Sutra Navigation: Auppatik ( औपपातिक उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005654 | ||
Scripture Name( English ): | Auppatik | Translated Scripture Name : | औपपातिक उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
उपपात वर्णन |
Translated Chapter : |
उपपात वर्णन |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 54 | Category : | Upang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कइसमए णं भंते! आवज्जीकरणे पन्नत्ते? गोयमा! असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए पन्नत्ते। केवलिसमुग्घाए णं भंते! कइसमइए पन्नत्ते? गोयमा! अट्ठसमइए पन्नत्ते, तं जहा–पढमे समए दंडं करेइ, बीए समए कवाडं करेइ, तइए समए मंथं करेइ, चउत्थे समए लोयं पूरेइ, पंचमे समए लोयं पडिसाहरइ, छट्ठे समए मंथं पडिसा-हरइ, सत्तमे समए कबाडं पडिसाहरइ, अट्ठमे समए दंडं पडिसाहरइ, पडिसाहरित्ता सरीरत्थे भवइ। से णं भंते! तहा समुग्घायगए किं मनजोगं जुंजइ? वयजोगं जुंजइ? कायजोगं जुंजइ? गोयमा! नो मणजोगं जुंजइ, नो वयजोगं जुंजइ, कायजोगं जुंजइ। कायजोगं जुंजमाणे किं ओरालियसरीरकायजोगं जुंजइ? ओरालियमीसासरीरकायजोगं जुंजइ? वेउव्वियसरीरकायजोगं जुंजइ? वेउव्वियमीसासरीरकायजोगं जुंजइ? आहारगसरीर-कायजोगं जुंजइ? आहारगमीसासरीरकायजोगं जुंजइ? कम्मगसरीरकायजोगं जुंजइ? गोयमा! ओरालियसरीरकायजोगं जुंजइ, ओरालियमीसासरीरकायजोगं पि जुंजइ, नो वेउव्वियसरी-रकायजोगं जुंजइ, नो वेउव्वियमीसासरीरकायजोगं जुंजइ, नो आहारगसरीरकायजोगं जुंजइ, नो आहारगमीसासरीरकायजोगं जुंजइ, कम्मगसरीरकायजोगं पि जुंजइ। पढमट्ठमेसु समएसु ओरालियसरीरकायजोगं जुंजइ, बिइय छट्ठ सत्तमेसु समएसु ओरालि-यमीसासरीरकायजोगं जुंजइ, तइय चउत्थ पंचमेहिं कम्मसरीरकायजोगं जुंजइ। से णं भंते! तहा समुग्घायगए सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिणिव्वाइ सव्वदुक्खाणमंतं करेइ? नो इणट्ठे समट्ठे। से णं तओ पडिणियत्तइ, पडिणियतित्ता इहमागच्छइ, आगच्छित्ता तओ पच्छा मणजोगं पि जुंजइ, वयजोगं पि जुंजइ, कायजोगं पि जुंजइ। मनजोगं जुंजमाणे किं सच्चमनजोगं जुंजइ? मोसमनजोगं जुंजइ? सच्चामोसमनजोगं जुंजइ? असच्चामोसमनजोगं जुंजइ? गोयमा! सच्चमनजोगं जुंजइ, नो मोसमनजोगं जुंजइ, नो सच्चामोसमनजोगं जुंजइ, असच्चामोसमनजोगं पि जुंजइ वयजोगं जुंजमाणे किं सच्चवइजोगं जुंजइ? मोसवइजोगं जुंजइ? सच्चामोसवइजोगं जुंजइ? असच्चामोसवइजोगं जुंजइ? गोयमा! सच्चवइजोगं जुंजइ, नो मोसवइजोगं जुंजइ, नो सच्चामोसवइजोगं जुंजइ, असच्चामोसवइजोगं पि जुंजइ। कायजोगं जुंजमाणे आगच्छेज्ज वा चिट्ठेज्ज वा निसीएज्ज वा तुयट्टेज्ज वा उल्लंघेज्ज वा पल्लंघेज्ज वा, उक्खेवणं वा अवक्खेवणं वा तिरियक्खेवणं वा करेज्जा, पाडिहारियं वा पीढ फलग सेज्जा संथारगं पच्चप्पिणेज्जा। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! आवर्जीकरण का प्रक्रियाक्रम कितने समय का कहा गया है ? गौतम ! वह असंख्येय समयवर्ती अन्तर्मुहूर्त्त का कहा गया है। भगवन् ! केवली – समुद्घात कितने समय का कहा गया है ? गौतम ! आठ समय का है। जैसे – पहले समय में केवली आत्मप्रदेशों को विस्तीर्ण कर दण्ड के आकार में करते हैं। दूसरे समय में वे आत्मप्रदेशों को विस्तीर्ण कर कपाटाकार करते हैं। तीसरे समय में केवली उन्हें विस्तीर्ण कर मन्थनाकार करते हैं। चौथे समय केवली लोकशिखर सहित इनके अन्तराल की पूर्ति हेतु आत्मप्रदेशों को विस्तीर्ण करते हैं। पाँचवे समय में अन्तराल स्थित आत्मप्रदेशों को प्रतिसंहृत करते हैं। छठे समय में मथानी के आकार में अवस्थित आत्म – प्रदेशों को, सातवें समय में कपाट के आकार में स्थित आत्मप्रदेशों को और आठवें समय में दण्ड के आकार में स्थित आत्मप्रदेशों को प्रतिसंहृत करते हैं। तत्पश्चात् वे (पूर्ववत्) शरीरस्थ हो जाते हैं। भगवन् ! समुद्घातगत केवली क्या मनोयोग का, वचन – योग का, क्या काय – योग का प्रयोग करते हैं ? गौतम ! वे मनोयोग का प्रयोग नहीं करते। वचन – योग का प्रयोग नहीं करते। वे काय – योग का प्रयोग करते हैं। भगवन् ! काय – योग को प्रयुक्त करते हुए क्या वे औदारिक – शरीर – काय – योग का प्रयोग करते हैं ? क्या औदारिक – मिश्र – औदारिक और कार्मण – दोनों शरीरों से क्रिया करते हैं ? क्या वैक्रिय शरीर से क्रिया करते हैं ? क्या वैक्रिय – मिश्र – कार्मण – मिश्रित या औदारिक – मिश्रित वैक्रिय शरीर से क्रिया करते हैं ? क्या आहारक शरीर से क्रिया करते हैं ? क्या आहारक – मिश्र – औदारिक – मिश्रित आहारक शरीर से क्रिया करते हैं ? क्या कार्मण शरीर से क्रिया करते हैं ? अर्थात् सात प्रकार के काययोग में से किसी काययोग का प्रयोग करते हैं ? गौतम ! वे औदारिक – शरीर – काय – योग का प्रयोग करते हैं, औदारिक – मिश्र शरीर से भी क्रिया करते हैं। वे वैक्रिय शरीर से क्रिया नहीं करते। वैक्रिय – मिश्र शरीर से क्रिया नहीं करते। आहारक शरीर से क्रिया नहीं करते। आहारक – मिश्र शरीर से भी क्रिया नहीं करते। पर औदारिक तथा औदारिक – मिश्र के साथ – साथ कार्मण – शरीर – काय – योग का भी प्रयोग करते हैं। पहले और आठवें समय में वे औदारिक शरीर – काययोग का प्रयोग करते हैं। दूसरे, छठे और सातवें समय में वे औदारिक मिश्र शरीर – काययोग का प्रयोग करते हैं। तीसरे, चौथे और पाँचवे समय में वे कार्मण शरीर – काययोग का प्रयोग करते हैं। भगवन् ! क्या समुद्घातगत कोई सिद्ध होते हैं ? बुद्ध होते हैं ? मुक्त होते हैं ? परितिर्वृत्त होते हैं ? सब दुःखों का अन्त करते हैं ? गौतम ! ऐसा नहीं होता। वे उससे वापस लौटते हैं। लौटकर अपने ऐहिक शरीर में आते हैं। तत्पश्चात् मनोयोग, वचनयोग तथा काययोग का भी प्रयोग करते हैं – भगवन् ! मनोयोग का उपयोग करते हुए क्या सत्य मनोयोग का उपयोग करते हैं ? क्या मृषा मनोयोग का उपयोग करते हैं ? क्या सत्य – मृषा मनोयोग का उपयोग करते हैं ? क्या अ – सत्य – अ – मृषा व्यवहार – मनोयोग का उपयोग करते हैं ? गौतम ! वे सत्य मनोयोग का उपयोग करते हैं। असत्य मनोयोग का उपयोग नहीं करते। सत्य – असत्य – मिश्रित मनोयोग का उपयोग नहीं करते। किन्तु अ – सत्य – अमृषा – मनोयोग – व्यवहार मनोयोग का वे उपयोग करते हैं। भगवन् ! वाक्योग को प्रयुक्त करते हुए क्या सत्य वाक् – योग को प्रयुक्त करते हैं ? मृषा – वाक् – योग को प्रयुक्त करते हैं ? सत्य – मृषा – वाक् योग को प्रयुक्त करते हैं ? क्या असत्य – अमृषा – वाक् – योग को प्रयुक्त करते हैं ? गौतम ! वे सत्य – वाक् – योग को प्रयुक्त करते हैं। मृषा – वाक् – योग को प्रयुक्त नहीं करते। न वे सत्य – मृषा – वाक् – योग को ही प्रयुक्त करते हैं। वे असत्य – अमृषा – वाक् – योग – व्यवहार – वचन – योग को भी प्रयुक्त करते हैं। वे काययोग को प्रवृत्त करते हुए आगमन करते हैं, स्थित होते हैं – बैठते हैं, लेटते हैं, उल्लंघन करते हैं, प्रलंघन करते हैं, उत्क्षेपण करते हैं तथा तिर्यक् क्षेपण करते हैं। अथवा ऊंची, नीची और तीरछी गति करते हैं। काम में ले लेने के बाद प्राति – हारिक आदि लौटाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kaisamae nam bhamte! Avajjikarane pannatte? Goyama! Asamkhejjasamaie amtomuhuttie pannatte. Kevalisamugghae nam bhamte! Kaisamaie pannatte? Goyama! Atthasamaie pannatte, tam jaha–padhame samae damdam karei, bie samae kavadam karei, taie samae mamtham karei, chautthe samae loyam purei, pamchame samae loyam padisaharai, chhatthe samae mamtham padisa-harai, sattame samae kabadam padisaharai, atthame samae damdam padisaharai, padisaharitta sariratthe bhavai. Se nam bhamte! Taha samugghayagae kim manajogam jumjai? Vayajogam jumjai? Kayajogam jumjai? Goyama! No manajogam jumjai, no vayajogam jumjai, kayajogam jumjai. Kayajogam jumjamane kim oraliyasarirakayajogam jumjai? Oraliyamisasarirakayajogam jumjai? Veuvviyasarirakayajogam jumjai? Veuvviyamisasarirakayajogam jumjai? Aharagasarira-kayajogam jumjai? Aharagamisasarirakayajogam jumjai? Kammagasarirakayajogam jumjai? Goyama! Oraliyasarirakayajogam jumjai, oraliyamisasarirakayajogam pi jumjai, no veuvviyasari-rakayajogam jumjai, no veuvviyamisasarirakayajogam jumjai, no aharagasarirakayajogam jumjai, no aharagamisasarirakayajogam jumjai, kammagasarirakayajogam pi jumjai. Padhamatthamesu samaesu oraliyasarirakayajogam jumjai, biiya chhattha sattamesu samaesu orali-yamisasarirakayajogam jumjai, taiya chauttha pamchamehim kammasarirakayajogam jumjai. Se nam bhamte! Taha samugghayagae sijjhai bujjhai muchchai parinivvai savvadukkhanamamtam karei? No inatthe samatthe. Se nam tao padiniyattai, padiniyatitta ihamagachchhai, agachchhitta tao pachchha manajogam pi jumjai, vayajogam pi jumjai, kayajogam pi jumjai. Manajogam jumjamane kim sachchamanajogam jumjai? Mosamanajogam jumjai? Sachchamosamanajogam jumjai? Asachchamosamanajogam jumjai? Goyama! Sachchamanajogam jumjai, no mosamanajogam jumjai, no sachchamosamanajogam jumjai, asachchamosamanajogam pi jumjai Vayajogam jumjamane kim sachchavaijogam jumjai? Mosavaijogam jumjai? Sachchamosavaijogam jumjai? Asachchamosavaijogam jumjai? Goyama! Sachchavaijogam jumjai, no mosavaijogam jumjai, no sachchamosavaijogam jumjai, asachchamosavaijogam pi jumjai. Kayajogam jumjamane agachchhejja va chitthejja va nisiejja va tuyattejja va ullamghejja va pallamghejja va, ukkhevanam va avakkhevanam va tiriyakkhevanam va karejja, padihariyam va pidha phalaga sejja samtharagam pachchappinejja. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Avarjikarana ka prakriyakrama kitane samaya ka kaha gaya hai\? Gautama ! Vaha asamkhyeya samayavarti antarmuhurtta ka kaha gaya hai. Bhagavan ! Kevali – samudghata kitane samaya ka kaha gaya hai\? Gautama ! Atha samaya ka hai. Jaise – pahale samaya mem kevali atmapradeshom ko vistirna kara danda ke akara mem karate haim. Dusare samaya mem ve atmapradeshom ko vistirna kara kapatakara karate haim. Tisare samaya mem kevali unhem vistirna kara manthanakara karate haim. Chauthe samaya kevali lokashikhara sahita inake antarala ki purti hetu atmapradeshom ko vistirna karate haim. Pamchave samaya mem antarala sthita atmapradeshom ko pratisamhrita karate haim. Chhathe samaya mem mathani ke akara mem avasthita atma – pradeshom ko, satavem samaya mem kapata ke akara mem sthita atmapradeshom ko aura athavem samaya mem danda ke akara mem sthita atmapradeshom ko pratisamhrita karate haim. Tatpashchat ve (purvavat) sharirastha ho jate haim. Bhagavan ! Samudghatagata kevali kya manoyoga ka, vachana – yoga ka, kya kaya – yoga ka prayoga karate haim\? Gautama ! Ve manoyoga ka prayoga nahim karate. Vachana – yoga ka prayoga nahim karate. Ve kaya – yoga ka prayoga karate haim. Bhagavan ! Kaya – yoga ko prayukta karate hue kya ve audarika – sharira – kaya – yoga ka prayoga karate haim\? Kya audarika – mishra – audarika aura karmana – donom sharirom se kriya karate haim\? Kya vaikriya sharira se kriya karate haim\? Kya vaikriya – mishra – karmana – mishrita ya audarika – mishrita vaikriya sharira se kriya karate haim\? Kya aharaka sharira se kriya karate haim\? Kya aharaka – mishra – audarika – mishrita aharaka sharira se kriya karate haim\? Kya karmana sharira se kriya karate haim\? Arthat sata prakara ke kayayoga mem se kisi kayayoga ka prayoga karate haim\? Gautama ! Ve audarika – sharira – kaya – yoga ka prayoga karate haim, audarika – mishra sharira se bhi kriya karate haim. Ve vaikriya sharira se kriya nahim karate. Vaikriya – mishra sharira se kriya nahim karate. Aharaka sharira se kriya nahim karate. Aharaka – mishra sharira se bhi kriya nahim karate. Para audarika tatha audarika – mishra ke satha – satha karmana – sharira – kaya – yoga ka bhi prayoga karate haim. Pahale aura athavem samaya mem ve audarika sharira – kayayoga ka prayoga karate haim. Dusare, chhathe aura satavem samaya mem ve audarika mishra sharira – kayayoga ka prayoga karate haim. Tisare, chauthe aura pamchave samaya mem ve karmana sharira – kayayoga ka prayoga karate haim. Bhagavan ! Kya samudghatagata koi siddha hote haim\? Buddha hote haim\? Mukta hote haim\? Paritirvritta hote haim\? Saba duhkhom ka anta karate haim\? Gautama ! Aisa nahim hota. Ve usase vapasa lautate haim. Lautakara apane aihika sharira mem ate haim. Tatpashchat manoyoga, vachanayoga tatha kayayoga ka bhi prayoga karate haim – bhagavan ! Manoyoga ka upayoga karate hue kya satya manoyoga ka upayoga karate haim\? Kya mrisha manoyoga ka upayoga karate haim\? Kya satya – mrisha manoyoga ka upayoga karate haim\? Kya a – satya – a – mrisha vyavahara – manoyoga ka upayoga karate haim\? Gautama ! Ve satya manoyoga ka upayoga karate haim. Asatya manoyoga ka upayoga nahim karate. Satya – asatya – mishrita manoyoga ka upayoga nahim karate. Kintu a – satya – amrisha – manoyoga – vyavahara manoyoga ka ve upayoga karate haim. Bhagavan ! Vakyoga ko prayukta karate hue kya satya vak – yoga ko prayukta karate haim\? Mrisha – vak – yoga ko prayukta karate haim\? Satya – mrisha – vak yoga ko prayukta karate haim\? Kya asatya – amrisha – vak – yoga ko prayukta karate haim\? Gautama ! Ve satya – vak – yoga ko prayukta karate haim. Mrisha – vak – yoga ko prayukta nahim karate. Na ve satya – mrisha – vak – yoga ko hi prayukta karate haim. Ve asatya – amrisha – vak – yoga – vyavahara – vachana – yoga ko bhi prayukta karate haim. Ve kayayoga ko pravritta karate hue agamana karate haim, sthita hote haim – baithate haim, letate haim, ullamghana karate haim, pralamghana karate haim, utkshepana karate haim tatha tiryak kshepana karate haim. Athava umchi, nichi aura tirachhi gati karate haim. Kama mem le lene ke bada prati – harika adi lautate haim. |