Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005837 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्विविध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
द्विविध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 37 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से किं तं तेइंदिया? तेइंदिया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा– ओवइया रोहिणिया जाव हत्थिसोंडा, जे यावन्ने तहप्पगारा, ते समासओ दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। तहेव जहा बेइंदियाणं, नवरं–सरीरोगाहणा उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाइं, तिन्नि इंदिया, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं एगूणपन्नराइंदियाइं, सेसं तहेव दुगइया दुआगइया, परित्ता असंखेज्जा पन्नत्ता। से तं तेइंदिया। | ||
Sutra Meaning : | त्रीन्द्रिय जीव कौन हैं ? त्रीन्द्रिय जीव अनेक प्रकार के हैं, औपयिक, रोहिणीत्क, यावत् हस्तिशौण्ड और अन्य भी इसी प्रकार के त्रीन्द्रिय जीव। ये संक्षेप से दो प्रकार के हैं – पर्याप्त और अपर्याप्त। इसी तरह वह सब कथन द्वीन्द्रिय समान करना। विशेषता यह है कि त्रीन्द्रिय जीवों की उत्कृष्ट शरीरावगाहना तीन कोस की है, उनके तीन इन्द्रियाँ हैं, जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट उनपचास रात – दिन की स्थिति है। यावत् वे दो गतिवाले, दो आगतिवाले, प्रत्येकशरीरी और असंख्यात कहे गये हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se kim tam teimdiya? Teimdiya anegaviha pannatta, tam jaha– ovaiya rohiniya java hatthisomda, je yavanne tahappagara, te samasao duviha pannatta, tam jaha–pajjattaga ya apajjattaga ya. Taheva jaha beimdiyanam, navaram–sarirogahana ukkosenam tinni gauyaim, tinni imdiya, thiti jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam egunapannaraimdiyaim, sesam taheva dugaiya duagaiya, paritta asamkhejja pannatta. Se tam teimdiya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Trindriya jiva kauna haim\? Trindriya jiva aneka prakara ke haim, aupayika, rohinitka, yavat hastishaunda aura anya bhi isi prakara ke trindriya jiva. Ye samkshepa se do prakara ke haim – paryapta aura aparyapta. Isi taraha vaha saba kathana dvindriya samana karana. Visheshata yaha hai ki trindriya jivom ki utkrishta shariravagahana tina kosa ki hai, unake tina indriyam haim, jaghanya antamuhurtta aura utkrishta unapachasa rata – dina ki sthiti hai. Yavat ve do gativale, do agativale, pratyekashariri aura asamkhyata kahe gaye haim. |