Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1004151
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-१५ गोशालक

Translated Chapter :

शतक-१५ गोशालक

Section : Translated Section :
Sutra Number : 651 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी पाईणजाणवए सव्वानुभूती नामं अनगारे पगइभद्दए पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे विनीए धम्मायरियाणुरागेणं एयमट्ठं असद्दहमाणे उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसाले मंखलिपुत्ते एवं वयासी– जे वि ताव गोसाला! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं निसामेति, से वि ताव वंदति नमंसति सक्कारेति सम्माणेति कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासति, किमंग पुण तुमं गोसाला! भगवया चेव पव्वाविए, भगवया चेव मुंडाविए, भगवया चेव सेहाविए, भगवया चेव सिक्खाविए, भगवया चेव बहुस्सुतीकए, भगवओ चेव मिच्छं विप्पडिवन्ने? तं मा एवं गोसाला! नारिहसि गोसाला! सच्चेव ते सा छाया नो अन्ना। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सव्वाणुभूतिणा अनगारेणं एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसि-मिसेमाणे सव्वाणुभूतिं अनगारं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं करेति। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सव्वाणुभूतिं अनगारं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं करेत्ता दोच्चं पि समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं आओसणाहिं आओसइ, उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेति, उच्चावयाहिं निब्भंछणाहिं निब्भंछेति, उच्चावयाहिं निच्छोडणाहिं निच्छोडेति, निच्छोडेत्ता एवं वयासी– नट्ठे सि कदाइ, विणट्ठे सि कदाइ, भट्ठे सि कदाइ, नट्ठ-विनट्ठ-भट्ठे सि कदाइ, अज्ज न भवसि, नाहि ते ममाहिंतो सुहमत्थि। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी कोसलजाणवए सुनक्खत्ते नामं अनगारे पगइभद्दए जाव विनीए धम्मायरियाणुरागेणं एयमट्ठं असद्दहमाणे उठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी– जे वि ताव गोसाला! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं निसामेति, से वि ताव वंदति नमंसति सक्कारेति सम्माणेति कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासति, किमंग पुण तुमं गोसाला! भगवया चेव पव्वाविए, भगवया चेव मुंडाविए, भगवया चेव सेहाविए, भगवया चेव सिक्खाविए, भगवया चेव बहुस्सुतीकए, भगवओ चेव मिच्छं विप्पडिवन्ने? तं मा एवं गोसाला! नारिहसि गोसाला! सच्चेव ते सा छाया नो अन्ना। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सुनक्खत्तेणं अनगारेणं एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे सुनक्खत्तं अनगारं तवेणं तेएणं परितावेइ। तए णं से सुनक्खत्ते अनगारे गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं परिताविए समाणे जेणेव समणे भगवं महा-वीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता सयमेव पंच महव्वयाइं आरु-भेति, आरुभेत्ता समणा य समणीओ य खामेइ, खामेत्ता आलोइय-पडिक्कंते समाहिपत्ते आनुपुव्वीए कालगए। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सुनक्खत्तं अनगारं तवेणं तेएणं परितावेत्ता तच्चं पि समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं आओसणाहिं आओसइ, उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेति, उच्चावयाहिं निब्भंछणाहिं निब्भंछेति, उच्चावयाहिं निच्छोडणाहिं निच्छोडेति, निच्छोडेत्ता एवं वयासी–नट्ठे सि कदाइ, विनट्ठे सि कदाइ, भट्ठे सि कदाइ, नट्ठ-विणट्ठ-भट्ठे सि कदाइ, अज्ज न भवसि, नाहि ते ममाहिंतो सुहमत्थि। तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी–जे वि ताव गोसाला! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं निसामेति, से वि ताव वंदति नमंसति सक्कारेति सम्माणेति कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासति, किमंग पुण गोसाला! तुमं मए चेव पव्वाविए, मए चेव मुंडाविए, मए चेव सेहाविए, मए चेव सिक्खा विए, मए चेव बहुस्सुतीकए, ममं चेव मिच्छं विप्पडिवन्ने? तं मा एवं गोसाला! नारिहसि गोसाला! सच्चेव ते सा छाया नो अन्ना। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे तेयासमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता सत्तट्ठ पयाइं पच्चोसक्कइ; पच्चोसक्कित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरति–से जहानामए वाउक्कलिया इ वा वायमंडलिया इ वा सेलंसि वा कुड्डंसि वा थंभंसि वा थूभंसि वा आवारि-ज्जमाणी वा निवारिज्जमाणी वा सा णं तत्थ नो कमति नो पक्कमति एवामेव गोसालस्स वि मंखलिपुत्तस्स तवे तेए समणस्स भगवओ महावीरस्स वहाए सरीरगंसि निसिट्ठे समाणे से णं तत्थ नो कमति नो पक्कमति अंचियंचिं करेति, करेत्ता आयाहिण-पयाहिणं करेति, करेत्ता उड्ढं वेहासं उप्पइए, से णं तओ पडिहए पडिनियत्तमाणे तमेव गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अनुडहमाणे-अनुडहमाणे अंतो-अंतो अनुप्पविट्ठे। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सएणं तेएणं अन्नाइट्ठे समाणे समणं भगवं महावीरं एवं वयासी–तुमं णं आउसो कासवा! ममं तवेणं तेएणं अन्नाइट्ठे समाणे अंतो छण्हं मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्ससि। तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी–नो खलु अहं गोसाला! तव तवेणं तेएणं अन्नाइट्ठे समाणे अंतो छण्हं मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्सामि, अहण्णं अन्नाइं सोलस वासाइं जिने सुहत्थी विहरिस्सामि। तुमं णं गोसाला! अप्पणा चेव सएणं तेएणं अन्नाइट्ठे समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्ससि। तए णं सावत्थीए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजनो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ–एवं खलु देवानुप्पिया! सावत्थीए नगरीए बहिया कोट्ठए चेइए दुवे जिणा संलवंति–एगे वदंति तुमं पुव्विं कालं करेस्ससि, एगे वदंति तुमं पुव्विं कालं करेस्ससि। तत्थ णं के पुण सम्मावादी? के मिच्छावादी? तत्थ णं जे से अहप्पहाणे जणे से वदति–समणे भगवं महावीरे सम्मावादी, गोसाले मंखलिपुत्ते मिच्छावादी।
Sutra Meaning : उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर के पूर्व देश में जन्मे हुए सर्वानुभूति नामक अनगार थे, जो प्रकृति से भद्र यावत्‌ विनीत थे। वह अपने धर्माचार्य के प्रति अनुरागवश गोशालक के प्रलाप के प्रति अश्रद्धा करते हुए उठे और मंखलिपुत्र गोशालक के पास आकर कहने लगे – हे गोशालक ! जो मनुष्य तथारूप श्रमण या माहन से एक भी आर्य धार्मिक सुवचन सूनता है, वह उन्हें वन्दना – नमस्कार करता है, यावत्‌ उन्हें कल्याणरूप, मंगलरूप, देवस्वरूप, एवं ज्ञानरूप मानकर उनकी पर्युपासना करता है, तो हे गोशालक ! तुम्हारे लिए तो कहना ही क्या ? भगवान ने तुम्हें प्रव्रजित किया, मुण्डित किया, भगवान ने तुम्हें साधना सिखाई, भगवान ने तुम्हें शिक्षित किया, भगवान ने तुम्हें बहुश्रुत किया, तुम भगवान के प्रति मिथ्यापन अंगीकार कर रहे हो। हे गोशालक ! तुम ऐसा मत करो तुम्हें ऐसा करना उचित नहीं है। हे गोशालक ! तुम वही गोशालक हो, दूसरे नहीं, तुम्हारी वही प्रकृति है, दूसरी नहीं। सर्वानुभूति अनगार ने जब मंखलिपुत्र गोशालक से इस प्रकार की बातें कही तब वह एकदम क्रोध से आगबबूला हो उठा और अपने तपोजन्य तेज से उसने एक ही प्रहार में कूटाघात की तरह सर्वानुभूति अनगार को भस्म कर दिया। सर्वानुभूति अनगार को भस्म करके वह मंखलिपुत्र गोशालक फिर दूसरी बार श्रमण भगवान महावीर को अनेक प्रकार के ऊटपटांग आक्रोशवचनों से तिरस्कृत करने लगा। उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर का कोशल जनपदीय में उत्पन्न अन्तेवासी सुनक्षत्र नामक अनगार था। वह भी प्रकृति से भद्र यावत्‌ विनीत था। उसने धर्माचार्य के प्रति अनुरागवश सर्वानुभूति अनगार के समान गोशालक को यथार्थ बात कही, यावत्‌ – ‘हे गोशालक ! तू वही है, तेरी प्रकृति वही है, तू अन्य नहीं है।’ सुनक्षत्र अनगार के ऐसा कहने पर गोशालक अत्यन्त कुपित हुआ और अपने तप – तेज से सुनक्षत्र अनगार को भी परितापित कर (जला) दिया। मंखलिपुत्र गोशालक के तप – तेज से जले हुए सुनक्षत्र अनगार ने श्रमण भगवान महावीर स्वामी के समीप आकर और तीन बार दाहिनी ओर से प्रदक्षिणा करके उन्हें वन्दना – नमस्कार किया। फिर स्वयमेव पंच महाव्रतों का आरोपण किया और सभी श्रमण – श्रमणियों से क्षमायाचना की। तदनन्तर आलोचना और प्रतिक्रमण करके समाधि प्राप्त कर अनुक्रम से कालधर्म प्राप्त किया। अपने तप – तेज से सुनक्षत्र अनगार को जलाने के बाद फिर तीसरी बार मंखलिपुत्र गोशालक, श्रमण भगवान महावीर को अनेक प्रकार के आक्रोशपूर्ण वचनों से तिरस्कृत करने लगा; इत्यादि पूर्ववत्‌। श्रमण भगवान महावीर ने, गोशालक से कहा – जो तथारूप श्रमण या माहन से एक भी आर्य धार्मिक सुवचन सूनता है, इत्यादि पूर्ववत्‌, वह भी उसकी पर्युपासना करता है, तो हे गोशालक ! तेरे विषय में तो कहना ही क्या ? मैंने तुझे प्रव्रजित किया, यावत्‌ मैंने तुझे बहुश्रुत बनाया, अब मेरे साथ ही तूने इस प्रकार का मिथ्यात्व अपनाया है। गोशालक ! ऐसा मत कर। ऐसा करना तुझे योग्य नहीं है। यावत्‌ – तू वही है, अन्य नहीं है। तेरी वही प्रकृति है, अन्य नहीं। श्रमण भगवान महावीर द्वारा इस प्रकार कहने पर मंखलिपुत्र गोशालक पुनः एकदम क्रुद्ध हो उठा। उसने तैजस समुद्‌घात किया। फिर वह सात – आठ कदम पीछे हटा और श्रमण भगवान महावीर का वध करने के लिए उसने अपने शरीर में से तेजोलेश्या नीकाली। जिस प्रकार वातोत्कलिका वातमण्डलिका पर्वत, भींत, स्तम्भ या स्तूप से आवारित एवं निवारित होती हुई उन शैल आदि पर अपना थोड़ा – सा भी प्रभाव नहीं दिखाती। इसी प्रकार श्रमण भगवान महावीर का वध करने के लिए गोशालक द्वारा अपन शरीर में से बाहर नीकाली हुई तपोजन्य तेजोलेश्या, भगवान महावीर पर अपना थोड़ा या बहुत कुछ भी प्रभाव न दिखा सकी। उसने गमनागमन (ही) किया। फिर उसने प्रदक्षिणा की और ऊपर आकाश में उछल गई। फिर वह वहाँ से नीचे गिरी और वापिस लौटकर उसी मंखलिपुत्र गोशालक के शरीर को बार – बार जलाती हुई अन्त में उसी के शरीर के भीतर प्रविष्ट हो गई। तत्पश्चात्‌ मंखलिपुत्र गोशालक अपनी तेजोलेश्या से स्वयमेव पराभूत हो गया। अतः (क्रुद्ध होकर) श्रमण भगवान महावीर से इस प्रकार कहने लगा – ‘आयुष्मन्‌ काश्यप ! तुम मेरी तपोजन्य तेजोलेश्या से पराभूत होकर पित्तज्वर से ग्रस्त शरीर वाले होकर दाह की पीड़ा से छह मास के अन्त में छद्मस्थ अवस्था में ही काल कर जाओगे।’ इस पर श्रमण भगवान महावीर स्वामी ने मंखलिपुत्र गोशालक से इस प्रकार कहा – ‘हे गोशालक ! तेरी तपोजन्य तेजोलेश्या से पराभव को प्राप्त होकर मैं छह मास के अन्तमें, यावत्‌ काल नहीं करूँगा, किन्तु अगले १६वर्ष – पर्यन्त जिन अवस्थामें गन्ध – हस्ती के समान विचरूँगा। परन्तु हे गोशालक ! तू स्वयं अपनी तेजोलेश्या से पराभव को प्राप्त होकर सात रात्रियोंके अन्तमें पित्तज्वर से शारीरिक पीड़ाग्रस्त होकर यावत्‌ छद्मस्थ अवस्थामें ही काल कर जाएगा।’ तदनन्तर श्रावस्ती नगरी के शृंगाटक यावत्‌ राजमार्गों पर बहुत – से लोग परस्पर एक दूसरे से कहने लगे, यावत्‌ प्ररूपणा करने लगे – देवानुप्रियो ! श्रावस्ती नगरी के बाहर कोष्ठक चैत्य में दो जिन परस्पर संलाप कर रहे हैं। एक कहता है – ‘तू पहले काल कर जाएगा।’ दूसरा उसे कहता है – ‘तू पहले मर जाएगा।’ इन दोनों में कौन सम्यग्वादी है, कौन मिथ्यावादी है ? उनमें से जो प्रधान मनुष्य था, उसने कहा – ‘श्रमण भगवान महावीर सत्यवादी है, मंखलिपुत्र गोशालक मिथ्यावादी है।’
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tenam kalenam tenam samaenam samanassa bhagavao mahavirassa amtevasi painajanavae savvanubhuti namam anagare pagaibhaddae pagaiuvasamte pagaipayanukohamanamayalobhe miumaddavasampanne alline vinie dhammayariyanuragenam eyamattham asaddahamane utthae utthei, utthetta jeneva gosale mamkhaliputte teneva uvagachchhai, uvagachchhitta gosale mamkhaliputte evam vayasi– Je vi tava gosala! Taharuvassa samanassa va mahanassa va amtiyam egamavi ariyam dhammiyam suvayanam nisameti, se vi tava vamdati namamsati sakkareti sammaneti kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasati, kimamga puna tumam gosala! Bhagavaya cheva pavvavie, bhagavaya cheva mumdavie, bhagavaya cheva sehavie, bhagavaya cheva sikkhavie, bhagavaya cheva bahussutikae, bhagavao cheva michchham vippadivanne? Tam ma evam gosala! Narihasi gosala! Sachcheva te sa chhaya no anna. Tae nam se gosale mamkhaliputte savvanubhutina anagarenam evam vutte samane asurutte rutthe kuvie chamdikkie misi-misemane savvanubhutim anagaram tavenam teenam egahachcham kudahachcham bhasarasim kareti. Tae nam se gosale mamkhaliputte savvanubhutim anagaram tavenam teenam egahachcham kudahachcham bhasarasim karetta dochcham pi samanam bhagavam mahaviram uchchavayahim aosanahim aosai, uchchavayahim uddhamsanahim uddhamseti, uchchavayahim nibbhamchhanahim nibbhamchheti, uchchavayahim nichchhodanahim nichchhodeti, nichchhodetta evam vayasi– natthe si kadai, vinatthe si kadai, bhatthe si kadai, nattha-vinattha-bhatthe si kadai, ajja na bhavasi, nahi te mamahimto suhamatthi. Tenam kalenam tenam samaenam samanassa bhagavao mahavirassa amtevasi kosalajanavae sunakkhatte namam anagare pagaibhaddae java vinie dhammayariyanuragenam eyamattham asaddahamane uthae utthei, utthetta jeneva gosale mamkhaliputte teneva uvagachchhai, uvagachchhitta gosalam mamkhaliputtam evam vayasi– Je vi tava gosala! Taharuvassa samanassa va mahanassa va amtiyam egamavi ariyam dhammiyam suvayanam nisameti, se vi tava vamdati namamsati sakkareti sammaneti kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasati, kimamga puna tumam gosala! Bhagavaya cheva pavvavie, bhagavaya cheva mumdavie, bhagavaya cheva sehavie, bhagavaya cheva sikkhavie, bhagavaya cheva bahussutikae, bhagavao cheva michchham vippadivanne? Tam ma evam gosala! Narihasi gosala! Sachcheva te sa chhaya no anna. Tae nam se gosale mamkhaliputte sunakkhattenam anagarenam evam vutte samane asurutte rutthe kuvie chamdikkie misimisemane sunakkhattam anagaram tavenam teenam paritavei. Tae nam se sunakkhatte anagare gosalenam mamkhaliputtenam tavenam teenam paritavie samane jeneva samane bhagavam maha-vire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto vamdai namamsai, vamditta namamsitta sayameva pamcha mahavvayaim aru-bheti, arubhetta samana ya samanio ya khamei, khametta aloiya-padikkamte samahipatte anupuvvie kalagae. Tae nam se gosale mamkhaliputte sunakkhattam anagaram tavenam teenam paritavetta tachcham pi samanam bhagavam mahaviram uchchavayahim aosanahim aosai, uchchavayahim uddhamsanahim uddhamseti, uchchavayahim nibbhamchhanahim nibbhamchheti, uchchavayahim nichchhodanahim nichchhodeti, nichchhodetta evam vayasi–natthe si kadai, vinatthe si kadai, bhatthe si kadai, nattha-vinattha-bhatthe si kadai, ajja na bhavasi, nahi te mamahimto suhamatthi. Tae nam samane bhagavam mahavire gosalam mamkhaliputtam evam vayasi–je vi tava gosala! Taharuvassa samanassa va mahanassa va amtiyam egamavi ariyam dhammiyam suvayanam nisameti, se vi tava vamdati namamsati sakkareti sammaneti kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasati, kimamga puna gosala! Tumam mae cheva pavvavie, mae cheva mumdavie, mae cheva sehavie, mae cheva sikkha vie, mae cheva bahussutikae, mamam cheva michchham vippadivanne? Tam ma evam gosala! Narihasi gosala! Sachcheva te sa chhaya no anna. Tae nam se gosale mamkhaliputte samanenam bhagavaya mahavirenam evam vutte samane asurutte rutthe kuvie chamdikkie misimisemane teyasamugghaenam samohannai, samohanitta sattattha payaim pachchosakkai; pachchosakkitta samanassa bhagavao mahavirassa vahae sariragamsi teyam nisirati–se jahanamae vaukkaliya i va vayamamdaliya i va selamsi va kuddamsi va thambhamsi va thubhamsi va avari-jjamani va nivarijjamani va sa nam tattha no kamati no pakkamati evameva gosalassa vi mamkhaliputtassa tave tee samanassa bhagavao mahavirassa vahae sariragamsi nisitthe samane se nam tattha no kamati no pakkamati amchiyamchim kareti, karetta ayahina-payahinam kareti, karetta uddham vehasam uppaie, se nam tao padihae padiniyattamane tameva gosalassa mamkhaliputtassa sariragam anudahamane-anudahamane amto-amto anuppavitthe. Tae nam se gosale mamkhaliputte saenam teenam annaitthe samane samanam bhagavam mahaviram evam vayasi–tumam nam auso kasava! Mamam tavenam teenam annaitthe samane amto chhanham masanam pittajjaraparigayasarire dahavakkamtie chhaumatthe cheva kalam karessasi. Tae nam samane bhagavam mahavire gosalam mamkhaliputtam evam vayasi–no khalu aham gosala! Tava tavenam teenam annaitthe samane amto chhanham masanam pittajjaraparigayasarire dahavakkamtie chhaumatthe cheva kalam karessami, ahannam annaim solasa vasaim jine suhatthi viharissami. Tumam nam gosala! Appana cheva saenam teenam annaitthe samane amto sattarattassa pittajjaraparigayasarire dahavakkamtie chhaumatthe cheva kalam karessasi. Tae nam savatthie nagarie simghadaga-tiga-chaukka-chachchara-chaummuha-mahapaha-pahesu bahujano annamannassa evamaikkhai java evam paruvei–evam khalu devanuppiya! Savatthie nagarie bahiya kotthae cheie duve jina samlavamti–ege vadamti tumam puvvim kalam karessasi, ege vadamti tumam puvvim kalam karessasi. Tattha nam ke puna sammavadi? Ke michchhavadi? Tattha nam je se ahappahane jane se vadati–samane bhagavam mahavire sammavadi, gosale mamkhaliputte michchhavadi.
Sutra Meaning Transliteration : Usa kala aura usa samaya mem shramana bhagavana mahavira ke purva desha mem janme hue sarvanubhuti namaka anagara the, jo prakriti se bhadra yavat vinita the. Vaha apane dharmacharya ke prati anuragavasha goshalaka ke pralapa ke prati ashraddha karate hue uthe aura mamkhaliputra goshalaka ke pasa akara kahane lage – he goshalaka ! Jo manushya tatharupa shramana ya mahana se eka bhi arya dharmika suvachana sunata hai, vaha unhem vandana – namaskara karata hai, yavat unhem kalyanarupa, mamgalarupa, devasvarupa, evam jnyanarupa manakara unaki paryupasana karata hai, to he goshalaka ! Tumhare lie to kahana hi kya\? Bhagavana ne tumhem pravrajita kiya, mundita kiya, bhagavana ne tumhem sadhana sikhai, bhagavana ne tumhem shikshita kiya, bhagavana ne tumhem bahushruta kiya, tuma bhagavana ke prati mithyapana amgikara kara rahe ho. He goshalaka ! Tuma aisa mata karo tumhem aisa karana uchita nahim hai. He goshalaka ! Tuma vahi goshalaka ho, dusare nahim, tumhari vahi prakriti hai, dusari nahim. Sarvanubhuti anagara ne jaba mamkhaliputra goshalaka se isa prakara ki batem kahi taba vaha ekadama krodha se agababula ho utha aura apane tapojanya teja se usane eka hi prahara mem kutaghata ki taraha sarvanubhuti anagara ko bhasma kara diya. Sarvanubhuti anagara ko bhasma karake vaha mamkhaliputra goshalaka phira dusari bara shramana bhagavana mahavira ko aneka prakara ke utapatamga akroshavachanom se tiraskrita karane laga. Usa kala usa samaya mem shramana bhagavana mahavira ka koshala janapadiya mem utpanna antevasi sunakshatra namaka anagara tha. Vaha bhi prakriti se bhadra yavat vinita tha. Usane dharmacharya ke prati anuragavasha sarvanubhuti anagara ke samana goshalaka ko yathartha bata kahi, yavat – ‘he goshalaka ! Tu vahi hai, teri prakriti vahi hai, tu anya nahim hai.’ sunakshatra anagara ke aisa kahane para goshalaka atyanta kupita hua aura apane tapa – teja se sunakshatra anagara ko bhi paritapita kara (jala) diya. Mamkhaliputra goshalaka ke tapa – teja se jale hue sunakshatra anagara ne shramana bhagavana mahavira svami ke samipa akara aura tina bara dahini ora se pradakshina karake unhem vandana – namaskara kiya. Phira svayameva pamcha mahavratom ka aropana kiya aura sabhi shramana – shramaniyom se kshamayachana ki. Tadanantara alochana aura pratikramana karake samadhi prapta kara anukrama se kaladharma prapta kiya. Apane tapa – teja se sunakshatra anagara ko jalane ke bada phira tisari bara mamkhaliputra goshalaka, shramana bhagavana mahavira ko aneka prakara ke akroshapurna vachanom se tiraskrita karane laga; ityadi purvavat. Shramana bhagavana mahavira ne, goshalaka se kaha – jo tatharupa shramana ya mahana se eka bhi arya dharmika suvachana sunata hai, ityadi purvavat, vaha bhi usaki paryupasana karata hai, to he goshalaka ! Tere vishaya mem to kahana hi kya\? Maimne tujhe pravrajita kiya, yavat maimne tujhe bahushruta banaya, aba mere satha hi tune isa prakara ka mithyatva apanaya hai. Goshalaka ! Aisa mata kara. Aisa karana tujhe yogya nahim hai. Yavat – tu vahi hai, anya nahim hai. Teri vahi prakriti hai, anya nahim. Shramana bhagavana mahavira dvara isa prakara kahane para mamkhaliputra goshalaka punah ekadama kruddha ho utha. Usane taijasa samudghata kiya. Phira vaha sata – atha kadama pichhe hata aura shramana bhagavana mahavira ka vadha karane ke lie usane apane sharira mem se tejoleshya nikali. Jisa prakara vatotkalika vatamandalika parvata, bhimta, stambha ya stupa se avarita evam nivarita hoti hui una shaila adi para apana thora – sa bhi prabhava nahim dikhati. Isi prakara shramana bhagavana mahavira ka vadha karane ke lie goshalaka dvara apana sharira mem se bahara nikali hui tapojanya tejoleshya, bhagavana mahavira para apana thora ya bahuta kuchha bhi prabhava na dikha saki. Usane gamanagamana (hi) kiya. Phira usane pradakshina ki aura upara akasha mem uchhala gai. Phira vaha vaham se niche giri aura vapisa lautakara usi mamkhaliputra goshalaka ke sharira ko bara – bara jalati hui anta mem usi ke sharira ke bhitara pravishta ho gai. Tatpashchat mamkhaliputra goshalaka apani tejoleshya se svayameva parabhuta ho gaya. Atah (kruddha hokara) shramana bhagavana mahavira se isa prakara kahane laga – ‘ayushman kashyapa ! Tuma meri tapojanya tejoleshya se parabhuta hokara pittajvara se grasta sharira vale hokara daha ki pira se chhaha masa ke anta mem chhadmastha avastha mem hi kala kara jaoge.’ isa para shramana bhagavana mahavira svami ne mamkhaliputra goshalaka se isa prakara kaha – ‘he goshalaka ! Teri tapojanya tejoleshya se parabhava ko prapta hokara maim chhaha masa ke antamem, yavat kala nahim karumga, kintu agale 16varsha – paryanta jina avasthamem gandha – hasti ke samana vicharumga. Parantu he goshalaka ! Tu svayam apani tejoleshya se parabhava ko prapta hokara sata ratriyomke antamem pittajvara se sharirika piragrasta hokara yavat chhadmastha avasthamem hi kala kara jaega.’ Tadanantara shravasti nagari ke shrimgataka yavat rajamargom para bahuta – se loga paraspara eka dusare se kahane lage, yavat prarupana karane lage – devanupriyo ! Shravasti nagari ke bahara koshthaka chaitya mem do jina paraspara samlapa kara rahe haim. Eka kahata hai – ‘tu pahale kala kara jaega.’ dusara use kahata hai – ‘tu pahale mara jaega.’ ina donom mem kauna samyagvadi hai, kauna mithyavadi hai\? Unamem se jo pradhana manushya tha, usane kaha – ‘shramana bhagavana mahavira satyavadi hai, mamkhaliputra goshalaka mithyavadi hai.’