Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004388 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२५ |
Translated Chapter : |
शतक-२५ |
Section : | उद्देशक-४ युग्म | Translated Section : | उद्देशक-४ युग्म |
Sutra Number : | 888 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एएसि णं भंते! परमाणुपोग्गलाणं, संखेज्जपदेसियाणं, असंखेज्जपदेसियाणं, अनंतपदेसियाणं य खंधाणं दव्वट्ठयाए, पदेसट्ठयाए, दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा अनंतपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए, परमाणुपोग्गला दव्वट्ठयाए अनंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखेज्ज-गुणा। पदेसट्ठयाए–सव्वत्थोवा अनंतपदेसिया खंधा पदेसट्ठयाए, परमाणुपोग्गला अपदेसट्ठयाए अनंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। दव्वट्ठपदेसट्ठयाए–सव्वत्थोवा अनंतपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए, ते चेव पदेसट्ठयाए अनंतगुणा, परमाणुपोग्गला दव्वट्ठपदेसट्ठयाए अनंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखेज्ज-गुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। एएसि णं भंते! एगपदेसोगाढाणं, संखेज्जपदेसोगाढाणं, असंखेज्जपदेसोगाढाणं य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए, पदेसट्ठयाए, दव्वट्ठपदेसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए, संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदे-सोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा। पदेसट्ठयाए–सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला अपदेसट्ठयाए, संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए–सव्वत्थोवा एगप-देसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठअपदेसट्ठयाए, संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए संखेज्जगुणा। असंखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। एएसि णं भंते! एगसमयट्ठितीयाणं, संखेज्जसमयट्ठितीयाणं, असंखेज्जसमयट्ठितीयाण य पोग्गलाण? जहा ओगाहणाए तहा ठितीए वि भाणियव्वं अप्पाबहुगं। एएसि णं भंते! एगगुणकालगाणं, संखेज्जगुणकालगाणं, असंखेज्जगुणकालगाणं, अनंतगुण-कालगाणं य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए, पदेसट्ठयाए, दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? एएसिं जहा परमाणुपोग्गलाणं अप्पाबहुगं तहा एएसिं पि अप्पाबहुगं। एवं सेसाण वि वण्ण-गंध-रसाणं। एएसि णं भंते! एगगुणकक्खडाणं, संखेज्जगुणकक्खडाणं, असंखेज्जगुणकक्खडाणं, अनंतगुण-कक्खडाणं य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए, पदेसट्ठयाए, दव्वट्ठपदेसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए, संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, अनंतगुण-कक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए अनंतगुणा। पदेसट्ठयाए एवं चेव, नवरं–संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। सेसं तं चेव। दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए–सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए। संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए संखेज्जगुणा। असंखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। अनंतगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए अनंतगुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए अनंतगुणा। एवं मउय-गरुय-लहुयाण वि अप्पाबहुयं। सीय-उसिण-निद्ध-लुक्खाणं तहा वण्णाणं तहेव। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! परमाणु – पुद्गल, संख्यात – प्रदेशी, असंख्यात – प्रदेशी और अनन्त – प्रदेशी स्कन्धों में द्रव्यार्थरूप से, प्रदेशार्थरूप से तथा द्रव्यार्थ – प्रदेशार्थरूप से कौन – से पुद्गल – स्कन्ध किन पुद्गल – स्कन्धों से यावत् विशेषाधिक हैं। गौतम ! द्रव्यार्थ रूप से – सबसे अल्प अनन्तप्रदेशी स्कन्ध हैं, उनसे द्रव्यार्थ से परमाणु – पुद्गल अनन्तगुणे हैं। उनसे असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध संख्यातगुणे हैं, उनसे द्रव्यार्थरूप से असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध असंख्यातगुणे हैं, प्रदेशार्थरूप से – सबसे थोड़े अनन्तप्रदेशी स्कन्ध हैं। उनसे अप्रदेशार्थरूप से परमाणु – पुद्गल अनन्तगुणे हैं। उनसे संख्यात – प्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थरूप से संख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातप्रदेशी – स्कन्ध प्रदेशार्थरूप से असंख्यात – गुणे हैं। द्रव्यार्थ – प्रदेशार्थरूप से – सबसे अल्प अनन्तप्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से हैं। इनसे अनन्तप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से अनन्तगुम हैं। उनसे परमाणुपुद्गल द्रव्यार्थ – अप्रदेशार्थरूप से अनन्तगुण हैं। उनसे संख्यातप्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से संख्यातगुण हैं उनसे संख्यातप्रदेशी स्कन्ध स्कन्ध प्रदेशार्थरूप से संख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से असंख्यातगुणे हैं। भगवन् ! एकप्रदेशावगाढ़, संख्यातप्रदेशावगाढ़, और असंख्यातप्रदेशावगाढ़ पुद्गलों में, द्रव्यार्थ, प्रदेशार्थ और द्रव्यार्थ – प्रदेशार्थरूप से कौन – से पुद्गल किनसे यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! द्रव्यार्थ से – एकप्रदेशावगाढ़ पुद्गल सबसे थोड़े हैं। उनसे संख्यातप्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से संख्यातगुण हैं। उनसे असंख्यातप्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से असंख्यातगुण हैं। प्रदेशार्थ से – एकप्रदेशावगाढ़ पुद्गल अप्रदेशार्थ से सबसे थोड़े हैं। उनसे संख्यातप्रदेशावगाढ़ पुद्गल प्रदेशार्थ से संख्यातगुण हैं। उनसे असंख्यातप्रदेशावगाढ़ पुद्गल प्रदेशार्थ से असंख्यातगुण हैं। द्रव्यार्थ – प्रदेशार्थ – एकदेशप्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ – अप्रदेशार्थ से सबसे अल्प हैं। उनसे संख्यातप्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से संख्यातगुण हैं। उनसे संख्यातप्रदेशावगाढ़ पुद्गल प्रदेशार्थ से संख्यातगुण हैं उनसे असंख्यातप्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से असंख्यातगुण हैं। उनसे असंख्यातप्रदेशावगाढ़ पुद्गल प्रदेशार्थ से असंख्यातगुण हैं। भगवन् ! एकसमय की स्थिति वाले, संख्यातसमय की स्थिति वाले और असंख्यात – समय की स्थिति वाले पुद्गलों में कौन किससे यावत् विशेषाधिक है ? गौतम ! अवगाहना के अल्पबहुत्व के समान स्थिति का अल्पबहुत्व कहना चाहिए। भगवन् ! एकगुण काला, संख्यातगुण काला, असंख्यातगुण काला और अनन्तगुण काला, इन पुद्गलों में द्रव्यार्थ, प्रदेशार्थ और द्रव्यार्थ – प्रदेशार्थ से कौन पुद्गल किन पुद्गलों से यावत् विशेषाधिक है ? गौतम ! परमाणु – पुद्गलों के अल्पबहुत्व अनुसार इनका भी अल्पबहुत्व जानना। इसी प्रकार शेष वर्ण, गन्ध और रस का अल्प – बहुत्व कहना चाहिए। भगवन् ! एकगुण कर्कश, संख्यातगुण कर्कश, असंख्यातगुण कर्कश और अनन्तगुण कर्कश पुद्गलों में द्रव्यार्थ, प्रदेशार्थ और द्रव्यार्थ – प्रदेशार्थ से कौन पुद्गल किन पुद्गलों से यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! एकगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ से सबसे थोड़े हैं। उनसे संख्यातगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ से संख्यातगुण हैं। उनसे असंख्यातगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ से संख्यात गुण हैं। उनसे अनन्तगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ से अनन्तगुण हैं। प्रदेशार्थ से भी इसी प्रकार। विशेष यह है कि संख्यातगुण कर्कश – पुद्गल प्रदेशार्थ से असंख्यातगुण हैं। द्रव्यार्थ – प्रदेशार्थ से – एकगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ – प्रदेशार्थ से सबसे थोड़े हैं। उनसे संख्यातगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ से संख्यातगुण हैं। उनसे संख्यातगुण कर्कश पुद्गल प्रदेशार्थ से संख्यातगुण हैं। उनसे असंख्यातगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ से असंख्यातगुण हैं। उनसे असंख्यातगुण कर्कश पुद्गल प्रदेशार्थ से असंख्यातगुण हैं, उनसे अनन्तगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ से अनन्तगुण हैं। उनसे अनन्तगुण कर्कश पुद्गल प्रदेशार्थ से अनन्तगुण हैं। इसी प्रकार मृदु, गुरु और लघु स्पर्श के अल्पबहुत्वमें कहना। शीत, उष्ण, स्निग्ध, रूक्ष स्पर्शों – सम्बन्धी अल्पबहुत्व वर्णों के अनुसार हैं भगवन् ! एक परमाणु पुद्गल द्रव्यार्थ रूप से कृतयुग्म है, त्र्योज, द्वापरयुग्म है या कल्योज है ? गौतम ! वह कृतयुग्म त्र्योज या द्वापरयुग्म नहीं है, किन्तु कल्योज है। इसी प्रकार अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक जानना चाहिए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] eesi nam bhamte! Paramanupoggalanam, samkhejjapadesiyanam, asamkhejjapadesiyanam, anamtapadesiyanam ya khamdhanam davvatthayae, padesatthayae, davvattha-padesatthayae kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Goyama! Savvatthova anamtapadesiya khamdha davvatthayae, paramanupoggala davvatthayae anamtaguna, samkhejjapadesiya khamdha davvatthayae samkhejjaguna, asamkhejjapadesiya khamdha davvatthayae asamkhejja-guna. Padesatthayae–savvatthova anamtapadesiya khamdha padesatthayae, paramanupoggala apadesatthayae anamtaguna, samkhejjapadesiya khamdha padesatthayae samkhejjaguna, asamkhejjapadesiya khamdha padesatthayae asamkhejjaguna. Davvatthapadesatthayae–savvatthova anamtapadesiya khamdha davvatthayae, te cheva padesatthayae anamtaguna, paramanupoggala davvatthapadesatthayae anamtaguna, samkhejjapadesiya khamdha davvatthayae samkhejjaguna, te cheva padesatthayae samkhejjaguna, asamkhejjapadesiya khamdha davvatthayae asamkhejja-guna, te cheva padesatthayae asamkhejjaguna. Eesi nam bhamte! Egapadesogadhanam, samkhejjapadesogadhanam, asamkhejjapadesogadhanam ya poggalanam davvatthayae, padesatthayae, davvatthapadesatthayae kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Goyama! Savvatthova egapadesogadha poggala davvatthayae, samkhejjapadesogadha poggala davvatthayae samkhejjaguna, asamkhejjapade-sogadha poggala davvatthayae asamkhejjaguna. Padesatthayae–savvatthova egapadesogadha poggala apadesatthayae, samkhejjapadesogadha poggala padesatthayae samkhejjaguna, asamkhejjapadesogadha poggala padesatthayae asamkhejjaguna. Davvattha-padesatthayae–savvatthova egapa-desogadha poggala davvatthaapadesatthayae, samkhejjapadesogadha poggala davvatthayae samkhejjaguna, te cheva padesatthayae samkhejjaguna. Asamkhejjapadesogadha poggala davvatthayae asamkhejjaguna, te cheva padesatthayae asamkhejjaguna. Eesi nam bhamte! Egasamayatthitiyanam, samkhejjasamayatthitiyanam, asamkhejjasamayatthitiyana ya poggalana? Jaha ogahanae taha thitie vi bhaniyavvam appabahugam. Eesi nam bhamte! Egagunakalaganam, samkhejjagunakalaganam, asamkhejjagunakalaganam, anamtaguna-kalaganam ya poggalanam davvatthayae, padesatthayae, davvattha-padesatthayae kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Eesim jaha paramanupoggalanam appabahugam taha eesim pi appabahugam. Evam sesana vi vanna-gamdha-rasanam. Eesi nam bhamte! Egagunakakkhadanam, samkhejjagunakakkhadanam, asamkhejjagunakakkhadanam, anamtaguna-kakkhadanam ya poggalanam davvatthayae, padesatthayae, davvatthapadesatthayae kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Goyama! Savvatthova egagunakakkhada poggala davvatthayae, samkhejjagunakakkhada poggala davvatthayae samkhejjaguna, asamkhejjagunakakkhada poggala davvatthayae asamkhejjaguna, anamtaguna-kakkhada poggala davvatthayae anamtaguna. Padesatthayae evam cheva, navaram–samkhejjagunakakkhada poggala padesatthayae asamkhejjaguna. Sesam tam cheva. Davvattha-padesatthayae–savvatthova egagunakakkhada poggala davvattha-padesatthayae. Samkhejjagunakakkhada poggala davvatthayae samkhejjaguna, te cheva padesatthayae samkhejjaguna. Asamkhejjagunakakkhada poggala davvatthayae asamkhejjaguna, te cheva padesatthayae asamkhejjaguna. Anamtagunakakkhada poggala davvatthayae anamtaguna, te cheva padesatthayae anamtaguna. Evam mauya-garuya-lahuyana vi appabahuyam. Siya-usina-niddha-lukkhanam taha vannanam taheva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Paramanu – pudgala, samkhyata – pradeshi, asamkhyata – pradeshi aura ananta – pradeshi skandhom mem dravyartharupa se, pradeshartharupa se tatha dravyartha – pradeshartharupa se kauna – se pudgala – skandha kina pudgala – skandhom se yavat visheshadhika haim. Gautama ! Dravyartha rupa se – sabase alpa anantapradeshi skandha haim, unase dravyartha se paramanu – pudgala anantagune haim. Unase asamkhyatapradeshi skandha samkhyatagune haim, unase dravyartharupa se asamkhyatapradeshi skandha asamkhyatagune haim, pradeshartharupa se – sabase thore anantapradeshi skandha haim. Unase apradeshartharupa se paramanu – pudgala anantagune haim. Unase samkhyata – pradeshi skandha pradeshartharupa se samkhyatagune haim. Unase asamkhyatapradeshi – skandha pradeshartharupa se asamkhyata – gune haim. Dravyartha – pradeshartharupa se – sabase alpa anantapradeshi skandha dravyartha se haim. Inase anantapradeshi skandha pradeshartha se anantaguma haim. Unase paramanupudgala dravyartha – apradeshartharupa se anantaguna haim. Unase samkhyatapradeshi skandha dravyartha se samkhyataguna haim unase samkhyatapradeshi skandha skandha pradeshartharupa se samkhyatagune haim. Unase asamkhyatapradeshi skandha dravyartha se asamkhyatagune haim. Unase asamkhyatapradeshi skandha pradeshartha se asamkhyatagune haim. Bhagavan ! Ekapradeshavagarha, samkhyatapradeshavagarha, aura asamkhyatapradeshavagarha pudgalom mem, dravyartha, pradeshartha aura dravyartha – pradeshartharupa se kauna – se pudgala kinase yavat visheshadhika haim\? Gautama ! Dravyartha se – ekapradeshavagarha pudgala sabase thore haim. Unase samkhyatapradeshavagarha pudgala dravyartha se samkhyataguna haim. Unase asamkhyatapradeshavagarha pudgala dravyartha se asamkhyataguna haim. Pradeshartha se – ekapradeshavagarha pudgala apradeshartha se sabase thore haim. Unase samkhyatapradeshavagarha pudgala pradeshartha se samkhyataguna haim. Unase asamkhyatapradeshavagarha pudgala pradeshartha se asamkhyataguna haim. Dravyartha – pradeshartha – ekadeshapradeshavagarha pudgala dravyartha – apradeshartha se sabase alpa haim. Unase samkhyatapradeshavagarha pudgala dravyartha se samkhyataguna haim. Unase samkhyatapradeshavagarha pudgala pradeshartha se samkhyataguna haim unase asamkhyatapradeshavagarha pudgala dravyartha se asamkhyataguna haim. Unase asamkhyatapradeshavagarha pudgala pradeshartha se asamkhyataguna haim. Bhagavan ! Ekasamaya ki sthiti vale, samkhyatasamaya ki sthiti vale aura asamkhyata – samaya ki sthiti vale pudgalom mem kauna kisase yavat visheshadhika hai\? Gautama ! Avagahana ke alpabahutva ke samana sthiti ka alpabahutva kahana chahie. Bhagavan ! Ekaguna kala, samkhyataguna kala, asamkhyataguna kala aura anantaguna kala, ina pudgalom mem dravyartha, pradeshartha aura dravyartha – pradeshartha se kauna pudgala kina pudgalom se yavat visheshadhika hai\? Gautama ! Paramanu – pudgalom ke alpabahutva anusara inaka bhi alpabahutva janana. Isi prakara shesha varna, gandha aura rasa ka alpa – bahutva kahana chahie. Bhagavan ! Ekaguna karkasha, samkhyataguna karkasha, asamkhyataguna karkasha aura anantaguna karkasha pudgalom mem dravyartha, pradeshartha aura dravyartha – pradeshartha se kauna pudgala kina pudgalom se yavat visheshadhika haim\? Gautama ! Ekaguna karkasha pudgala dravyartha se sabase thore haim. Unase samkhyataguna karkasha pudgala dravyartha se samkhyataguna haim. Unase asamkhyataguna karkasha pudgala dravyartha se samkhyata guna haim. Unase anantaguna karkasha pudgala dravyartha se anantaguna haim. Pradeshartha se bhi isi prakara. Vishesha yaha hai ki samkhyataguna karkasha – pudgala pradeshartha se asamkhyataguna haim. Dravyartha – pradeshartha se – ekaguna karkasha pudgala dravyartha – pradeshartha se sabase thore haim. Unase samkhyataguna karkasha pudgala dravyartha se samkhyataguna haim. Unase samkhyataguna karkasha pudgala pradeshartha se samkhyataguna haim. Unase asamkhyataguna karkasha pudgala dravyartha se asamkhyataguna haim. Unase asamkhyataguna karkasha pudgala pradeshartha se asamkhyataguna haim, unase anantaguna karkasha pudgala dravyartha se anantaguna haim. Unase anantaguna karkasha pudgala pradeshartha se anantaguna haim. Isi prakara mridu, guru aura laghu sparsha ke alpabahutvamem kahana. Shita, ushna, snigdha, ruksha sparshom – sambandhi alpabahutva varnom ke anusara haim Bhagavan ! Eka paramanu pudgala dravyartha rupa se kritayugma hai, tryoja, dvaparayugma hai ya kalyoja hai\? Gautama ! Vaha kritayugma tryoja ya dvaparayugma nahim hai, kintu kalyoja hai. Isi prakara anantapradeshi skandha taka janana chahie. |