Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006166 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अष्टविध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
अष्टविध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 366 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तत्थ जेते एवमाहंसु अट्ठविहा संसारसमावन्नगा जीवा ते एवमाहंसु–पढमसमयनेरइया अपढमसमय-नेरइया पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढमसमयतिरिक्खजोणिया पढमसमयमनुस्सा अपढम-समयमनुस्सा पढमसमयदेवा अपढमसमयदेवा। पढमसमयनेरइयस्स णं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! एगं समयं ठिती पन्नत्ता। अपढमसमयनेरइयस्स जहन्नेणं दसवाससहस्साइं समयूणाइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं समयूणाइं। एवं सव्वेसिं पढमसमयगाणं एगं समयं। अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयूणं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं समयूणाइं। मनुस्साणं जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयूणं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं समयूणाइं। देवाणं जहा नेरइयाणं। नेरइयदेवाणं जच्चेव ठिती सच्चेव संचिट्ठणावि। पढमसमयतिरिक्खजोणिए णं भंते! पढमसमयतिरिक्खजोणिएत्ति कालओ केवचिरं होती? गोयमा! एक्कं समयं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयूणं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। पढमसमयमनुस्साणं एक्कं समयं। अपढमसमयमनुस्साणं जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयूणं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहत्तमब्भहियाइं। अंतरं–पढमसमयनेरइयस्स जहन्नेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। अपढमसमयनेरइयस्स जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। पढमसमयतिरिक्खजोणियस्स जहन्नेणं दो खुड्डागाइं भवग्गहणाइं समयूणाइं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहत्तं सातिरेगं। पढमसमयमनुस्सस्स जहन्नेणं दो खुड्डाइं भवग्गहणाइं समयूणाइं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। अपढमसमयमनुस्सस्स जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। देवा जहा नेरइया। अप्पाबहुगं–एतेसि णं भंते! पढमसमयनेरइयाणं जाव पढमसमयदेवाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयमनुस्सा, पढमसमय-नेरइया असंखेज्जगुणा, पढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा अपढमसमयनेरइयाणं जाव अपढमसमयदेवाणं एवं चेव अप्पाबहुं, नवरिं–अपढम-समयतिरिक्खजोणिया अनंतगुणा। एतेसिं पढमसमयनेरइयाणं अपढमसमयनेरइयाणं य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सव्वत्थोवा पढमसमयनेरइया, अपढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा। एवं सव्वे, नवरं–अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अनंतगुणा। पढमसमयनेरइयाणं जाव अपढमसमयदेवाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सव्वत्थोवा पढमसमयमनुस्सा, अपढमसमयमनुस्सा असंखेज्जगुणा, पढम-समयनेरइया असंखेज्जगुणा, पढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखे-ज्जगुणा, अपढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा, अपढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, अपढमसमय-तिरिक्खजोणिया अनंतगुणा। सेत्तं अट्ठविहा संसारसमावन्नगा जीवा। | ||
Sutra Meaning : | जो आचार्यादि ऐसा कहते हैं कि संसारसमापन्नक जीव आठ प्रकार के हैं, उनके अनुसार – १. प्रथमसमय – नैरयिक, २. अप्रथमसमयनैरयिक, ३. प्रथमसमयतिर्यग्योनिक, ४. अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक, ५. प्रथमसमय मनुष्य ६. अप्रथमसमयमनुष्य, ७. प्रथमसमयदेव और ८. अप्रथमसमयदेव। स्थिति – भगवन् ! प्रथमसमयनैरयिक की स्थिति कितनी है ? गौतम ! जघन्य और उत्कृष्ट से एक समय। अप्रथमसमयनैरयिक की जघन्यस्थिति एक समय कम दस हजार वर्ष और उत्कर्ष से एक समय कम तेंतीस सागरोपम की है। प्रथमसमयतिर्यग्योनिक की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी एक समय है। अप्रथमसमयतिर्यग् – योनिक की जघन्य स्थिति एक समय कम क्षुल्लकभवग्रहण और उत्कृष्ट स्थिति एक समय कम तीन पल्योपम। इसी प्रकार मनुष्यों की स्थिति तिर्यग्योनिकों के समान और देवों की स्थिति नैरयिकों के समान है। नैरयिक और देवों की जो स्थिति है, वही दोनों प्रकार के नैरयिकों और देवों की कायस्थिति है। भगवन् ! प्रथमसमयतिर्यग्योनिक उसी रूप में कितने समय तक रह सकता है ? गौतम ! जघन्य और उत्कर्ष से भी एक समय। अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक जघन्य से एक समय कम क्षुल्लकभव और उत्कृष्ट से वनस्पतिकाल तक। प्रथमसमयमनुष्य जघन्य और उत्कृष्ट से एक समय तक और अप्रथमसमयमनुष्य जघन्य से एक समय कम क्षुल्लकभवग्रहण पर्यन्त और उत्कर्ष से एक समय कम पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक तीन पल्योपम तक रह सकता है। अन्तरद्वार – प्रथमसमयनैरयिक का जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त्त अधिक दस हजार वर्ष है, उत्कृष्ट अन्तर वनस्पतिकाल है। अप्रथमसमयनैरयिक का जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल। प्रथमसमयतिर्यक्योनिक का जघन्य एक समय कम दो क्षुल्लकभवग्रहण और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल। अप्रथमसमयतिर्यक्योनिक का जघन्य समयाधिक एक क्षुल्लकभवग्रहण है और उत्कृष्ट सागरोपम शतपृथक्त्व से कुछ अधिक। प्रथमसमय – मनुष्य का जघन्य एक समय कम दो क्षुल्लकभव है, उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। अप्रथमसमयमनुष्य का जघन्य समयाधिक क्षुल्लकभव है और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। देवों के सम्बन्ध में नैरयिकों की तरह कहना। सबसे थोड़े प्रथमसमयमनुष्य, उनसे प्रथमसमयनैरयिक असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयदेव असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमय – तिर्यक्योनिक असंख्येयगुण। अप्रथमसमयनैरयिकों यावत् अप्रथमसमयदेवों का अल्पबहुत्व उक्त क्रम से ही है, किन्तु अप्रथमसमयतिर्यक्योनिक अनन्तगुण कहना। भगवन् ! प्रथमसमयनैरयिकों और अप्रथमसमयनैरयिकों में? सबसे थोड़े प्रथमसमयनैरयिक, उनसे अप्रथमसमयनैरयिक असंख्येयगुण हैं। इसी प्रकार तिर्यक्योनिक, मनुष्य और देवों का अल्पबहुत्व कहना। भगवन् ! प्रथमसमयनैरयिकों यावत् अप्रथमसमयदेवों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयमनुष्य, उनसे अप्रथमसमयमनुष्य असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयनैरयिक असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयदेव असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयतिर्यक्योनिक असंख्येयगुण, उनसे अप्रथमसमयनैरयिक असंख्येयगुण, उनसे अप्रथमसमयदेव असंख्येयगुण, उनसे अप्रथमसमय तिर्यक्योनिक अनन्तगुण हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tattha jete evamahamsu atthaviha samsarasamavannaga jiva te evamahamsu–padhamasamayaneraiya apadhamasamaya-neraiya padhamasamayatirikkhajoniya apadhamasamayatirikkhajoniya padhamasamayamanussa apadhama-samayamanussa padhamasamayadeva apadhamasamayadeva. Padhamasamayaneraiyassa nam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Egam samayam thiti pannatta. Apadhamasamayaneraiyassa jahannenam dasavasasahassaim samayunaim, ukkosenam tettisam sagarovamaim samayunaim. Evam savvesim padhamasamayaganam egam samayam. Apadhamasamayatirikkhajoniyanam jahannenam khuddagam bhavaggahanam samayunam, ukkosenam tinni paliovamaim samayunaim. Manussanam jahannenam khuddagam bhavaggahanam samayunam, ukkosenam tinni paliovamaim samayunaim. Devanam jaha neraiyanam. Neraiyadevanam jachcheva thiti sachcheva samchitthanavi. Padhamasamayatirikkhajonie nam bhamte! Padhamasamayatirikkhajonietti kalao kevachiram hoti? Goyama! Ekkam samayam Apadhamasamayatirikkhajoniyanam jahannenam khuddagam bhavaggahanam samayunam, ukkosenam vanassatikalo. Padhamasamayamanussanam ekkam samayam. Apadhamasamayamanussanam jahannenam khuddagam bhavaggahanam samayunam, ukkosenam tinni paliovamaim puvvakodipuhattamabbhahiyaim. Amtaram–padhamasamayaneraiyassa jahannenam dasavasasahassaim amtomuhattamabbhahiyaim, ukkosenam vanassatikalo. Apadhamasamayaneraiyassa jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam vanassatikalo. Padhamasamayatirikkhajoniyassa jahannenam do khuddagaim bhavaggahanaim samayunaim, ukkosenam vanassatikalo. Apadhamasamayatirikkhajoniyassa jahannenam khuddagam bhavaggahanam samayahiyam, ukkosenam sagarovamasatapuhattam satiregam. Padhamasamayamanussassa jahannenam do khuddaim bhavaggahanaim samayunaim, ukkosenam vanassatikalo. Apadhamasamayamanussassa jahannenam khuddagam bhavaggahanam samayahiyam, ukkosenam vanassatikalo. Deva jaha neraiya. Appabahugam–etesi nam bhamte! Padhamasamayaneraiyanam java padhamasamayadevana ya katare katarehimto appa va bahuya va tulla va visesahiya va? Goyama! Savvatthova padhamasamayamanussa, padhamasamaya-neraiya asamkhejjaguna, padhamasamayadeva asamkhejjaguna, padhamasamayatirikkhajoniya asamkhejjaguna Apadhamasamayaneraiyanam java apadhamasamayadevanam evam cheva appabahum, navarim–apadhama-samayatirikkhajoniya anamtaguna. Etesim padhamasamayaneraiyanam apadhamasamayaneraiyanam ya kayare kayarehimto appa va bahuya va tulla va visesahiya va? Savvatthova padhamasamayaneraiya, apadhamasamayaneraiya asamkhejjaguna. Evam savve, navaram–apadhamasamayatirikkhajoniya anamtaguna. Padhamasamayaneraiyanam java apadhamasamayadevana ya kayare kayarehimto appa va bahuya va tulla va visesahiya va? Savvatthova padhamasamayamanussa, apadhamasamayamanussa asamkhejjaguna, padhama-samayaneraiya asamkhejjaguna, padhamasamayadeva asamkhejjaguna, padhamasamayatirikkhajoniya asamkhe-jjaguna, apadhamasamayaneraiya asamkhejjaguna, apadhamasamayadeva asamkhejjaguna, apadhamasamaya-tirikkhajoniya anamtaguna. Settam atthaviha samsarasamavannaga jiva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo acharyadi aisa kahate haim ki samsarasamapannaka jiva atha prakara ke haim, unake anusara – 1. Prathamasamaya – nairayika, 2. Aprathamasamayanairayika, 3. Prathamasamayatiryagyonika, 4. Aprathamasamayatiryagyonika, 5. Prathamasamaya manushya 6. Aprathamasamayamanushya, 7. Prathamasamayadeva aura 8. Aprathamasamayadeva. Sthiti – bhagavan ! Prathamasamayanairayika ki sthiti kitani hai\? Gautama ! Jaghanya aura utkrishta se eka samaya. Aprathamasamayanairayika ki jaghanyasthiti eka samaya kama dasa hajara varsha aura utkarsha se eka samaya kama temtisa sagaropama ki hai. Prathamasamayatiryagyonika ki sthiti jaghanya aura utkrishta bhi eka samaya hai. Aprathamasamayatiryag – yonika ki jaghanya sthiti eka samaya kama kshullakabhavagrahana aura utkrishta sthiti eka samaya kama tina palyopama. Isi prakara manushyom ki sthiti tiryagyonikom ke samana aura devom ki sthiti nairayikom ke samana hai. Nairayika aura devom ki jo sthiti hai, vahi donom prakara ke nairayikom aura devom ki kayasthiti hai. Bhagavan ! Prathamasamayatiryagyonika usi rupa mem kitane samaya taka raha sakata hai\? Gautama ! Jaghanya aura utkarsha se bhi eka samaya. Aprathamasamayatiryagyonika jaghanya se eka samaya kama kshullakabhava aura utkrishta se vanaspatikala taka. Prathamasamayamanushya jaghanya aura utkrishta se eka samaya taka aura aprathamasamayamanushya jaghanya se eka samaya kama kshullakabhavagrahana paryanta aura utkarsha se eka samaya kama purvakotiprithaktva adhika tina palyopama taka raha sakata hai. Antaradvara – prathamasamayanairayika ka jaghanya antara antarmuhurtta adhika dasa hajara varsha hai, utkrishta antara vanaspatikala hai. Aprathamasamayanairayika ka jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta vanaspatikala. Prathamasamayatiryakyonika ka jaghanya eka samaya kama do kshullakabhavagrahana aura utkrishta vanaspatikala. Aprathamasamayatiryakyonika ka jaghanya samayadhika eka kshullakabhavagrahana hai aura utkrishta sagaropama shataprithaktva se kuchha adhika. Prathamasamaya – manushya ka jaghanya eka samaya kama do kshullakabhava hai, utkrishta vanaspatikala hai. Aprathamasamayamanushya ka jaghanya samayadhika kshullakabhava hai aura utkrishta vanaspatikala hai. Devom ke sambandha mem nairayikom ki taraha kahana. Sabase thore prathamasamayamanushya, unase prathamasamayanairayika asamkhyeyaguna, unase prathamasamayadeva asamkhyeyaguna, unase prathamasamaya – tiryakyonika asamkhyeyaguna. Aprathamasamayanairayikom yavat aprathamasamayadevom ka alpabahutva ukta krama se hi hai, kintu aprathamasamayatiryakyonika anantaguna kahana. Bhagavan ! Prathamasamayanairayikom aura aprathamasamayanairayikom mem? Sabase thore prathamasamayanairayika, unase aprathamasamayanairayika asamkhyeyaguna haim. Isi prakara tiryakyonika, manushya aura devom ka alpabahutva kahana. Bhagavan ! Prathamasamayanairayikom yavat aprathamasamayadevom mem kauna kisase alpa, bahuta, tulya ya visheshadhika haim\? Gautama ! Sabase thore prathamasamayamanushya, unase aprathamasamayamanushya asamkhyeyaguna, unase prathamasamayanairayika asamkhyeyaguna, unase prathamasamayadeva asamkhyeyaguna, unase prathamasamayatiryakyonika asamkhyeyaguna, unase aprathamasamayanairayika asamkhyeyaguna, unase aprathamasamayadeva asamkhyeyaguna, unase aprathamasamaya tiryakyonika anantaguna haim. |