Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004051 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१२ |
Translated Chapter : |
शतक-१२ |
Section : | उद्देशक-६ राहु;उद्देशक-७ लोक | Translated Section : | उद्देशक-६ राहु;उद्देशक-७ लोक |
Sutra Number : | 551 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कति णं भंते! पुढवीओ पन्नत्ताओ? गोयमा! सत्त पुढवीओ पन्नत्ताओ, जहा पढमसए पंचमउद्देसए तहेव आवासा ठावेयव्वा जाव अनुत्तरविमानेत्ति जाव अप-राजिए सव्वट्ठसिद्धे। अयन्नं भंते! जीवे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि पुढवि-काइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, नरगत्ताए, नेरइयत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। सव्वजीवा वि णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, नरगत्ताए, नेरइयत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। अयन्नं भंते! जीवे सक्करप्पभाए पुढवीए पणुवीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि? एवं जहा रयणप्पभाए तहेव दो आलावगा भाणियव्वा। एवं जाव धूमप्पभाए। अयन्नं भंते! जीवे तमाए पुढवीए पंचूणे निरयावाससयसहस्से एगमेगंसि निरयावासंसि? सेसं तं चेव। अयन्नं भंते! जीवे अहेसत्तमाए पुढवीए पंचसु अनुत्तरेसु महतिमहालएसु महानिरएसु एगमेगंसि निरयावासंसि? सेसं जहा रयणप्पभाए। अयन्नं भंते! जीवे चउसट्ठीए असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि पुढविक्काइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताए देवित्ताए आसन-सयन-भंडमत्तोवगरणत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। सव्वजीवा वि णं भंते! एवं चेव। एवं जाव थणियकुमारेसु। नाणत्तं आवासेसु, आवासा पुव्वभणिया। अयन्नं भंते! जीवे असंखेज्जेसु पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढवि-क्काइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। एवं सव्वजीवा वि। एवं जाव वणस्सइकाइएसु। अयन्नं भंते! जीवे असंखेज्जेसु बेइंदियावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि बेइंदियावासंसि पुढवि-क्काइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, बेइंदियत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। सव्वजीवा वि णं एवं चेव। एवं जाव मनुस्सेसु, नवरं–तेइंदिएसु जाव वणस्सइकाइयत्ताए तेइंदियत्ताए, चउरिंदिएसु चउरिंदियत्ताए, पंचिंदियतिरिक्ख-जोणिएसु पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ताए, मनुस्सेसु मनुस्सत्ताए, सेसं जहा बेइंदियाणं, वाणमंतर-जोइसिय-सोहम्मीसाणेसु य जहा असुरकुमाराणं। अयन्नं भंते! जीवे सणंकुमारे कप्पे बारससु विमानावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि वेमाणिया-वासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताए-आसन-सयन-भंडमत्तोवगरणत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। एवं सव्वजीवा वि। एवं जाव आणयपाणएसु, एवं आरणच्चुएसु वि। अयन्नं भंते! जीवे तिसु वि अट्ठारसुत्तरेसु गेविज्जविमानावाससयेसु एवं चेव। अयन्नं भंते! जीवे पंचसु अनुत्तरविमानेसु एगमेगंसि अनुत्तरविमाणंसि पुढविकाइयत्ताए? तहेव जाव असइं, अदुवा अनंतखुत्तो, नो चेव णं देवत्ताए वा देवीत्ताए वा। एवं सव्वजीवा वि। अयन्नं भंते! जीवे सव्वजीवाणं माइत्ताए, पितित्ताए, भाइत्ताए, भगिनित्ताए, भज्जत्ताए, पुत्तत्ताए, धूयत्ताए, सुण्हत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। सव्वजीवा वि णं भंते! इमस्स जीवस्स माइत्ताए, पितित्ताए, भाइत्ताए, भगिनित्ताए, भज्जत्ताए, पुत्तत्ताए, धूयत्ताए, सुण्हत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। अयन्नं भंते! जीवे सव्वजीवाणं अरित्ताए, वेरियत्ताए, घातगत्ताए, वहगत्ताए, पडिनीयत्ताए, पच्चामित्तत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। सव्वजीवा वि णं भंते! इमस्स जीवस्स अरित्ताए, वेरियत्ताए, घातगत्ताए, वहगत्ताए, पडिनीयत्ताए, पच्चामित्तत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। अयन्नं भंते! जीवे सव्वजीवाणं रायत्ताए, जुवरायत्ताए, तलवरत्ताए, माडंबियत्ताए, कोडुंबियत्ताए, इब्भत्ताए, सेट्ठित्ताए, सेनावइत्ताए, सत्थवाहत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा, अनंतखुत्तो। सव्वजीवा वि णं भंते! इमस्स जीवस्स रायत्ताए, जुवरायत्ताए, तलवरत्ताए, माडंबियत्ताए, कोडुंबियत्ताए, इब्भत्ताए, सेट्ठित्ताए, सेनावइत्ताए, सत्थवाहत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। अयन्नं भंते! जीवे सव्वजीवाणं दासत्ताए, पेसत्ताए, भयगत्ताए, भाइल्लत्ताए, भोगपुरिस-त्ताए, सीसत्ताए, वेसत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। सव्वजीवा वि णं भंते! इमस्स जीवस्स दासत्ताए, पेसत्ताए, भयगत्ताए, भाइल्लत्ताए, भोगपुरिसत्ताए, सीसत्ताए, वेसत्ताए उववन्नपुव्वे? हंता गोयमा! असइं, अदुवा अनंतखुत्तो। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! पृथ्वीयाँ कितनी हैं ? गौतम ! सात हैं। प्रथम शतक के पञ्चम उद्देशक अनुसार (यहाँ भी) नरकादि के आवासों को कहना। यावत् अनुत्तर – विमान यावत् अपराजित और सर्वार्थसिद्ध तक इसी प्रकार कहना। भगवन् ! क्या यह जीव, इस रत्नप्रभापृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में से प्रत्येक नरकावास में पृथ्वी – कायिकरूप से यावत् वनस्पतिकायिक रूप से, नरक रूप में, पहले उत्पन्न हुआ है ? हाँ, गौतम ! अनेक बार अथवा अनन्त बार (उत्पन्न हो चूका है)। भगवन् ! क्या सभी जीव, इस रत्नप्रभापृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में से प्रत्येक नरकावास में पृथ्वी – कायिकरूप में यावत् वनस्पतिकायिकरूप में, नरकपन और नैरयिकपन, पहले उत्पन्न हो चूके हैं ? (हाँ, गौतम !) उसी प्रकार अनेक बार अथवा अनन्त बार पहले उत्पन्न हुए हैं। भगवन् ! यह जीव शर्कराप्रभापृथ्वी के पच्चीस लाख नरकावासों में से प्रत्येक नरकावास में, पृथ्वीकायिक रूप में यावत् वनस्पतिकायिक रूप में, यावत् पहले उत्पन्न हो चूका है ? गौतम ! रत्नप्रभापृथ्वी – के समान दो आलापक कहने चाहिए। इसी प्रकार यावत् धूमप्रभा – पृथ्वी तक जानना। भगवन् ! क्या यह जीव तमःप्रभापृथ्वी के पाँच कम एक लाख नरकावासों में से प्रत्येक नरकावास में पूर्ववत् उत्पन्न हो चूका है ? (हाँ, गौतम !) पूर्ववत् जानना। भगवन् ! यह जीव अधःसप्तमपृथ्वी के पाँच अनुत्तर और महातिमहान् महानरकावासों में क्या पूर्ववत् उत्पन्न हो चूके हैं ? (हाँ, गौतम !) शेष सर्व कथन पूर्ववत् जानना। भगवन् ! क्या यह जीव, असुरकुमारों के चौंसठ लाख असुरकुमारवासों में से प्रत्येक असुरकुमारावास में पृथ्वीकायिकरूप में यावत् वनस्पतिकायिकरूप में, देवरूप में या देवीरूप में अथवा आसन, शयन, भांड, पात्र आदि उपकरणरूप में पहले उत्पन्न हो चूका है ? हाँ, गौतम ! अनेक बार या अनन्त बार (उत्पन्न हो चूका है)। भगवन् ! क्या सभी जीव (पूर्वोक्तरूप में उत्पन्न हो चूके हैं ?) हाँ, गौतम ! इसी प्रकार है। इसी प्रकार स्तनित – कुमारों तक कहना चाहिए। किन्तु उनके आवासों की संख्या में अन्तर है। भन्ते ! क्या यह जीव असंख्यात लाख पृथ्वीकायिक – आवासों में से प्रत्येक पृथ्वीकायिक – आवासमें पृथ्वी – कायिकरूपमें यावत् वनस्पतिकायिकरूपमें पहले उत्पन्न हो चूका है ? हाँ, गौतम ! अनेक बार अथवा अनन्त बार उत्पन्न हुआ है। इसी प्रकार सर्वजीवोंके (विषयमें कहना )। इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिकोंके आवासों जानना। भगवन् ! क्या यह जीव असंख्यात लाख द्वीन्द्रिय – आवासों में से प्रत्येक द्वीन्द्रियावास में पृथ्वीकायिकरूप में यावत् वनस्पतिकायिकरूप में और द्वीन्द्रियरूप में पहले उत्पन्न हो चूका है ? हाँ, गौतम ! यावत् अनेक बार अथवा अनन्त बार (उत्पन्न हो चूका है)। इसी प्रकार सभी जीवों के विषय में (कहना चाहिए)। इसी प्रकार यावत् मनुष्यों तक विशेषता यह है कि त्रीन्द्रियों में यावत् वनस्पतिकायिकरूप में, यावत् त्रीन्द्रियरूप में, चनुरिन्द्रियों में यावत् चतुरिन्द्रियरूप में, पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में यावत् पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्चरूप में तथा मनुष्यों में यावत् मनुष्य – रूप में उत्पत्ति जानना। शेष समस्त कथन द्वीन्द्रियों के समान जानना। असुरकुमारों (की उत्पत्ति) के समान वाणव्यन्तर; ज्योतिष्क तथा सौधर्म एवं ईशान देवलोक तक कहना। भगवन् ! क्या यह जीव सनत्कुमार देवलोक के बारह लाख विमानावासों में से प्रत्येक विमानावास में पृथ्वीकायिक रूप में यावत् पहले उत्पन्न हो चूका है ? (हाँ, गौतम !) सब कथन असुरकुमारों के समान, यावत् अनेक बार अथवा अनन्त बार उत्पन्न हो चूके हैं; यहाँ तक कहना। किन्तु वहाँ से देवीरूप में उत्पन्न नहीं हुए। इसी प्रकार सर्व जीवों के विषय में कहना। इसी प्रकार यावत् आनत और प्राणत तथा आरण और अच्युत तक जानना। भगवन् ! क्या यह जीव तीन सौ अठारह ग्रैवेयक विमानावासों में से प्रत्येक विमानावास में पृथ्वीकायिक के रूप में यावत् उत्पन्न हो चूका है ? हाँ, गौतम ! उत्पन्न हो चूका है। भगवन् ! क्या यह जीव पाँच अनुत्तरविमानों में से, यावत् उत्पन्न हो चूका है? हाँ, किन्तु वहाँ (अनन्त बार) देवरूप में, या देवीरूप में उत्पन्न नहीं हुआ। इसी प्रकार सभी जीवों के विषय में जानना भगवन् ! यह जीव, क्या सभी जीवों के माता – रूप में, पिता – रूप में, भाई के रूप में, भगिनी के रूप में, पत्नी के रूप में, पुत्र के रूप में, पुत्री के रूप में, तथा पुत्रवधू के रूप में पहले उत्पन्न हो चूका है ? हाँ, गौतम ! अनेक बार अथवा अनन्त बार उत्पन्न हो चूका है। भगवन् ! सभी जीव क्या इस जीव के माता के रूप में यावत् पुत्रवधू के रूप में पहले उत्पन्न हुए हैं ? हाँ, गौतम ! सब जीव, इस जीव के माता आदि के रूप में यावत् अनेक बार अथवा अनन्त बार पहले उत्पन्न हुए हैं। भगवन् ! यह जीव क्या सब जीवों के शत्रु रूप में, वैरी रूप में, घातक रूप में, वधक रूप में, प्रत्यनीक रूप में, शत्रु – सहायक रूप में पहले उत्पन्न हुआ है ? हाँ, गौतम ! अनेक बार अथवा अनन्त बार पहले उत्पन्न हो चूका है। भगवन् ! क्या सभी जीव (इस जीवके पूर्वोक्त शत्रुआदि रूपोंमें) पहले उत्पन्न हो चूके हैं ? हाँ, गौतम ! पूर्ववत् समझना भगवन् ! यह जीव, क्या सब जीवों के राजा के रूप में, युवराज के रूप में, यावत् सार्थवाह के रूप में पहले उत्पन्न हो चूका है ? गौतम ! अनेक बार या अनन्त बार पहले उत्पन्न हो चूका है। इस जीव के राजा आदि के रूप में सभी जीवों की उत्पत्ति भी पूर्ववत्। भगवन् ! क्या यह जीव, सभी जीवों के दास रूप में, प्रेष्य के रूप में, भृतक रूप में, भागीदार के रूप में, भोगपुरुष के रूप में, शिष्य के रूप में और द्वेष्य के रूप में पहले उत्पन्न हो चूका है ? हाँ, गौतम ! यावत् अनेक बार या अनन्त बार (पहले उत्पन्न हो चूका है)। इसी प्रकार सभी जीव, यावत् अनेक बार अथवा अनन्त बार पहले उत्पन्न हो चूके हैं। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kati nam bhamte! Pudhavio pannattao? Goyama! Satta pudhavio pannattao, jaha padhamasae pamchamauddesae taheva avasa thaveyavva java anuttaravimanetti java apa-rajie savvatthasiddhe. Ayannam bhamte! Jive imise rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu egamegamsi nirayavasamsi pudhavi-kaiyattae java vanassaikaiyattae, naragattae, neraiyattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Savvajiva vi nam bhamte! Imise rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu egamegamsi nirayavasamsi pudhavikaiyattae java vanassaikaiyattae, naragattae, neraiyattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Ayannam bhamte! Jive sakkarappabhae pudhavie panuvisae nirayavasasayasahassesu egamegamsi nirayavasamsi? Evam jaha rayanappabhae taheva do alavaga bhaniyavva. Evam java dhumappabhae. Ayannam bhamte! Jive tamae pudhavie pamchune nirayavasasayasahasse egamegamsi nirayavasamsi? Sesam tam cheva. Ayannam bhamte! Jive ahesattamae pudhavie pamchasu anuttaresu mahatimahalaesu mahaniraesu egamegamsi nirayavasamsi? Sesam jaha rayanappabhae. Ayannam bhamte! Jive chausatthie asurakumaravasasayasahassesu egamegamsi asurakumaravasamsi pudhavikkaiyattae java vanassaikaiyattae devattae devittae asana-sayana-bhamdamattovagaranattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Savvajiva vi nam bhamte! Evam cheva. Evam java thaniyakumaresu. Nanattam avasesu, avasa puvvabhaniya. Ayannam bhamte! Jive asamkhejjesu pudhavikkaiyavasasayasahassesu egamegamsi pudhavi-kkaiyavasamsi pudhavikaiyattae java vanassaikaiyattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Evam savvajiva vi. Evam java vanassaikaiesu. Ayannam bhamte! Jive asamkhejjesu beimdiyavasasayasahassesu egamegamsi beimdiyavasamsi pudhavi-kkaiyattae java vanassaikaiyattae, beimdiyattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Savvajiva vi nam evam cheva. Evam java manussesu, navaram–teimdiesu java vanassaikaiyattae teimdiyattae, chaurimdiesu chaurimdiyattae, pamchimdiyatirikkha-joniesu pamchimdiyatirikkhajoniyattae, manussesu manussattae, sesam jaha beimdiyanam, vanamamtara-joisiya-sohammisanesu ya jaha asurakumaranam. Ayannam bhamte! Jive sanamkumare kappe barasasu vimanavasasayasahassesu egamegamsi vemaniya-vasamsi pudhavikaiyattae java vanassaikaiyattae devattae-asana-sayana-bhamdamattovagaranattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Evam savvajiva vi. Evam java anayapanaesu, evam aranachchuesu vi. Ayannam bhamte! Jive tisu vi attharasuttaresu gevijjavimanavasasayesu evam cheva. Ayannam bhamte! Jive pamchasu anuttaravimanesu egamegamsi anuttaravimanamsi pudhavikaiyattae? Taheva java asaim, aduva anamtakhutto, no cheva nam devattae va devittae va. Evam savvajiva vi. Ayannam bhamte! Jive savvajivanam maittae, pitittae, bhaittae, bhaginittae, bhajjattae, puttattae, dhuyattae, sunhattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Savvajiva vi nam bhamte! Imassa jivassa maittae, pitittae, bhaittae, bhaginittae, bhajjattae, puttattae, dhuyattae, sunhattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Ayannam bhamte! Jive savvajivanam arittae, veriyattae, ghatagattae, vahagattae, padiniyattae, pachchamittattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Savvajiva vi nam bhamte! Imassa jivassa arittae, veriyattae, ghatagattae, vahagattae, padiniyattae, pachchamittattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Ayannam bhamte! Jive savvajivanam rayattae, juvarayattae, talavarattae, madambiyattae, kodumbiyattae, ibbhattae, setthittae, senavaittae, satthavahattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva, anamtakhutto. Savvajiva vi nam bhamte! Imassa jivassa rayattae, juvarayattae, talavarattae, madambiyattae, kodumbiyattae, ibbhattae, setthittae, senavaittae, satthavahattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Ayannam bhamte! Jive savvajivanam dasattae, pesattae, bhayagattae, bhaillattae, bhogapurisa-ttae, sisattae, vesattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Savvajiva vi nam bhamte! Imassa jivassa dasattae, pesattae, bhayagattae, bhaillattae, bhogapurisattae, sisattae, vesattae uvavannapuvve? Hamta goyama! Asaim, aduva anamtakhutto. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti java viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Prithviyam kitani haim\? Gautama ! Sata haim. Prathama shataka ke panchama uddeshaka anusara (yaham bhi) narakadi ke avasom ko kahana. Yavat anuttara – vimana yavat aparajita aura sarvarthasiddha taka isi prakara kahana. Bhagavan ! Kya yaha jiva, isa ratnaprabhaprithvi ke tisa lakha narakavasom mem se pratyeka narakavasa mem prithvi – kayikarupa se yavat vanaspatikayika rupa se, naraka rupa mem, pahale utpanna hua hai\? Ham, gautama ! Aneka bara athava ananta bara (utpanna ho chuka hai). Bhagavan ! Kya sabhi jiva, isa ratnaprabhaprithvi ke tisa lakha narakavasom mem se pratyeka narakavasa mem prithvi – kayikarupa mem yavat vanaspatikayikarupa mem, narakapana aura nairayikapana, pahale utpanna ho chuke haim\? (ham, gautama !) usi prakara aneka bara athava ananta bara pahale utpanna hue haim. Bhagavan ! Yaha jiva sharkaraprabhaprithvi ke pachchisa lakha narakavasom mem se pratyeka narakavasa mem, prithvikayika rupa mem yavat vanaspatikayika rupa mem, yavat pahale utpanna ho chuka hai\? Gautama ! Ratnaprabhaprithvi – ke samana do alapaka kahane chahie. Isi prakara yavat dhumaprabha – prithvi taka janana. Bhagavan ! Kya yaha jiva tamahprabhaprithvi ke pamcha kama eka lakha narakavasom mem se pratyeka narakavasa mem purvavat utpanna ho chuka hai\? (ham, gautama !) purvavat janana. Bhagavan ! Yaha jiva adhahsaptamaprithvi ke pamcha anuttara aura mahatimahan mahanarakavasom mem kya purvavat utpanna ho chuke haim\? (ham, gautama !) shesha sarva kathana purvavat janana. Bhagavan ! Kya yaha jiva, asurakumarom ke chaumsatha lakha asurakumaravasom mem se pratyeka asurakumaravasa mem prithvikayikarupa mem yavat vanaspatikayikarupa mem, devarupa mem ya devirupa mem athava asana, shayana, bhamda, patra adi upakaranarupa mem pahale utpanna ho chuka hai\? Ham, gautama ! Aneka bara ya ananta bara (utpanna ho chuka hai). Bhagavan ! Kya sabhi jiva (purvoktarupa mem utpanna ho chuke haim\?) ham, gautama ! Isi prakara hai. Isi prakara stanita – kumarom taka kahana chahie. Kintu unake avasom ki samkhya mem antara hai. Bhante ! Kya yaha jiva asamkhyata lakha prithvikayika – avasom mem se pratyeka prithvikayika – avasamem prithvi – kayikarupamem yavat vanaspatikayikarupamem pahale utpanna ho chuka hai\? Ham, gautama ! Aneka bara athava ananta bara utpanna hua hai. Isi prakara sarvajivomke (vishayamem kahana ). Isi prakara yavat vanaspatikayikomke avasom janana. Bhagavan ! Kya yaha jiva asamkhyata lakha dvindriya – avasom mem se pratyeka dvindriyavasa mem prithvikayikarupa mem yavat vanaspatikayikarupa mem aura dvindriyarupa mem pahale utpanna ho chuka hai\? Ham, gautama ! Yavat aneka bara athava ananta bara (utpanna ho chuka hai). Isi prakara sabhi jivom ke vishaya mem (kahana chahie). Isi prakara yavat manushyom taka visheshata yaha hai ki trindriyom mem yavat vanaspatikayikarupa mem, yavat trindriyarupa mem, chanurindriyom mem yavat chaturindriyarupa mem, pamchendriyatiryanchayonikom mem yavat panchendriyatiryancharupa mem tatha manushyom mem yavat manushya – rupa mem utpatti janana. Shesha samasta kathana dvindriyom ke samana janana. Asurakumarom (ki utpatti) ke samana vanavyantara; jyotishka tatha saudharma evam ishana devaloka taka kahana. Bhagavan ! Kya yaha jiva sanatkumara devaloka ke baraha lakha vimanavasom mem se pratyeka vimanavasa mem prithvikayika rupa mem yavat pahale utpanna ho chuka hai\? (ham, gautama !) saba kathana asurakumarom ke samana, yavat aneka bara athava ananta bara utpanna ho chuke haim; yaham taka kahana. Kintu vaham se devirupa mem utpanna nahim hue. Isi prakara sarva jivom ke vishaya mem kahana. Isi prakara yavat anata aura pranata tatha arana aura achyuta taka janana. Bhagavan ! Kya yaha jiva tina sau atharaha graiveyaka vimanavasom mem se pratyeka vimanavasa mem prithvikayika ke rupa mem yavat utpanna ho chuka hai\? Ham, gautama ! Utpanna ho chuka hai. Bhagavan ! Kya yaha jiva pamcha anuttaravimanom mem se, yavat utpanna ho chuka hai? Ham, kintu vaham (ananta bara) devarupa mem, ya devirupa mem utpanna nahim hua. Isi prakara sabhi jivom ke vishaya mem janana Bhagavan ! Yaha jiva, kya sabhi jivom ke mata – rupa mem, pita – rupa mem, bhai ke rupa mem, bhagini ke rupa mem, patni ke rupa mem, putra ke rupa mem, putri ke rupa mem, tatha putravadhu ke rupa mem pahale utpanna ho chuka hai\? Ham, gautama ! Aneka bara athava ananta bara utpanna ho chuka hai. Bhagavan ! Sabhi jiva kya isa jiva ke mata ke rupa mem yavat putravadhu ke rupa mem pahale utpanna hue haim\? Ham, gautama ! Saba jiva, isa jiva ke mata adi ke rupa mem yavat aneka bara athava ananta bara pahale utpanna hue haim. Bhagavan ! Yaha jiva kya saba jivom ke shatru rupa mem, vairi rupa mem, ghataka rupa mem, vadhaka rupa mem, pratyanika rupa mem, shatru – sahayaka rupa mem pahale utpanna hua hai\? Ham, gautama ! Aneka bara athava ananta bara pahale utpanna ho chuka hai. Bhagavan ! Kya sabhi jiva (isa jivake purvokta shatruadi rupommem) pahale utpanna ho chuke haim\? Ham, gautama ! Purvavat samajhana Bhagavan ! Yaha jiva, kya saba jivom ke raja ke rupa mem, yuvaraja ke rupa mem, yavat sarthavaha ke rupa mem pahale utpanna ho chuka hai\? Gautama ! Aneka bara ya ananta bara pahale utpanna ho chuka hai. Isa jiva ke raja adi ke rupa mem sabhi jivom ki utpatti bhi purvavat. Bhagavan ! Kya yaha jiva, sabhi jivom ke dasa rupa mem, preshya ke rupa mem, bhritaka rupa mem, bhagidara ke rupa mem, bhogapurusha ke rupa mem, shishya ke rupa mem aura dveshya ke rupa mem pahale utpanna ho chuka hai\? Ham, gautama ! Yavat aneka bara ya ananta bara (pahale utpanna ho chuka hai). Isi prakara sabhi jiva, yavat aneka bara athava ananta bara pahale utpanna ho chuke haim. He bhagavan ! Yaha isi prakara hai, bhagavan ! Yaha isi prakara hai. |