Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006493 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२ स्थान |
Translated Chapter : |
पद-२ स्थान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 193 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! बादरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सट्ठाणेणं सत्तसु घनवाएसु सत्तसु घनवायवलएसु सत्तसु तनुवाएसु सत्तसु तनुवायवलएसु। अहोलोए–पायालेसु भवनेसु भवनपत्थडेसु भवनछिंद्देसु भवनणिक्खुडेसु निरएसु निरयावलियासु निरयपत्थडेसु निरयछिद्देसु निरयणिक्खुडेसु। उड्ढलोए–कप्पेसु विमानेसु वियाणावलियासु विमानपत्थडेसु विमानछिद्देसु विमानणिक्खुडेसु। तिरियलोए–पाईण-पडीण-दाहिण-उदीण सव्वेसु चेव लोगागासछिद्देसु लोय-निक्खुड्डेसु य। एत्थ णं बादरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखे-ज्जेसु भागेसु, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु। कहि णं भंते! अपज्जत्तबादरवाउकाइयाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! जत्थेव बादर-वाउक्काइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादरवाउकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएणं सव्वलोए, समुग्घाएणं सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु। कहि णं भंते! सुहुमवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सुहुमवाउकाइया जे पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अनाणत्ता सव्वलोयपरियावन्नगा पन्नत्ता समणाउसो! कहि णं भंते! बादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सट्ठाणेणं सत्तसु घनोदहीसु सत्तसु घनोदहिवलएसु। अहोलोए–पायालेसु भवनेसु भवनपत्थडेसु। उड्ढलोए–कप्पेसु विमानेसु विमानवलियासु विमानपत्थडेसु। तिरियलोए–अगडेसु तडागेसु नंदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु तहेव सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निज्झरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलट्ठाणेसु। एत्थ णं बादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएणं सव्वलोए, समुग्घाएणं सव्वलोए, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। कहि णं भंते! बादरवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! जत्थेव बादर-वणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादरवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएणं सव्वलोए, समुग्घाएणं सव्वलोए, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। कहि णं भंते! सुहुमवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सुहुमवणस्सइकाइया जे पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अनाणत्ता सव्वलोयपरियावन्नगा पन्नत्ता समणाउसो! | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! बादर वायुकायिक – पर्याप्तकों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा से सात घनवात, सात घनवातवलय, सात तनुवात और सात तनुवातवलयों में। अधोलोक में – पातालों, भवनों, भवनों के प्रस्तटों, भवनों के छिद्रों, भवनों के निष्कुट प्रदेशों, नरकों में, नरकावलियों, नरकों के प्रस्तटों, छिद्रों और नरकों के निष्कुट – प्रदेशों में। ऊर्ध्वलोक में – कल्पों, विमानों, विमानों के छिद्रों और विमानों के निष्कुट – प्रदेशों में। तिर्यग्लोक में – पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर में समस्त लोकाकाश के छिद्रों में, तथा लोक के निष्कुट – प्रदेशों में हैं। उपपात की अपेक्षा से – लोक, समुद्घात तथा स्वस्थान की अपेक्षा से लोक के असंख्येयभागों में हैं। भगवन् ! अपर्याप्त – बादर – वायुकायिकों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! जहाँ बादर – वायुकायिक – पर्याप्तकों के स्थान हैं, वहीं बादर – वायुकायिक – अपर्याप्तकों के स्थान कहे गए हैं। उपपात की अपेक्षा से (वे) सर्वलोक में हैं, समुद्घात की अपेक्षा से – (वे) सर्वलोक में हैं, और स्वस्थान की अपेक्षा से (वे) लोक के असंख्यात भागों में हैं। भगवन् ! सूक्ष्मवायुकायिकों के पर्याप्तों और अपर्याप्तों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! सूक्ष्मवायुकायिक, जो पर्याप्त हैं और जो अपर्याप्त हैं, वे सब एक ही प्रकार के, अविशेष और नानात्व रहित हैं। वे सर्वलोक में परिव्याप्त हैं। भगवन् ! बादर वनस्पतिकायिक – पर्याप्तक जीवों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा से – सात घनोदधि और सात घनोदधिवलयों में। अधोलोक में – पातालों में, भवनों में और भवनों के प्रस्तटों में। ऊर्ध्वलोक में – कल्पों में, विमानों में और विमानों के प्रस्तटों में। तिर्यग्लोक में – कूँओं, तालाबों, नदियों, ह्रदों, वापियों, पुष्करिणियों, दीर्घिकाओं, गुंजालिकाओं, सरोवरों, सर – सर पंक्तियों, बिलों में, उर्झरों, निर्झरों, तलैयों, पोखरों, क्षेत्रों, द्वीपों, समुद्रों और सभी जलाशयों में तथा जल के स्थानों में हैं। उपपात और समुद्घात की अपेक्षा से सर्वलोक में और स्वस्थान की अपेक्षा से लोक के असंख्यातवें भाग में हैं। भगवन् ! बादर वनस्पतिकायिक – अपर्याप्तकों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! बादर वनस्पतिकायिक – पर्याप्तकों के स्थान समान उनके अपर्याप्तकों के स्थान हैं। उपपात और समुद्घात की अपेक्षा से सर्वलोक में हैं; स्वस्थान की अपेक्षा से लोक के असंख्यातवें भाग में हैं। भगवन् ! सूक्ष्म वनस्पतिकायिकों के पर्याप्तकों एवं अपर्याप्तकों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! सूक्ष्म वनस्पतिकायिक, जो पर्याप्त हैं और जो अपर्याप्त हैं, वे सब एक ही प्रकार के, विशेषतारहित और नानात्व रहित हैं वे सर्वलोक में व्याप्त हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Badaravaukaiyanam pajjattaganam thana pannatta? Goyama! Satthanenam sattasu ghanavaesu sattasu ghanavayavalaesu sattasu tanuvaesu sattasu tanuvayavalaesu. Aholoe–payalesu bhavanesu bhavanapatthadesu bhavanachhimddesu bhavananikkhudesu niraesu nirayavaliyasu nirayapatthadesu nirayachhiddesu nirayanikkhudesu. Uddhaloe–kappesu vimanesu viyanavaliyasu vimanapatthadesu vimanachhiddesu vimananikkhudesu. Tiriyaloe–paina-padina-dahina-udina savvesu cheva logagasachhiddesu loya-nikkhuddesu ya. Ettha nam badaravaukaiyanam pajjattaganam thana pannatta. Uvavaenam loyassa asamkhe-jjesu bhagesu, samugghaenam loyassa asamkhejjesu bhagesu, satthanenam loyassa asamkhejjesu bhagesu. Kahi nam bhamte! Apajjattabadaravaukaiyanam thana pannatta? Goyama! Jattheva badara-vaukkaiyanam pajjattaganam thana tattheva badaravaukaiyanam apajjattaganam thana pannatta. Uvavaenam savvaloe, samugghaenam satthanenam loyassa asamkhejjesu bhagesu. Kahi nam bhamte! Suhumavaukaiyanam pajjattaganam apajjattagana ya thana pannatta? Goyama! Suhumavaukaiya je pajjattaga je ya apajjattaga te savve egaviha avisesa ananatta savvaloyapariyavannaga pannatta samanauso! Kahi nam bhamte! Badaravanassaikaiyanam pajjattaganam thana pannatta? Goyama! Satthanenam sattasu ghanodahisu sattasu ghanodahivalaesu. Aholoe–payalesu bhavanesu bhavanapatthadesu. Uddhaloe–kappesu vimanesu vimanavaliyasu vimanapatthadesu. Tiriyaloe–agadesu tadagesu namdisu dahesu vavisu pukkharinisu dihiyasu gumjaliyasu taheva saresu sarapamtiyasu sarasarapamtiyasu bilesu bilapamtiyasu ujjharesu nijjharesu chillalesu pallalesu vappinesu divesu samuddesu savvesu cheva jalasaesu jalatthanesu. Ettha nam badaravanassaikaiyanam pajjattaganam thana pannatta. Uvavaenam savvaloe, samugghaenam savvaloe, satthanenam loyassa asamkhejjaibhage. Kahi nam bhamte! Badaravanassaikaiyanam apajjattaganam thana pannatta? Goyama! Jattheva badara-vanassaikaiyanam pajjattaganam thana tattheva badaravanassaikaiyanam apajjattaganam thana pannatta. Uvavaenam savvaloe, samugghaenam savvaloe, satthanenam loyassa asamkhejjaibhage. Kahi nam bhamte! Suhumavanassaikaiyanam pajjattaganam apajjattagana ya thana pannatta? Goyama! Suhumavanassaikaiya je pajjattaga je ya apajjattaga te savve egaviha avisesa ananatta savvaloyapariyavannaga pannatta samanauso! | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Badara vayukayika – paryaptakom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Svasthana ki apeksha se sata ghanavata, sata ghanavatavalaya, sata tanuvata aura sata tanuvatavalayom mem. Adholoka mem – patalom, bhavanom, bhavanom ke prastatom, bhavanom ke chhidrom, bhavanom ke nishkuta pradeshom, narakom mem, narakavaliyom, narakom ke prastatom, chhidrom aura narakom ke nishkuta – pradeshom mem. Urdhvaloka mem – kalpom, vimanom, vimanom ke chhidrom aura vimanom ke nishkuta – pradeshom mem. Tiryagloka mem – purva, pashchima, dakshina aura uttara mem samasta lokakasha ke chhidrom mem, tatha loka ke nishkuta – pradeshom mem haim. Upapata ki apeksha se – loka, samudghata tatha svasthana ki apeksha se loka ke asamkhyeyabhagom mem haim. Bhagavan ! Aparyapta – badara – vayukayikom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Jaham badara – vayukayika – paryaptakom ke sthana haim, vahim badara – vayukayika – aparyaptakom ke sthana kahe gae haim. Upapata ki apeksha se (ve) sarvaloka mem haim, samudghata ki apeksha se – (ve) sarvaloka mem haim, aura svasthana ki apeksha se (ve) loka ke asamkhyata bhagom mem haim. Bhagavan ! Sukshmavayukayikom ke paryaptom aura aparyaptom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Sukshmavayukayika, jo paryapta haim aura jo aparyapta haim, ve saba eka hi prakara ke, avishesha aura nanatva rahita haim. Ve sarvaloka mem parivyapta haim. Bhagavan ! Badara vanaspatikayika – paryaptaka jivom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Svasthana ki apeksha se – sata ghanodadhi aura sata ghanodadhivalayom mem. Adholoka mem – patalom mem, bhavanom mem aura bhavanom ke prastatom mem. Urdhvaloka mem – kalpom mem, vimanom mem aura vimanom ke prastatom mem. Tiryagloka mem – kumom, talabom, nadiyom, hradom, vapiyom, pushkariniyom, dirghikaom, gumjalikaom, sarovarom, sara – sara pamktiyom, bilom mem, urjharom, nirjharom, talaiyom, pokharom, kshetrom, dvipom, samudrom aura sabhi jalashayom mem tatha jala ke sthanom mem haim. Upapata aura samudghata ki apeksha se sarvaloka mem aura svasthana ki apeksha se loka ke asamkhyatavem bhaga mem haim. Bhagavan ! Badara vanaspatikayika – aparyaptakom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Badara vanaspatikayika – paryaptakom ke sthana samana unake aparyaptakom ke sthana haim. Upapata aura samudghata ki apeksha se sarvaloka mem haim; svasthana ki apeksha se loka ke asamkhyatavem bhaga mem haim. Bhagavan ! Sukshma vanaspatikayikom ke paryaptakom evam aparyaptakom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Sukshma vanaspatikayika, jo paryapta haim aura jo aparyapta haim, ve saba eka hi prakara ke, visheshatarahita aura nanatva rahita haim ve sarvaloka mem vyapta haim. |