Sutra Navigation: Rajprashniya ( राजप्रश्नीय उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005754 | ||
Scripture Name( English ): | Rajprashniya | Translated Scripture Name : | राजप्रश्नीय उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्रदेशीराजान प्रकरण |
Translated Chapter : |
प्रदेशीराजान प्रकरण |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 54 | Category : | Upang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग तिय चउक्क चच्चर चउम्मुह महापहपहेसु महया जनसद्दे इ वा जनवूहे इ वा जनबोले इ वा जनकलकले इ वा जनउम्मी इ वा जनसन्निवाए इ वा बहुजनो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ– एवं खलु देवानुप्पिया! पासावच्चिज्जे केसी नामं कुमारसमणे जातिसंपन्ने पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव सावत्थीए नगरीए बहिया कोट्ठए चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तं महप्फलं खलु भो! देवानुप्पिया! तहारूवाणं थेराणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमन वंदन नमंसण पडिपुच्छण पज्जुवासणयाए? एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए? तं गच्छामो णं देवानुप्पिया! केसिं कुमारसमणं वंदामो नमंसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामो। एयं णे पेच्चभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ त्ति कट्टु बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोग-पुत्ता एवं दुपडोयारेणं–राइण्णा खत्तिया माहणा भडा जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता, अन्ने य बहवे राईसर तलवर माडंबिय कोडुंबिय इब्भ सेट्ठि सेनावइ सत्थवाहप्पभितयो अप्पेगइया वंदनवत्तियं अप्पेगइया पूयणवत्तियं अप्पेगइया सक्कार-वत्तियं अप्पेगइया सम्माणवत्तियं अप्पेगइया दंसणवत्तियं अप्पेगइया कोऊहलवत्तियं अप्पेगइया अस्सुयाइं सुणेस्सामो सुयाइं निस्संकियाइं करिस्सामो अप्पेगइया मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइस्सामो, अप्पेगइया गिहिधम्मं पडिवज्जिस्सामो, अप्पेगइया जीयमेयंति कट्टु ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता सिरसा कंठे मालकडा आविद्धमणिसुवण्णा कप्पियहारद्धहारतिसर पालंब पलंबमाण कडिसुत्त सुकयसोहाभरणा पवरवत्थपरिहिया चंदणो-लित्तगायसरीरा, ... ...अप्पेगइया हयगया अप्पेगइया गयगया अप्पेगइया रहगया अप्पेगइया सिबियागया अप्पे-गइया संदमाणियागया अप्पेगइया पायविहारचारेणं पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता महया उक्किट्ठ सीहनाय बोल कलकलरवेणं पक्खुभियमहासमुद्दरवभूयं पिव करेमाणा सावत्थीए नयरीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्ठए चेइए जेणेव केसी कुमारसमणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता केसि कुमार समणस्स अदूरसामंते जाणवाहणाइं ठवेंति, ठवेत्ता जानवाहणेहिंतो पच्चोरुहंति, पच्चोरुहित्ता जेणेव केसी कुमारसमणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता केसिं कुमार-समणं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति, करेत्ता वंदंति नमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासण्णे नाइदूरे सुस्सूसमाणा नमंसमाणा अभिमुहा विनएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति। तए णं तस्स सारहिस्स तं महाजनसद्दं च जनकलकलं च सुणेत्ता य पासेत्ता य इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था–किं णं अज्ज सावत्थीए नयरीए इंदमहे इ वा खंदमहे इ वा रुद्दमहे इ वा मउंदमहे इ वा सिवमहे इ वा वेसमणमहे इ वा नागमहे इ वा जक्खमहे इ वा भूयमहे इ वा थूभमहे इ वा चेइयमहे इ वा रुक्खमहे इ वा गिरिमहे इ वा दरिमहे इ वा अगडमहे इ वा नईमहे इ वा सरमहे इ वा सागरमहे इ वा? जं णं इमे बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा राइण्णा इक्खागा णाया कोरव्वा खत्तिया माहणा भडा जोहा पसत्थारो मल्लई मल्लइपुत्ता लेच्छई लेच्छइपुत्ता इब्भा इब्भपुत्ता, अन्ने य बहवे राईसर तलवर माडंबिय कोडुंबिय इब्भ सेट्ठि सेनावइ सत्थवाहप्पभितयो ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउय मंगल पायच्छित्ता सिरसा कंठेमालकडा आविद्धमणिसुवण्णा कप्पियहार अद्धहार तिसर पालंब पलंबमाण कडिसुत्तय कयसोहाहरणा चंदणोलित्तगायसरीरा पुरिसवग्गुरापरिखित्ता महया उक्किट्ठ सीहनाय बोल कलकलरवेणं समुद्दरवभूयं पिव करेमाणा अंबरतलं पिव फोडेमाणा एगदिसाए एगाभिमुहा अप्पेगतिया हयगया अप्पेगतिया गयगया अप्पेगतिया रहगया अप्पेगतिया सिवियागया अप्पेगतिया संदमाणियागया अप्पेगतिया पायविहारचारेणं महया-महया वंदावंदएहिं निग्गच्छंति। एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कंचुइ-पुरिसं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–किं णं देवानुप्पिया! अज्ज सावत्थीए नगरीए इंदमहेइ वा जाव सागरमहेइ वा? जं णं इमे बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा [जाव?] निग्गच्छंति। तए णं से कंचुइपुरिसे केसिस्स कुमारसमणस्स आगमन गहिय विनिच्छए चित्तं सारहिं करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एवं वयासी– नो खलु देवानुप्पिया! अज्ज सावत्थीए नयरीए इंदमहे इ वा जाव सागरमहे इ वा। जं णं इमे बहवे उग्गा उग्गपुत्ता जाव वंदावंदएहिं निग्गच्छंति। एवं खलु भो! देवानुप्पिया! पासावच्चिज्जे केसी नामं कुमारसमणे जातिसंपन्ने जाव गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव सावत्थीए नगरीए बहिया कोट्ठए चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तेणं अज्ज सावत्थीए नयरीए बहवे उग्गा जाव इब्भा इब्भपुत्ता अप्पेगतिया वंदनवत्तियाए अप्पेगइया पूयणवत्तियाए अप्पेगइया सक्कारवत्तियाए अप्पेगइया सम्मानवत्तियाए अप्पेगइया दंसणवत्तियाए अप्पेगइया कोऊहलवत्तियाए अप्पेगइया अस्सुयाइं सुणेस्सामो सुयाइं निस्संकियाइं करिस्सामो, अप्पेगइया मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइस्सामो, अप्पेगइया गिहिधम्मं पडिवज्जिस्सामो, अप्पेगइया जीयमेयंति कट्टु ण्हाया कयबलिकम्मा कय कोउय मंगल पायच्छित्ता सिरसा कंठेमालकडा आविद्धमणि सुवण्णा कप्पियहारद्धहार-तिसरपवर पालंब पलंबमाण कडिसुत्त सुकय सोहाभरणा पवरवत्थ परिहिया चंदणोलित्तगायसरीरा अप्पेगइया हयगया अप्पेगइया गयगया अप्पेगइया रहगया अप्पेगइया सिवियागया अप्पेगइया संदमाणियागया अप्पेगइया पायविहारचारेणं महया-महया वंदावंदएहिं निग्गच्छंति। तए णं से चित्ते सारही कंचुइ-पुरिसस्स अंतिए एयमट्ठं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिए पीइमने परमसोमनस्सिए हरिसवस विसप्पमाणहियए कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– खिप्पामेव भो! देवानुप्पिया! चाउग्घंटं आस-रहं जुत्तामेव उवट्ठवेह, उवट्ठवेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा तहेव पडिसुणित्ता खिप्पामेव सच्छत्तं जाव जुद्धसज्जं चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेंति, उवट्ठवेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति। तए णं से चित्ते सारही ण्हाए कयबलिकम्मे कयकोउय मंगल पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाइं पवरपरिहिते अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवा-गच्छइ, उवागच्छित्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ, दुरुहित्ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं महया भड चडगर वंदपरिखित्ते सावत्थीनगरीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्ठए चेइए जेणेव केसी कुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता केसि कुमार समणस्स अदूरसामंते तुरए णिगिण्हइ, रहं ठवेइ, ठवेत्ता रहाओ पच्चोरुहति, पच्चोरुहित्ता जेणेव केसी कुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता केसिं कुमारसमणं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासण्णे नातिदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे पंजलिउडे विनएणं पज्जुवासइ। तए णं से केसी कुमार-समणे चित्तस्स सारहिस्स तीसे महतिमहालियाए महच्चपरिसाए चाउज्जामं धम्मं कहेइ, तं जहा– सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं, सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं, सव्वाओ अदिण्णादाणाओ वेरमणं, सव्वाओ परिग्गहातो वेरमणं। तए णं सा महतिमहालिया महच्चपरिसा केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया। तए णं से चित्ते सारही केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ-चित्तमानंदिए पीइमने परमसोमनस्सिए हरिसवस विसप्पमाणहियए उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता केसिं कुमार-समणं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– सद्दहामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं। पत्तियामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं। रोएमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं। अब्भुट्ठेमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं। एवमेयं भंते! तहमेयं भंते! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते! इच्छियमेयं भंते! पडिच्छियमेयं भंते! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते! जं णं तुब्भे वदह त्ति कट्टु वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– जहा णं देवानुप्पियाणं अंतिए बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा जाव इब्भा इब्भपुत्ता चिच्चा हिरण्णं, एवं–धणं धन्नं बलं वाहणं कोसं कोट्ठागारं पुरं अंतेउरं, चिच्चा विउलं धन कनग रयण मणि मोत्तिय संख सिलप्पवाल संतसारसावएज्जं, विच्छड्डित्ता विगोवइत्ता, दानं दाइयाणं परिभाइत्ता, मुंडा भवित्ता णं अगाराओ अनगारियं पव्वयंति, नो खलु अहं तहा संचाएमि चिच्चा हिरण्णं, एवं– धणं धन्नं बलं वाहणं कोसं कोट्ठागारं पुरं अंतेउरं, चिच्चा विउलं धन कनग रयण मणि मोत्तिय संख सिल प्पवाल संतसारसावएज्जं, विच्छड्डित्ता विगोवइत्ता, दानं दाइयाणं परिभाइत्ता मुंडे भवित्ता णं अगाराओ अनगारियं पव्वइत्तए, अहं णं देवानुप्पियाणं अंतिए चाउज्जामियं गिहिधम्मं पडि-वज्जिस्सामि। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं करेहि। तए णं से चित्ते सारही केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए चाउज्जामियं गिहिधम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहरति। तए णं से चित्ते सारही केसिं कुमारसमणं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए, चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ, दुरुहित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए। | ||
Sutra Meaning : | तत्पश्चात् श्रावस्ती नगरी के शृंगाटकों, त्रिकों, चतुष्कों, चत्वरों, चतुर्मुखों, राजमार्गों और मार्गों में लोग आपस में चर्चा करने लगे, लोगों के झुंड इकट्ठे होने लगे, लोगों के बोलने की घोंघाट सूनाई पड़ने लगी, जन – कोलाहल होने लगा, भीड़ के कारण लोग आपस में टकराने लगे, एक के बाद एक लोगों के टोले आते दिखाई देने लगे, इधर – उधर से आकर लोग एक स्थान पर इकट्ठे होने लगे, यावत् पर्युपासना करने लगे। तब लोगों की बातचीत, जनकोलाहल सूनकर तथा जनसमूह को देखकर चित्त सारथी को इस प्रकार का यह आन्तरिक यावत् उत्पन्न हुआ कि क्या आज श्रावस्ती नगरी में इन्द्रमह है ? अथवा स्कन्दमह है ? या रुद्रमह, मुकुन्दमह, शिवमह, वैश्रमणमह, नागमह, यक्षमह, भूतमह, स्तूपमह, चैत्यमह, वृक्षमह, गिरिमह, दरिमह, कूपमह, नदीमह, सरमह अथवा सागरमह है ? कि जिससे ये बहुत से उग्रवंशीय, उग्रवंशीयकुमार, भोगवंशीय, राजन्यवंशीय, इब्भ, इब्भपुत्र तथा दूसरे भी अनेक राजा ईश्वर, तलवर, माडंबिक, कौटुम्बिक, इभ्यश्रेष्ठी, सेनापति, सार्थवाह आदि सभी स्नान कर, बलिकर्म कर, कौतुक – मंगल – प्रायश्चित्त कर, मस्तक और गले में मालाएं धारण कर, मणिजटित स्वर्ण के आभूषणों से शरीर को विभूषित कर, गले में हार, अर्धहार, तिलड़ी, झूमका, और कमर में लटकते हुए कटिसूत्र पहनकर, शरीर पर चंदन का लेप कर, आनंदातिरेक से सिंहनाद और कलकल ध्वनि से श्रावस्ती नगरी को गुंजाते हुए जनसमूह के साथ एक ही दिशा में मुख करके जा रहे हैं आदि। यावत् उनसे में कितने ही घोड़ो पर सवार होकर, कईं हाथी पर सवार होकर, रथों में बैठकर, या पालखी या स्यंदमानिका में बैठकर और कितने ही अपने अपने समुदाय बनाकर पैदल ही जा रहे हैं। ऐसा विचार किया और विचार करके कंचुकी पुरुष को बुलाकर उससे पूछा – देवानुप्रिय ! आज क्या श्रावस्ती नगरी में इन्द्र – महोत्सव है यावत् सागरयात्रा है कि जिससे ये बहुत से उग्रवंशीय आदि सभी लोग अपने – अपने घरों से नीकलकर एक ही दिशा में जा रहे हैं ? तब उस कंचुकी पुरुष ने केशी कुमारश्रमण के पदार्पण होने के निश्चित समाचार जानकर दोनों हाथ जोड़ यावत् जय – विजय शब्दों से वधाकर चित्तसारथी से निवेदन किया – देवानुप्रिय ! आज श्रावस्ती नगरी में इन्द्र – महोत्सव यावत् समुद्रयात्रा आदि नहीं है। परन्तु हे देवानुप्रिय ! आज जाति आदि में संपन्न पार्श्वापत्य केशी नामक कुमारश्रमण यावत् एक ग्राम से दूसरे ग्राम में विहार करते हुए यहाँ पधारे हैं यावत् कोष्ठक चैत्य में बिराजमान हैं। इसी कारण आज श्रावस्ती नगरी के ये अनेक उग्रवंशीय यावत् इब्भ, इब्भपुत्र आदि वंदना आदि करने के विचार से बड़े – बड़े समुदायों में अपने घरों से नीकल रहे हैं। तत्पश्चात् कंचुकी पुरुष से यह बात सून – समझकर चित्त सारथी ने हृष्ट – तुष्ट यावत् हर्षविभोर होते हुए कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाया। उनसे कहा शीघ्र ही चार घंटों वाले अश्वरथ को जोतकर उपस्थित करो। यावत् वे कौटुम्बिक पुरुष छत्रसहित अश्वरथ को जोतकर लाये। तदनन्तर चित्त सारथी ने स्नान किया, बलिकर्म किया, कौतुक मंगल प्रायश्चित्त किया, शुद्ध एवं सभाउचित मांगलिक वस्त्रों को पहना, अल्प किन्तु बहुमूल्य आभूषणों से शरीर को अलंकृत किया और वह चार घण्टों वाले अश्वरथ के पास आया। उस चातुर्घंट अश्वरथ पर आरूढ़ हुआ एवं कोरंट पुष्पों की मालाओं से सुशोभित छत्र धारण करके सुभटों के विशाल समुदाय के साथ श्रावस्ती नगरी के बीचों – बीच होकर नीकला। जहाँ कोष्ठक नामक चैत्य था और जहाँ केशी कुमारश्रमण बिराज रहे थे, वहाँ आया। केशी कुमारश्रमण से कुछ दूर घोड़ों को रोका और रथ खड़ा किया। नीचे ऊतरा। जहाँ केशी कुमारश्रमण थे, वहाँ आया। आकर दक्षिण दिशा से प्रारंभ कर केशीकुमार की तीन बार प्रदक्षिणा की। वंदन – नमस्कार किया। समुचित स्थान पर सम्मुख बैठकर धर्मोपदेश सूनने की ईच्छा से नमस्कार करता हुआ विनयपूर्वक अंजलि करके पर्युपासना करने लगा। तत्पश्चात् केशी कुमारश्रमण ने चित्त सारथी और उस अतिविशाल परिषद् को चार याम धर्म का उपदेश दिया। समस्त प्राणातिपात से विरमण, समस्त मृषावाद से विरत होना, समस्त अदत्तादान से विरत होना, समस्त बहिद्धादान से विरत होना। इसके बाद वह अतिविशाल परिषद् केशी कुमारश्रमण से धर्मदेशना सूनकर एवं हृदय में धारण कर जिस दिशा से आई थी, उसी और लौट गई। तदनन्तर वह चित्त सारथी केशी कुमारश्रमण से धर्म श्रवण कर एवं उसे हृदय में धारण कर हृष्ट – तुष्ट होता हुआ यावत् अपने आसन से उठा। केशी कुमारश्रमण की तीन बार आदक्षिण प्रदक्षिणा की, वन्दन – नमस्कार किया। इस प्रकार बोला – भगवन् ! मुझे निर्ग्रन्थ प्रवचन में श्रद्धा है। इस पर प्रतीति करता हूँ। मुझे निर्ग्रन्थ प्रवचन रुचता है। मैं निर्ग्रन्थ प्रवचन को अंगीकार करना चाहता हूँ। यह निर्ग्रन्थ प्रवचन ऐसा ही है। भगवन् ! यह तथ्य है। यह अवितथ है। असंदिग्ध है। मुझे ईच्छित है, ईच्छित, प्रतीच्छित है यह वैसा ही है जैसा आप निरूपण करते हैं। ऐसा कहकर वन्दन – नमस्कार किया, पुनः बोला – देवानुप्रिय ! जिस तरह से आपके पास अनेक उग्रवंशीय, भोगवंशीय यावत् इभ्य एवं इभ्यपुत्र आदि हिरण्य त्याग कर, स्वर्ण को छोड़कर तथा धन, धान्य, बल, वाहन, कोश, कोठार, पुर – नगर, अन्तःपुर का त्याग कर और विपुल धन, कनक, रत्न, मणि, मोती, शंख, शिलाप्रवाल आदि सारभूत द्रव्यों का ममत्व छोड़कर, उन सबको दीन – दरिद्रों में वितरित कर, पुत्रादि में बँटवारा कर, मुण्डित होकर, प्रव्रजित हुए हैं, उस प्रकार का त्याग कर यावत् प्रव्रजित होने में तो मैं समर्थ नहीं हूँ। मैं आप देवानुप्रिय के पास पंच अणुव्रत, सात शिक्षाव्रत मूलक बारह प्रकार का गृहीधर्म अंगीकार करना चाहता हूँ। चित्त सारथी की भावना को जानकर केशी कुमारश्रमण ने कहा – देवानुप्रिय ! जिससे तुम्हें सुख हो, वैसा करो, किन्तु प्रतिबंध मत करो। तब चित्त सारथी ने केशी कुमारश्रमण के पास पाँच अणुव्रत यावत् श्रावक धर्म को अंगीकार किया। तत्पश्चात् चित्त सारथी ने केशी कुमारश्रमण की वन्दना की, नमस्कार किया। जहाँ चार घंटों वाला अश्वरथ था, उस ओर चलने को तत्पर हुआ। वहाँ जाकर चार घंटों वाले अश्वरथ पर आरूढ़ हुआ, फिर जिस ओर से आया था, वापस उसी ओर लौट गया। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam savatthie nayarie simghadaga tiya chaukka chachchara chaummuha mahapahapahesu mahaya janasadde i va janavuhe i va janabole i va janakalakale i va janaummi i va janasannivae i va bahujano annamannassa evamaikkhai evam bhasai evam pannavei evam paruvei– Evam khalu devanuppiya! Pasavachchijje kesi namam kumarasamane jatisampanne puvvanupuvvim charamane gamanugamam duijjamane ihamagae iha sampatte iha samosadhe iheva savatthie nagarie bahiya kotthae cheie ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Tam mahapphalam khalu bho! Devanuppiya! Taharuvanam theranam bhagavamtanam namagoyassa vi savanayae, kimamga puna abhigamana vamdana namamsana padipuchchhana pajjuvasanayae? Egassa vi ariyassa dhammiyassa suvayanassa savanayae, kimamga puna viulassa atthassa gahanayae? Tam gachchhamo nam devanuppiya! Kesim kumarasamanam vamdamo namamsamo sakkaremo sammanemo kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasamo. Eyam ne pechchabhave ya hiyae suhae khamae nisseyasae anugamiyattae bhavissai tti kattu bahave ugga uggaputta bhoga bhoga-putta evam dupadoyarenam–rainna khattiya mahana bhada joha pasattharo mallai lechchhai lechchhaiputta, anne ya bahave raisara talavara madambiya kodumbiya ibbha setthi senavai satthavahappabhitayo appegaiya vamdanavattiyam appegaiya puyanavattiyam appegaiya sakkara-vattiyam appegaiya sammanavattiyam appegaiya damsanavattiyam appegaiya kouhalavattiyam appegaiya assuyaim sunessamo suyaim nissamkiyaim karissamo appegaiya mumde bhavitta agarao anagariyam pavvaissamo, appegaiya gihidhammam padivajjissamo, appegaiya jiyameyamti kattu nhaya kayabalikamma kayakouyamamgalapayachchhitta sirasa kamthe malakada aviddhamanisuvanna kappiyaharaddhaharatisara palamba palambamana kadisutta sukayasohabharana pavaravatthaparihiya chamdano-littagayasarira,.. ..Appegaiya hayagaya appegaiya gayagaya appegaiya rahagaya appegaiya sibiyagaya appe-gaiya samdamaniyagaya appegaiya payaviharacharenam purisavagguraparikkhitta mahaya ukkittha sihanaya bola kalakalaravenam pakkhubhiyamahasamuddaravabhuyam piva karemana savatthie nayarie majjhammajjhenam niggachchhamti, niggachchhitta jeneva kotthae cheie jeneva kesi kumarasamane teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta kesi kumara samanassa adurasamamte janavahanaim thavemti, thavetta janavahanehimto pachchoruhamti, pachchoruhitta jeneva kesi kumarasamane teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta kesim kumara-samanam tikkhutto ayahina-payahinam karemti, karetta vamdamti namamsamti, vamditta namamsitta nachchasanne naidure sussusamana namamsamana abhimuha vinaenam pamjaliuda pajjuvasamti. Tae nam tassa sarahissa tam mahajanasaddam cha janakalakalam cha sunetta ya pasetta ya imeyaruve ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppajjittha–kim nam ajja savatthie nayarie imdamahe i va khamdamahe i va ruddamahe i va maumdamahe i va sivamahe i va vesamanamahe i va nagamahe i va jakkhamahe i va bhuyamahe i va thubhamahe i va cheiyamahe i va rukkhamahe i va girimahe i va darimahe i va agadamahe i va naimahe i va saramahe i va sagaramahe i va? Jam nam ime bahave ugga uggaputta bhoga rainna ikkhaga naya koravva khattiya mahana bhada joha pasattharo mallai mallaiputta lechchhai lechchhaiputta ibbha ibbhaputta, anne ya bahave raisara talavara madambiya kodumbiya ibbha setthi senavai satthavahappabhitayo nhaya kayabalikamma kayakouya mamgala payachchhitta sirasa kamthemalakada aviddhamanisuvanna kappiyahara addhahara tisara palamba palambamana kadisuttaya kayasohaharana chamdanolittagayasarira purisavagguraparikhitta mahaya ukkittha sihanaya bola kalakalaravenam samuddaravabhuyam piva karemana ambaratalam piva phodemana egadisae egabhimuha appegatiya hayagaya appegatiya gayagaya appegatiya rahagaya appegatiya siviyagaya appegatiya samdamaniyagaya appegatiya payaviharacharenam mahaya-mahaya vamdavamdaehim niggachchhamti. Evam sampehei, sampehetta kamchui-purisam saddavei, saddavetta evam vayasi–kim nam devanuppiya! Ajja savatthie nagarie imdamahei va java sagaramahei va? Jam nam ime bahave ugga uggaputta bhoga [java?] niggachchhamti. Tae nam se kamchuipurise kesissa kumarasamanassa agamana gahiya vinichchhae chittam sarahim karayalapariggahiyam dasanaham sirasavattam matthae amjalim kattu jaenam vijaenam vaddhavei, vaddhavetta evam vayasi– no khalu devanuppiya! Ajja savatthie nayarie imdamahe i va java sagaramahe i va. Jam nam ime bahave ugga uggaputta java vamdavamdaehim niggachchhamti. Evam khalu bho! Devanuppiya! Pasavachchijje kesi namam kumarasamane jatisampanne java gamanugamam duijjamane ihamagae iha sampatte iha samosadhe iheva savatthie nagarie bahiya kotthae cheie ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai, Tenam ajja savatthie nayarie bahave ugga java ibbha ibbhaputta appegatiya vamdanavattiyae appegaiya puyanavattiyae appegaiya sakkaravattiyae appegaiya sammanavattiyae appegaiya damsanavattiyae appegaiya kouhalavattiyae appegaiya assuyaim sunessamo suyaim nissamkiyaim karissamo, appegaiya mumde bhavitta agarao anagariyam pavvaissamo, appegaiya gihidhammam padivajjissamo, appegaiya jiyameyamti kattu nhaya kayabalikamma kaya kouya mamgala payachchhitta sirasa kamthemalakada aviddhamani suvanna kappiyaharaddhahara-tisarapavara palamba palambamana kadisutta sukaya sohabharana pavaravattha parihiya chamdanolittagayasarira appegaiya hayagaya appegaiya gayagaya appegaiya rahagaya appegaiya siviyagaya appegaiya samdamaniyagaya appegaiya payaviharacharenam mahaya-mahaya vamdavamdaehim niggachchhamti. Tae nam se chitte sarahi kamchui-purisassa amtie eyamattham sochcha nisamma hatthatutthachittamanamdie piimane paramasomanassie harisavasa visappamanahiyae kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasi– khippameva bho! Devanuppiya! Chaugghamtam asa-raham juttameva uvatthaveha, uvatthavetta eyamanattiyam pachchappinaha. Tae nam te kodumbiyapurisa taheva padisunitta khippameva sachchhattam java juddhasajjam chaugghamtam asaraham juttameva uvatthavemti, uvatthavetta tamanattiyam pachchappinamti. Tae nam se chitte sarahi nhae kayabalikamme kayakouya mamgala payachchhitte suddhappavesaim mamgallaim vatthaim pavaraparihite appamahagghabharanalamkiyasarire jeneva chaugghamte asarahe teneva uva-gachchhai, uvagachchhitta chaugghamtam asaraham duruhai, duruhitta sakoremtamalladamenam chhattenam dharijjamanenam mahaya bhada chadagara vamdaparikhitte savatthinagarie majjhammajjhenam niggachchhai, niggachchhitta jeneva kotthae cheie jeneva kesi kumarasamane teneva uvagachchhai, uvagachchhitta kesi kumara samanassa adurasamamte turae niginhai, raham thavei, thavetta rahao pachchoruhati, pachchoruhitta jeneva kesi kumarasamane teneva uvagachchhai, uvagachchhitta kesim kumarasamanam tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta nachchasanne natidure sussusamane namamsamane abhimuhe pamjaliude vinaenam pajjuvasai. Tae nam se kesi kumara-samane chittassa sarahissa tise mahatimahaliyae mahachchaparisae chaujjamam dhammam kahei, tam jaha– savvao panaivayao veramanam, savvao musavayao veramanam, savvao adinnadanao veramanam, savvao pariggahato veramanam. Tae nam sa mahatimahaliya mahachchaparisa kesissa kumarasamanassa amtie dhammam sochcha nisamma jameva disim paubbhuya tameva disim padigaya. Tae nam se chitte sarahi kesissa kumarasamanassa amtie dhammam sochcha nisamma hatthatuttha-chittamanamdie piimane paramasomanassie harisavasa visappamanahiyae utthae utthei, utthetta kesim kumara-samanam tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi– Saddahami nam bhamte! Niggamtham pavayanam. Pattiyami nam bhamte! Niggamtham pavayanam. Roemi nam bhamte! Niggamtham pavayanam. Abbhutthemi nam bhamte! Niggamtham pavayanam. Evameyam bhamte! Tahameyam bhamte! Avitahameyam bhamte! Asamdiddhameyam bhamte! Ichchhiyameyam bhamte! Padichchhiyameyam bhamte! Ichchhiya-padichchhiyameyam bhamte! Jam nam tubbhe vadaha tti kattu vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi– Jaha nam devanuppiyanam amtie bahave ugga uggaputta bhoga java ibbha ibbhaputta chichcha hirannam, evam–dhanam dhannam balam vahanam kosam kotthagaram puram amteuram, chichcha viulam dhana kanaga rayana mani mottiya samkha silappavala samtasarasavaejjam, vichchhadditta vigovaitta, danam daiyanam paribhaitta, mumda bhavitta nam agarao anagariyam pavvayamti, no khalu aham taha samchaemi chichcha hirannam, evam– dhanam dhannam balam vahanam kosam kotthagaram puram amteuram, chichcha viulam dhana kanaga rayana mani mottiya samkha sila ppavala samtasarasavaejjam, vichchhadditta vigovaitta, danam daiyanam paribhaitta mumde bhavitta nam agarao anagariyam pavvaittae, aham nam devanuppiyanam amtie chaujjamiyam gihidhammam padi-vajjissami. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham karehi. Tae nam se chitte sarahi kesissa kumarasamanassa amtie chaujjamiyam gihidhammam uvasampajjittanam viharati. Tae nam se chitte sarahi kesim kumarasamanam vamdai namamsai, vamditta namamsitta jeneva chaugghamte asarahe teneva paharettha gamanae, chaugghamtam asaraham duruhai, duruhitta jameva disim paubbhue tameva disim padigae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tatpashchat shravasti nagari ke shrimgatakom, trikom, chatushkom, chatvarom, chaturmukhom, rajamargom aura margom mem loga apasa mem charcha karane lage, logom ke jhumda ikatthe hone lage, logom ke bolane ki ghomghata sunai parane lagi, jana – kolahala hone laga, bhira ke karana loga apasa mem takarane lage, eka ke bada eka logom ke tole ate dikhai dene lage, idhara – udhara se akara loga eka sthana para ikatthe hone lage, yavat paryupasana karane lage. Taba logom ki batachita, janakolahala sunakara tatha janasamuha ko dekhakara chitta sarathi ko isa prakara ka yaha antarika yavat utpanna hua ki kya aja shravasti nagari mem indramaha hai\? Athava skandamaha hai\? Ya rudramaha, mukundamaha, shivamaha, vaishramanamaha, nagamaha, yakshamaha, bhutamaha, stupamaha, chaityamaha, vrikshamaha, girimaha, darimaha, kupamaha, nadimaha, saramaha athava sagaramaha hai\? Ki jisase ye bahuta se ugravamshiya, ugravamshiyakumara, bhogavamshiya, rajanyavamshiya, ibbha, ibbhaputra tatha dusare bhi aneka raja ishvara, talavara, madambika, kautumbika, ibhyashreshthi, senapati, sarthavaha adi sabhi snana kara, balikarma kara, kautuka – mamgala – prayashchitta kara, mastaka aura gale mem malaem dharana kara, manijatita svarna ke abhushanom se sharira ko vibhushita kara, gale mem hara, ardhahara, tilari, jhumaka, aura kamara mem latakate hue katisutra pahanakara, sharira para chamdana ka lepa kara, anamdatireka se simhanada aura kalakala dhvani se shravasti nagari ko gumjate hue janasamuha ke satha eka hi disha mem mukha karake ja rahe haim adi. Yavat unase mem kitane hi ghoro para savara hokara, kaim hathi para savara hokara, rathom mem baithakara, ya palakhi ya syamdamanika mem baithakara aura kitane hi apane apane samudaya banakara paidala hi ja rahe haim. Aisa vichara kiya aura vichara karake kamchuki purusha ko bulakara usase puchha – devanupriya ! Aja kya shravasti nagari mem indra – mahotsava hai yavat sagarayatra hai ki jisase ye bahuta se ugravamshiya adi sabhi loga apane – apane gharom se nikalakara eka hi disha mem ja rahe haim\? Taba usa kamchuki purusha ne keshi kumarashramana ke padarpana hone ke nishchita samachara janakara donom hatha jora yavat jaya – vijaya shabdom se vadhakara chittasarathi se nivedana kiya – devanupriya ! Aja shravasti nagari mem indra – mahotsava yavat samudrayatra adi nahim hai. Parantu he devanupriya ! Aja jati adi mem sampanna parshvapatya keshi namaka kumarashramana yavat eka grama se dusare grama mem vihara karate hue yaham padhare haim yavat koshthaka chaitya mem birajamana haim. Isi karana aja shravasti nagari ke ye aneka ugravamshiya yavat ibbha, ibbhaputra adi vamdana adi karane ke vichara se bare – bare samudayom mem apane gharom se nikala rahe haim. Tatpashchat kamchuki purusha se yaha bata suna – samajhakara chitta sarathi ne hrishta – tushta yavat harshavibhora hote hue kautumbika purushom ko bulaya. Unase kaha shighra hi chara ghamtom vale ashvaratha ko jotakara upasthita karo. Yavat ve kautumbika purusha chhatrasahita ashvaratha ko jotakara laye. Tadanantara chitta sarathi ne snana kiya, balikarma kiya, kautuka mamgala prayashchitta kiya, shuddha evam sabhauchita mamgalika vastrom ko pahana, alpa kintu bahumulya abhushanom se sharira ko alamkrita kiya aura vaha chara ghantom vale ashvaratha ke pasa aya. Usa chaturghamta ashvaratha para arurha hua evam koramta pushpom ki malaom se sushobhita chhatra dharana karake subhatom ke vishala samudaya ke satha shravasti nagari ke bichom – bicha hokara nikala. Jaham koshthaka namaka chaitya tha aura jaham keshi kumarashramana biraja rahe the, vaham aya. Keshi kumarashramana se kuchha dura ghorom ko roka aura ratha khara kiya. Niche utara. Jaham keshi kumarashramana the, vaham aya. Akara dakshina disha se prarambha kara keshikumara ki tina bara pradakshina ki. Vamdana – namaskara kiya. Samuchita sthana para sammukha baithakara dharmopadesha sunane ki ichchha se namaskara karata hua vinayapurvaka amjali karake paryupasana karane laga. Tatpashchat keshi kumarashramana ne chitta sarathi aura usa ativishala parishad ko chara yama dharma ka upadesha diya. Samasta pranatipata se viramana, samasta mrishavada se virata hona, samasta adattadana se virata hona, samasta bahiddhadana se virata hona. Isake bada vaha ativishala parishad keshi kumarashramana se dharmadeshana sunakara evam hridaya mem dharana kara jisa disha se ai thi, usi aura lauta gai. Tadanantara vaha chitta sarathi keshi kumarashramana se dharma shravana kara evam use hridaya mem dharana kara hrishta – tushta hota hua yavat apane asana se utha. Keshi kumarashramana ki tina bara adakshina pradakshina ki, vandana – namaskara kiya. Isa prakara bola – bhagavan ! Mujhe nirgrantha pravachana mem shraddha hai. Isa para pratiti karata hum. Mujhe nirgrantha pravachana ruchata hai. Maim nirgrantha pravachana ko amgikara karana chahata hum. Yaha nirgrantha pravachana aisa hi hai. Bhagavan ! Yaha tathya hai. Yaha avitatha hai. Asamdigdha hai. Mujhe ichchhita hai, ichchhita, pratichchhita hai yaha vaisa hi hai jaisa apa nirupana karate haim. Aisa kahakara vandana – namaskara kiya, punah bola – devanupriya ! Jisa taraha se apake pasa aneka ugravamshiya, bhogavamshiya yavat ibhya evam ibhyaputra adi hiranya tyaga kara, svarna ko chhorakara tatha dhana, dhanya, bala, vahana, kosha, kothara, pura – nagara, antahpura ka tyaga kara aura vipula dhana, kanaka, ratna, mani, moti, shamkha, shilapravala adi sarabhuta dravyom ka mamatva chhorakara, una sabako dina – daridrom mem vitarita kara, putradi mem bamtavara kara, mundita hokara, pravrajita hue haim, usa prakara ka tyaga kara yavat pravrajita hone mem to maim samartha nahim hum. Maim apa devanupriya ke pasa pamcha anuvrata, sata shikshavrata mulaka baraha prakara ka grihidharma amgikara karana chahata hum. Chitta sarathi ki bhavana ko janakara keshi kumarashramana ne kaha – devanupriya ! Jisase tumhem sukha ho, vaisa karo, kintu pratibamdha mata karo. Taba chitta sarathi ne keshi kumarashramana ke pasa pamcha anuvrata yavat shravaka dharma ko amgikara kiya. Tatpashchat chitta sarathi ne keshi kumarashramana ki vandana ki, namaskara kiya. Jaham chara ghamtom vala ashvaratha tha, usa ora chalane ko tatpara hua. Vaham jakara chara ghamtom vale ashvaratha para arurha hua, phira jisa ora se aya tha, vapasa usi ora lauta gaya. |