Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005844 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्विविध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
द्विविध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 44 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से किं तं थलयरसंमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया? थलयरसंमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पन्नत्ता, तं जहा– चउप्पयथलयरसंमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया परिसप्पसंमुच्छिम-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया। से किं तं चउप्पयथलयरसंमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया? चउप्पयथलयरसंमुच्छिम-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा– एगखुरा दुखुरा गंडीपया सणप्फया जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, ते समासओ दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। तओ सरीरगा, ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं गाउयपुहत्तं, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं चउरासीइवाससहस्साइं, सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुआगतिया, परित्ता असंखेज्जा पन्नत्ता। सेत्तं चउप्पयथलयरसंमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया। से किं तं थलयरपरिसप्पसंमुच्छिमा? थलयरपरिसप्पसंमुच्छिमा दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–उरपरिसप्पसंमुच्छिमा भुयपरिसप्पसंमुच्छिमा। से किं तं उरपरिसप्पसंमुच्छिमा? उरपरिसप्पसंमुच्छिमा चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–अही अयगरा आसालिया महोरगा। से किं तं अही? अही दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–दव्वीकरा य मउलिणो य। से किं तं दव्वीकरा? दव्वीकरा अनेगविहा पन्नत्ता, तंजहा–आसीविसा जाव सेत्तं दव्वीकरा। से किं तं मउलिणो? मउलिणो अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–दिव्वा गोनसा जाव से तं मउलिणो। सेत्तं अही से किं तं अयगरा? अयगरा एगागारा पन्नत्ता। से तं अयगरा। से किं तं आसालिया? आसालिया जहा पन्नवणाए। से तं आसालिया। से किं तं महोरगा? महोरगा जहा पन्नवणाए। से तं महोरगा। जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासओ दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, तं चेव, नवरि–सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणपुहत्तं। ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेवण्णं वाससहस्साइं, सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुआगतिया, परित्ता असंखेज्जा। से तं उरपरिसप्पा। से किं तं भुयपरिसप्पसंमुच्छिमथलयरा? भुयपरिसप्पसंमुच्छिमथलयरा अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–गोहा नउला जाव जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासओ दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं धनूपुहत्तं। ठिती उक्कोसेणं बायालीसं वाससहस्साइं, सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुआगतिया, परित्ता असंखेज्जा पन्नत्ता। से तं भुयपरिसप्पसंमुच्छिमा। से तं थलयरा। से किं तं खहयरा? खहयरा चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–चम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्खी विततपक्खी। से किं तं चम्मपक्खी? चम्मपक्खी अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–वग्गुली जाव जे यावन्ने तहप्पगारा। से तं चम्मपक्खी। से किं तं लोमपक्खी? लोमपक्खी अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–ढंका जाव जे यावन्ने तहप्पगारा। से तं लोमपक्खी। से किं तं समुग्गपक्खी? समुग्गपक्खी एगागारा पन्नत्ता जहा पन्नवणाए। एवं विततपक्खी जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, ते समासओ दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, णाणत्तं सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं धनूपुहत्तं। ठिती उक्कोसेणं बावत्तरिं वाससहस्साइं, सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुआगतिया, परित्ता असंखेज्जा पन्नत्ता। से तं खहयरसंमुच्छिमतिरिक्खजोणिया। से तं संमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया। | ||
Sutra Meaning : | स्थलचर संमूर्च्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक कौन हैं ? स्थलचर संमूर्च्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक दो प्रकार के हैं – चतुष्पद स्थलचर और परिसर्प स्थलचर। चतुष्पद स्थलचर० तिर्यंच कौन हैं ? चतुष्पद स्थलचर० चार प्रकार के हैं, एक खुर वाले, दो खुर वाले, गंडीपद और सनखपद। यावत् जो इसी प्रकार के अन्य भी चतुष्पद स्थलचर हैं वे संक्षेप से दो प्रकार के हैं – पर्याप्त और अपर्याप्त। उनके तीन शरीर, अवगाहना जघन्य अंगुल का असंख्यातवाँ भाग और उत्कृष्ट दो कोस से नौ कोस तक। स्थिति जघन्य से अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट चौरासी हजार वर्ष की होती है। शेष सब जलचरों के समान समझना। यावत् ये चार गति में जाने वाले और दो गति में आनेवाले हैं, प्रत्येक – शरीरी और असंख्यात हैं। परिसर्प स्थलचर० तिर्यंचयोनिक क्या हैं ? परिसर्प स्थलचर० तिर्यंचयोनिक दो प्रकार के हैं, यथा – उरग परिसर्प० और भुजग परिसर्प०। उरग परिसर्प० क्या है ? उरग परिसर्प० चार प्रकार के हैं – अहि, अजगर, असालिया और महोरग। अहि कौन हैं ? अहि दो प्रकार के हैं – दर्वीकर और मुकुली। दर्वीकर कौन हैं ? दर्वीकर अनेक प्रकार के हैं, जैसे – आशीविष आदि यावत् दर्वीकर का पूरा कथन। मुकुली क्या है ? मुकुली अनेक प्रकार के हैं, जैसे – दिव्य, गोनस यावत् मुकुली का पूरा कथन। अजगर क्या हैं ? अजगर एक ही प्रकार के हैं। आसालिक क्या हैं ? प्रज्ञापनासूत्र के अनुसार जानना। महोरग क्या है ? प्रज्ञापना के अनुसार जानना। इस प्रकार के अन्य जो उरपरिसर्प जाति के हैं वे संक्षेप से दो प्रकार के हैं – पर्याप्त, अपर्याप्त। विशेषता इस प्रकार – इनकी शरीर अवगाहना जघन्य से अंगुल के असंख्यातवाँ भाग और उत्कृष्ट योजन पृथक्त्व। स्थिति जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट तिरपन हजार वर्ष। शेष द्वार जलचरों के समान जानना यावत् ये जीव चार गति में जाने वाले दो गति में आने वाले, प्रत्येकशरीरी और असंख्यात हैं। भुजग परिसर्प संमूर्च्छिम स्थलचर क्या है ? भुजग परिसर्प संमूर्च्छिम स्थलचर अनेक प्रकार के हैं, यथा – गोह, नेवला यावत् अन्य इसी प्रकार के भुजग परिसर्प। ये संक्षेप से दो प्रकार के हैं – पर्याप्त और अपर्याप्त। शरीरा वगाहना जघन्य अंगुल का असंख्यातवाँ भाग और उत्कृष्ट धनुषपृथक्त्व स्थिति उत्कृष्ट से ४२००० वर्ष। शेष जलचरों की भाँति कहना यावत् ये चार गतिमें जानेवाले, दो गति से आनेवाले, प्रत्येकशरीरी और असंख्यात हैं खेचर का क्या स्वरूप है ? खेचर चार प्रकार के हैं – चर्मपक्षी, रोमपक्षी, समुद्गकपक्षी और विततपक्षी। चर्मपक्षी क्या हैं ? चर्मपक्षी अनेक प्रकार के हैं, जैसे – वल्गुली यावत् इसी प्रकार के अन्य चर्मपक्षी। रोमपक्षी क्या हैं ? रोमपक्षी अनेक प्रकार के हैं, यथा – ढंक, कंक यावत् अन्य इसी प्रकार के रोमपक्षी। समुद्गकपक्षी क्या हैं ? ये एक ही प्रकार के हैं। जैसा प्रज्ञापना में कहा वैसा जानना। इसी तरह विततपक्षी भी जानना। ये खेचर संक्षेप से दो प्रकार के कहे गये हैं – पर्याप्त और अपर्याप्त इत्यादि पूर्ववत्। विशेषता यह है कि इनकी शरीरावगाहना जघन्य से अंगुल का असंख्यातवाँ भाग और उत्कृष्ट धनुषपृथक्त्व है। स्थिति उत्कृष्ट बहत्तर हजार वर्ष की है। यावत् ये खेचर चार गतियों में जानेवाले, दो गतियों से आनेवाले, प्रत्येकशरीरी और असंख्यात हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se kim tam thalayarasammuchchhimapamchemdiyatirikkhajoniya? Thalayarasammuchchhimapamchemdiyatirikkhajoniya duviha pannatta, tam jaha– chauppayathalayarasammuchchhimapamchemdiyatirikkhajoniya parisappasammuchchhima-pamchemdiyatirikkhajoniya. Se kim tam chauppayathalayarasammuchchhimapamchemdiyatirikkhajoniya? Chauppayathalayarasammuchchhima-pamchemdiyatirikkhajoniya chauvviha pannatta, tam jaha– egakhura dukhura gamdipaya sanapphaya java je yavanne tahappagara, te samasao duviha pannatta, tam jaha–pajjattaga ya apajjattaga ya. Tao sariraga, ogahana jahannenam amgulassa asamkhejjaibhagam, ukkosenam gauyapuhattam, thiti jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam chaurasiivasasahassaim, sesam jaha jalayaranam java chaugatiya duagatiya, paritta asamkhejja pannatta. Settam chauppayathalayarasammuchchhimapamchemdiyatirikkhajoniya. Se kim tam thalayaraparisappasammuchchhima? Thalayaraparisappasammuchchhima duviha pannatta, tam jaha–uraparisappasammuchchhima bhuyaparisappasammuchchhima. Se kim tam uraparisappasammuchchhima? Uraparisappasammuchchhima chauvviha pannatta, tam jaha–ahi ayagara asaliya mahoraga. Se kim tam ahi? Ahi duviha pannatta, tam jaha–davvikara ya maulino ya. Se kim tam davvikara? Davvikara anegaviha pannatta, tamjaha–asivisa java settam davvikara. Se kim tam maulino? Maulino anegaviha pannatta, tam jaha–divva gonasa java se tam maulino. Settam ahi Se kim tam ayagara? Ayagara egagara pannatta. Se tam ayagara. Se kim tam asaliya? Asaliya jaha pannavanae. Se tam asaliya. Se kim tam mahoraga? Mahoraga jaha pannavanae. Se tam mahoraga. Je yavanne tahappagara te samasao duviha pannatta, tam jaha–pajjattaga ya apajjattaga ya, tam cheva, navari–sarirogahana jahannenam amgulassa asamkhejjaibhagam, ukkosenam joyanapuhattam. Thiti jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tevannam vasasahassaim, sesam jaha jalayaranam java chaugatiya duagatiya, paritta asamkhejja. Se tam uraparisappa. Se kim tam bhuyaparisappasammuchchhimathalayara? Bhuyaparisappasammuchchhimathalayara anegaviha pannatta, tam jaha–goha naula java je yavanne tahappagara te samasao duviha pannatta, tam jaha–pajjattaga ya apajjattaga ya. Sarirogahana jahannenam amgulassa asamkhejjaibhagam, ukkosenam dhanupuhattam. Thiti ukkosenam bayalisam vasasahassaim, sesam jaha jalayaranam java chaugatiya duagatiya, paritta asamkhejja pannatta. Se tam bhuyaparisappasammuchchhima. Se tam thalayara. Se kim tam khahayara? Khahayara chauvviha pannatta, tam jaha–chammapakkhi lomapakkhi samuggapakkhi vitatapakkhi. Se kim tam chammapakkhi? Chammapakkhi anegaviha pannatta, tam jaha–vagguli java je yavanne tahappagara. Se tam chammapakkhi. Se kim tam lomapakkhi? Lomapakkhi anegaviha pannatta, tam jaha–dhamka java je yavanne tahappagara. Se tam lomapakkhi. Se kim tam samuggapakkhi? Samuggapakkhi egagara pannatta jaha pannavanae. Evam vitatapakkhi java je yavanne tahappagara, te samasao duviha pannatta, tam jaha–pajjattaga ya apajjattaga ya, nanattam sarirogahana jahannenam amgulassa asamkhejjaibhagam, ukkosenam dhanupuhattam. Thiti ukkosenam bavattarim vasasahassaim, sesam jaha jalayaranam java chaugatiya duagatiya, paritta asamkhejja pannatta. Se tam khahayarasammuchchhimatirikkhajoniya. Se tam sammuchchhimapamchemdiyatirikkhajoniya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Sthalachara sammurchchhima pamchendriya tiryamchayonika kauna haim\? Sthalachara sammurchchhima pamchendriya tiryamchayonika do prakara ke haim – chatushpada sthalachara aura parisarpa sthalachara. Chatushpada sthalachara0 tiryamcha kauna haim\? Chatushpada sthalachara0 chara prakara ke haim, eka khura vale, do khura vale, gamdipada aura sanakhapada. Yavat jo isi prakara ke anya bhi chatushpada sthalachara haim ve samkshepa se do prakara ke haim – paryapta aura aparyapta. Unake tina sharira, avagahana jaghanya amgula ka asamkhyatavam bhaga aura utkrishta do kosa se nau kosa taka. Sthiti jaghanya se antamuhurtta aura utkrishta chaurasi hajara varsha ki hoti hai. Shesha saba jalacharom ke samana samajhana. Yavat ye chara gati mem jane vale aura do gati mem anevale haim, pratyeka – shariri aura asamkhyata haim. Parisarpa sthalachara0 tiryamchayonika kya haim\? Parisarpa sthalachara0 tiryamchayonika do prakara ke haim, yatha – uraga parisarpa0 aura bhujaga parisarpa0. Uraga parisarpa0 kya hai\? Uraga parisarpa0 chara prakara ke haim – ahi, ajagara, asaliya aura mahoraga. Ahi kauna haim\? Ahi do prakara ke haim – darvikara aura mukuli. Darvikara kauna haim\? Darvikara aneka prakara ke haim, jaise – ashivisha adi yavat darvikara ka pura kathana. Mukuli kya hai\? Mukuli aneka prakara ke haim, jaise – divya, gonasa yavat mukuli ka pura kathana. Ajagara kya haim\? Ajagara eka hi prakara ke haim. Asalika kya haim\? Prajnyapanasutra ke anusara janana. Mahoraga kya hai\? Prajnyapana ke anusara janana. Isa prakara ke anya jo uraparisarpa jati ke haim ve samkshepa se do prakara ke haim – paryapta, aparyapta. Visheshata isa prakara – inaki sharira avagahana jaghanya se amgula ke asamkhyatavam bhaga aura utkrishta yojana prithaktva. Sthiti jaghanya antamuhurtta aura utkrishta tirapana hajara varsha. Shesha dvara jalacharom ke samana janana yavat ye jiva chara gati mem jane vale do gati mem ane vale, pratyekashariri aura asamkhyata haim. Bhujaga parisarpa sammurchchhima sthalachara kya hai\? Bhujaga parisarpa sammurchchhima sthalachara aneka prakara ke haim, yatha – goha, nevala yavat anya isi prakara ke bhujaga parisarpa. Ye samkshepa se do prakara ke haim – paryapta aura aparyapta. Sharira vagahana jaghanya amgula ka asamkhyatavam bhaga aura utkrishta dhanushaprithaktva sthiti utkrishta se 42000 varsha. Shesha jalacharom ki bhamti kahana yavat ye chara gatimem janevale, do gati se anevale, pratyekashariri aura asamkhyata haim Khechara ka kya svarupa hai\? Khechara chara prakara ke haim – charmapakshi, romapakshi, samudgakapakshi aura vitatapakshi. Charmapakshi kya haim\? Charmapakshi aneka prakara ke haim, jaise – valguli yavat isi prakara ke anya charmapakshi. Romapakshi kya haim\? Romapakshi aneka prakara ke haim, yatha – dhamka, kamka yavat anya isi prakara ke romapakshi. Samudgakapakshi kya haim\? Ye eka hi prakara ke haim. Jaisa prajnyapana mem kaha vaisa janana. Isi taraha vitatapakshi bhi janana. Ye khechara samkshepa se do prakara ke kahe gaye haim – paryapta aura aparyapta ityadi purvavat. Visheshata yaha hai ki inaki shariravagahana jaghanya se amgula ka asamkhyatavam bhaga aura utkrishta dhanushaprithaktva hai. Sthiti utkrishta bahattara hajara varsha ki hai. Yavat ye khechara chara gatiyom mem janevale, do gatiyom se anevale, pratyekashariri aura asamkhyata haim. |