Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006087
Scripture Name( English ): Jivajivabhigam Translated Scripture Name : जीवाभिगम उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

Translated Chapter :

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

Section : चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप Translated Section : चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप
Sutra Number : 287 Category : Upang-03
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] मानुसुत्तरे णं भंते! पव्वते केवतियं उड्ढं उच्चत्तेणं? केवतियं उव्वेहेणं? केवतियं मूले विक्खंभेणं? केवतियं मज्झे विक्खंभेणं? केवतियं उवरिं विक्खंभेणं? केवतियं अंतो गिरिपरिरएणं? केवतियं बाहिं गिरिपरिरएणं? केवतियं मज्झे गिरि परिरएणं? केवतियं उवरिं गिरिपरिरएणं? गोयमा! मानुसुत्तरे णं पव्वते सत्तरस एक्कवीसाइं जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, चत्तारि तीसे जोयणसए कोसं च उव्वेहेणं, मूले दसबावीसे जोयणसते विक्खंभेणं, मज्झे सत्ततेवीसे जोयणसते विक्खंभेणं, उवरि चत्तारिचउवीसे जोयणसते विक्खंभेणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं तीसं च सहस्साइं दोन्नि य अउणापण्णे जोयणसते किंचिविसेसाहिए अंतोगिरिपरिरएणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साइं छत्तीसं च सहस्साइं सत्त चोद्दसोत्तरे जोयणसते बाहिं गिरिपरिरएणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साइं चोत्तीसं च सहस्सा अट्ठ य तेवीसुत्तरे जोयणसते मज्झे गिरिपरिरएणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं बत्तीसं च सहस्साइं नव य बत्तीसे जोयणसते उवरि गिरिपरिरएणं, मूले विच्छिण्णे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए अंतो सण्हे मज्झे उदग्गे बाहिं दरिसणिज्जे ईसिं सन्निसन्ने सीहनिसाई अवड्ढजव रासिसंठाणसंठिते सव्व-जंबूनयामए अच्छे सण्हे जाव पडिरूवे। उभओपासिं दोहिं पउमवरवेदियाहिं दोहि य वनसंडेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, वण्णओ दोण्हवि। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति–मानुसुत्तरे पव्वते? मानुसुत्तरे पव्वते? गोयमा! मानुसुत्तरस्स णं पव्वतस्स अंतो मनुस्सा उप्पिं सुवण्णा, बाहिं देवा। अदुत्तरं च णं गोयमा! मानुसुत्तरं पव्वतं मनुस्सा ण कयाइ वीतिवइंसु वा वीतिवयंति वा वीतिवइस्संति वा नन्नत्थ चारणेण वा विज्जाहरेण वा देवकम्मुणा वा। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चति–मानुसुत्तरे पव्वते, मानुसुत्तरे पव्वते। अदुत्तरं च णं जाव निच्चे। जावं च णं मानुसुत्तरे पव्वते तावं च णं अस्सिं लोए त्ति पवुच्चति। जावं च णं वासाति वा वासधरपव्वताति वा तावं च णं अस्सिं लोएति पवुच्चति। जावं च णं गेहाइ वा गेहावय नाति वा तावं च णं अस्सिं लोएति पवुच्चति। जावं च णं गामाति वा जाव सन्निवेसाति वा तावं च णं अस्सिं लोएत्ति पवुच्चति। जावं च णं अरहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा चारणा विज्जाहरा समणा समणीओ सावया सावियाओ मनुया पगतिभद्दगा पगतिविनीया पगतिउवसंता पगतिपयणुकोहमानमायालोभा मिउमद्दवसंपन्ना अल्लीणा भद्दगा विनीता तावं च णं अस्सिं लोएत्ति पवुच्चति। जावं च णं बहवे ओराला बलाहका संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति तावं च णं अस्सिं लोएत्ति पवुच्चति। जावं च णं बादरे विज्जुकारे बादरे थणियसद्दे तावं च णं अस्सिं लोएत्ति पवुच्चति। जावं च णं बायरे अगनिकाए तावं च णं अस्सिं लोएत्ति पवुच्चति। ... ...जावं च णं आगराति वा नदीओइ वा णिहीति वा तावं च णं अस्सिं लोएत्ति पवुच्चति जावं च णं समयाति वा आबलियाति वा आणापाणूति वा थोवाइ वा लवाइ वा मुहुत्ताइ वा दिवसाति वा अहोरत्ताति वा पक्खाति वा मासाति वा उदूति वा अयणाति वा संवच्छराति वा जुगाति वा वाससताति वा वाससहस्साति वा वाससयसहस्साति वा पुव्वंगाति वा पुव्वाति वा तुडियंगाति वा, एवं पुव्वे तुडिए अडडे अववे हूहुए उप्पले पउमे णलिणे अत्थणिउरे अउते नउत्ते पउत्ते चूलिया सीसपहेलिया जाव य सीसपहेलियंगेति वा सीसपहेलियाति वा पलिओवमेति वा सागरोवमेति वा ओसप्पिणीति वा उस्सप्पिणीति वा तावं च णं अस्सिं लोएत्ति पवुच्चति। जावं च णं चंदोवरागाति वा सूरोवरागाति वा चंदपरिएसाति वा सूरपरिएसाति वा पडिचंदाति वा पडिसूराति वा इंदधणूइ वा उदगमच्छेइ वा अमोहाइ वा कपिहसिताणि वा तावं च णं अस्सिं लोएत्ति पवुच्चति। जावं च णं चंदिमसूरियगहगण-नक्खत्ततारारूवाणं अभिगमननिग्गमनवुड्ढिणिवुड्ढिअनवट्ठियसंठाणसंठिती आघविज्जति तावं च णं अस्सिं लोएति पवुच्चति।
Sutra Meaning : हे भगवन्‌ ! मानुषोत्तरपर्वत की ऊंचाई कितनी है ? उसकी जमीन में गहराई कितनी है ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! मानुषोत्तरपर्वत १७२१ योजन पृथ्वी से ऊंचा है। ४३० योजन और एक कोस पृथ्वी में गहरा है। यह मूल में १०२२ योजन चौड़ा है, मध्य में ७२३ योजन चौड़ा और ऊपर ४२४ योजन चौड़ा है। पृथ्वी के भीतर की इसकी परिधि १,४२,३०,२४९ योजन है। बाह्यभाग में नीचे की परिधि १,४२,३६,७१४ योजन है। मध्य में १,४२,३४,८२३ योजन की है। ऊपर की परिधि १,४२,३२,९३२ योजन की है। यह पर्वत मूल में विस्तीर्ण, मध्यमें संक्षिप्त, ऊपर पतला है। यह भीतर से चिकना है, मध्यमें प्रधान, बाहर से दर्शनीय है। यह पर्वत जैसे सिंह अपने आगे के दोनों पैरों को लम्बा करके पीछे के दोनों पैरों को सिकोड़कर बैठता है, उस रीति से बैठा हुआ है। यह पर्वत आधे यव की राशि के आकार का। यह पर्वत पूर्णरूप से जांबूदनमय है, आकाश और स्फटिकमणि की तरह निर्मल है, चिकना है यावत्‌ प्रतिरूप है। इसके दोनों ओर दो पद्मवरवेदिकाएं और दो वनखण्ड इसे सब ओर से घेरे हुए स्थित हैं। हे भगवन्‌ ! यह मानुषोत्तरपर्वत क्यों कहलाता है ? गौतम ! मानुषोत्तर पर्वत के अन्दर – अन्दर मनुष्य रहते हैं, इसके ऊपर सुपर्णकुमार देव रहते हैं और इससे बाहर देव रहते हैं। इस पर्वत के बाहर मनुष्य न तो कभी गये हैं, न कभी जाते हैं और न कभी जाएंगे, केवल जंघाचारण और विद्याचारण मुनि तथा देवों द्वारा संहरण किये मनुष्य ही इस पर्वत से बाहर जा सकते हैं। इसलिए, अथवा हे गौतम ! यह नाम शाश्वत है। जहाँ तक यह मानुषोत्तरपर्वत है वहीं तक यह मनुष्य – लोक है। जहाँ तक भरतादि क्षेत्र और वर्षधर पर्वत है, जहाँ तक घर या दुकान आदि हैं, जहाँ तक ग्राम यावत्‌ राजधानी है, जहाँ तक अरिहंत, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव, प्रतिवासुदेव, जंघाचारण मुनि, विद्याचारण मुनि, श्रमण, श्रमणियाँ, श्रावक, श्राविकाएं और प्रकृति से भद्र विनीत मनुष्य हैं, वहाँ तक मनुष्यलोक है जहाँ तक समय, आवलिका, आन – प्राण, स्तोक, लव, मुहूर्त्त, दिन, अहोरात्र, पक्ष, मास, ऋतु, अयन, संवत्सर, युग, सौवर्ष, हजारवर्ष, लाखवर्ष, पूर्वांग, पूर्व, त्रुटितांग, त्रुटित, इसी क्रम से यावत्‌ शीर्षप्रहेलिका, पल्योपम, सागरोपम, अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी काल है, वहाँ तक मनुष्यलोक है। जहाँ तक बादर विद्युत और बादर स्तनित है, जहाँ तक बहुत से उदार – बड़े मेघ उत्पन्न होते हैं, सम्मूर्च्छित होते हैं, वर्षा बरसाते हैं, जहाँ तक बादर तेजस्काय है, जहाँ तक खान, नदियाँ और निधियाँ हैं, कुए, तालाब आदि हैं, वहाँ तक मनुष्यलोक है। जहाँ तक चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण, चन्द्रपरिवेष, सूर्यपरिवेष, प्रतिचन्द्र, प्रतिसूर्य, इन्द्रधनुष, उदकमत्स्य और कपिहसित आदि हैं, जहाँ तक चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और ताराओं का अभिगमन, निर्गमन, चन्द्र की वृद्धि – हानि तथा चन्द्रादि की सतत गतिशीलता रूप स्थिति है, वहाँ तक मनुष्यलोक है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] manusuttare nam bhamte! Pavvate kevatiyam uddham uchchattenam? Kevatiyam uvvehenam? Kevatiyam mule vikkhambhenam? Kevatiyam majjhe vikkhambhenam? Kevatiyam uvarim vikkhambhenam? Kevatiyam amto giripariraenam? Kevatiyam bahim giripariraenam? Kevatiyam majjhe giri pariraenam? Kevatiyam uvarim giripariraenam? Goyama! Manusuttare nam pavvate sattarasa ekkavisaim joyanasayaim uddham uchchattenam, chattari tise joyanasae kosam cha uvvehenam, mule dasabavise joyanasate vikkhambhenam, majjhe sattatevise joyanasate vikkhambhenam, uvari chattarichauvise joyanasate vikkhambhenam, ega joyanakodi bayalisam cha sayasahassaim tisam cha sahassaim donni ya aunapanne joyanasate kimchivisesahie amtogiripariraenam, ega joyanakodi bayalisam cha satasahassaim chhattisam cha sahassaim satta choddasottare joyanasate bahim giripariraenam, ega joyanakodi bayalisam cha satasahassaim chottisam cha sahassa attha ya tevisuttare joyanasate majjhe giripariraenam, ega joyanakodi bayalisam cha sayasahassaim battisam cha sahassaim nava ya battise joyanasate uvari giripariraenam, mule vichchhinne majjhe samkhitte uppim tanue amto sanhe majjhe udagge bahim darisanijje isim sannisanne sihanisai avaddhajava rasisamthanasamthite savva-jambunayamae achchhe sanhe java padiruve. Ubhaopasim dohim paumavaravediyahim dohi ya vanasamdehim savvato samamta samparikkhitte, vannao donhavi. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati–manusuttare pavvate? Manusuttare pavvate? Goyama! Manusuttarassa nam pavvatassa amto manussa uppim suvanna, bahim deva. Aduttaram cha nam goyama! Manusuttaram pavvatam manussa na kayai vitivaimsu va vitivayamti va vitivaissamti va nannattha charanena va vijjaharena va devakammuna va. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchati–manusuttare pavvate, manusuttare pavvate. Aduttaram cha nam java nichche. Javam cha nam manusuttare pavvate tavam cha nam assim loe tti pavuchchati. Javam cha nam vasati va vasadharapavvatati va tavam cha nam assim loeti pavuchchati. Javam cha nam gehai va gehavaya nati va tavam cha nam assim loeti pavuchchati. Javam cha nam gamati va java sannivesati va tavam cha nam assim loetti pavuchchati. Javam cha nam arahamta chakkavatti baladeva vasudeva charana vijjahara samana samanio savaya saviyao manuya pagatibhaddaga pagativiniya pagatiuvasamta pagatipayanukohamanamayalobha miumaddavasampanna allina bhaddaga vinita tavam cha nam assim loetti pavuchchati. Javam cha nam bahave orala balahaka samseyamti sammuchchhamti vasam vasamti tavam cha nam assim loetti pavuchchati. Javam cha nam badare vijjukare badare thaniyasadde tavam cha nam assim loetti pavuchchati. Javam cha nam bayare aganikae tavam cha nam assim loetti pavuchchati.. ..Javam cha nam agarati va nadioi va nihiti va tavam cha nam assim loetti pavuchchati javam cha nam samayati va abaliyati va anapanuti va thovai va lavai va muhuttai va divasati va ahorattati va pakkhati va masati va uduti va ayanati va samvachchharati va jugati va vasasatati va vasasahassati va vasasayasahassati va puvvamgati va puvvati va tudiyamgati va, evam puvve tudie adade avave huhue uppale paume naline atthaniure aute nautte pautte chuliya sisapaheliya java ya sisapaheliyamgeti va sisapaheliyati va paliovameti va sagarovameti va osappiniti va ussappiniti va tavam cha nam assim loetti pavuchchati. Javam cha nam chamdovaragati va surovaragati va chamdapariesati va surapariesati va padichamdati va padisurati va imdadhanui va udagamachchhei va amohai va kapihasitani va tavam cha nam assim loetti pavuchchati. Javam cha nam chamdimasuriyagahagana-nakkhattatararuvanam abhigamananiggamanavuddhinivuddhianavatthiyasamthanasamthiti aghavijjati tavam cha nam assim loeti pavuchchati.
Sutra Meaning Transliteration : He bhagavan ! Manushottaraparvata ki umchai kitani hai\? Usaki jamina mem gaharai kitani hai\? Ityadi prashna. Gautama ! Manushottaraparvata 1721 yojana prithvi se umcha hai. 430 yojana aura eka kosa prithvi mem gahara hai. Yaha mula mem 1022 yojana chaura hai, madhya mem 723 yojana chaura aura upara 424 yojana chaura hai. Prithvi ke bhitara ki isaki paridhi 1,42,30,249 yojana hai. Bahyabhaga mem niche ki paridhi 1,42,36,714 yojana hai. Madhya mem 1,42,34,823 yojana ki hai. Upara ki paridhi 1,42,32,932 yojana ki hai. Yaha parvata mula mem vistirna, madhyamem samkshipta, upara patala hai. Yaha bhitara se chikana hai, madhyamem pradhana, bahara se darshaniya hai. Yaha parvata jaise simha apane age ke donom pairom ko lamba karake pichhe ke donom pairom ko sikorakara baithata hai, usa riti se baitha hua hai. Yaha parvata adhe yava ki rashi ke akara ka. Yaha parvata purnarupa se jambudanamaya hai, akasha aura sphatikamani ki taraha nirmala hai, chikana hai yavat pratirupa hai. Isake donom ora do padmavaravedikaem aura do vanakhanda ise saba ora se ghere hue sthita haim. He bhagavan ! Yaha manushottaraparvata kyom kahalata hai\? Gautama ! Manushottara parvata ke andara – andara manushya rahate haim, isake upara suparnakumara deva rahate haim aura isase bahara deva rahate haim. Isa parvata ke bahara manushya na to kabhi gaye haim, na kabhi jate haim aura na kabhi jaemge, kevala jamghacharana aura vidyacharana muni tatha devom dvara samharana kiye manushya hi isa parvata se bahara ja sakate haim. Isalie, athava he gautama ! Yaha nama shashvata hai. Jaham taka yaha manushottaraparvata hai vahim taka yaha manushya – loka hai. Jaham taka bharatadi kshetra aura varshadhara parvata hai, jaham taka ghara ya dukana adi haim, jaham taka grama yavat rajadhani hai, jaham taka arihamta, chakravarti, baladeva, vasudeva, prativasudeva, jamghacharana muni, vidyacharana muni, shramana, shramaniyam, shravaka, shravikaem aura prakriti se bhadra vinita manushya haim, vaham taka manushyaloka hai Jaham taka samaya, avalika, ana – prana, stoka, lava, muhurtta, dina, ahoratra, paksha, masa, ritu, ayana, samvatsara, yuga, sauvarsha, hajaravarsha, lakhavarsha, purvamga, purva, trutitamga, trutita, isi krama se yavat shirshaprahelika, palyopama, sagaropama, avasarpini aura utsarpini kala hai, vaham taka manushyaloka hai. Jaham taka badara vidyuta aura badara stanita hai, jaham taka bahuta se udara – bare megha utpanna hote haim, sammurchchhita hote haim, varsha barasate haim, jaham taka badara tejaskaya hai, jaham taka khana, nadiyam aura nidhiyam haim, kue, talaba adi haim, vaham taka manushyaloka hai. Jaham taka chandragrahana, suryagrahana, chandraparivesha, suryaparivesha, pratichandra, pratisurya, indradhanusha, udakamatsya aura kapihasita adi haim, jaham taka chandra, surya, graha, nakshatra aura taraom ka abhigamana, nirgamana, chandra ki vriddhi – hani tatha chandradi ki satata gatishilata rupa sthiti hai, vaham taka manushyaloka hai.