Sutra Navigation: Upasakdashang ( उपासक दशांग सूत्र )

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Sr No : 1005146
Scripture Name( English ): Upasakdashang Translated Scripture Name : उपासक दशांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

अध्ययन-७ सद्दालपुत्र

Translated Chapter :

अध्ययन-७ सद्दालपुत्र

Section : Translated Section :
Sutra Number : 46 Category : Ang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए जाए–अभिगयजीवाजीवे जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असन-पान-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसह-भेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणे विहरइ। तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणोवासिया जाया–अभिगयजीवाजीवा जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असन-पान-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसह-भेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणी विहरइ। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे–एवं खलु सद्दालपुत्ते आजीवियसमयं वमित्ता समणाणं निग्गंथाणं दिट्ठिं पवण्णे, तं गच्छामि णं सद्दालपुत्तं आजीविओ-वासयं समणाणं निग्गंथाणं दिट्ठिं वामेत्ता पुणरवि आजीवियदिट्ठिं गेण्हावित्तए त्ति कट्टु–एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता आजीवियसंघपरिवुडे जेणेव पोलासपुरे नयरे, जेणेव आजीवियसभा, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भंडगनिक्खेवं करेइ, करेत्ता कतिवएहिं आजीविएहिं सद्धिं जेणेव सद्दालपुत्ते समणोवासए, तेणेव उवागच्छइ। तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मंखलिपुत्तं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता नो आढाति नो परिजाणति, अणाढामाणे अपरिजाणमाणे तुसिणीए संचिट्ठइ। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सद्दालपुत्तेणं समणोवासएणं अणाढिज्जमाणे अपरिजा-णिज्जमाणे पीढ-फलग-सेज्जा-संथारट्ठयाए समणस्स भगवओ महावीरस्स गुणकित्तणं करेइ–आगए णं देवानुप्पिया! इह महामाहणे? तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी–के णं देवानुप्पिया! महामाहणे? तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी–समणे भगवं महावीरे महामाहणे। से केणट्ठेणं देवानुप्पिया! एवं वुच्चइ–समणे भगवं महावीरे महामाहणे? एवं खलु सद्दालपुत्ता! समणे भगवं महावीरे महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे तीयप्पडुपण्णाणा-गयजाणए अरहा जिणे केवली सव्वण्णू सव्वदरिसी तेलोक्क-चहिय-महिय-पूइए सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स अच्चणिज्जे पूयणिज्जे वंदणिज्जे नमंसणिज्जे सक्कारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्जे तच्च-कम्मसंपया-संपउत्ते। से तेणट्ठेणं देवानुप्पिया! एवं वुच्चइ–समणे भगवं महावीरे महामाहणे। आगए णं देवानुप्पिया! इहं महागोवे? के णं देवानुप्पिया! महागोवे? समणे भगवं महावीरे महागोवे। से केणट्ठेणं देवानुप्पिया! एवं वुच्चइ–समणे भगवं महावीरे महागोवे? एवं खलु देवानुप्पिया! समणे भगवं महावीरे संसाराडवीए बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे खज्जमाणे छिज्जमाणे भिज्ज-माणे लुप्पमाणे विलुप्पमाणे धम्ममएणं दंडेणं सारक्खमाणे संगोवेमाणे निव्वाणमहावाडं साहत्थिं संपावेइ। से तेणट्ठेणं सद्दालपुत्ता! एवं वुच्चइ–समणे भगवं महावीरे महागोवे। आगए णं देवानुप्पिया! इहं महासत्थवाहे? के णं देवानुप्पिया! महासत्थवाहे? सद्दालपुत्ता! समणे भगवं महावीरे महासत्थवाहे। से केणट्ठेणं देवानुप्पिया! एवं वुच्चइ–समणे भगवं महावीरे महासत्थवाहे? एवं खलु देवानुप्पिया! समणे भगवं महावीरे संसाराडवीए बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे खज्जमाणे छिज्जमाणे भिज्जमाणे लुप्पमाणे विलुप्पमाणे उम्मग्गपडिवण्णे धम्म-मएणं पंथेणं सारक्खमाणे निव्वाणमहापट्टण साहत्थिं संपावेइ। से तेणट्ठेणं सद्दालपुत्ता! एवं वुच्चइ–समणे भगवं महावीरे महा-सत्थवाहे। आगए णं देवानुप्पिया! इहं महाधम्मकही? के णं देवानुप्पिया! महाधम्मकही? समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही। से केणट्ठेणं देवानुप्पिया! एवं वुच्चइ–समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही? एवं खलु देवानुप्पिया! समणे भगवं महावीरे महइमहालयंसि संसारंसि बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे खज्जमाणे छिज्जमाणे भिज्जमाणे लुप्पमाणे विलुप्पमाणे उम्मग्गपडि-वण्णे सप्पहविप्पणट्ठे मिच्छत्तबलाभिभूए अट्ठविहकम्मतमपडल-पडोच्छण्णे बहूहिं अट्ठेहि य हेऊहि य पसिणेहि य कारणेहि य वागरणेहि य निप्पट्ठ-पसिण०-वागरणेहि य चाउरंताओ संसारकंताराओ साहत्थिं नित्थारेइ। से तेणट्ठेणं देवानुप्पिया! एवं वुच्चइ–समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही। आगए णं देवानुप्पिया! इहं महानिज्जामए? के णं देवानुप्पिया! महानिज्जामए? समणे भगवं महावीरे महानिज्जामए। से केणट्ठेणं देवानुप्पिया! एवं वुच्चइ–समणे भगवं महावीरे महानिज्जामए? एवं खलु देवानुप्पिया! समणे भगवं महावीरे संसारमहासमुद्दे बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे खज्जमाणे छिज्जमाणे भिज्जमाणे लुप्पमाणे विलुप्पमाणे बुड्डमाणे निबुड्डमाणे उप्पियमाणे धम्ममईए नावाए निव्वाणतीराभिमुहे साहत्थिं संपावेइ। से तेणट्ठेणं देवानुप्पिया! एवं वुच्चइ–समणे भगवं महावीरे महानिज्जामए। तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी–तुब्भे णं देवानुप्पिया! इयच्छेया इयदच्छा इयपट्ठा इयनिउणा इयनयवादी इय उवएसलद्धा इयविण्णाणपत्ता। पभू णं तुब्भे मम धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं समणेणं भगवया महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए? नो इणट्ठे समट्ठे। से केणट्ठेणं देवानुप्पिया! एवं वुच्चइ–नो खलु पभू तुब्भे मम धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं समणेणं भगवया महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए? सद्दालपुत्ता! से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे जुगवं बलवं अप्पायंके थिरग्गहत्थे पडिपुण्णपाणिपाए पिट्ठंतरोरुसंघायपरिणए घणनिचियवट्टवलियखंधे लंघण-वग्गण-जयण-वायाम-समत्थे चम्मेट्ठ-दुघण-मुट्ठिय-समाहय-निचियगत्ते उरस्सबलसमन्नागए ताल-जमलजूयलबाह छेए दक्खे पत्तट्ठे निउणसिप्पोवगए एगं महं अयं वा एलयं वा सूयरं वा कुक्कुडं वा तित्तरं वा वट्टयं वा लावयं वा कवोयं वा कविंजलं वा वायसं वा सेणयं वा, हत्थंसि वा पायंसि वा खुरंसि वा पुच्छंसि वा पिच्छंसि वा सिंगंसि वा विसाणंसि वा रोमंसि वा जहिं-जहिं गिण्हइ, तहिं-तहिं निच्चलं निप्फंदं करेइ, एवामेव समणे भगवं महावीरे ममं बहूहिं अट्ठेहिं य हेऊहिं य पसिणेहिं य कारणेहिं य वागरणेहिं य जहिं-जहिं गिण्हइ, तहिं-तहिं निप्पट्ठ-पसिणवागरणं करेइ। से तेणट्ठेणं सद्दालपुत्ता! एवं वुच्चइ–नो खलु पभू अहं तव धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं समणेणं भगवया महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए। णं से सद्दालपुत्ते! समणोवासए गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी– जम्हा णं देवानुप्पिया! तुब्भे मम धम्मा-यरिस्स धम्मोवएसगस्स समणस्स भगवओ महा-वीरस्स संतेहि तच्चेहिं तहिएहिं सब्भूएहिं भावेहिं गुणकित्तणं करेह, तम्हा णं अहं तुब्भे पाडिहारिएणं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं उवनिमंतेमि, नो चेव णं धम्मो त्ति वा तवो त्ति वा। तं गच्छह णं तुब्भे मम कुंभारावणेसु पाडिहारियं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारयं ओगिण्हित्ता णं विहरह। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स एयमट्ठं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता कुंभारावणेसु पाडिहारियं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारयं ओगिण्हित्ता णं विहरइ। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सद्दालपुत्तं समणोवासयं जाहे नो संचाएइ बहूहिं आघवणाहि य पन्नवणाहि य सन्नवणाहि य विन्नवणाहि य निग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामेत्तए वा, ताहे संते तंते परितंते पोलासपुराओ नयराओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जनवयविहारं विहरइ।
Sutra Meaning : तत्पश्चात्‌ सकडालपुत्र जीव – अजीव आदि तत्त्वों का ज्ञाता श्रमणोपासक हो गया। धार्मिक जीवन जीने लगा। कुछ समय बाद मंखलिपुत्र गोशालक ने यह सूना कि सकडालपुत्र आजीविक – सिद्धान्त को छोड़कर श्रमण – निर्ग्रन्थों की दृष्टि – स्वीकार कर चूका है, तब उसने विचार किया कि मैं सकडालपुत्र के पास जाऊं और श्रमण निर्ग्रन्थों की मान्यता छुड़ाकर उसे फिर आजीविक – सिद्धान्त ग्रहण करवाऊं। वह आजीविक संघ के साथ पोलास – पुर नगर में आया, आजीविक – सभा में पहुँचा, वहाँ अपने पात्र, उपकरण रखे तथा कतिपय आजीविकों के साथ जहाँ सकडालपुत्र था, वहाँ गया। श्रमणोपासक सकडालपुत्र ने मंखलिपुत्र गोशालक को आते हुए देखा। न उसे आदर दिया और न परिचित जैसा व्यवहार ही किया। आदर न करता हुआ, परिचित सा व्यवहार न करता हुआ, चूपचाप बैठा रहा। श्रमणोपासक सकडालपुत्र से आदर न प्राप्त कर, उसका उपेक्षा भाव देख, मंखलिपुत्र गोशालक पीठ, फलक, शय्या तथा संस्तारक आदि प्राप्त करने हेतु श्रमण भगवान महावीर का गुण – कीर्तन करता हुआ श्रमणो – पासक सकडालपुत्र से बोला – देवानुप्रिय ! क्या यहाँ महामाहन आए थे ? श्रमणोपासक सकडालपुत्र ने मंखलिपुत्र गोशालक से कहा – देवानुप्रिय ! कौन महामाहन ? मंखलिपुत्र गोशालक ने कहा – श्रमण भगवान महावीर महामाहन हैं। देवानुप्रिय ! श्रमण भगवान महावीर को महामाहन किस अभिप्राय से कहते हो ? सकडालपुत्र ! श्रमण भगवान महावीर अप्रतिहत ज्ञान दर्शन के धारक हैं, तीनों लोकों द्वारा सेवित एवं पूजित हैं, सत्कर्मसम्पत्ति से युक्त हैं, इसलिए मैं उन्हें महामाहन कहता हूँ। क्या महागोप आए थे ? देवानुप्रिय ! कौन महागोप ? श्रमण भगवान महावीर महागोप हैं। देवानुप्रिय ! उन्हें आप किस अर्थ में महागोप कह रहे हैं ? हे सकडालपुत्र ! इस संसार रूपी भयानक वन में अनेक जीव नश्यमान हैं – विनश्यमान हैं – छिद्यमान हैं – भिद्यमान हैं – लुप्यमान हैं – विलुप्यमान हैं – उनका धर्म रूपी दंड से रक्षण करते हुए, संगोपन करते हुए – उन्हें मोक्ष रूपी विशाल बाड़े में सहारा देकर पहुँचाते हैं। सकडालपुत्र ! इसलिए श्रमण भगवान महावीर को मैं महागोप कहता हूँ। हे सकडालपुत्र ! महासार्थवाह आए थे ? महासार्थवाह आप किसे कहते हैं ? सकडालपुत्र ! श्रमण भगवान महावीर महासार्थवाह हैं। किस प्रकार ! हे सकडालपुत्र ! इस संसार रूपी भयानक वन में बहुत से जीव नश्यमान, विनश्यमान एवं विलुप्यमान हैं, धर्ममय मार्ग द्वारा उनकी सुरक्षा करते हुए – सहारा देकर मोक्ष रूपी महानगर में पहुँचाते हैं। सकडालपुत्र ! इस अभिप्राय से मैं उन्हें महासार्थवाह कहता हूँ। गोशालक – देवानुप्रिय ! क्या महाधर्मकथी आए थे ? देवानुप्रिय ! कौन महाधर्मकथी ? श्रमण भगवान महावीर महाधर्मकथी हैं। श्रमण भगवान महावीर महाधर्मकथी किस अर्थ में हैं ? हे सकडालपुत्र ! इस अत्यन्त विशाल संसार में बहुत से प्राणी नश्यमान, विनश्यमान, खाद्यमान, छिद्यमान, भिद्यमान, लुप्यमान हैं, विलुप्यमान हैं, उन्मार्गगामी हैं, सत्पथ से भ्रष्ट हैं, मिथ्यात्व से ग्रस्त हैं, आठ प्रकार के कर्म रूपी अन्धकार – पटल के पर्दे से ढके हुए हैं, उनको अनेक प्रकार से सत्‌ तत्त्व समझाकर विश्लेषण कर, चार – गतिमय संसार रूपी भयावह वन से सहारा देकर नीकालते हैं, इसलिए देवानुप्रिय ! मैं उन्हें महाधर्मकथी कहता हूँ। गोशालक ने पुनः पूछा – क्या यहाँ महा – निर्यामक आए थे ? देवानुप्रिय ! कौन महानिर्यामक ? श्रमण भगवान महावीर महानिर्यामक हैं ? सकडालपुत्र – किस प्रकार ? देवानुप्रिय ! संसार रूपी महासमुद्र में बहुत से जीव नश्यमान, विनश्यमान एवं विलुप्यमान हैं, डूब रहे हैं, गोते खा रहे हैं, बहते जा रहे हैं, उनको सहारा देकर धर्ममयी नौका द्वारा मोक्ष रूपी किनारे पर ले जाते हैं। इसलिए मैं उनको महानिर्यामक – कर्णधार या महान्‌ खेवैया कहता हूँ। तत्पश्चात्‌ श्रमणोपासक सकडालपुत्र ने मंखलिपुत्र गोशालक से कहा – देवानुप्रिय ! आप इतने छेक वचक्षण निपुण – नयवादी, उपदेशलब्ध – बहुश्रुत, विज्ञान – प्राप्त हैं, क्या आप मेरे धर्माचार्य, धर्मोपदेशक भगवान महावीर के साथ तत्त्वचर्चा करने में समर्थ हैं ? गोशालक – नहीं, ऐसा संभव नहीं है। सकडालपुत्र – देवानुप्रिय ! कैसे कह रहे हैं कि आप मेरे धर्माचार्य महावीर के साथ तत्त्वचर्चा करने में समर्थ नहीं हैं ? सकडालपुत्र ! जैसे कोई बलवान, नीरोग, उत्तम लेखक की तरह अंगुलियों की स्थिर पकड़वाला, प्रतिपूर्ण परिपुष्ट हाथ – पैर वाला, पीठ, पार्श्व, जंघा आदि सुगठित अंगयुक्त – अत्यन्त सघन, गोलाकार तथा तालाब की पाल जैसे कन्धों वाला, लंघन, प्लावन – वेगपूर्वक जाने वाले, व्यायामों में सक्षम, मौष्टिक – यों व्यायाम द्वारा जिसकी देह सुदृढ तथा सामर्थ्यवाली है, आन्तरिक उत्साह व शक्तियुक्त, ताड़ के दो वृक्षों की तरह सुदृढ एवं दीर्घ भुजाओं वाला, सुयोग्य, दक्ष – प्राप्तार्थ – निपुणशिल्पोपगत – कोई युवा पुरुष एक बड़े बकरे, मेढ़े, सूअर मूर्गे, तीतर, बटेर, लवा, कबूतर, पपीहे, कौए या बाज के पंजे, पैर, खुर, पूँछ, पंख, सींग, रोम जहाँ से भी पकड़ लेता है, उसे वहीं निश्चल तथा निष्पन्द – कर देता है, इसी प्रकार श्रमण भगवान महावीर मुझे अनेक प्रकार के तात्त्विक अर्थों, हेतुओं तथा विश्लेषणों द्वारा जहाँ – जहाँ पकड़ लेंगे, वहीं वहीं मुझे निरुत्तर कर देंगे। सकडालपुत्र ! इसीलिए कहता हूँ कि भगवान महावीर के साथ मैं तत्त्वचर्चा करने में समर्थ नहीं हूँ। तब श्रमणोपासक सकडालपुत्र ने गोशालक मंखलिपुत्र से कहा – देवानुप्रिय ! आप मेरे धर्माचार्य महावीर का सत्य, यथार्थ, तथ्य तथा सद्‌भूत भावों से गुणकीर्तन कर रहे हैं, इसलिए मैं आपको प्रातिहारिक पीठ तथा संस्तारक हेतु आमंत्रित करता हूँ, धर्म या तप मानकर नहीं। आप मेरे कुंभकारापण – में प्रातिहारिक पीठ, फलक ग्रहण कर निवास करें। मंखलिपुत्र गोशालक ने श्रमणोपासक सकडालपुत्र का यह कथन स्वीकार किया और वह उसकी कर्म – शालाओं में प्रातिहारिक पीठ ग्रहण कर रह गया। मंखलिपुत्र गोशालक आख्यापना – प्रज्ञापना – संज्ञापना – विज्ञापना – करके भी जब श्रमणोपासक सकडालपुत्र को निर्ग्रन्थ – प्रवचन से विचलित, क्षुभित तथा विपरिणामित – नहीं कर सका – तो वह श्रान्त, क्लान्त और खिन्न होकर पोलासपुर नगर से प्रस्थान कर अन्य जनपदों में विहार कर गया।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam se saddalaputte samanovasae jae–abhigayajivajive java samane niggamthe phasu-esanijjenam asana-pana-khaima-saimenam vattha-padiggaha-kambala-payapumchhanenam osaha-bhesajjenam padihariena ya pidha-phalaga-sejja-samtharaenam padilabhemane viharai. Tae nam sa aggimitta bhariya samanovasiya jaya–abhigayajivajiva java samane niggamthe phasu-esanijjenam asana-pana-khaima-saimenam vattha-padiggaha-kambala-payapumchhanenam osaha-bhesajjenam padihariena ya pidha-phalaga-sejja-samtharaenam padilabhemani viharai. Tae nam se gosale mamkhaliputte imise kahae laddhatthe samane–evam khalu saddalaputte ajiviyasamayam vamitta samananam niggamthanam ditthim pavanne, tam gachchhami nam saddalaputtam ajivio-vasayam samananam niggamthanam ditthim vametta punaravi ajiviyaditthim genhavittae tti kattu–evam sampehei, sampehetta ajiviyasamghaparivude jeneva polasapure nayare, jeneva ajiviyasabha, teneva uvagachchhai, uvagachchhitta bhamdaganikkhevam karei, karetta kativaehim ajiviehim saddhim jeneva saddalaputte samanovasae, teneva uvagachchhai. Tae nam se saddalaputte samanovasae gosalam mamkhaliputtam ejjamanam pasai, pasitta no adhati no parijanati, anadhamane aparijanamane tusinie samchitthai. Tae nam se gosale mamkhaliputte saddalaputtenam samanovasaenam anadhijjamane aparija-nijjamane pidha-phalaga-sejja-samtharatthayae samanassa bhagavao mahavirassa gunakittanam karei–agae nam devanuppiya! Iha mahamahane? Tae nam se saddalaputte samanovasae gosalam mamkhaliputtam evam vayasi–ke nam devanuppiya! Mahamahane? Tae nam se gosale mamkhaliputte saddalaputtam samanovasayam evam vayasi–samane bhagavam mahavire mahamahane. Se kenatthenam devanuppiya! Evam vuchchai–samane bhagavam mahavire mahamahane? Evam khalu saddalaputta! Samane bhagavam mahavire mahamahane uppannananadamsanadhare tiyappadupannana-gayajanae araha jine kevali savvannu savvadarisi telokka-chahiya-mahiya-puie sadevamanuyasurassa logassa achchanijje puyanijje vamdanijje namamsanijje sakkaranijje sammananijje kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasanijje tachcha-kammasampaya-sampautte. Se tenatthenam devanuppiya! Evam vuchchai–samane bhagavam mahavire mahamahane. Agae nam devanuppiya! Iham mahagove? Ke nam devanuppiya! Mahagove? Samane bhagavam mahavire mahagove. Se kenatthenam devanuppiya! Evam vuchchai–samane bhagavam mahavire mahagove? Evam khalu devanuppiya! Samane bhagavam mahavire samsaradavie bahave jive nassamane vinassamane khajjamane chhijjamane bhijja-mane luppamane viluppamane dhammamaenam damdenam sarakkhamane samgovemane nivvanamahavadam sahatthim sampavei. Se tenatthenam saddalaputta! Evam vuchchai–samane bhagavam mahavire mahagove. Agae nam devanuppiya! Iham mahasatthavahe? Ke nam devanuppiya! Mahasatthavahe? Saddalaputta! Samane bhagavam mahavire mahasatthavahe. Se kenatthenam devanuppiya! Evam vuchchai–samane bhagavam mahavire mahasatthavahe? Evam khalu devanuppiya! Samane bhagavam mahavire samsaradavie bahave jive nassamane vinassamane khajjamane chhijjamane bhijjamane luppamane viluppamane ummaggapadivanne dhamma-maenam pamthenam sarakkhamane nivvanamahapattana sahatthim sampavei. Se tenatthenam saddalaputta! Evam vuchchai–samane bhagavam mahavire maha-satthavahe. Agae nam devanuppiya! Iham mahadhammakahi? Ke nam devanuppiya! Mahadhammakahi? Samane bhagavam mahavire mahadhammakahi. Se kenatthenam devanuppiya! Evam vuchchai–samane bhagavam mahavire mahadhammakahi? Evam khalu devanuppiya! Samane bhagavam mahavire mahaimahalayamsi samsaramsi bahave jive nassamane vinassamane khajjamane chhijjamane bhijjamane luppamane viluppamane ummaggapadi-vanne sappahavippanatthe michchhattabalabhibhue atthavihakammatamapadala-padochchhanne bahuhim atthehi ya heuhi ya pasinehi ya karanehi ya vagaranehi ya nippattha-pasina0-vagaranehi ya chauramtao samsarakamtarao sahatthim nittharei. Se tenatthenam devanuppiya! Evam vuchchai–samane bhagavam mahavire mahadhammakahi. Agae nam devanuppiya! Iham mahanijjamae? Ke nam devanuppiya! Mahanijjamae? Samane bhagavam mahavire mahanijjamae. Se kenatthenam devanuppiya! Evam vuchchai–samane bhagavam mahavire mahanijjamae? Evam khalu devanuppiya! Samane bhagavam mahavire samsaramahasamudde bahave jive nassamane vinassamane khajjamane chhijjamane bhijjamane luppamane viluppamane buddamane nibuddamane uppiyamane dhammamaie navae nivvanatirabhimuhe sahatthim sampavei. Se tenatthenam devanuppiya! Evam vuchchai–samane bhagavam mahavire mahanijjamae. Tae nam se saddalaputte samanovasae gosalam mamkhaliputtam evam vayasi–tubbhe nam devanuppiya! Iyachchheya iyadachchha iyapattha iyaniuna iyanayavadi iya uvaesaladdha iyavinnanapatta. Pabhu nam tubbhe mama dhammayarienam dhammovaesaenam samanenam bhagavaya mahavirenam saddhim vivadam karettae? No inatthe samatthe. Se kenatthenam devanuppiya! Evam vuchchai–no khalu pabhu tubbhe mama dhammayarienam dhammovaesaenam samanenam bhagavaya mahavirenam saddhim vivadam karettae? Saddalaputta! Se jahanamae kei purise tarune jugavam balavam appayamke thiraggahatthe padipunnapanipae pitthamtarorusamghayaparinae ghananichiyavattavaliyakhamdhe lamghana-vaggana-jayana-vayama-samatthe chammettha-dughana-mutthiya-samahaya-nichiyagatte urassabalasamannagae tala-jamalajuyalabaha chhee dakkhe pattatthe niunasippovagae egam maham ayam va elayam va suyaram va kukkudam va tittaram va vattayam va lavayam va kavoyam va kavimjalam va vayasam va senayam va, hatthamsi va payamsi va khuramsi va puchchhamsi va pichchhamsi va simgamsi va visanamsi va romamsi va jahim-jahim ginhai, tahim-tahim nichchalam nipphamdam karei, evameva samane bhagavam mahavire mamam bahuhim atthehim ya heuhim ya pasinehim ya karanehim ya vagaranehim ya jahim-jahim ginhai, tahim-tahim nippattha-pasinavagaranam karei. Se tenatthenam saddalaputta! Evam vuchchai–no khalu pabhu aham tava dhammayarienam dhammovaesaenam samanenam bhagavaya mahavirenam saddhim vivadam karettae. Nam se saddalaputte! Samanovasae gosalam mamkhaliputtam evam vayasi– Jamha nam devanuppiya! Tubbhe mama dhamma-yarissa dhammovaesagassa samanassa bhagavao maha-virassa samtehi tachchehim tahiehim sabbhuehim bhavehim gunakittanam kareha, tamha nam aham tubbhe padiharienam pidha-phalaga-sejja-samtharaenam uvanimamtemi, no cheva nam dhammo tti va tavo tti va. Tam gachchhaha nam tubbhe mama kumbharavanesu padihariyam pidha-phalaga-sejja-samtharayam oginhitta nam viharaha. Tae nam se gosale mamkhaliputte saddalaputtassa samanovasayassa eyamattham padisunei, padisunetta kumbharavanesu padihariyam pidha-phalaga-sejja-samtharayam oginhitta nam viharai. Tae nam se gosale mamkhaliputte saddalaputtam samanovasayam jahe no samchaei bahuhim aghavanahi ya pannavanahi ya sannavanahi ya vinnavanahi ya niggamthao pavayanao chalittae va khobhittae va viparinamettae va, tahe samte tamte paritamte polasapurao nayarao padinikkhamai, padinikkhamitta bahiya janavayaviharam viharai.
Sutra Meaning Transliteration : Tatpashchat sakadalaputra jiva – ajiva adi tattvom ka jnyata shramanopasaka ho gaya. Dharmika jivana jine laga. Kuchha samaya bada mamkhaliputra goshalaka ne yaha suna ki sakadalaputra ajivika – siddhanta ko chhorakara shramana – nirgranthom ki drishti – svikara kara chuka hai, taba usane vichara kiya ki maim sakadalaputra ke pasa jaum aura shramana nirgranthom ki manyata chhurakara use phira ajivika – siddhanta grahana karavaum. Vaha ajivika samgha ke satha polasa – pura nagara mem aya, ajivika – sabha mem pahumcha, vaham apane patra, upakarana rakhe tatha katipaya ajivikom ke satha jaham sakadalaputra tha, vaham gaya. Shramanopasaka sakadalaputra ne mamkhaliputra goshalaka ko ate hue dekha. Na use adara diya aura na parichita jaisa vyavahara hi kiya. Adara na karata hua, parichita sa vyavahara na karata hua, chupachapa baitha raha. Shramanopasaka sakadalaputra se adara na prapta kara, usaka upeksha bhava dekha, mamkhaliputra goshalaka pitha, phalaka, shayya tatha samstaraka adi prapta karane hetu shramana bhagavana mahavira ka guna – kirtana karata hua shramano – pasaka sakadalaputra se bola – devanupriya ! Kya yaham mahamahana ae the\? Shramanopasaka sakadalaputra ne mamkhaliputra goshalaka se kaha – devanupriya ! Kauna mahamahana\? Mamkhaliputra goshalaka ne kaha – shramana bhagavana mahavira mahamahana haim. Devanupriya ! Shramana bhagavana mahavira ko mahamahana kisa abhipraya se kahate ho\? Sakadalaputra ! Shramana bhagavana mahavira apratihata jnyana darshana ke dharaka haim, tinom lokom dvara sevita evam pujita haim, satkarmasampatti se yukta haim, isalie maim unhem mahamahana kahata hum. Kya mahagopa ae the\? Devanupriya ! Kauna mahagopa\? Shramana bhagavana mahavira mahagopa haim. Devanupriya ! Unhem apa kisa artha mem mahagopa kaha rahe haim\? He sakadalaputra ! Isa samsara rupi bhayanaka vana mem aneka jiva nashyamana haim – vinashyamana haim – chhidyamana haim – bhidyamana haim – lupyamana haim – vilupyamana haim – unaka dharma rupi damda se rakshana karate hue, samgopana karate hue – unhem moksha rupi vishala bare mem sahara dekara pahumchate haim. Sakadalaputra ! Isalie shramana bhagavana mahavira ko maim mahagopa kahata hum. He sakadalaputra ! Mahasarthavaha ae the\? Mahasarthavaha apa kise kahate haim\? Sakadalaputra ! Shramana bhagavana mahavira mahasarthavaha haim. Kisa prakara ! He sakadalaputra ! Isa samsara rupi bhayanaka vana mem bahuta se jiva nashyamana, vinashyamana evam vilupyamana haim, dharmamaya marga dvara unaki suraksha karate hue – sahara dekara moksha rupi mahanagara mem pahumchate haim. Sakadalaputra ! Isa abhipraya se maim unhem mahasarthavaha kahata hum. Goshalaka – devanupriya ! Kya mahadharmakathi ae the\? Devanupriya ! Kauna mahadharmakathi\? Shramana bhagavana mahavira mahadharmakathi haim. Shramana bhagavana mahavira mahadharmakathi kisa artha mem haim\? He sakadalaputra ! Isa atyanta vishala samsara mem bahuta se prani nashyamana, vinashyamana, khadyamana, chhidyamana, bhidyamana, lupyamana haim, vilupyamana haim, unmargagami haim, satpatha se bhrashta haim, mithyatva se grasta haim, atha prakara ke karma rupi andhakara – patala ke parde se dhake hue haim, unako aneka prakara se sat tattva samajhakara vishleshana kara, chara – gatimaya samsara rupi bhayavaha vana se sahara dekara nikalate haim, isalie devanupriya ! Maim unhem mahadharmakathi kahata hum. Goshalaka ne punah puchha – kya yaham maha – niryamaka ae the\? Devanupriya ! Kauna mahaniryamaka\? Shramana bhagavana mahavira mahaniryamaka haim\? Sakadalaputra – kisa prakara\? Devanupriya ! Samsara rupi mahasamudra mem bahuta se jiva nashyamana, vinashyamana evam vilupyamana haim, duba rahe haim, gote kha rahe haim, bahate ja rahe haim, unako sahara dekara dharmamayi nauka dvara moksha rupi kinare para le jate haim. Isalie maim unako mahaniryamaka – karnadhara ya mahan khevaiya kahata hum. Tatpashchat shramanopasaka sakadalaputra ne mamkhaliputra goshalaka se kaha – devanupriya ! Apa itane chheka vachakshana nipuna – nayavadi, upadeshalabdha – bahushruta, vijnyana – prapta haim, kya apa mere dharmacharya, dharmopadeshaka bhagavana mahavira ke satha tattvacharcha karane mem samartha haim\? Goshalaka – nahim, aisa sambhava nahim hai. Sakadalaputra – devanupriya ! Kaise kaha rahe haim ki apa mere dharmacharya mahavira ke satha tattvacharcha karane mem samartha nahim haim\? Sakadalaputra ! Jaise koi balavana, niroga, uttama lekhaka ki taraha amguliyom ki sthira pakaravala, pratipurna paripushta hatha – paira vala, pitha, parshva, jamgha adi sugathita amgayukta – atyanta saghana, golakara tatha talaba ki pala jaise kandhom vala, lamghana, plavana – vegapurvaka jane vale, vyayamom mem sakshama, maushtika – yom vyayama dvara jisaki deha sudridha tatha samarthyavali hai, antarika utsaha va shaktiyukta, tara ke do vrikshom ki taraha sudridha evam dirgha bhujaom vala, suyogya, daksha – praptartha – nipunashilpopagata – koi yuva purusha eka bare bakare, merhe, suara murge, titara, batera, lava, kabutara, papihe, kaue ya baja ke pamje, paira, khura, pumchha, pamkha, simga, roma jaham se bhi pakara leta hai, use vahim nishchala tatha nishpanda – kara deta hai, isi prakara shramana bhagavana mahavira mujhe aneka prakara ke tattvika arthom, hetuom tatha vishleshanom dvara jaham – jaham pakara lemge, vahim vahim mujhe niruttara kara demge. Sakadalaputra ! Isilie kahata hum ki bhagavana mahavira ke satha maim tattvacharcha karane mem samartha nahim hum. Taba shramanopasaka sakadalaputra ne goshalaka mamkhaliputra se kaha – devanupriya ! Apa mere dharmacharya mahavira ka satya, yathartha, tathya tatha sadbhuta bhavom se gunakirtana kara rahe haim, isalie maim apako pratiharika pitha tatha samstaraka hetu amamtrita karata hum, dharma ya tapa manakara nahim. Apa mere kumbhakarapana – mem pratiharika pitha, phalaka grahana kara nivasa karem. Mamkhaliputra goshalaka ne shramanopasaka sakadalaputra ka yaha kathana svikara kiya aura vaha usaki karma – shalaom mem pratiharika pitha grahana kara raha gaya. Mamkhaliputra goshalaka akhyapana – prajnyapana – samjnyapana – vijnyapana – karake bhi jaba shramanopasaka sakadalaputra ko nirgrantha – pravachana se vichalita, kshubhita tatha viparinamita – nahim kara saka – to vaha shranta, klanta aura khinna hokara polasapura nagara se prasthana kara anya janapadom mem vihara kara gaya.