassa aharatthe samuppajjati. Pamchemdiyatirikkhajoniya nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te nam tesim poggala kisattae bhujjo-bhujjo parinamamti? Goyama! Soimdiya-chakkhimdiya-ghanimdiya-jibbhimdiya-phasem-diyavemayattae bhujjo-bhujjo parinamamti..Manusa nam bhamte! Aharatthi? Hamta goyama! Aharatthi. Manusa nam bhamte! Kevatikalassa aharatthe samuppajjati? Goyama! Manusanam ahare duvihe pannatte, tam jaha–abhoganivvattie ya anabhoganivvattie ya. Tattha nam jese anabhoganivvattie se nam anusamayamavirahie aharatthe samuppajjati. Tattha nam jese abhoganivvattie se nam jahannenam amtomuhuttassa, ukkosenam atthamabhattassa aharatthe samuppajjati. Manusa nam bhamte! Kimaharamaharemti? Goyama! Davvao anamtapadesiyaim khettao asamkhejja-padesogadhaim, kalato annatarathitiyaim, bhavao vannamamtaim gamdhamamtaim rasamamtaim phasamamtaim. Jaim bhavao vannamamtaim aharemti taim kim egavannaim aharemti java kim pamchavannaim aharemti? Goyama! Thanamagganam paduchcha egavannaim pi aharemti java pamchavannaim pi aharemti, vihanamagganam paduchcha kalavannaim pi aharemti java sukkilaim pi aharemti. Jaim vannao kalavannaim aharemti taim kim egagunakalaim aharemti java dasagunakalaim aharemti? Samkhejjagunakalaim asamkhejjagunakalaim anamtagunakalaim aharemti? Goyama! Egagunakalaim pi aharemti java anamtagunakalaim pi aharemti. Evam java sukkilaim pi. Evam gamdhao vi rasato vi. Jaim bhavao phasamamtaim taim no egaphasaim aharemti no duphasaim aharemti no tiphasaim aharemti, chaupha-saim aharemti java atthaphasaim pi aharemti, vihanamagganam paduchcha kakkhadaim pi aharemti java lukkhaim pi. Jaim phasao kakkhadaim aharemti taim kim egagunakakkhadaim aharemti java anamtagunakakkhadaim aharemti? Goyama! Egagunakakkhadaim pi aharemti java anamtagunakakkhadaim pi aharemti. Evam attha vi phasa bhaniyavva java anamtagunalukkhaim pi aharemti. Jaim bhamte! Anamtagunalukkhaim aharemti taim kim putthaim aharemti? Aputthaim aharemti? Goyama! Putthaim aharemti no aputthaim aharemti. Jaim bhamte! Putthaim aharemti, taim kim ogadhaim aharemti? Anogadhaim aharemti? Goyama! Ogadhaim aharemti no anogadhaim aharemti. Jaim bhamte! Ogadhaim aharemti, taim kim anamtarogadhaim aharemti? Paramparogadhaim aharemti? Goyama! Anamtarogadhaim aharemti, no paramparogadhaim aharemti. Jaim bhamte! Anamtarogadhaim aharemti, taim kim anuim aharemti? Badaraim aharemti? Goyama! Anuim pi aharemti, badaraim pi aharemti. Jaim bhamte! Anuim pi aharemti, badaraim pi aharemti, taim kim uddham aharemti? Ahe aharemti? Tiriyam aharemti? Goyama! Uddham pi aharemti, ahe vi aharemti, tiriyam pi aharemti. Jaim bhamte! Uddham pi aharemti, ahe vi aharemti, tiriyam pi aharemti, taim kim aharemti? Majjhe aharemti? Pajjavasane aharemti? Goyama! Adim pi aharemti, majjhe vi aharemti, pajjavasane vi aharemti. Jaim bhamte! Adim pi aharemti, majjhe vi aharemti, pajjavasane vi aharemti, taim kim savisae aharemti? Avisae aharemti? Goyama! Savisae aharemti, no avisae aharemti. Jaim bhamte! Savisae aharemti, taim kim anupuvvim aharemti? Ananupuvvim aharemti? Goyama! Anupuvvim aharemti, no ananupuvvim aharemti. Jaim bhamte! Anupuvvim aharemti, taim kim tidisim aharemti java chhaddisim aharemti? Goyama! Niyama chhaddisim aharemti. Osannakaranam na bhavati, vannato kala-nila-lohiya-halidda-sukkilaim, gamdhao subbhigamdha-dubbhigamdhaim, rasao titta-kaduya-kasaya-ambilamahuraim, phasato kakkhada-mauya-garua-lahuya-siya-usina-niddha-lukkhaim, tesim porane vannagune gamdha-gune rasagune phasagune vipparinamaitta paripilaitta parisadaitta parividdhamsaitta anne apuvve vannagune gamdhagune rasagune phasagune uppaetta ayasarirakhettogadhe poggale savvappanayae aharamaharemti. Manusa nam bhamte! Savvato aharemti savvato parinamemti savvao usasamti savvao nisasamti, abhikkhanam aharemti abhikkhanam parinamemti abhikkhanam usasamti abhikkhanam nisasamti, ahachcha aharemti ahachcha parinamemti ahachcha usasamti ahachcha nisasamti? Hamta goyama! Manusa savvato aharemti evam tam cheva java ahachcha nisasamti. Manusa nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te nam tesim poggalanam seyalamsi katibhagam aharemti? Katibhagam asaemti? Goyama! Asamkhejjatibhagam aharemti, anamtabhagam asaemti. Manusa nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te kim savve aharemti? No savve aharemti? Goyama! Manusanam duvihe ahare pannatte, tam jaha–lomahare ya pakkhevahare ya. Je poggale lomaharattae genhamti te savve aparisese aharemti, je poggale pakkhevaharattae genhamti tesim asamkhejjai-bhagamaharemti negaim cha nam bhagasahassaim anagghaijjamanaim aphasaijjamanaim anassaijja-manaim viddhamsamagachchhamti. Etesim bhamte! Poggalanam anaghaijjamananam anasaijjamananam aphasaijjamanana ya katare katarehimto appa va bahuya va tulla va visesahiya va? Goyama! Savvatthova poggala anagghaijjamana, anassaijjamana anamtaguna, aphasaijjamana anamtaguna. Manusa nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te nam tesim poggala kisattae bhujjo-bhujjo parinamamti? Goyama! Soimdiya-chakkhimdiya-ghanimdiya-jibbhimdiya-phasimdiyavemayattae bhujjo-bhujjo parinamamti. Vanamamtara jaha nagakumara. Evam joisiya vi, navaram–abhoganivvattie jahannenam divasapuhattassa, ukkosena vi divasapuhattassa aharatthe samuppajjati. Evam vemaniya vi, navaram–abhoganivvattie jahannenam divasapuhattassa, ukkosenam tettisae vasasahassanam aharatthe samuppajjati. Sesam jaha asurakumaranam java te tesim bhujjo-bhujjo parinamamti. Sohamme abhoganivvattie jahannenam divasapuhattassa, ukkosenam donham vasasahassanam aharatthe samuppajjai. Isane puchchha. Goyama! Jahannenam divasapuhattassa satiregassa, ukkosenam satireganam donham vasasahassanam. Sanamkumare puchchha. Goyama! Jahannenam donham vasasahassanam, ukkosenam sattanham vasasahassanam. Mahimde puchchha. Goyama! Jahannenam donham vasasahassanam satireganam, ukkosenam sattanham vasasahassanam satireganam Bambhaloe puchchha. Goyama! Jahannenam sattanham vasasahassanam, ukkosenam dasanham vasasahassanam. Lamtae puchchha. Goyama! Jahannenam dasanham vasasahassanam, ukkosenam choddasanham vasasahassanam. Mahasukke puchchha. Goyama! Jahannenam choddasanham vasasahassanam, ukkosenam sattarasanham vasa-sahassanam. Sahassare puchchha. Goyama! Jahannenam sattarasanham vasasahassanam, ukkosenam attharasanham vasa-sahassanam. Anae puchchha. Goyama! Jahannenam attharasanham vasasahassanam, ukkosenam egunavisae vasa-sahassanam. Panae puchchha. Goyama! Jahannenam egunavisae vasasahassanam, ukkosenam visae vasa-sahassanam. Arane puchchha. Goyama! Jahannenam visae vasasahassanam, ukkosenam ekkavisae vasa-sahassanam. Achchue puchchha. Goyama! Jahanne ekkavisae vasasahassanam, ukkosenam bavisae vasa-sahassanam. Hetthimahetthimagevejjaganam puchchha. Goyama! Jahannenam bavisae vasasahassanam, ukkosenam tevisae vasasahassanam. Evam savvattha sahassani bhaniyavvani java savvattham. Hetthimamajjimanam puchchha. Goyama! Jahannenam tevisae, ukkosenam chauvisae. Hetthimauvarimanam puchchha. Goyama! Jahannenam chauvisae, ukkosenam panuvisae. Majjhimahetthimanam puchchha. Goyama! Jahannenam panuvisae, ukkosenam chhavvisae. Majjhimamajjhimanam puchchha. Goyama! Jahannenam chhavvisae, ukkosenam sattavisae. Majjhimauvarimanam puchchha. Goyama! Jahannenam sattavisae, ukkosenam atthavisae. Uvarimahetthimanam puchchha. Goyama! Jahannenam atthavisae, ukkosenam egunatisae. Uvarimamajjhimanam puchchha. Goyama! Jahannenam egunatisae, ukkosenam tisae. Uvarimauvarimagevejjaganam puchchha. Goyama! Jahannenam tisae, ukkosenam ekkatisae. Vijaya-vejayamta-jayamta-aparajiyanam puchchha. Goyama! Jahannenam ekkatisae, ukkosenam tettisae. Savvatthasiddhagadevanam puchchha. Goyama! Ajahannamanukkosenam tettisae vasasahassanam aharatthe samuppajjati. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kya dvindriya jiva ahararthi hote haim\? Ham, gautama ! Hote haim. Bhagavan ! Dvindriya jivom ko kitane kala mem ahara ki abhilasha hota hai\? Gautama ! Narakom ke samana samajhana. Vishesha yaha ki unamem jo abhoga – nirvartita ahara hai, usaki abhilasha asamkhyatasamaya ke antarmuhurtta mem vimatra se hoti hai. Shesha kathana prithvi – kayikom ke samana ‘‘kadachit nihshvasa lete haim’’ taka kahana. Vishesha yaha ki ve niyama se chhaha dishaom se ahara lete haim. Bhagavan ! Dvindriya jina pudgalom ko ahara ke rupa mem grahana karate haim, ve bhavishya mem una pudgalom ke kitane bhaga ka ahara aura kitane bhaga ka asvadana karate haim\? Gautama ! Nairayikom ke samana kahana. Bhagavan ! Dvindriya jina pudgalom ko ahara ke rupa mem grahana karate haim, kya ve una sabaka ahara karate haim athava nahim\? Gautama ! Dvindriya jivom ka ahara do prakara ka hai. – lomahara aura prakshepahara. Ve jina pudgalom ko lomahara ke rupa mem grahana karate haim, una sabaka samagrarupa se ahara karate haim aura jina pudgalom ko prakshepahararupa mem grahana karata haim, unamem se asamkhyatavem bhaga ka hi ahara karate haim unake bahuta – se sahasra bhaga yom hi vidhvamsa ko prapta ho jate haim, na hi unaka sparsha hota hai aura na hi asvadana hota hai. Ina purvokta prakshepaharapudgalom mem se asvadana na kiye janevale tatha sprishta na honevale pudgalom maim kauna kisase alpa yavat visheshadhika haim\? Gautama ! Sabase kama asvadana na kiye janevale pudgala haim, unase anantagune sprishta na honevale haim. Dvindriya jiva jina pudgalom ko ahara ke rupa mem grahana karate haim, ve pudgala kisa – kisa rupa mem punah punah parinata hote haim\? Jihvendriya aura sparshendriya ki vimatra ke rupa mem punah punah parinata hote haim. Isi prakara chaturindriya taka kahana. Vishesha yaha ki inake dvara prakshepahararupa mem grihita pudgalom ke aneka sahasra bhaga anaghrayamana, asprishyamana tatha anasvadyamana hi vidhvamsa ko prapta hote haim. Ina anaghrayamana, asprishyamana aura anasvadyamana pudgalom mem se kauna kisase alpa, bahuta, tulya athava visheshadhika hai\? Gautama ! Anaghrayamana pudgala sabase kama haim, usase anantagune pudgala anasvadyamana haim aura asprishyamana pudgala usase anantagune haim. Trindriya jiva jina pudgalom ko ahara ke rupa mem grahana karate haim, ve pudgala unamem ghranendriya, jihvendriya aura sparshendriya ki vimatra se punah punah parinata hote haim. Chaturindriya dvara ahara ke rupa mem grihita pudgala chakshurindriya, ghranendriya, jihvendriya evam sparshendriya ki vimatra se punah punah parinata hote haim. Shesha kathana trindriyom ke samana samajhana. Pamchendriya tiryamchom ka kathana trindriya jivom ke samana janana. Vishesha yaha ki unamem jo abhoganirvartita ahara hai, usa ahara ki abhilasha unhem jaghanya antarmuhurtta se aura utkrishta shashthabhakta se hoti hai. Bhagavan ! Pamchendriya tiryamchayonika jina pudgalom ko ahara ke rupa mem grahana karate haim, ve pudgala pamchom indriyom mem vimatra mem punah punah parinata hote haim. Manushyom ki ahara – sambandhi vaktavyata bhi isi prakara hai. Vishesha yaha ki unaki abhoganirvartita ahara ki abhilasha jaghanya antarmuhurtta mem aura utkrishta ashtamabhakta hone para hoti hai. Vana – vyantara devom ka ahara nagakumarom ke samana janana. Isa prakara jyotishkadevom ka bhi kathana hai. Kintu unhem abhoganirvartita ahara ki abhilasha jaghanya aura utkrishta bhi divasa – prithaktva mem hoti hai. Isi prakara vaimanika devom ki bhi aharasambandhi vaktavyata janana. Vishesha yaha ki inako abhogani – rvartita ahara ki abhilasha jaghanya divasa – prithaktva mem aura utkrishta taimtisa hajara varshom mem utpanna hoti hai. Shesha vaktavyata asurakumarom ke samana ‘unake una pudgalom ka bara – bara parinamana hota hai’ yaham taka kahana. Saudharma – kalpa mem abhoganirvartita ahara ki ichchha jaghanya divasa – prithaktva se aura utkrishta do hajara varsha se samutpanna hoti hai. Ishanakalpa mem jaghanya kuchha adhika divasa – prithaktva mem aura utkrishta kuchha adhika do hajara varsha mem hoti hai. Sanatkumara ko jaghanya do hajara varsha mem aura utkrishta sata hajara varsha mem aharechchha hoti hai. Mahendrakalpa mem\? Jaghanya kuchha adhika do hajara varsha mem aura utkrishta kuchha adhika sata hajara varsha mem, brahmaloka mem jaghanya sata aura utkrishta dasa hajara varsha mem; lantakakalpa mem jaghanya dasa aura utkrishta chaudaha hajara varsha mem; mahashukrakalpa mem jaghanya chaudaha aura utkrishta sattaraha hajara varsha mem; sahasrarakalpa mem jaghanya sattaraha aura utkrishta atharaha hajara varsha mem; anata – kalpa mem jaghanya atharaha aura utkrishta unnisa hajara varsha mem; pranatakalpa mem jaghanya unnisa aura utkrishta bisa hajara varsha mem; aranakalpa mem jaghanya bisa aura utkrishta ikkisa hajara varsha mem; achyutakalpa mem jaghanya 21 aura utkrishta 22 hajara varsha mem aharabhilasha utpanna hoti hai. Bhagavan ! Adhastana – adhastana graiveyaka devom ki aharasambandhi prichchha hai. Gautama ! Jaghanya 22 aura utkrishta 23 hajara varsha mem devom ko aharabhilasha utpanna hoti hai. Adhastana – madhyama graiveyakom mem, gautama ! Jaghanya 23 aura utkrishta 24 hajara varsha mem; adhastana – uparima graiveyakom mem, jaghanya 24 aura utkrishta 25 hajara varsha mem; madhyama – adhastana graiveyakom mem jaghanya 25 aura utkrishta 26 hajara varsha mem; madhyama – madhyama graiveyakom mem jaghanya 26 aura utkrishta 27 hajara varshom mem; madhyama – uparima graiveyakom mem jaghanya 27 aura utkrishta 28 hajara varsha mem, uparima – adhastana graiveyakom mem jaghanya 28 aura utkrishta 29 hajara varsha mem; uparima – madhyama graiveyakom mem jaghanya 29 aura utkrishta 30 hajara varshom mem; uparima – uparima graiveyakom mem jaghanya 30 aura utkrishta 31 hajara varsha mem ahara ki ichchha hoti hai. Vijaya, vaijayanta, jayanta aura aparajita devom ko kitane kala mem ahara ki abhilasha hoti hai\? Gautama ! Jaghanya 31 aura utkrishta 33 hajara varsha mem aharechchha hoti hai. Sarvarthasiddha devom ko ajaghanya – anutkrishta temtisa hajara varsha mem ahara ki ichchha utpanna hoti hai. |