Sutra Navigation: Upasakdashang ( उपासक दशांग सूत्र )

Search Details

Mool File Details

Anuvad File Details

Sr No : 1005129
Scripture Name( English ): Upasakdashang Translated Scripture Name : उपासक दशांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

अध्ययन-३ चुलनीपिता

Translated Chapter :

अध्ययन-३ चुलनीपिता

Section : Translated Section :
Sutra Number : 29 Category : Ang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं दोच्चस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, तच्चस्स णं भंते! अज्झयणस्स के अट्ठे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी। कोट्ठए चेइए। जियसत्तू राया। तत्थ णं वाणारसीए नयरीए चुलनीपिता नामं गाहावई परिवसइ–अड्ढे जाव बहुजनस्स अपरिभूए। तस्स णं चुलणीपियस्स गाहावइस्स अट्ठ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, अट्ठ हिरण्णकोडीओ वड्ढिपउत्ताओ, अट्ठ हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ, अट्ठ वया दसगोसाहस्सि-एणं वएणं होत्था। से णं चुलनीपिता गाहावई बहूणं जाव आपुच्छणिज्जे, पडिपुच्छणिज्जे सयस्स वि य णं कुडुंबस्स मेढी जाव सव्वकज्जवड्ढावए यावि होत्था। तस्स णं चुलणीपियस्स गाहावइस्स सामा नामं भारिया होत्था–अहीन-पडिपुण्ण-पंचिंदियसरीरा जाव मानुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव जेणेव वाणरसी नयरी जेणेव कोट्ठए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। परिसा निग्गया। कूणिए राया जहा, तहा जियसत्तू निग्गच्छइ जाव पज्जुवासइ। तए णं से चुलनीपिया गाहावई इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे–एवं खलु समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव वाणारसीए नयरीए बहिया कोट्ठए चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तं महप्फलं खलु भो! देवानुप्पिया! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमन-वंदन-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए? एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए? तं गच्छामि णं देवानुप्पिया! समणं भगवं महावीरं वंदामि णमंसामि सक्कारेमि सम्माणेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि– एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता ण्हाए कयबलिकम्मे कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाइं पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं मनुस्सवग्गुरापरिखित्ते पादविहारचारेणं वाणारसिं नयरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणामेव कोट्ठए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासण्णे नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे विनएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ। तए णं समणे भगवं महावीरे चुलणीपियस्स गाहावइस्स तीसे य महइमहालियाए परिसाए जाव धम्मं परिकहेइ। परिसा पडिगया, राया य गए। तए णं से चुलनीपिता गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ-चित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवस-विसप्पमाणहियए उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–सद्दहामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, रोएमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, अब्भुट्ठेमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं। एवमेयं भंते! तहमेयं भंते! अवितहमेयं भंते! असदिद्धमेयं भंते! इच्छियमेयं भंते! पडिच्छियमेयं भंते! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते! से जहेयं तुब्भे वदह। जहा णं देवानुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेनावइ-सत्थवाहप्पभिइया मुंडा भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइत्तए। अहं णं देवानुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं–दुवालसविहं सावगधम्मं पडिवज्जिस्सामि। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं करेहि। तए णं से चुलनीपिता गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सावयधम्मं पडिवज्जइ। तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नदा कदाइ वाणारसीए नयरीए कोट्ठयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जनवयविहारं विहरइ। तए णं से चुलनीपिता समणोवासए जाए–अभिगयजीवाजीवे जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असन-पान-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसह-भेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणे विहरइ। तए णं सा सामा भारिया समणोवासिया जाया–अभिगयजीवाजीवा जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असनपान-खाइमसाइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसहभेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणी विहरइ। तए णं तस्स चुलीणीपियस्स समणोवासगस्स उच्चावएहिं सील-व्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराइं वीइक्कंताइं। पन्नरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अन्नदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमा-णस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था– एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए बहूणं जाव आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सयस्स वि य णं कुडुंबस्स मेढी जाव सव्वकज्जवड्ढावए, तं एतेण वक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्तिं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। तए णं से चुलनीपिता समणोवासए जेट्ठपुत्तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणं च आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता वाणारसिं नयरिं मज्झं-मज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चार-पासवणभूमिं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दब्भसंथारयं संथरेइ, संथरेत्ता दब्भसंथारयं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगय-मालावण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थमुसले एगे अबीए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महा-वीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्तिं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ।
Sutra Meaning : उपोद्‌घातपूर्वक तृतीय अध्ययन का प्रारम्भ यों है – जम्बू ! उस काल – उस समय, वाराणसी नगरी थी। कोष्ठक नामक चैत्य था, राजा जितशत्रु था। वाराणसी नगरी में चुलनीपिता नामक गाथापति था। वह अत्यन्त समृद्ध एवं प्रभावशाली था। उसकी पत्नी का नाम श्यामा था। आठ करोड़ स्वर्ण – मुद्राएं स्थायी पूंजी के रूप में, आठ करोड़ स्वर्ण – मुद्राएं व्यापार में तथा आठ करोड़ स्वर्ण – मुद्राएं घर के वैभव – धन, धान्य आदि में लगी थीं। उसके आठ गोकुल थे। प्रत्येक गोकुल में दस – दस हजार गाएं थीं। गाथापति आनन्द की तरह वह राजा, ऐश्वर्य – शाली पुरुष आदि विशिष्ट जनों के सभी प्रकार के आर्यों का सत्परामर्श आदि द्वारा वर्धापक – था। भगवान महावीर पधारे – परीषद्‌ जुड़ी। आनन्द की तरह चुलनीपिता भी घर से नीकला – यावत्‌ श्रावकधर्म स्वीकार किया। गौतम ने जैसे आनन्द के सम्बन्ध में भगवान से प्रश्न किए थे, उसी प्रकार चुलनीपिता के भावी जीवन के सम्बन्ध में भी किए। आगे की घटना गाथापति कामदेव की तरह है। चुलनीपिता पोषधशाला में ब्रह्मचर्य एवं पोषध स्वीकार कर, श्रमण भगवान महावीर के पास अंगीकृत धर्म – प्रज्ञप्ति – धर्म – शिक्षा के अनुरूप उपासना – रत हुआ। आधी रात के समय श्रमणोपासक चुलनीपिता के समक्ष एक देव प्रकट हुआ। उस देव ने एक तलवार नीकालकर जैसे पिशाच रूपधारी देव ने कामदेव से कहा था, वैसे ही श्रमणोपासक चुलनीपिता को कहा – यदि तुम अपने व्रत नहीं तोड़ोगे, तो मैं आज तुम्हारे बड़े पुत्र को घर से नीकाल लाऊंगा। तुम्हारे आगे उसे मार डालूँगा। उसके तीन मांस – खंड करूँगा, उबलते आद्रहण – में खौलाऊंगा। उसके मांस और रक्त से तुम्हारे शरीर को सींचूँगा – जिससे तुम आर्त्तध्यान एवं विकट दुःख से पीड़ित होकर असमय में ही प्राणों से हाथ धौ बैठोगे। उस देव द्वारा यों कहे जान पर भी श्रमणोपासक चुलनीपिता निर्भय भाव से धर्मध्यान में स्थित रहा। जब उस देव ने श्रमणोपासक चुलनीपिता को निर्भय देखा, तो उसने उससे दूसरी बार और फिर तीसरी बार वैसा ही कहा। पर, चुलनीपिता पूर्ववत्‌ निर्भीकता के साथ धर्म – ध्यान में स्थित रहा। देव ने चुलनीपिता को जब इस प्रकार निर्भय देखा तो वह अत्यन्त क्रुद्ध हुआ। वह चुलनीपिता के बड़े पुत्र को उसके घर से उठा लाया और उसके सामने उसे मार डाला। उसके तीन मांस – खंड़ किए, उबलते पानी से भरी कढ़ाही में खौलाया। उसके मांस और रक्त से चुलनीपिता के शरीर को सींचा। चुलनीपिता ने वह तीव्र वेदना तितिक्षापूर्वक सहन की। देव ने श्रमणोपासक चुलनीपिता को जब यों निर्भीक देखा तो उसने दूसरी बार कहा – मौत को चाहने वाले चुलनीपिता ! यदि तुम अपने व्रत नहीं तोड़ोगे, तो मैं तुम्हारे मंझले पुत्र को घर से उठा लाऊंगा और उसकी भी हत्या कर डालूँगा। इस पर भी चुलनीपिता जब अविचल रहा तो देव ने वैसा ही किया। उसने तीसरी बार फिर छोटे लड़के के सम्बन्ध में वैसा ही करने को कहा। चुलनीपिता नहीं घबराया। देव ने छोटे लड़के के साथ भी वैसा ही किया। चुलनीपिता ने वह तीव्र वेदना तितिक्षापूर्वक सहन की। देव ने जब श्रमणोपासक चुलनीपिता को इस प्रकार निर्भय देखा तो उसने चौथी बार उससे कहा – मौत को चाहने वाले चुलनीपिता ! यदि तुम अपने व्रत नहीं तोड़ोगे तो मैं तुम्हारे लिए देव और गुरु सदृश पूजनीय, तुम्हारे हितार्थ अत्यन्त दुष्कर कार्य करने वाली माता भद्रा सार्थवाही को घर से लाकर तुम्हारे सामने उसकी हत्या करूँगा, तीन मांस – खंड करूँगा। यावत्‌ जिससे तुम आर्त्तध्यान एवं विकट दुःख से पीड़ित होकर असमय में ही प्राणों से हाथ धो बैठोगे। उस देव द्वारा यों कहे जान पर भी श्रमणोपासक चुलनीपिता निर्भयता से धर्मध्यान में स्थित रहा। उस देव ने श्रमणोपासक चुलनीपिता को जब निर्भय देखा तो दूसरी बार, तीसरी बार फिर वैसा ही कहा – चुलनीपिता ! तुम प्राणों से हाथ धो बैठोगे।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] jai nam bhamte! Samanenam bhagavaya mahavirenam java sampattenam sattamassa amgassa uvasagadasanam dochchassa ajjhayanassa ayamatthe pannatte, tachchassa nam bhamte! Ajjhayanassa ke atthe pannatte? Evam khalu jambu! Tenam kalenam tenam samaenam vanarasi namam nayari. Kotthae cheie. Jiyasattu raya. Tattha nam vanarasie nayarie chulanipita namam gahavai parivasai–addhe java bahujanassa aparibhue. Tassa nam chulanipiyassa gahavaissa attha hirannakodio nihanapauttao, attha hirannakodio vaddhipauttao, attha hirannakodio pavittharapauttao, attha vaya dasagosahassi-enam vaenam hottha. Se nam chulanipita gahavai bahunam java apuchchhanijje, padipuchchhanijje sayassa vi ya nam kudumbassa medhi java savvakajjavaddhavae yavi hottha. Tassa nam chulanipiyassa gahavaissa sama namam bhariya hottha–ahina-padipunna-pamchimdiyasarira java manussae kamabhoe pachchanubhavamani viharai. Tenam kalenam tenam samaenam samane bhagavam mahavire java jeneva vanarasi nayari jeneva kotthae cheie teneva uvagachchhai, uvagachchhitta ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Parisa niggaya. Kunie raya jaha, taha jiyasattu niggachchhai java pajjuvasai. Tae nam se chulanipiya gahavai imise kahae laddhatthe samane–evam khalu samane bhagavam mahavire puvvanupuvvim charamane gamanugamam duijjamane ihamagae iha sampatte iha samosadhe iheva vanarasie nayarie bahiya kotthae cheie ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Tam mahapphalam khalu bho! Devanuppiya! Taharuvanam arahamtanam bhagavamtanam namagoyassa vi savanayae, kimamga puna abhigamana-vamdana-namamsana-padipuchchhana-pajjuvasanayae? Egassa vi ariyassa dhammiyassa suvayanassa savanayae, kimamga puna viulassa atthassa gahanayae? Tam gachchhami nam devanuppiya! Samanam bhagavam mahaviram vamdami namamsami sakkaremi sammanemi kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasami– evam sampehei, sampehetta nhae kayabalikamme kaya-kouya-mamgala-payachchhitte suddhappavesaim mamgallaim vatthaim pavara parihie appamahagghabharanalamkiyasarire sayao gihao padinikkhamai, padinikkhamitta sakoremtamalladamenam chhattenam dharijjamanenam manussavagguraparikhitte padaviharacharenam vanarasim nayarim majjhammajjhenam niggachchhai, niggachchhitta jenameva kotthae cheie, jeneva samane bhagavam mahavire, teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta nachchasanne naidure sussusamane namamsamane abhimuhe vinaenam pamjaliude pajjuvasai. Tae nam samane bhagavam mahavire chulanipiyassa gahavaissa tise ya mahaimahaliyae parisae java dhammam parikahei. Parisa padigaya, raya ya gae. Tae nam se chulanipita gahavai samanassa bhagavao mahavirassa amtie dhammam sochcha nisamma hatthatuttha-chittamanamdie piimane paramasomanassie harisavasa-visappamanahiyae utthae utthei, utthetta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi–saddahami nam bhamte! Niggamtham pavayanam, pattiyami nam bhamte! Niggamtham pavayanam, roemi nam bhamte! Niggamtham pavayanam, abbhutthemi nam bhamte! Niggamtham pavayanam. Evameyam bhamte! Tahameyam bhamte! Avitahameyam bhamte! Asadiddhameyam bhamte! Ichchhiyameyam bhamte! Padichchhiyameyam bhamte! Ichchhiya-padichchhiyameyam bhamte! Se jaheyam tubbhe vadaha. Jaha nam devanuppiyanam amtie bahave raisara-talavara-madambiya-kodumbiya-ibbha-setthi-senavai-satthavahappabhiiya mumda bhavitta agarao anagariyam pavvaittae. Aham nam devanuppiyanam amtie pamchanuvvaiyam sattasikkhavaiyam–duvalasaviham savagadhammam padivajjissami. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham karehi. Tae nam se chulanipita gahavai samanassa bhagavao mahavirassa amtie savayadhammam padivajjai. Tae nam samane bhagavam mahavire annada kadai vanarasie nayarie kotthayao cheiyao padinikkhamai, padinikkhamitta bahiya janavayaviharam viharai. Tae nam se chulanipita samanovasae jae–abhigayajivajive java samane niggamthe phasu-esanijjenam asana-pana-khaima-saimenam vattha-padiggaha-kambala-payapumchhanenam osaha-bhesajjenam padihariena ya pidha-phalaga-sejja-samtharaenam padilabhemane viharai. Tae nam sa sama bhariya samanovasiya jaya–abhigayajivajiva java samane niggamthe phasu-esanijjenam asanapana-khaimasaimenam vattha-padiggaha-kambala-payapumchhanenam osahabhesajjenam padihariena ya pidha-phalaga-sejja-samtharaenam padilabhemani viharai. Tae nam tassa chulinipiyassa samanovasagassa uchchavaehim sila-vvaya-guna-veramana-pachchakkhana-posahovavasehim appanam bhavemanassa choddasa samvachchharaim viikkamtaim. Pannarasamassa samvachchharassa amtara vattamanassa annada kadai puvvarattavarattakalasamayamsi dhammajagariyam jagarama-nassa imeyaruve ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppajjittha– Evam khalu aham vanarasie nayarie bahunam java apuchchhanijje padipuchchhanijje, sayassa vi ya nam kudumbassa medhi java savvakajjavaddhavae, tam etena vakkhevenam aham no samchaemi samanassa bhagavao mahavirassa amtiyam dhammapannattim uvasampajjitta nam viharittae. Tae nam se chulanipita samanovasae jetthaputtam mitta-nai-niyaga-sayana-sambamdhi-parijanam cha apuchchhai, apuchchhitta sayao gihao padinikkhamai, padinikkhamitta vanarasim nayarim majjham-majjhenam niggachchhai, niggachchhitta jeneva posahasala, teneva uvagachchhai, uvagachchhitta posahasalam pamajjai, pamajjitta uchchara-pasavanabhumim padilehei, padilehetta dabbhasamtharayam samtharei, samtharetta dabbhasamtharayam duruhai, duruhitta posahasalae posahie bambhayari ummukkamanisuvanne vavagaya-malavannagavilevane nikkhittasatthamusale ege abie dabbhasamtharovagae samanassa bhagavao maha-virassa amtiyam dhammapannattim uvasampajjitta nam viharai.
Sutra Meaning Transliteration : Upodghatapurvaka tritiya adhyayana ka prarambha yom hai – jambu ! Usa kala – usa samaya, varanasi nagari thi. Koshthaka namaka chaitya tha, raja jitashatru tha. Varanasi nagari mem chulanipita namaka gathapati tha. Vaha atyanta samriddha evam prabhavashali tha. Usaki patni ka nama shyama tha. Atha karora svarna – mudraem sthayi pumji ke rupa mem, atha karora svarna – mudraem vyapara mem tatha atha karora svarna – mudraem ghara ke vaibhava – dhana, dhanya adi mem lagi thim. Usake atha gokula the. Pratyeka gokula mem dasa – dasa hajara gaem thim. Gathapati ananda ki taraha vaha raja, aishvarya – shali purusha adi vishishta janom ke sabhi prakara ke aryom ka satparamarsha adi dvara vardhapaka – tha. Bhagavana mahavira padhare – parishad juri. Ananda ki taraha chulanipita bhi ghara se nikala – yavat shravakadharma svikara kiya. Gautama ne jaise ananda ke sambandha mem bhagavana se prashna kie the, usi prakara chulanipita ke bhavi jivana ke sambandha mem bhi kie. Age ki ghatana gathapati kamadeva ki taraha hai. Chulanipita poshadhashala mem brahmacharya evam poshadha svikara kara, shramana bhagavana mahavira ke pasa amgikrita dharma – prajnyapti – dharma – shiksha ke anurupa upasana – rata hua. Adhi rata ke samaya shramanopasaka chulanipita ke samaksha eka deva prakata hua. Usa deva ne eka talavara nikalakara jaise pishacha rupadhari deva ne kamadeva se kaha tha, vaise hi shramanopasaka chulanipita ko kaha – yadi tuma apane vrata nahim toroge, to maim aja tumhare bare putra ko ghara se nikala laumga. Tumhare age use mara dalumga. Usake tina mamsa – khamda karumga, ubalate adrahana – mem khaulaumga. Usake mamsa aura rakta se tumhare sharira ko simchumga – jisase tuma arttadhyana evam vikata duhkha se pirita hokara asamaya mem hi pranom se hatha dhau baithoge. Usa deva dvara yom kahe jana para bhi shramanopasaka chulanipita nirbhaya bhava se dharmadhyana mem sthita raha. Jaba usa deva ne shramanopasaka chulanipita ko nirbhaya dekha, to usane usase dusari bara aura phira tisari bara vaisa hi kaha. Para, chulanipita purvavat nirbhikata ke satha dharma – dhyana mem sthita raha. Deva ne chulanipita ko jaba isa prakara nirbhaya dekha to vaha atyanta kruddha hua. Vaha chulanipita ke bare putra ko usake ghara se utha laya aura usake samane use mara dala. Usake tina mamsa – khamra kie, ubalate pani se bhari karhahi mem khaulaya. Usake mamsa aura rakta se chulanipita ke sharira ko simcha. Chulanipita ne vaha tivra vedana titikshapurvaka sahana ki. Deva ne shramanopasaka chulanipita ko jaba yom nirbhika dekha to usane dusari bara kaha – mauta ko chahane vale chulanipita ! Yadi tuma apane vrata nahim toroge, to maim tumhare mamjhale putra ko ghara se utha laumga aura usaki bhi hatya kara dalumga. Isa para bhi chulanipita jaba avichala raha to deva ne vaisa hi kiya. Usane tisari bara phira chhote larake ke sambandha mem vaisa hi karane ko kaha. Chulanipita nahim ghabaraya. Deva ne chhote larake ke satha bhi vaisa hi kiya. Chulanipita ne vaha tivra vedana titikshapurvaka sahana ki. Deva ne jaba shramanopasaka chulanipita ko isa prakara nirbhaya dekha to usane chauthi bara usase kaha – mauta ko chahane vale chulanipita ! Yadi tuma apane vrata nahim toroge to maim tumhare lie deva aura guru sadrisha pujaniya, tumhare hitartha atyanta dushkara karya karane vali mata bhadra sarthavahi ko ghara se lakara tumhare samane usaki hatya karumga, tina mamsa – khamda karumga. Yavat jisase tuma arttadhyana evam vikata duhkha se pirita hokara asamaya mem hi pranom se hatha dho baithoge. Usa deva dvara yom kahe jana para bhi shramanopasaka chulanipita nirbhayata se dharmadhyana mem sthita raha. Usa deva ne shramanopasaka chulanipita ko jaba nirbhaya dekha to dusari bara, tisari bara phira vaisa hi kaha – chulanipita ! Tuma pranom se hatha dho baithoge.