Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006176 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सर्व जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
सर्व जीव प्रतिपत्ति |
Section : | त्रिविध सर्वजीव | Translated Section : | त्रिविध सर्वजीव |
Sutra Number : | 376 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अहवा तिविहा सव्वजीवा पन्नत्ता–परित्ता अपरित्ता नोपरित्तानोअपरित्ता। परित्ते णं भंते! परित्तेत्ति कालतो केवचिरं होति? परित्ते दुविहे पन्नत्ते–कायपरित्ते य संसार-परित्ते य। कायपरित्ते णं भंते! कायपरित्तेत्ति कालतो केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुढविकालो। संसारपरित्ते णं भंते! संसारपरित्तेत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अनंतं कालं जाव अवड्ढं पोग्गलपरियट्टं देसूणं। अपरित्ते णं भंते! अपरित्तेत्ति कालओ केवचिरं होति? अपरित्ते दुविहे पन्नत्ते–कायअपरित्ते य संसारअपरित्ते य। कायअपरित्ते जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। संसारापरित्ते दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–अनादीए वा अपज्जवसिते, अनादीए वा सपज्जवसिते। नोपरित्तेनोअपरित्ते सादीए अपज्जवसिते। कायपरित्तस्स जहन्नेणं अंतरं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। संसारपरित्तस्स नत्थि अंतरं। कायापरित्तस्स जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुढविकालो। संसारापरित्तस्स अणाइयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, अणाइयस्स सपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, नोपरित्तनोअपरित्तस्सवि नत्थि अंतरं। अप्पाबहुयं–सव्वत्थोवा परित्ता, णोपरित्तानोअपरित्ता अनंतगुणा, अपरित्ता अनंतगुणा। | ||
Sutra Meaning : | अथवा सर्व जीव तीन प्रकार के हैं – परित्त, अपरित्त और नोपरित्त – नोअपरित्त। परित्त दो प्रकार के हैं – कायपरित्त और संसारपरित्त। भगवन् ! कायपरित्त, कायपरित्त के रूप में कितने काल तक रहता है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से असंख्येय काल तक यावत् असंख्येय लोक। भन्ते ! संसारपरित्त, संसारपरित्त के रूप में कितने काल तक रहता है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से अनन्तकाल जो यावत् देशोन अपार्धपुद्गलपरावर्त रूप है। भगवन् ! अपरित्त, अपरित्त के रूप में कितने काल तक रहता है ? गौतम ! अपरित्त दो प्रकार के हैं – काय – अपरित्त और संसार – अपरित्त। भगवन् ! काय – अपरित्त, काय – अपरित्त के रूप में कितने काल रहता है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से अनन्तकाल अर्थात् वनस्पतिकाल तक। संसार – अपत्ति दो प्रकार के हैं – अनादि – अपर्यवसित और अनादि – सपर्यवसित। नोपरित्त – नोअपरित्त सादि – अपर्यवसित हैं। कायपरित्त का जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त्त है और उत्कृष्ट अन्तर वनस्पतिकाल है। संसारपरित्त का अन्तर नहीं है। काय – अपरित्त का जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त्त है और उत्कृष्ट अन्तर असंख्येयकाल अर्थात् पृथ्वीकाल है। अनादि – अपर्यवसित, परित्त, अनादि – सपर्यवसित, संसारापरित्त, अनादि – सपर्यवसित, संसारापरित्त तथा नोपरित्त – नोअपरित्त का अन्तर नहीं है। अल्पबहुत्व में सबसे थोड़े परित्त हैं, नोपरित्त – नोअपरित्त अनन्तगुण हैं और अपरित्त अनन्तगुण हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ahava tiviha savvajiva pannatta–paritta aparitta noparittanoaparitta. Paritte nam bhamte! Parittetti kalato kevachiram hoti? Paritte duvihe pannatte–kayaparitte ya samsara-paritte ya. Kayaparitte nam bhamte! Kayaparittetti kalato kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam pudhavikalo. Samsaraparitte nam bhamte! Samsaraparittetti kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam anamtam kalam java avaddham poggalapariyattam desunam. Aparitte nam bhamte! Aparittetti kalao kevachiram hoti? Aparitte duvihe pannatte–kayaaparitte ya samsaraaparitte ya. Kayaaparitte jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam vanassatikalo. Samsaraparitte duvihe pannatte, tam jaha–anadie va apajjavasite, anadie va sapajjavasite. Noparittenoaparitte sadie apajjavasite. Kayaparittassa jahannenam amtaram amtomuhuttam, ukkosenam vanassatikalo. Samsaraparittassa natthi amtaram. Kayaparittassa jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam pudhavikalo. Samsaraparittassa anaiyassa apajjavasiyassa natthi amtaram, anaiyassa sapajjavasiyassa natthi amtaram, noparittanoaparittassavi natthi amtaram. Appabahuyam–savvatthova paritta, noparittanoaparitta anamtaguna, aparitta anamtaguna. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Athava sarva jiva tina prakara ke haim – paritta, aparitta aura noparitta – noaparitta. Paritta do prakara ke haim – kayaparitta aura samsaraparitta. Bhagavan ! Kayaparitta, kayaparitta ke rupa mem kitane kala taka rahata hai\? Gautama ! Jaghanya se antarmuhurtta aura utkarsha se asamkhyeya kala taka yavat asamkhyeya loka. Bhante ! Samsaraparitta, samsaraparitta ke rupa mem kitane kala taka rahata hai\? Gautama ! Jaghanya se antarmuhurtta aura utkarsha se anantakala jo yavat deshona apardhapudgalaparavarta rupa hai. Bhagavan ! Aparitta, aparitta ke rupa mem kitane kala taka rahata hai\? Gautama ! Aparitta do prakara ke haim – kaya – aparitta aura samsara – aparitta. Bhagavan ! Kaya – aparitta, kaya – aparitta ke rupa mem kitane kala rahata hai\? Gautama ! Jaghanya se antarmuhurtta aura utkarsha se anantakala arthat vanaspatikala taka. Samsara – apatti do prakara ke haim – anadi – aparyavasita aura anadi – saparyavasita. Noparitta – noaparitta sadi – aparyavasita haim. Kayaparitta ka jaghanya antara antarmuhurtta hai aura utkrishta antara vanaspatikala hai. Samsaraparitta ka antara nahim hai. Kaya – aparitta ka jaghanya antara antarmuhurtta hai aura utkrishta antara asamkhyeyakala arthat prithvikala hai. Anadi – aparyavasita, paritta, anadi – saparyavasita, samsaraparitta, anadi – saparyavasita, samsaraparitta tatha noparitta – noaparitta ka antara nahim hai. Alpabahutva mem sabase thore paritta haim, noparitta – noaparitta anantaguna haim aura aparitta anantaguna haim. |