Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1004141
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-१५ गोशालक

Translated Chapter :

शतक-१५ गोशालक

Section : Translated Section :
Sutra Number : 641 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं अहं गोयमा! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धिं जेणेव कुम्मग्गामे नगरे तेणेव उवागच्छामि। तए णं तस्स कुम्मग्गामस्स नगरस्स बहिया वेसियायणे नामं बालतवस्सी छट्ठंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाओ पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे विहरइ। आइच्चतेयतवियाओ य से छप्पदीओ सव्वओ समंता अभिनिस्सवंति, पान-भूय-जीव-सत्त-दयट्ठयाए च णं पडियाओ-पडियाओ तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चोरुभेइ। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं बालतवस्सिं पासइ, पासित्ता ममं अंतियाओ सणियं-सणियं पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता जेणेव वेसियायणे बालतवस्सी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वेसियायणं बालतवस्सिं एवं वयासी–किं भवं मुणी? मुणिए? उदाहु जूयासेज्जायरए? तए णं से वेसियायणं बालतवस्सी गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमट्ठं नो आढाति, नो परियाणति, तुसिणीए संचिट्ठइ। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं बालतवस्सिं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी–किं भवं मुणी? मुणिए? उदाहु जूयासेज्जायरए? तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे आयावणभूमीओ पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता तेयासमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता सत्तट्ठपयाइं पच्चो-सक्कइ, पच्चोसविकत्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरइ। तए णं अहं गोयमा! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अणुकंपणट्ठयाए वेसियायणस्स बाल-तवस्सिस्स उसिणतेयपडिसा-हरणट्ठयाए एत्थ णं अंतरा सीयलियं तेयलेस्सं निसिरामि, जाए सा ममं सीयलियाए तेयलेस्साए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स उसिणा तेयलेस्सा पडिहया। तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी ममं सीयलियाए तेयलेस्साए साउसिणं तेयलेस्सं पडिहयं जाणित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगस्स किंचि आबाहं वा वाबाहं वा छविच्छेदं वा अकीरमाणं पासित्ता साउसिणं तेयलेस्सं पडिसाहरइ, पडिसाहरित्ता ममं एवं वयासी–से गतमेयं भगवं! गत-गतमेयं भगवं! तए णं गोसाले मंखलिपुत्तं ममं एवं वयासी–किं णं भंते! एस जूयासिज्जायरए तुब्भे एवं वयासी–से गतमेयं भगवं! गत-गतमेयं भगवं? तए णं अहं गोयमा! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी–तुमं णं गोसाला! वेसियायणं बालतवस्सि पाससि, पासित्ता ममं अंतियाओ सणियं-सणियं पच्चोसक्कसि, जेणेव वेसियायणे बालतवस्सी तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता वेसियायणं बालतवस्सिं एवं वयासी–किं भवं मुणी? मुणिए? उदाहु जूयासेज्जायरए? तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी तव एयमट्ठं नो आढाति, नो परिजाणति, तुसिणीए संचिट्ठइ। तए णं तुमं गोसाला! वेसियायणं बालतवस्सिं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी–किं भवं मुणी? मुणिए? उदाहु जूयासेज्जायरए? तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी तुमं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे आसु-रुत्ते जाव पच्चोसक्कति, पच्चोसक्कित्ता तव वहाए सरीरगंसि तेयलेस्सं निस्सिरइ। तए णं अहं गोसाला! तव अणुकंपणट्ठयाए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स उसिणतेय-पडिसाहरणट्ठयाए एत्थ णं अंतरा सीयलियं तेयलेस्सं निसिरामि, जाए सा ममं सीयलियाए तेय लेस्साए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स उसिणा तेयलेस्सा पडिहया। तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी ममं सीयलियाए तेयलेस्साए साउसिणं तेयलेस्सं पडिहयं जाणित्ता तव य सरीरगस्स किंचि आबाहं वा वाबाहं वा छविच्छेदं वा अकीरमाणं पासित्ता साउसिणं तेयलेस्सं पडिसाहरित्ता ममं एवं वयासी–से गतमेयं भगवं! गत-गतमेयं भगवं! तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं अंतियाओ एयमट्ठं सोच्चा निसम्म भीए तत्थे तसिए उव्विग्गेसंजायभए ममं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–कहन्नं भंते! संखित्तविउल-तेयलेस्से भवति? तए णं अहं गोयमा! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी–जेणं गोसाला! एगाए सणहाए कुम्मासपिंडियाए एगेण य वियडासएणं छट्ठंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाओ पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे विहरइ। से णं अंतो छण्हं मासाणं संखित्तविउलतेयलेस्से भवइ। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एयमट्ठं सम्मं विनएणं पडिसुणेति।
Sutra Meaning : तदनन्तर, हे गौतम ! मैं गोशालक के साथ कूर्मग्राम नगर में आया। उस समय कूर्मग्राम नगर के बाहर वैश्यायन नामक बालतपस्वी निरन्तर छठ – छठ तपःकर्म करने के साथ – साथ दोनों भुजाएं ऊंची रखकर सूर्य के सम्मुख खड़ा होकर आतापनभूमि में आतापना ले रहा था। सूर्य की गरमी से तपी हुई जूएं चारों ओर उसके सिर से नीचे गिरती थीं और वह तपस्वी प्राण, भूत, जीव और सत्त्वों की दया के लिए बार – बार पड़ती हुई उन जूओं को उठा कर बार – बार वहीं की वहीं रखता जाता था। तभी मंखलिपुत्र गोशालक ने वैश्यायन बालतपस्वी को देखा, मेरे पास से धीरे – धीरे खिसक कर वैश्यायन बालतपस्वी के निकट आया और उससे कहा – ‘क्या आप तत्त्वज्ञ या तपस्वी मुनि हैं या जूओं के शय्यातर हैं ?’ वैश्यायन बालतपस्वी ने गोशालक के इस कथन को आदर नहीं दिया और न ही इसे स्वीकार किया, किन्तु वह मौन रहा। इस पर मंखलिपुत्र गोशालक ने दूसरी और तीसरी बार वैश्यायन बालतपस्वी को फिर इसी प्रकार वही प्रश्न पूछा – तब वह शीघ्र कुपित हो उठा यावत्‌ क्रोध से दाँत पीसता हुआ आतापनाभूमि से नीचे उतरा। फिर तैजस – समुद्‌घात करके वह सात – आठ कदम पीछे हटा। इस प्रकार मंखलिपुत्र गोशालक को भस्म करने के लिए उसने अपने शरीर से तेजोलेश्या बाहर नीकाली। तदनन्तर, हे गौतम ! मैंने मंखलिपुत्र गोशालक पर अनुकम्पा करने के लिए, वैश्यायन बालतपस्वी की तेजोलेश्या का प्रतिसंहरण करने के लिए शीतल तेजोलेश्या बाहर नीकाली। जिससे मेरी तेजोलेश्या से वैश्यायन बालतपस्वी की उष्ण तेजोलेश्या का प्रतिघात हो गया। मेरी शीतल तेजोलेश्या से अपनी उष्ण तेजोलेश्या का प्रतिघात हुआ तथा गोशालक के शरीर को थोड़ी या अधिक पीड़ा या अवयवक्षति नहीं हुई जानकर वैश्यायन बालतपस्वी ने अपनी उष्ण तेजोलेश्या वापस खींच ली और उष्ण तेजोलेश्या को समेट कर उसने मुझसे कहा – ‘भगवन्‌ ! मैंने जान लिया, भगवन्‌ ! मैं समझ गया।’ मंखलिपुत्र गोशालक ने मुझसे यों पूछा – ‘भगवन्‌ ! इस जूओं के शय्यातर ने आपको क्या कहा – ‘भगवन्‌ ! मैंने जान लिया, भगवन्‌ ! मैं समझ गया ?’ इस पर हे गौतम ! मंखलिपुत्र गोशालक से मैंने यों कहा – ‘हे गोशालक! ज्यों ही तुमने वैश्यायन बालतपस्वी को देखा, त्यों ही तुम मेरे पास से शनैः शनैः खिसक गए और जहाँ वैश्यायन बालतपस्वी था, वहाँ पहुँच गए। यावत्‌ तब वह एकदम कुपित हुआ, यावत्‌ वह पीछे हटा और तुम्हारा वध करने के लिए उसने अपने शरीर से तेजोलेश्या नीकाली। हे गोशालक ! तब मैंने तुझ पर अनुकम्पा करने के लिए वैश्यायन बालतपस्वी की उष्ण तेजोलेश्या का प्रतिसंहरण करने के लिए अपने अन्तर से शीतल तेजोलेश्या नीकाली; यावत्‌ उसने अपनी उष्ण तेजोलेश्या वापस खींच ली। फिर मुझे कहा – ‘भगवन्‌ ! मैं जान गया, भगवन्‌ ! मैंन भलीभाँति समझ लिया।’ मंखलिपुत्र गोशालक मेरे से यह बात सूनकर और अवधारण करके डरा; यावत्‌ भयभीत होकर मुझे वन्दन – नमस्कार करके बोला – ‘भगवन्‌ ! संक्षिप्त और विपुल तेजोलेश्या कैसे प्राप्त होती है ?’ हे गौतम ! तब मैंने मंखलिपुत्र गोशालक से कहा – ‘गोशालक ! नखसहित बन्द की हुई मुट्ठी में जितने उड़द के बाकुले आवें तथा एक विकटाशय जल से निरन्तर छठ – छठ तपश्चरण के साथ दोनों भुजाएं ऊंची रख कर यावत्‌ आतापना लेता रहता है, उस व्यक्ति को छह महीने के अन्त में संक्षिप्त और विपुल तेजोलेश्या प्राप्त होती है।’ यह सूनकर मंखलिपुत्र गोशालक ने मेरे इस कथन को विनयपूर्वक सम्यक्‌ रूप से स्वीकार किया।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam aham goyama! Gosalenam mamkhaliputtenam saddhim jeneva kummaggame nagare teneva uvagachchhami. Tae nam tassa kummaggamassa nagarassa bahiya vesiyayane namam balatavassi chhatthamchhatthenam anikkhittenam tavokammenam uddham bahao pagijjhiya-pagijjhiya surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane viharai. Aichchateyataviyao ya se chhappadio savvao samamta abhinissavamti, pana-bhuya-jiva-satta-dayatthayae cha nam padiyao-padiyao tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchorubhei. Tae nam se gosale mamkhaliputte vesiyayanam balatavassim pasai, pasitta mamam amtiyao saniyam-saniyam pachchosakkai, pachchosakkitta jeneva vesiyayane balatavassi teneva uvagachchhai, uvagachchhitta vesiyayanam balatavassim evam vayasi–kim bhavam muni? Munie? Udahu juyasejjayarae? Tae nam se vesiyayanam balatavassi gosalassa mamkhaliputtassa eyamattham no adhati, no pariyanati, tusinie samchitthai. Tae nam se gosale mamkhaliputte vesiyayanam balatavassim dochcham pi tachcham pi evam vayasi–kim bhavam muni? Munie? Udahu juyasejjayarae? Tae nam se vesiyayane balatavassi gosalenam mamkhaliputtenam dochcham pi tachcham pi evam vutte samane asurutte rutthe kuvie chamdikkie misimisemane ayavanabhumio pachchorubhai, pachchorubhitta teyasamugghaenam samohannai, samohanitta sattatthapayaim pachcho-sakkai, pachchosavikatta gosalassa mamkhaliputtassa vahae sariragamsi teyam nisirai. Tae nam aham goyama! Gosalassa mamkhaliputtassa anukampanatthayae vesiyayanassa bala-tavassissa usinateyapadisa-haranatthayae ettha nam amtara siyaliyam teyalessam nisirami, jae sa mamam siyaliyae teyalessae vesiyayanassa balatavassissa usina teyalessa padihaya. Tae nam se vesiyayane balatavassi mamam siyaliyae teyalessae sausinam teyalessam padihayam janitta gosalassa mamkhaliputtassa sariragassa kimchi abaham va vabaham va chhavichchhedam va akiramanam pasitta sausinam teyalessam padisaharai, padisaharitta mamam evam vayasi–se gatameyam bhagavam! Gata-gatameyam bhagavam! Tae nam gosale mamkhaliputtam mamam evam vayasi–kim nam bhamte! Esa juyasijjayarae tubbhe evam vayasi–se gatameyam bhagavam! Gata-gatameyam bhagavam? Tae nam aham goyama! Gosalam mamkhaliputtam evam vayasi–tumam nam gosala! Vesiyayanam balatavassi pasasi, pasitta mamam amtiyao saniyam-saniyam pachchosakkasi, jeneva vesiyayane balatavassi teneva uvagachchhasi, uvagachchhitta vesiyayanam balatavassim evam vayasi–kim bhavam muni? Munie? Udahu juyasejjayarae? Tae nam se vesiyayane balatavassi tava eyamattham no adhati, no parijanati, tusinie samchitthai. Tae nam tumam gosala! Vesiyayanam balatavassim dochcham pi tachcham pi evam vayasi–kim bhavam muni? Munie? Udahu juyasejjayarae? Tae nam se vesiyayane balatavassi tumam dochcham pi tachcham pi evam vutte samane asu-rutte java pachchosakkati, pachchosakkitta tava vahae sariragamsi teyalessam nissirai. Tae nam aham gosala! Tava anukampanatthayae vesiyayanassa balatavassissa usinateya-padisaharanatthayae ettha nam amtara siyaliyam teyalessam nisirami, jae sa mamam siyaliyae teya lessae vesiyayanassa balatavassissa usina teyalessa padihaya. Tae nam se vesiyayane balatavassi mamam siyaliyae teyalessae sausinam teyalessam padihayam janitta tava ya sariragassa kimchi abaham va vabaham va chhavichchhedam va akiramanam pasitta sausinam teyalessam padisaharitta mamam evam vayasi–se gatameyam bhagavam! Gata-gatameyam bhagavam! Tae nam se gosale mamkhaliputte mamam amtiyao eyamattham sochcha nisamma bhie tatthe tasie uvviggesamjayabhae mamam vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi–kahannam bhamte! Samkhittaviula-teyalesse bhavati? Tae nam aham goyama! Gosalam mamkhaliputtam evam vayasi–jenam gosala! Egae sanahae kummasapimdiyae egena ya viyadasaenam chhatthamchhatthenam anikkhittenam tavokammenam uddham bahao pagijjhiya-pagijjhiya surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane viharai. Se nam amto chhanham masanam samkhittaviulateyalesse bhavai. Tae nam se gosale mamkhaliputte mamam eyamattham sammam vinaenam padisuneti.
Sutra Meaning Transliteration : Tadanantara, he gautama ! Maim goshalaka ke satha kurmagrama nagara mem aya. Usa samaya kurmagrama nagara ke bahara vaishyayana namaka balatapasvi nirantara chhatha – chhatha tapahkarma karane ke satha – satha donom bhujaem umchi rakhakara surya ke sammukha khara hokara atapanabhumi mem atapana le raha tha. Surya ki garami se tapi hui juem charom ora usake sira se niche girati thim aura vaha tapasvi prana, bhuta, jiva aura sattvom ki daya ke lie bara – bara parati hui una juom ko utha kara bara – bara vahim ki vahim rakhata jata tha. Tabhi mamkhaliputra goshalaka ne vaishyayana balatapasvi ko dekha, mere pasa se dhire – dhire khisaka kara vaishyayana balatapasvi ke nikata aya aura usase kaha – ‘kya apa tattvajnya ya tapasvi muni haim ya juom ke shayyatara haim\?’ vaishyayana balatapasvi ne goshalaka ke isa kathana ko adara nahim diya aura na hi ise svikara kiya, kintu vaha mauna raha. Isa para mamkhaliputra goshalaka ne dusari aura tisari bara vaishyayana balatapasvi ko phira isi prakara vahi prashna puchha – taba vaha shighra kupita ho utha yavat krodha se damta pisata hua atapanabhumi se niche utara. Phira taijasa – samudghata karake vaha sata – atha kadama pichhe hata. Isa prakara mamkhaliputra goshalaka ko bhasma karane ke lie usane apane sharira se tejoleshya bahara nikali. Tadanantara, he gautama ! Maimne mamkhaliputra goshalaka para anukampa karane ke lie, vaishyayana balatapasvi ki tejoleshya ka pratisamharana karane ke lie shitala tejoleshya bahara nikali. Jisase meri tejoleshya se vaishyayana balatapasvi ki ushna tejoleshya ka pratighata ho gaya. Meri shitala tejoleshya se apani ushna tejoleshya ka pratighata hua tatha goshalaka ke sharira ko thori ya adhika pira ya avayavakshati nahim hui janakara vaishyayana balatapasvi ne apani ushna tejoleshya vapasa khimcha li aura ushna tejoleshya ko sameta kara usane mujhase kaha – ‘bhagavan ! Maimne jana liya, bhagavan ! Maim samajha gaya.’ Mamkhaliputra goshalaka ne mujhase yom puchha – ‘bhagavan ! Isa juom ke shayyatara ne apako kya kaha – ‘bhagavan ! Maimne jana liya, bhagavan ! Maim samajha gaya\?’ isa para he gautama ! Mamkhaliputra goshalaka se maimne yom kaha – ‘he goshalaka! Jyom hi tumane vaishyayana balatapasvi ko dekha, tyom hi tuma mere pasa se shanaih shanaih khisaka gae aura jaham vaishyayana balatapasvi tha, vaham pahumcha gae. Yavat taba vaha ekadama kupita hua, yavat vaha pichhe hata aura tumhara vadha karane ke lie usane apane sharira se tejoleshya nikali. He goshalaka ! Taba maimne tujha para anukampa karane ke lie vaishyayana balatapasvi ki ushna tejoleshya ka pratisamharana karane ke lie apane antara se shitala tejoleshya nikali; yavat usane apani ushna tejoleshya vapasa khimcha li. Phira mujhe kaha – ‘bhagavan ! Maim jana gaya, bhagavan ! Maimna bhalibhamti samajha liya.’ mamkhaliputra goshalaka mere se yaha bata sunakara aura avadharana karake dara; yavat bhayabhita hokara mujhe vandana – namaskara karake bola – ‘bhagavan ! Samkshipta aura vipula tejoleshya kaise prapta hoti hai\?’ he gautama ! Taba maimne mamkhaliputra goshalaka se kaha – ‘goshalaka ! Nakhasahita banda ki hui mutthi mem jitane urada ke bakule avem tatha eka vikatashaya jala se nirantara chhatha – chhatha tapashcharana ke satha donom bhujaem umchi rakha kara yavat atapana leta rahata hai, usa vyakti ko chhaha mahine ke anta mem samkshipta aura vipula tejoleshya prapta hoti hai.’ yaha sunakara mamkhaliputra goshalaka ne mere isa kathana ko vinayapurvaka samyak rupa se svikara kiya.