Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004354 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२४ |
Translated Chapter : |
शतक-२४ |
Section : | उद्देशक-१७ थी १९ बेइन्द्रियादि | Translated Section : | उद्देशक-१७ थी १९ बेइन्द्रियादि |
Sutra Number : | 854 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तेइंदिया णं भंते! कओहिंतो उववज्जंति? एवं तेइंदियाणं जहेव बेइंदियाणं उद्देसो, नवरं–ठितिं संवेहं च जाणेज्जा। तेउक्काइएसु समं ततियगमे उक्कोसेणं अट्ठुत्तराइं बेराइंदियसयाइं, बेइंदिएहिं समं ततियगमे उक्कोसेणं अडयालीसं संवच्छराइं छन्नउयराइंदियसतमब्भहियाइं, तेइंदिएहिं समं ततिय-गमे उक्कोसेणं बाणउयाइं तिन्नि राइंदियसयाइं। एवं सव्वत्थ जाणेज्जा जाव सण्णिमनुस्स त्ति। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! त्रीन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न। द्वीन्द्रिय – उद्देशक के समान त्रीन्द्रियों के विषय में भी कहना चाहिए। विशेष यह है कि स्थिति और संवेध (भिन्न) समझना चाहिए। तेजस्कायिकों के साथ तीसरे गमक में उत्कृष्ट २०८ रात्रि – दिवस का और द्वीन्द्रियों के साथ तीसरे गमक में उत्कृष्ट १९६ रात्रि – दिवस अधिक ४८ वर्ष होता है। त्रीन्द्रियों के साथ तीसरे गमक में उत्कृष्ट ३९२ रात्रि – दिवस होता है। इस प्रकार यावत् – संज्ञी मनुष्य तक सर्वत्र जानना चाहिए। ‘हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है।’ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] teimdiya nam bhamte! Kaohimto uvavajjamti? Evam teimdiyanam jaheva beimdiyanam uddeso, navaram–thitim samveham cha janejja. Teukkaiesu samam tatiyagame ukkosenam atthuttaraim beraimdiyasayaim, beimdiehim samam tatiyagame ukkosenam adayalisam samvachchharaim chhannauyaraimdiyasatamabbhahiyaim, teimdiehim samam tatiya-game ukkosenam banauyaim tinni raimdiyasayaim. Evam savvattha janejja java sannimanussa tti. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Trindriya jiva kaham se akara utpanna hote haim\? Ityadi prashna. Dvindriya – uddeshaka ke samana trindriyom ke vishaya mem bhi kahana chahie. Vishesha yaha hai ki sthiti aura samvedha (bhinna) samajhana chahie. Tejaskayikom ke satha tisare gamaka mem utkrishta 208 ratri – divasa ka aura dvindriyom ke satha tisare gamaka mem utkrishta 196 ratri – divasa adhika 48 varsha hota hai. Trindriyom ke satha tisare gamaka mem utkrishta 392 ratri – divasa hota hai. Isa prakara yavat – samjnyi manushya taka sarvatra janana chahie. ‘he bhagavan ! Yaha isi prakara hai.’ |