Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006492 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२ स्थान |
Translated Chapter : |
पद-२ स्थान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 192 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! बादरपुढविकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सट्ठाणेणं अट्ठसु पुढवीसु, तं जहा– रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए तमप्पभाए तमतमप्पभाए इसीपब्भाराए। अहोलोए–पायालेसु भवनेसु भवनपत्थडेसु निरएसु निरयावलियासु निरयपत्थडेसु। उड्ढलोए–कप्पेसु विमानेसु विमानावलियासु विमानपत्थडेसु। तिरियलोए–टंकेसु कूडेसु सेलेसु सिहरीसु पब्भारेसु विजएसु वक्खारेसु वासेसु वासहरपव्वएसु वेलासु वेइयासु दारेसु तोरणेसु दीवेसु समुद्देसु। एत्थ णं बादरपुढविकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइ-भागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। कहि णं भंते! बादरपुढविकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! जत्थेव बादर-पुढविकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादरपुढविकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएणं सव्वलोए, समुग्घाएणं सव्वलोए, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। कहि णं भंते! सुहुमपुढविकाइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सुहुमपुढविकाइया जे पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अनाणत्ता सव्वलोयपरियावन्नगा पन्नत्ता समणाउसो! कहि णं भंते! बादरआउक्काइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सट्ठाणेणं सत्तसु घनोदधीसु सत्तसु घनोदधिवलएसु। अहोलोए–पायालेसु भवनेसु भवनपत्थडेसु। उड्ढलोए–कप्पेसु विमानेसु विमानवलियासु विमानपत्थडेसु। तिरियलोए–अगडेसु तलाएसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निज्झरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलट्ठाणेसु। एत्थ णं बादरआउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएण लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। कहि णं भंते! बादरआउक्काइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! जत्थेव बादर-आउक्काइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादरआउक्काइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएणं सव्वलोए, समुग्घाएणं सव्वलोए, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। कहि णं भंते! सुहुमआउक्काइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सुहुमआउक्काइया जे पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एयविहा अविसेसा अनाणत्ता सव्वलोयपरियावण्णया पन्नत्ता समणाउसो! कहि णं भंते! बादरतेउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सट्ठाणेणं अंतो-मनुस्सखेत्ते अड्ढाइज्जेसु दीव समुद्देसु निव्वाघाएणं पन्नरससु कम्मभूमीसु, वाघायं पडुच्च पंचेसु महाविदेहेसु, एत्थ णं बादरतेउक्काइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइ भागे समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। कहि णं भंते! बादरतेउकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! जत्थेव बादर-तेउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादरतेउकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएणं लोयस्स दोसु उड्ढकवाडेसु तिरियलोयतट्टे य, समुग्घाएणं सव्वलोए, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइ-भागे। कहि णं भंते! सुमुहतेउकाइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सुहुमतेउकाइया जे पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अनाणत्ता सव्वलोय-परियावन्नगा पन्नत्ता समणाउसो! | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! बादरपृथ्वीकाय पर्याप्तक जीवों के स्थान कहाँ कहे हैं ? गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा से आठ पृथ्वीयों में। रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, वालुकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा, तमस्तमःप्रभा और ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी में। अधोलोक में – पातालों, भवनों, भवनों के प्रस्तटों, नरकों, नरकावलियों एवं नरक के प्रस्तटों में। ऊर्ध्व – लोक में – कल्पों, विमानों, विमानावलियों और विमान के प्रस्तटों में। तिर्यक्लोक में – टंकों, कूटों, शैलों, शिखरी – पर्वतों, प्राग्भारों, विजयों, वक्षस्कार पर्वतों, वर्षक्षेत्रों, वर्षधरपर्वतों, वेलाओं, वेदिकाओं, द्वारों, तोरणों, द्वीपों और समुद्रों में। उपपात, समुद्घात में और स्वस्थान की अपेक्षा से लोक के असंख्यातवें भाग में है। भगवन् ! बादरपृथ्वीकायिकों के अपर्याप्तकों के स्थान कहाँ कहे हैं ? गौतम ! बादरपृथ्वीकायिक – पर्याप्तकों के समान उनके अपर्याप्तकों के स्थान हैं। उपपात और समुद्घात की अपेक्षा से समस्त लोक में तथा स्वस्थान की अपेक्षा से लोक के असंख्यातवें भागमें हैं। गौतम! सूक्ष्मपृथ्वीकायिक, जो पर्याप्तक हैं और जो अपर्याप्तक हैं, वे सब एक ही प्रकार के हैं, विशेषतारहित हैं, नानात्व से रहित हैं और हे आयुष्मन् श्रमणो ! वे समग्र लोक में परिव्याप्त हैं। भगवन् ! बादर अप्कायिक – पर्याप्तकों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! (१) स्वस्थान की अपेक्षा से – सात घनोदधियों और सात घनोदधि – वलयों में। अधोलोक में – पातालों में, भवनों में तथा भवनों के प्रस्तटों में। ऊर्ध्वलोक में – कल्पों, विमानों, विमानावलियों और विमानों के प्रस्तटों में हैं। तिर्यग्लोक में – अवटों, तालाबों, नदियों, ह्रदों, वापियों, पुष्करिणियों, दीर्घिकाओं, गुंजालिकाओं, सरोवरों, सरःसरःपंक्तियों, बिलों, उज्झरों, निर्झरों, गड्ढों, पोखरों, वप्रों, द्वीपों, समुद्रों, जलाशयों और जलस्थानों में। उपपात, समुद्घात और स्वस्थान की अपेक्षा से लोक के असंख्यातवें भाग में होते हैं। भगवन् ! बादर – अप्कायिकों के अपर्याप्तकों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! बादर – अप्कायिक – पर्याप्तकों के स्थान समान उनके अपर्याप्तकों के स्थान हैं। उपपात और समुद्घात की अपेक्षा से सर्वलोक में और स्वस्थान की अपेक्षा से लोक के असंख्यातवें भाग में होते हैं। भगवन् ! सूक्ष्म – अप्कायिकों के पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों के स्थान कहाँ कहे हैं ? गौतम ! सूक्ष्म – अप्कायिकों के जो पर्याप्तक और अपर्याप्तक हैं, वे सभी एक प्रकार के और नानात्व से रहित हैं, वे सर्वलोकव्यापी हैं। भगवन् ! बादर तेजस्कायिक – पर्याप्तक जीवों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा से – मनुष्य – क्षेत्र के अन्दर ढ़ाई द्वीप – समुद्रों में, निर्व्याघात से पन्द्रह कर्मभूमियों में, व्याघात से – पाँच महाविदेहों में। उपपात की अपेक्षा से लोक, समुद्घात तथा स्वस्थान की अपेक्षा से लोक के असंख्यातवें भाग में हैं। भगवन् ! बादर तेजस्कायिकों के अपर्याप्तकों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! बादर तेजस्कायिकों के पर्याप्तकों के स्थान समान उनके अपर्याप्तकों के स्थान हैं। उपपात अपेक्षा से – (वे) लोक के दो ऊर्ध्वकपाटों में तथा तिर्यग्लोक के तट्ट में एवं समुद्घात की अपेक्षा से – सर्वलोक में तथा स्वस्थान की अपेक्षा से लोक के असंख्यातवें भाग में होते हैं। भगवन् ! सूक्ष्म तेजस्कायिकों के पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! सूक्ष्म तेजस्कायिक, जो पर्याप्त और अपर्याप्त हैं, वे सब एक ही प्रकार के, अविशेष और नानात्व रहित हैं, वे सर्वलोकव्यापी हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Badarapudhavikaiyanam pajjattaganam thana pannatta? Goyama! Satthanenam atthasu pudhavisu, tam jaha– rayanappabhae sakkarappabhae valuyappabhae pamkappabhae dhumappabhae tamappabhae tamatamappabhae isipabbharae. Aholoe–payalesu bhavanesu bhavanapatthadesu niraesu nirayavaliyasu nirayapatthadesu. Uddhaloe–kappesu vimanesu vimanavaliyasu vimanapatthadesu. Tiriyaloe–tamkesu kudesu selesu siharisu pabbharesu vijaesu vakkharesu vasesu vasaharapavvaesu velasu veiyasu daresu toranesu divesu samuddesu. Ettha nam badarapudhavikaiyanam pajjattaganam thana pannatta. Uvavaenam loyassa asamkhejjai-bhage, samugghaenam loyassa asamkhejjaibhage, satthanenam loyassa asamkhejjaibhage. Kahi nam bhamte! Badarapudhavikaiyanam apajjattaganam thana pannatta? Goyama! Jattheva badara-pudhavikaiyanam pajjattaganam thana tattheva badarapudhavikaiyanam apajjattaganam thana pannatta. Uvavaenam savvaloe, samugghaenam savvaloe, satthanenam loyassa asamkhejjaibhage. Kahi nam bhamte! Suhumapudhavikaiyanam pajjattaganam apajjattagana ya thana pannatta? Goyama! Suhumapudhavikaiya je pajjattaga je ya apajjattaga te savve egaviha avisesa ananatta savvaloyapariyavannaga pannatta samanauso! Kahi nam bhamte! Badaraaukkaiyanam pajjattaganam thana pannatta? Goyama! Satthanenam sattasu ghanodadhisu sattasu ghanodadhivalaesu. Aholoe–payalesu bhavanesu bhavanapatthadesu. Uddhaloe–kappesu vimanesu vimanavaliyasu vimanapatthadesu. Tiriyaloe–agadesu talaesu nadisu dahesu vavisu pukkharinisu dihiyasu gumjaliyasu saresu sarapamtiyasu sarasarapamtiyasu bilesu bilapamtiyasu ujjharesu nijjharesu chillalesu pallalesu vappinesu divesu samuddesu savvesu cheva jalasaesu jalatthanesu. Ettha nam badaraaukaiyanam pajjattaganam thana pannatta. Uvavaena loyassa asamkhejjaibhage, samugghaenam loyassa asamkhejjaibhage, satthanenam loyassa asamkhejjaibhage. Kahi nam bhamte! Badaraaukkaiyanam apajjattaganam thana pannatta? Goyama! Jattheva badara-aukkaiyanam pajjattaganam thana tattheva badaraaukkaiyanam apajjattaganam thana pannatta. Uvavaenam savvaloe, samugghaenam savvaloe, satthanenam loyassa asamkhejjaibhage. Kahi nam bhamte! Suhumaaukkaiyanam pajjattaganam apajjattagana ya thana pannatta? Goyama! Suhumaaukkaiya je pajjattaga je ya apajjattaga te savve eyaviha avisesa ananatta savvaloyapariyavannaya pannatta samanauso! Kahi nam bhamte! Badarateukaiyanam pajjattaganam thana pannatta? Goyama! Satthanenam amto-manussakhette addhaijjesu diva samuddesu nivvaghaenam pannarasasu kammabhumisu, vaghayam paduchcha pamchesu mahavidehesu, ettha nam badarateukkaiyanam pajjattaganam thana pannatta. Uvavaenam loyassa asamkhejjai bhage samugghaenam loyassa asamkhejjaibhage, satthanenam loyassa asamkhejjaibhage. Kahi nam bhamte! Badarateukaiyanam apajjattaganam thana pannatta? Goyama! Jattheva badara-teukaiyanam pajjattaganam thana tattheva badarateukaiyanam apajjattaganam thana pannatta. Uvavaenam loyassa dosu uddhakavadesu tiriyaloyatatte ya, samugghaenam savvaloe, satthanenam loyassa asamkhejjai-bhage. Kahi nam bhamte! Sumuhateukaiyanam pajjattaganam apajjattagana ya thana pannatta? Goyama! Suhumateukaiya je pajjattaga je ya apajjattaga te savve egaviha avisesa ananatta savvaloya-pariyavannaga pannatta samanauso! | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Badaraprithvikaya paryaptaka jivom ke sthana kaham kahe haim\? Gautama ! Svasthana ki apeksha se atha prithviyom mem. Ratnaprabha, sharkaraprabha, valukaprabha, pamkaprabha, dhumaprabha, tamahprabha, tamastamahprabha aura ishatpragbhara prithvi mem. Adholoka mem – patalom, bhavanom, bhavanom ke prastatom, narakom, narakavaliyom evam naraka ke prastatom mem. Urdhva – loka mem – kalpom, vimanom, vimanavaliyom aura vimana ke prastatom mem. Tiryakloka mem – tamkom, kutom, shailom, shikhari – parvatom, pragbharom, vijayom, vakshaskara parvatom, varshakshetrom, varshadharaparvatom, velaom, vedikaom, dvarom, toranom, dvipom aura samudrom mem. Upapata, samudghata mem aura svasthana ki apeksha se loka ke asamkhyatavem bhaga mem hai. Bhagavan ! Badaraprithvikayikom ke aparyaptakom ke sthana kaham kahe haim\? Gautama ! Badaraprithvikayika – paryaptakom ke samana unake aparyaptakom ke sthana haim. Upapata aura samudghata ki apeksha se samasta loka mem tatha svasthana ki apeksha se loka ke asamkhyatavem bhagamem haim. Gautama! Sukshmaprithvikayika, jo paryaptaka haim aura jo aparyaptaka haim, ve saba eka hi prakara ke haim, visheshatarahita haim, nanatva se rahita haim aura he ayushman shramano ! Ve samagra loka mem parivyapta haim. Bhagavan ! Badara apkayika – paryaptakom ke sthana kaham haim\? Gautama ! (1) svasthana ki apeksha se – sata ghanodadhiyom aura sata ghanodadhi – valayom mem. Adholoka mem – patalom mem, bhavanom mem tatha bhavanom ke prastatom mem. Urdhvaloka mem – kalpom, vimanom, vimanavaliyom aura vimanom ke prastatom mem haim. Tiryagloka mem – avatom, talabom, nadiyom, hradom, vapiyom, pushkariniyom, dirghikaom, gumjalikaom, sarovarom, sarahsarahpamktiyom, bilom, ujjharom, nirjharom, gaddhom, pokharom, vaprom, dvipom, samudrom, jalashayom aura jalasthanom mem. Upapata, samudghata aura svasthana ki apeksha se loka ke asamkhyatavem bhaga mem hote haim. Bhagavan ! Badara – apkayikom ke aparyaptakom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Badara – apkayika – paryaptakom ke sthana samana unake aparyaptakom ke sthana haim. Upapata aura samudghata ki apeksha se sarvaloka mem aura svasthana ki apeksha se loka ke asamkhyatavem bhaga mem hote haim. Bhagavan ! Sukshma – apkayikom ke paryaptakom aura aparyaptakom ke sthana kaham kahe haim\? Gautama ! Sukshma – apkayikom ke jo paryaptaka aura aparyaptaka haim, ve sabhi eka prakara ke aura nanatva se rahita haim, ve sarvalokavyapi haim. Bhagavan ! Badara tejaskayika – paryaptaka jivom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Svasthana ki apeksha se – manushya – kshetra ke andara rhai dvipa – samudrom mem, nirvyaghata se pandraha karmabhumiyom mem, vyaghata se – pamcha mahavidehom mem. Upapata ki apeksha se loka, samudghata tatha svasthana ki apeksha se loka ke asamkhyatavem bhaga mem haim. Bhagavan ! Badara tejaskayikom ke aparyaptakom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Badara tejaskayikom ke paryaptakom ke sthana samana unake aparyaptakom ke sthana haim. Upapata apeksha se – (ve) loka ke do urdhvakapatom mem tatha tiryagloka ke tatta mem evam samudghata ki apeksha se – sarvaloka mem tatha svasthana ki apeksha se loka ke asamkhyatavem bhaga mem hote haim. Bhagavan ! Sukshma tejaskayikom ke paryaptakom aura aparyaptakom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Sukshma tejaskayika, jo paryapta aura aparyapta haim, ve saba eka hi prakara ke, avishesha aura nanatva rahita haim, ve sarvalokavyapi haim. |