Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006017 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप | Translated Section : | चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप |
Sutra Number : | 217 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! देवद्दीवगाणं चंदाणं चंददीवा नामं दीवा पन्नत्ता? गोयमा! देवदीवस्स पुरत्थिमिल्लाओ बेइयंताओ देवोदं समुद्दं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं देवदीवगाणं चंदाणं चंददीवा नामं दीवा पन्नत्ता, सच्चेव वत्तव्वया जाव अट्ठो। रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पच्चत्थिमेणं देवदीवं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं देवदीवगाणं चंदाणं चंदाओ नामं रायहाणीओ पन्नत्ताओ। कहि णं भंते! देवद्दीवगाणं सूराणं सूरदीवा नामं दीवा पन्नत्ता? गोयमा! देवदीवस्स पच्चत्थिमिल्लाओ वेइयंताओ देवोदं समुद्दं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं देवदीवगाणं सूराणं सूरदीवा नामं दीवा पन्नत्ता, तधेव, रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरत्थिमेणं देवदीवं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं। कहि णं भंते! देवसमुद्दगाणं चंदाणं चंददीवा नामं दीवा पन्नत्ता? गोयमा! देवोदगस्स समुद्दगस्स पुरत्थिमिल्लाओ वेदियंताओ देवोदगं समुद्दं पच्चत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं तेणेव कमेणं जाव रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पच्चत्थिमेणं देवोदगं समुद्दं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं देवोदगाणं चंदाणं चंदाओ नामं रायहाणीओ पन्नत्ताओ, तं चेव सव्वं। एवं सूराणवि, नवरि–देवोदगस्स पच्चत्थिमिल्लाओ वेइयंताओ देवोदगसमुद्दं पुरत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता रायहाणीओ सगाणंसगाणं दीवाणं पुरत्थिमेणं देवोदगं समुद्दं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं। एवं नागे जक्खे भूतेवि चउण्हं दीवसमुद्दाणं कहि णं भंते सयंभूरमण दोवगाणं चंदाणं चंददीवा नामं दीवा पन्नत्ता सयंभुरमणस्स दीवस्स पुरत्थिमिल्लातो वेतिवंतातो सयंभुरमणोदगं समुद्दं बारस जोयण-सहस्साइं तहेव रायहाणीओ सगाणं वाणं पुरत्थिमेणं सयंभुरमणोदगं समुद्दं पुरत्थिमेणं असंखेज्जाइं जोयण तं चेव एवं सूराणवि सयंभूरमणस्स पच्चत्थिमिलातो वेदिवंताओ रायहाणीओ सकाणं सकाणं दीवाणं पच्चत्थिमिल्लाणं सयंभुरमणोदं समुद्दं असंखेज्जा सेसं तं चेव कहि णं भंते सयंभूरमणसमुद्दकाणं चंदाणं, सयंभुरमणस्स समुद्दस्स पुरत्थिमिल्लाओ वेतियंतातो सयंभुरमणं समुद्दं पच्चत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता सेसं तं चेव एवं सूराणवि सयंभुरमणस्स पच्चत्थिमिल्लाओ सयंभुरमणीदं समुद्दं पुरत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरत्थिमेणं सयंभुरमणं समुद्दं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं सयंभूरमण जाव सूरादेवा। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! देवद्वीपगत चन्द्रों के चन्द्रद्वीप कहाँ है ? गौतम ! देवद्वीप की पूर्वदिशा के वेदिकान्त से देवोद – समुद्र में १२००० योजन आगे जाने पर हैं, इत्यादि पूर्ववत्। अपने ही चन्द्रद्वीपों की पश्चिमदिशा में उसी देवद्वीप में असंख्यात हजार योजन जाने पर वहाँ देवद्वीप के चन्द्रों की चन्द्रा नामक राजधानीयाँ हैं। हे भगवन् ! देवद्वीप के सूर्यों के सूर्यद्वीप कहाँ हैं ? गौतम ! देवद्वीप के पश्चिमी वेदिकान्त से देवोदसमुद्र में १२००० योजन जाने पर हैं। अपने – अपने ही सूर्यद्वीपों की पूर्वदिशा में उसी देवद्वीप में असंख्यात हजार योजन जाने पर उनकी राजधानीयाँ हैं। हे भगवन् ! देवसमुद्रगत चन्द्रों के चन्द्रद्वीप कहाँ हैं ? गौतम ! देवोदकसमुद्र के पूर्वी वेदिकान्त से देवोदक – समुद्र में पश्चिमदिशा में १२००० योजन जाने पर हैं, उनकी राजधानीयाँ अपने – अपने द्वीपों के पश्चिम में देवोदक – समुद्र में असंख्यात हजार योजन जाने पर स्थित हैं। शेष वर्णन विजया राजधानी के समान कहना चाहिए। देव – समुद्रगत सूर्यों के विषय में भी ऐसा ही कहना। विशेषता यह है कि देवोदकसमुद्र के पश्चिमी वेदिकान्त से देवोदक समुद्र में पूर्वदिशा में १२००० योजन जाने पर ये स्थित हैं। इनकी राजधानीयाँ अपने – अपने द्वीपों के पूर्व में देवोक समुद्र में असंख्यात हजार योजन आगे जाने पर आती हैं। इसी प्रकार नाग, यक्ष, भूत और स्वयंभूरमण चारों द्वीपों और चारों समुद्रों के चन्द्र – सूर्यों के द्वीपों में कहना। हे भगवन् ! स्वयंभूरमणद्वीपगत चन्द्रों के चन्द्रद्वीप कहाँ हैं ? गौतम ! स्वयंभूरमणद्वीप के पूर्वीय वेदिकान्त से स्वयंभूरमणसमुद्र में १२००० योजन आगे जाने पर हैं। उनकी राजधानीयाँ अपने – अपने द्वीपों के पूर्व में स्वयंभू – रमणसमुद्र के पूर्वदिशा की ओर असंख्यात हजार योजन जाने पर आती हैं। इसी तरह सूर्यद्वीपों के विषय में भी कहना। विशेषता यह है कि स्वयंभूरमणद्वीप के पश्चिमी वेदिकान्त से स्वयंभूरमणसमुद्र में १२००० योजन आगे जाने पर ये द्वीप स्थित हैं। इनकी राजधानीयाँ अपने – अपने द्वीपों के पश्चिम में स्वयंभूरमणसमुद्र में पश्चिम की ओर असंख्यात हजार योजन जाने पर आती है। हे भगवन् ! स्वयंभूरमणसमुद्र के चन्द्रों के चन्द्रद्वीप कहाँ हैं ? गौतम ! स्वयंभूरमणसमुद्र के पूर्वी वेदिकान्त से स्वयंभूरमणसमुद्र में पश्चिम की ओर १२००० योजन जाने पर हैं। इसी तरह स्वयंभूरमणसमुद्र के सूर्यों के विषय में समझना। विशेषता यह है कि स्वयंभूरमणसमुद्र के पश्चिमी वेदिकान्त से स्वयंभूरमणसमुद्र में पूर्व की ओर १२००० योजन जाने पर सूर्यों के सूर्यद्वीप आते हैं। इनकी राजधानीयाँ अपने – अपने द्वीपों के पूर्व में स्वयंभूरमणसमुद्र में असंख्यात हजार योजन आगे जाने पर आती हैं यावत् वहाँ सूर्यदेव हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Devaddivaganam chamdanam chamdadiva namam diva pannatta? Goyama! Devadivassa puratthimillao beiyamtao devodam samuddam barasa joyanasahassaim ogahitta, ettha nam devadivaganam chamdanam chamdadiva namam diva pannatta, sachcheva vattavvaya java attho. Rayahanio saganam divanam pachchatthimenam devadivam asamkhejjaim joyanasahassaim ogahitta, ettha nam devadivaganam chamdanam chamdao namam rayahanio pannattao. Kahi nam bhamte! Devaddivaganam suranam suradiva namam diva pannatta? Goyama! Devadivassa pachchatthimillao veiyamtao devodam samuddam barasa joyanasahassaim ogahitta, ettha nam devadivaganam suranam suradiva namam diva pannatta, tadheva, rayahanio saganam divanam puratthimenam devadivam asamkhejjaim joyanasahassaim ogahitta ettha nam. Kahi nam bhamte! Devasamuddaganam chamdanam chamdadiva namam diva pannatta? Goyama! Devodagassa samuddagassa puratthimillao vediyamtao devodagam samuddam pachchatthimenam barasa joyanasahassaim teneva kamenam java rayahanio saganam divanam pachchatthimenam devodagam samuddam asamkhejjaim joyanasahassaim ogahitta, ettha nam devodaganam chamdanam chamdao namam rayahanio pannattao, tam cheva savvam. Evam suranavi, navari–devodagassa pachchatthimillao veiyamtao devodagasamuddam puratthimenam barasa joyanasahassaim ogahitta rayahanio saganamsaganam divanam puratthimenam devodagam samuddam asamkhejjaim joyanasahassaim. Evam nage jakkhe bhutevi chaunham divasamuddanam kahi nam bhamte sayambhuramana dovaganam chamdanam chamdadiva namam diva pannatta sayambhuramanassa divassa puratthimillato vetivamtato sayambhuramanodagam samuddam barasa joyana-sahassaim taheva rayahanio saganam vanam puratthimenam sayambhuramanodagam samuddam puratthimenam asamkhejjaim joyana tam cheva evam suranavi sayambhuramanassa pachchatthimilato vedivamtao rayahanio sakanam sakanam divanam pachchatthimillanam sayambhuramanodam samuddam asamkhejja sesam tam cheva Kahi nam bhamte sayambhuramanasamuddakanam chamdanam, sayambhuramanassa samuddassa puratthimillao vetiyamtato sayambhuramanam samuddam pachchatthimenam barasa joyanasahassaim ogahitta sesam tam cheva evam suranavi sayambhuramanassa pachchatthimillao sayambhuramanidam samuddam puratthimenam barasa joyanasahassaim ogahitta rayahanio saganam divanam puratthimenam sayambhuramanam samuddam asamkhejjaim joyanasahassaim ogahitta ettha nam sayambhuramana java suradeva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Devadvipagata chandrom ke chandradvipa kaham hai\? Gautama ! Devadvipa ki purvadisha ke vedikanta se devoda – samudra mem 12000 yojana age jane para haim, ityadi purvavat. Apane hi chandradvipom ki pashchimadisha mem usi devadvipa mem asamkhyata hajara yojana jane para vaham devadvipa ke chandrom ki chandra namaka rajadhaniyam haim. He bhagavan ! Devadvipa ke suryom ke suryadvipa kaham haim\? Gautama ! Devadvipa ke pashchimi vedikanta se devodasamudra mem 12000 yojana jane para haim. Apane – apane hi suryadvipom ki purvadisha mem usi devadvipa mem asamkhyata hajara yojana jane para unaki rajadhaniyam haim. He bhagavan ! Devasamudragata chandrom ke chandradvipa kaham haim\? Gautama ! Devodakasamudra ke purvi vedikanta se devodaka – samudra mem pashchimadisha mem 12000 yojana jane para haim, unaki rajadhaniyam apane – apane dvipom ke pashchima mem devodaka – samudra mem asamkhyata hajara yojana jane para sthita haim. Shesha varnana vijaya rajadhani ke samana kahana chahie. Deva – samudragata suryom ke vishaya mem bhi aisa hi kahana. Visheshata yaha hai ki devodakasamudra ke pashchimi vedikanta se devodaka samudra mem purvadisha mem 12000 yojana jane para ye sthita haim. Inaki rajadhaniyam apane – apane dvipom ke purva mem devoka samudra mem asamkhyata hajara yojana age jane para ati haim. Isi prakara naga, yaksha, bhuta aura svayambhuramana charom dvipom aura charom samudrom ke chandra – suryom ke dvipom mem kahana. He bhagavan ! Svayambhuramanadvipagata chandrom ke chandradvipa kaham haim\? Gautama ! Svayambhuramanadvipa ke purviya vedikanta se svayambhuramanasamudra mem 12000 yojana age jane para haim. Unaki rajadhaniyam apane – apane dvipom ke purva mem svayambhu – ramanasamudra ke purvadisha ki ora asamkhyata hajara yojana jane para ati haim. Isi taraha suryadvipom ke vishaya mem bhi kahana. Visheshata yaha hai ki svayambhuramanadvipa ke pashchimi vedikanta se svayambhuramanasamudra mem 12000 yojana age jane para ye dvipa sthita haim. Inaki rajadhaniyam apane – apane dvipom ke pashchima mem svayambhuramanasamudra mem pashchima ki ora asamkhyata hajara yojana jane para ati hai. He bhagavan ! Svayambhuramanasamudra ke chandrom ke chandradvipa kaham haim\? Gautama ! Svayambhuramanasamudra ke purvi vedikanta se svayambhuramanasamudra mem pashchima ki ora 12000 yojana jane para haim. Isi taraha svayambhuramanasamudra ke suryom ke vishaya mem samajhana. Visheshata yaha hai ki svayambhuramanasamudra ke pashchimi vedikanta se svayambhuramanasamudra mem purva ki ora 12000 yojana jane para suryom ke suryadvipa ate haim. Inaki rajadhaniyam apane – apane dvipom ke purva mem svayambhuramanasamudra mem asamkhyata hajara yojana age jane para ati haim yavat vaham suryadeva haim. |