Sutra Navigation: Upasakdashang ( उपासक दशांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005143 | ||
Scripture Name( English ): | Upasakdashang | Translated Scripture Name : | उपासक दशांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-७ सद्दालपुत्र |
Translated Chapter : |
अध्ययन-७ सद्दालपुत्र |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 43 | Category : | Ang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिलियंमि अह पंडुरे पहाए रत्तासोग-प्पगास-किंसुय-सुयमुह-गुंजद्धरागसरिसे कमलागरसंडबोहए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिनयरे तेयसा जलंते समणे भगवं महावीरे जाव जेणेव पोलासपुरे नयरे जेणेव सहस्संबवने उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। परिसा निग्गया। कूणिए राया जहा, तहा जियसत्तू निग्गच्छइ जाव पज्जुवासइ। तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे–एवं खलु समणे भगवं महावीरे पुव्वाणु-पुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव पोलासपुरस्स नयरस्स बहिया सहस्संबवणे उज्जाणे अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि णमंसामि सक्कारेमि सम्माणेमि कल्लाण मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि–एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता ण्हाए कयबलिकम्मे कय-कोउय-मंगल पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाइं पवर परिहिए अप्पमहग्घा-भरणालंकियसरीरे मनुस्सवग्गुरापरिगए साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पोलासपुरं नयरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सहस्संबवने उज्जाणे, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासण्णे नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे विनएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ। तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स तीसे य महइ-महालियाए परिसाए जाव धम्मं परिकहेइ। सद्दालपुत्ताइ! समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं वयासी–से नूणं सद्दालपुत्ता! कल्लं तुमं पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया, तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अंतियं धम्मपन्नत्ति उवसंपज्जित्ता णं विहरसि। तए णं तुब्भं एगे देवे अंतियं पाउब्भवित्था। तए णं से देवे अंतलिक्खपडिवण्णे सखिंखिणियाइं पंचवण्णाइं वत्थाइं पवर परिहिए तुमं एवं वयासी–हंभो! सद्दालपुत्ता! एहिइ णं देवानुप्पिया! कल्लं इहं महामाहणे जाव तच्च-कम्मसंपया-संपउत्ते! तं णं तुमं वंदेज्जाहि णमंसेज्जाहि सक्कारेज्जाहि सम्माणेज्जाहि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेज्जाहि, पाडिहारिएणं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं उवनिमंतेज्जाहि। दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयइ, वइत्ता जामेव दिसं पाउब्भूए, तामेव दिसं पडिगए। तए णं तुब्भं तेणं देवेणं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पण्णे–एवं खलु मम धम्मायरिए धम्मोवएसए गोसाले मंखलिपुत्ते–से णं महामाहणे जाव तच्च-कम्मसंपया-संपउत्ते, से णं कल्लं इह हव्वमागच्छिस्संति तए णं तं अहं वंदिस्सामि नमंसिस्सामि सक्कारेस्सामि सम्माणेस्सामि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासिस्सामि, पाडिहारिएणं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं उवनिमंतिस्सामि। से नूणं सद्दालपुत्ता! अट्ठे समट्ठे? हंता अत्थि। तं नो खलु सद्दालपुत्ता! तेणं देवेणं गोसालं मंखलिपुत्तं पणिहाय एवं वुत्ते। तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासयस्स समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पन्ने–एस णं समणे भगवं महावीरे महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे तीयप्पडुपन्नाणागयजाणए अरहा जिणे केवली सव्वण्णू सव्वदरिसी तेलोक्कचहिय-महिय-पूइए सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स अच्चणिज्जे पूयणिज्जे वंदणिज्जे नमंसणिज्जे सक्कारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्जे तच्च-कम्मसंपया-संपउत्ते। तं सेयं खलु ममं समणं भगवं महावीरं वंदित्ता नमंसित्ता पाडिहारिएणं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं उवनिमंतेत्तए–एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– एवं खलु भंते! मम पोसालपुरस्स नयरस्स बहिया पंच कुंभारावणसया। तत्थ णं तुब्भे पाडिहारियं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारयं ओगिण्हित्ता णं विहरइ। तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्स अजीविओवासगस्स एयमट्ठं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स पंचसु कुंभारावणसएसु फासुएसणिज्जं पाडिहारियं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारयं ओगिण्हित्ता णं विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | तत्पश्चात् अगले दिन प्रातः काल भगवान महावीर पधारे। परीषद् जुड़ी, भगवान की पर्युपासना की। आजीविकोपासक सकडालपुत्र ने यह सूना कि भगवान महावीर पोलासपुर नगर में पधारे हैं। उसने सोचा – मैं जाकर भगवान की वन्दना, यावत् पर्युपासना करूँ। यों सोचकर उसने स्नान किया, शुद्ध, सभायोग्य वस्त्र पहने। थोड़े से बहुमूल्य आभूषणों से देह को अलंकृत किया, अनेक लोगों को साथ लिए वह अपने घर से नीकला, पोलासपुर नगर से सहस्राम्रवन उद्यान में, जहाँ भगवान महावीर विराजित थे, आया। तीन बार आदक्षिण – प्रदक्षिणा की, वन्दन – नमस्कार किया यावत् पर्युपासना की। तब श्रमण भगवान महावीर ने आजीविकोपासक सकडालपुत्र को तथा विशाल परीषद् को धर्म – देशना दी। श्रमण भगवान महावीर ने आजीविकोपासक सकडालपुत्र से कहा – सकडालपुत्र ! कल दोपहर के समय तुम जब अशोकवाटिका में थे तब एक देव तुम्हारे समक्ष प्रकट हुआ, आकाशस्थित देव ने तुम्हें यों कहा – कल प्रातः अर्हत्, केवली आएंगे। भगवान ने सकडालपुत्र को पर्युपासना तक सारा वृत्तान्त कहा। फिर पूछा – सकडालपुत्र ! क्या ऐसा हुआ ? सकडालपुत्र बोला – ऐसा ही हुआ। तब भगवान ने कहा – सकडालपुत्र ! उस देव ने मंखलिपुत्र गोशालक को लक्षित कर वैसा नहीं कहा था। श्रमण भगवान महावीर द्वारा यों कहे जाने पर आजीविकोपासक सकडालपुत्र के मन में ऐसा विचार आया – श्रमण भगवान महावीर ही महामाहन, उत्पन्न ज्ञान, दर्शन के धारक तथा सत्कर्म – सम्पत्ति – युक्त हैं। अतः मेरे लिए यह श्रेयस्कर है कि मैं श्रमण भगवान महावीर को वन्दन – नमस्कार कर प्रातिहारिक पीठ, फलक हेतु आमंत्रित करूँ। श्रमण भगवान महावीर को वन्दन – नमस्कार किया और बोला – भगवन् ! पोलासपुर नगर के बाहर मेरी पाँच – सौ कुम्हारगिरि की कर्मशालाएं हैं। आप वहाँ प्रातिहारिक पीठ, संस्तारक ग्रहण कर बिराजे। भगवान महावीर ने आजीविकोपासक सकडलापुत्र का यह निवेदन स्वीकार किया तथा उसकी पाँच सौ कुम्हारगिरि की कर्मशालाओं में प्रासुक, शुद्ध प्रातिहारिक पीठ, फलक, संस्तारक ग्रहण कर भगवान अवस्थित हुए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam kallam pauppabhayae rayanie phulluppalakamalakomalummiliyammi aha pamdure pahae rattasoga-ppagasa-kimsuya-suyamuha-gumjaddharagasarise kamalagarasamdabohae utthiyammi sure sahassarassimmi dinayare teyasa jalamte samane bhagavam mahavire java jeneva polasapure nayare jeneva sahassambavane ujjane teneva uvagachchhai, uvagachchhitta ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Parisa niggaya. Kunie raya jaha, taha jiyasattu niggachchhai java pajjuvasai. Tae nam se saddalaputte ajiviovasae imise kahae laddhatthe samane–evam khalu samane bhagavam mahavire puvvanu-puvvim charamane gamanugamam duijjamane ihamagae iha sampatte iha samosadhe iheva polasapurassa nayarassa bahiya sahassambavane ujjane ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Tam gachchhami nam samanam bhagavam mahaviram vamdami namamsami sakkaremi sammanemi kallana mamgalam devayam cheiyam pajjuvasami–evam sampehei, sampehetta nhae kayabalikamme kaya-kouya-mamgala payachchhitte suddhappavesaim mamgallaim vatthaim pavara parihie appamahaggha-bharanalamkiyasarire manussavagguraparigae sao gihao padinikkhamai, padinikkhamitta polasapuram nayaram majjhammajjhenam niggachchhai, niggachchhitta jeneva sahassambavane ujjane, jeneva samane bhagavam mahavire, teneva uvagachchhai, uvagachchhitta tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta nachchasanne naidure sussusamane namamsamane abhimuhe vinaenam pamjaliude pajjuvasai. Tae nam samane bhagavam mahavire saddalaputtassa ajiviovasagassa tise ya mahai-mahaliyae parisae java dhammam parikahei. Saddalaputtai! Samane bhagavam mahavire saddalaputtam ajiviovasayam evam vayasi–se nunam saddalaputta! Kallam tumam pachchavaranhakalasamayamsi jeneva asogavaniya, teneva uvagachchhasi, uvagachchhitta gosalassa mamkhaliputtassa amtiyam dhammapannatti uvasampajjitta nam viharasi. Tae nam tubbham ege deve amtiyam paubbhavittha. Tae nam se deve amtalikkhapadivanne sakhimkhiniyaim pamchavannaim vatthaim pavara parihie tumam evam vayasi–hambho! Saddalaputta! Ehii nam devanuppiya! Kallam iham mahamahane java tachcha-kammasampaya-sampautte! Tam nam tumam vamdejjahi namamsejjahi sakkarejjahi sammanejjahi kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasejjahi, padiharienam pidha-phalaga-sejja-samtharaenam uvanimamtejjahi. Dochcham pi tachcham pi evam vayai, vaitta jameva disam paubbhue, tameva disam padigae. Tae nam tubbham tenam devenam evam vuttassa samanassa imeyaruve ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppanne–evam khalu mama dhammayarie dhammovaesae gosale mamkhaliputte–se nam mahamahane java tachcha-kammasampaya-sampautte, se nam kallam iha havvamagachchhissamti tae nam tam aham vamdissami namamsissami sakkaressami sammanessami kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasissami, padiharienam pidha-phalaga-sejja-samtharaenam uvanimamtissami. Se nunam saddalaputta! Atthe samatthe? Hamta atthi. Tam no khalu saddalaputta! Tenam devenam gosalam mamkhaliputtam panihaya evam vutte. Tae nam tassa saddalaputtassa ajiviovasayassa samanenam bhagavaya mahavirenam evam vuttassa samanassa imeyaruve ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppanne–esa nam samane bhagavam mahavire mahamahane uppannananadamsanadhare tiyappadupannanagayajanae araha jine kevali savvannu savvadarisi telokkachahiya-mahiya-puie sadevamanuyasurassa logassa achchanijje puyanijje vamdanijje namamsanijje sakkaranijje sammananijje kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasanijje tachcha-kammasampaya-sampautte. Tam seyam khalu mamam samanam bhagavam mahaviram vamditta namamsitta padiharienam pidha-phalaga-sejja-samtharaenam uvanimamtettae–evam sampehei, sampehetta utthae utthei, utthetta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi– Evam khalu bhamte! Mama posalapurassa nayarassa bahiya pamcha kumbharavanasaya. Tattha nam tubbhe padihariyam pidha-phalaga-sejja-samtharayam oginhitta nam viharai. Tae nam samane bhagavam mahavire saddalaputtassa ajiviovasagassa eyamattham padisunei, padisunetta saddalaputtassa ajiviovasagassa pamchasu kumbharavanasaesu phasuesanijjam padihariyam pidha-phalaga-sejja-samtharayam oginhitta nam viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tatpashchat agale dina pratah kala bhagavana mahavira padhare. Parishad juri, bhagavana ki paryupasana ki. Ajivikopasaka sakadalaputra ne yaha suna ki bhagavana mahavira polasapura nagara mem padhare haim. Usane socha – maim jakara bhagavana ki vandana, yavat paryupasana karum. Yom sochakara usane snana kiya, shuddha, sabhayogya vastra pahane. Thore se bahumulya abhushanom se deha ko alamkrita kiya, aneka logom ko satha lie vaha apane ghara se nikala, polasapura nagara se sahasramravana udyana mem, jaham bhagavana mahavira virajita the, aya. Tina bara adakshina – pradakshina ki, vandana – namaskara kiya yavat paryupasana ki. Taba shramana bhagavana mahavira ne ajivikopasaka sakadalaputra ko tatha vishala parishad ko dharma – deshana di. Shramana bhagavana mahavira ne ajivikopasaka sakadalaputra se kaha – sakadalaputra ! Kala dopahara ke samaya tuma jaba ashokavatika mem the taba eka deva tumhare samaksha prakata hua, akashasthita deva ne tumhem yom kaha – kala pratah arhat, kevali aemge. Bhagavana ne sakadalaputra ko paryupasana taka sara vrittanta kaha. Phira puchha – sakadalaputra ! Kya aisa hua\? Sakadalaputra bola – aisa hi hua. Taba bhagavana ne kaha – sakadalaputra ! Usa deva ne mamkhaliputra goshalaka ko lakshita kara vaisa nahim kaha tha. Shramana bhagavana mahavira dvara yom kahe jane para ajivikopasaka sakadalaputra ke mana mem aisa vichara aya – shramana bhagavana mahavira hi mahamahana, utpanna jnyana, darshana ke dharaka tatha satkarma – sampatti – yukta haim. Atah mere lie yaha shreyaskara hai ki maim shramana bhagavana mahavira ko vandana – namaskara kara pratiharika pitha, phalaka hetu amamtrita karum. Shramana bhagavana mahavira ko vandana – namaskara kiya aura bola – bhagavan ! Polasapura nagara ke bahara meri pamcha – sau kumharagiri ki karmashalaem haim. Apa vaham pratiharika pitha, samstaraka grahana kara biraje. Bhagavana mahavira ne ajivikopasaka sakadalaputra ka yaha nivedana svikara kiya tatha usaki pamcha sau kumharagiri ki karmashalaom mem prasuka, shuddha pratiharika pitha, phalaka, samstaraka grahana kara bhagavana avasthita hue. |