Sutra Navigation: Gyatadharmakatha ( धर्मकथांग सूत्र )

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Sr No : 1004908
Scripture Name( English ): Gyatadharmakatha Translated Scripture Name : धर्मकथांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-१८ सुंसमा

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-१८ सुंसमा

Section : Translated Section :
Sutra Number : 208 Category : Ang-06
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तरसमस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, अट्ठारसमस्स णं भंते! नायज्झयणस्स के अट्ठे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था–वण्णओ। तत्थ णं धने नामं सत्थवाहे। भद्दा भारिया। तस्स णं धनस्स सत्थवाहस्स पुत्ता भद्दाए अत्तया पंच सत्थवाहदारगा होत्था, तं जहा–धने धणपाले धणदेवे धणगोवे धणरक्खिए। तस्स णं धनस्स सत्थवाहस्स धूया भद्दाए अत्तया पंचण्हं पुत्ताणं अनुमग्गजाइया सुंसुमा नामं दारिया होत्था–सूमालपाणिपाया। तस्स णं धनस्स सत्थवाहस्स चिलाए नामं दासचेडे होत्था–अहीनपंचिंदियसरीरे मंसोवचिए बालकीलावणकुसले यावि होत्था। तए णं से दासचेडे सुंसुमाए दारियाए बालग्गाहे जाए यावि होत्था, सुंसुमं दारियं कडीए गिण्हइ, गिण्हित्ता बहूहिं दारएहिं य दारियाहिं य डिंभरएहि य डिंभियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धिं अभिरममाणे-अभिरममाणे विहरइ। तए णं से चिलाए दासचेडे तेसिं बहूणं दारयाण य दारियाण य डिंभयाण य डिंभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अप्पेगइयाणं खुल्लए अवहरइ, अप्पेगइयाणं वट्टए अवहरइ, अप्पेग-इयाणं आडोलियाओ अवहरइ, अप्पेगइयाणं तिंदूसए अवहरइ, अप्पेगइयाणं पोत्तुल्लए अवहरइ, अप्पेगइयाणं साडोल्लए अवहरइ, अप्पेगइयाणं आभरणमल्लालंकारं अवहरइ, अप्पेगइए आउसइ अवहसइ निच्छोडेइ निब्भच्छेइ तज्जेइ तालेइ। तए णं ते बहवे दारगा य दारिया य डिंभया य डिंभिया य कुमारया य कुमारिया य रोयमाणा य कंदमाणा य सोयमाणा य तिप्पमाणा य विलवमाणा य साणं-साणं अम्मापिऊणं निवेदेंति। तए णं तेसिं बहूणं दारयाण य दारियाण य डिंभयाण य डिंभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अम्मापियरो जेणेव धने सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता धनं सत्थवाहं बहूहिं खिज्जणियाहि य रुंटणाहि य उवलंभणाहि य खिज्जमाणा य रुंटमाणा य उवलंभमाणा य धनस्स सत्थवाहस्स एयमट्ठं निवेदेंति। तए णं से धने सत्थवाहे चिलायं दासचेडं एयमट्ठं भुज्जो-भुज्जो निवारेइ, नो चेव णं चिलाए दासचेडे उवरमइ। तए णं से चिलाए दासचेडे तेसिं बहूणं दारयाण य दारियाण य डिंभयाण य डिंभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अप्पेगइयाणं खुल्लए अवहरइ अप्पेगइयाणं वट्टए अवहरइ, अप्पेग-इयाणं आडोलियाओ अवहरइ, अप्पेगइयाणं तिंदूसए अवहरइ, अप्पेगइयाणं पोत्तुल्लए अवहरइ, अप्पेगइयाणं साडोल्लए अवहरइ, अप्पेगइयाणं आभरणमल्लालंकारं अवहरइ, अप्पेगइए आउसइ अवहसइ निच्छोडेइ निब्भच्छेइ तज्जेइ तालेइ। तए णं ते बहवे दारगा य दारिया य डिंभया य डिंभिया य कुमारया य कुमारिया य रोयमाणा य कंदमाणा य सोयमाणा य तिप्पमाणा य विलवमाणा य साणं-साणं अम्मापिऊणं निवेदेंति। तए णं ते आसुरुत्ता रुट्ठा कुविया चंडिक्किया मिसिमिसेमाणा जेणेव धने सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता बहूहिं खिज्जणाहि य रुंटणाहि य उवलंभणाहि य खिज्जमाणा य रुंटमाणा य उवलंभमाणा य धनस्स सत्थवाहस्स एयमट्ठं निवेदेंति। तए णं से धने सत्थवाहे बहूणं दारगाणं दारियाणं डिंभयाणं डिंभियाणं कुमारयाणं कुमारियाणं अम्मापिऊण अंतिए एयमट्ठं सोच्चा आसुरुत्ते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे चिलायं दासचेडं उच्चावयाहिं आउसणाहिं आउसइ उद्धंसइ निब्भच्छेइ निच्छोडेइ तज्जेइ उच्चावयाहिं तालणाहिं तालेइ साओ गिहाओ निच्छुभइ।
Sutra Meaning : ‘भगवन्‌ ! श्रमण भगवान महावीर ने अठारहवे अध्ययन का क्या अर्थ कहा है ?’ हे जम्बू ! उस काल और उस समय में राजगृह नामक नगर था, (वर्णन)। वहाँ धन्य नामक सार्थवाह निवास करता था। भद्रा नामकी उसकी पत्नी थी। उस धन्य सार्थवाह के पुत्र, भद्रा के आत्मज पाँच सार्थवाहदारक थे। धन, धनपाल, धनदेव, धनगोप और धनरक्षित। धन्य सार्थवाह की पुत्री, भद्रा की आत्मजा और पाँचों पुत्रों के पश्चात्‌ जन्मी हुई सुंसुमा नामक बालिका थी। उसके हाथ – पैर आदि अंगोपांग सुकुमार थे। उस धन्य सार्थवाह का चिलात नामक दास चेटक था उसकी पाँचों इन्द्रियाँ पूरी थीं और शरीर भी परिपूर्ण एवं मांस से अपचित था। वह बच्चों को खेलाने में कुशल भी था। अत एव दासचेटक सुंसुमा बालिका का बालग्राहक नियत किया गया। वह सुंसुमा बालिका को कमर में लेता और बहुत – से लड़कों, लड़कियों, बच्चों, बच्चियों, कुमारों और कुमारिकाओं के साथ खेलता रहता था। उस समय वह चिलात दास – चेटक उन बहुत – से लड़कों, लड़कियों, बच्चों, बच्चियों, कुमारों और कुमारियों में से किन्ही की कौड़ियाँ हरण कर लेता – । इसी प्रकार वर्तक, आडोलिया, दड़ा, कपड़ा और साडोल्लक हर लेता था। किन्हीं – किन्हीं के आभरण, माला और अलंकार हरण कर लेता था। किन्हीं पर आक्रोश करता, हँसी उड़ाता, ठग लेता, भर्त्सना करता, तर्जना करता और किसी को मारता – पीटता था। तब वे बहुत – से लड़के, लड़कियाँ, बच्चे, बच्चियाँ, कुमार और कुमारिकाएं रोते हुए, चिल्लाते हुए, शोक करते हुए, आँसू बहाते हुए, विलाप करते हुए जाकर अपने – अपने माता – पिताओं से चिलात की करतूत कहते थे। उस समय बहुत – से लड़कों, लड़कियों, बच्चे, बच्चियों, कुमारों कुमारिकाओं के माता – पिता धन्य सार्थवाह के पास आते। आकर धन्य सार्थवाह को खेदजनक वचनों से, रुंवासे होकर उलाहने – देते थे और धन्य सार्थवाह को यह कहते थे। धन्य सार्थवाहने चिलात दास – चेटक को इस बात के लिए बार – बार मना किया, मगर चिलात दास – चेटक रुका नहीं, माना नहीं। धन्य सार्थवाह के रोकने पर भी चिलात दास – चेटक उन बहुत – से लड़कों, लड़कियों, बच्चों, बच्चियों, कुमार कुमारिकाओं में से किन्हीं की कौड़ियाँ हरण करता रहा और किन्हीं को यावत्‌ मारता – पीटता रहा। तब वे बहुत लड़के – लड़कियाँ, बच्चे – बच्चियाँ, कुमार और कुमारिकाएं रोते – चिल्लाते गए, यावत्‌ माता – पिताओं से उन्होंने यह बात कह सूनाई। तब वे माता – पिता एकदम क्रुद्ध हुए, रुष्ट, कुपित, प्रचण्ड हुए, क्रोध से जल उठे और धन्य सार्थवाह के पास पहुँचे। पहुँचकर बहुत खेदयुक्त वचनों से उन्होंने यह बात उससे कही। तब धन्य सार्थवाह बहुत – से लड़कों, लड़कियों, बच्चों, बच्चियों, कुमारों और कुमारिकाओं के माता – पिताओं से यह बात सूनकर एकदम कुपित हुआ। उसने ऊंचे – नीचे आक्रोश – वचनों से चिलात दास – चेट पर आक्रोश किया, उसका तिरस्कार किया, भर्त्सना की, धमकी दी, तर्जना की और ऊंची – नीची ताड़नाओं से ताड़ना की और फिर उसे अपने घर से बाहर नीकाल दिया।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] jai nam bhamte! Samanenam bhagavaya mahavirenam java sampattenam sattarasamassa nayajjhayanassa ayamatthe pannatte, attharasamassa nam bhamte! Nayajjhayanassa ke atthe pannatte? Evam khalu jambu! Tenam kalenam tenam samaenam rayagihe namam nayare hottha–vannao. Tattha nam dhane namam satthavahe. Bhadda bhariya. Tassa nam dhanassa satthavahassa putta bhaddae attaya pamcha satthavahadaraga hottha, tam jaha–dhane dhanapale dhanadeve dhanagove dhanarakkhie. Tassa nam dhanassa satthavahassa dhuya bhaddae attaya pamchanham puttanam anumaggajaiya sumsuma namam dariya hottha–sumalapanipaya. Tassa nam dhanassa satthavahassa chilae namam dasachede hottha–ahinapamchimdiyasarire mamsovachie balakilavanakusale yavi hottha. Tae nam se dasachede sumsumae dariyae balaggahe jae yavi hottha, sumsumam dariyam kadie ginhai, ginhitta bahuhim daraehim ya dariyahim ya dimbharaehi ya dimbhiyahi ya kumaraehi ya kumariyahi ya saddhim abhiramamane-abhiramamane viharai. Tae nam se chilae dasachede tesim bahunam darayana ya dariyana ya dimbhayana ya dimbhiyana ya kumarayana ya kumariyana ya appegaiyanam khullae avaharai, appegaiyanam vattae avaharai, appega-iyanam adoliyao avaharai, appegaiyanam timdusae avaharai, appegaiyanam pottullae avaharai, appegaiyanam sadollae avaharai, appegaiyanam abharanamallalamkaram avaharai, appegaie ausai avahasai nichchhodei nibbhachchhei tajjei talei. Tae nam te bahave daraga ya dariya ya dimbhaya ya dimbhiya ya kumaraya ya kumariya ya royamana ya kamdamana ya soyamana ya tippamana ya vilavamana ya sanam-sanam ammapiunam nivedemti. Tae nam tesim bahunam darayana ya dariyana ya dimbhayana ya dimbhiyana ya kumarayana ya kumariyana ya ammapiyaro jeneva dhane satthavahe teneva uvagachchhati, uvagachchhitta dhanam satthavaham bahuhim khijjaniyahi ya rumtanahi ya uvalambhanahi ya khijjamana ya rumtamana ya uvalambhamana ya dhanassa satthavahassa eyamattham nivedemti. Tae nam se dhane satthavahe chilayam dasachedam eyamattham bhujjo-bhujjo nivarei, no cheva nam chilae dasachede uvaramai. Tae nam se chilae dasachede tesim bahunam darayana ya dariyana ya dimbhayana ya dimbhiyana ya kumarayana ya kumariyana ya appegaiyanam khullae avaharai appegaiyanam vattae avaharai, appega-iyanam adoliyao avaharai, appegaiyanam timdusae avaharai, appegaiyanam pottullae avaharai, appegaiyanam sadollae avaharai, appegaiyanam abharanamallalamkaram avaharai, appegaie ausai avahasai nichchhodei nibbhachchhei tajjei talei. Tae nam te bahave daraga ya dariya ya dimbhaya ya dimbhiya ya kumaraya ya kumariya ya royamana ya kamdamana ya soyamana ya tippamana ya vilavamana ya sanam-sanam ammapiunam nivedemti. Tae nam te asurutta ruttha kuviya chamdikkiya misimisemana jeneva dhane satthavahe teneva uvagachchhati, uvagachchhitta bahuhim khijjanahi ya rumtanahi ya uvalambhanahi ya khijjamana ya rumtamana ya uvalambhamana ya dhanassa satthavahassa eyamattham nivedemti. Tae nam se dhane satthavahe bahunam daraganam dariyanam dimbhayanam dimbhiyanam kumarayanam kumariyanam ammapiuna amtie eyamattham sochcha asurutte rutthe kuvie chamdikkie misimisemane chilayam dasachedam uchchavayahim ausanahim ausai uddhamsai nibbhachchhei nichchhodei tajjei uchchavayahim talanahim talei sao gihao nichchhubhai.
Sutra Meaning Transliteration : ‘bhagavan ! Shramana bhagavana mahavira ne atharahave adhyayana ka kya artha kaha hai\?’ he jambu ! Usa kala aura usa samaya mem rajagriha namaka nagara tha, (varnana). Vaham dhanya namaka sarthavaha nivasa karata tha. Bhadra namaki usaki patni thi. Usa dhanya sarthavaha ke putra, bhadra ke atmaja pamcha sarthavahadaraka the. Dhana, dhanapala, dhanadeva, dhanagopa aura dhanarakshita. Dhanya sarthavaha ki putri, bhadra ki atmaja aura pamchom putrom ke pashchat janmi hui sumsuma namaka balika thi. Usake hatha – paira adi amgopamga sukumara the. Usa dhanya sarthavaha ka chilata namaka dasa chetaka tha usaki pamchom indriyam puri thim aura sharira bhi paripurna evam mamsa se apachita tha. Vaha bachchom ko khelane mem kushala bhi tha. Ata eva dasachetaka sumsuma balika ka balagrahaka niyata kiya gaya. Vaha sumsuma balika ko kamara mem leta aura bahuta – se larakom, larakiyom, bachchom, bachchiyom, kumarom aura kumarikaom ke satha khelata rahata tha. Usa samaya vaha chilata dasa – chetaka una bahuta – se larakom, larakiyom, bachchom, bachchiyom, kumarom aura kumariyom mem se kinhi ki kauriyam harana kara leta –\. Isi prakara vartaka, adoliya, dara, kapara aura sadollaka hara leta tha. Kinhim – kinhim ke abharana, mala aura alamkara harana kara leta tha. Kinhim para akrosha karata, hamsi urata, thaga leta, bhartsana karata, tarjana karata aura kisi ko marata – pitata tha. Taba ve bahuta – se larake, larakiyam, bachche, bachchiyam, kumara aura kumarikaem rote hue, chillate hue, shoka karate hue, amsu bahate hue, vilapa karate hue jakara apane – apane mata – pitaom se chilata ki karatuta kahate the. Usa samaya bahuta – se larakom, larakiyom, bachche, bachchiyom, kumarom kumarikaom ke mata – pita dhanya sarthavaha ke pasa ate. Akara dhanya sarthavaha ko khedajanaka vachanom se, rumvase hokara ulahane – dete the aura dhanya sarthavaha ko yaha kahate the. Dhanya sarthavahane chilata dasa – chetaka ko isa bata ke lie bara – bara mana kiya, magara chilata dasa – chetaka ruka nahim, mana nahim. Dhanya sarthavaha ke rokane para bhi chilata dasa – chetaka una bahuta – se larakom, larakiyom, bachchom, bachchiyom, kumara kumarikaom mem se kinhim ki kauriyam harana karata raha aura kinhim ko yavat marata – pitata raha. Taba ve bahuta larake – larakiyam, bachche – bachchiyam, kumara aura kumarikaem rote – chillate gae, yavat mata – pitaom se unhomne yaha bata kaha sunai. Taba ve mata – pita ekadama kruddha hue, rushta, kupita, prachanda hue, krodha se jala uthe aura dhanya sarthavaha ke pasa pahumche. Pahumchakara bahuta khedayukta vachanom se unhomne yaha bata usase kahi. Taba dhanya sarthavaha bahuta – se larakom, larakiyom, bachchom, bachchiyom, kumarom aura kumarikaom ke mata – pitaom se yaha bata sunakara ekadama kupita hua. Usane umche – niche akrosha – vachanom se chilata dasa – cheta para akrosha kiya, usaka tiraskara kiya, bhartsana ki, dhamaki di, tarjana ki aura umchi – nichi taranaom se tarana ki aura phira use apane ghara se bahara nikala diya.