Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1004011 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-११ |
Translated Chapter : |
शतक-११ |
Section : | उद्देशक-१० लोक | Translated Section : | उद्देशक-१० लोक |
Sutra Number : | 511 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] लोए णं भंते! केमहालए पन्नत्ते? गोयमा! अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव एगं जोयणसयसहस्सं आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसयसहस्साइं सोलससहस्साइं दोन्निय सत्तावीसे जोयणसए तिन्नि य कोसे अट्ठावीसं च धनुसयं तेरस अंगुलाइं अद्धंगुलगं च किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं। तेणं कालेणं तेणं समएणं छ देवा महिड्ढीया जाव महासोक्खा जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पव्वए मंदरचलियं सव्वओ समंता संपरि-क्खित्ताणं चिट्ठेज्जा। अहे णं चत्तारि दिसाकुमारीओ महत्तरियाओ चत्तारि बलिपिंडे गहाय जंबुद्दीवस्स दीवस्स चउसु वि दिसासु बहियाभिमुहीओ ठिच्चा ते चत्तारि बलिपिंडे जमगसमगं बहियाभिमुहे पक्खिवेज्जा। पभू णं गोयमा! तओ एगमेगे देवे ते चत्तारि बलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए। ते णं गोयमा! देवा ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्घाए उद्धयाए दिव्वाए देवगईए एगे देवे पुरत्थाभिमुहे पयाते एगे देवे दाहिणाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे उत्तराभिमुहे पयाते, एगे देवे उड्ढाभिमुहे पयाते एगे देवे अहोभिमुहे पयाते। तेणं कालेणं तेणं समएणं वाससहस्साउए दारए पयाते। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति। तए णं तस्स दारगस्स आउए पहीने भवति, नो चेव णं ते देवा लोगंत संपाउणंति। तए णं तस्स दारग-स्स अट्ठिमिंजा पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंतिं। तए णं तस्स दारगस्स आसत्तमे वि कुलवंसे पहीने भवति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति। तए णं तस्स दारगस्स नामगोए वि पहीने भवति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति। तेसि णं भंते! देवाणं किं गए बहुए? अगए बहुए? गोयमा! गए बहुए, नो अगए बहुए, गयाओ से अगए असंक्खेज्जइभागे, अगयाओ से गए असंखेज्जगुणे। लोए णं गोयमा! एमहालए पन्नत्ते। अलोए णं भंते! केमहालए पन्नत्ते? गोयमा! अयन्नं समयखेत्ते पणयालीसं जोयणसयसहस्साइं आयाम-विक्खंभेणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसह-स्साइं तीसं च सहस्साइं दोन्निय अउणापन्नजोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं। तेणं कालेणं तेणं समएणं दस देवा महिड्ढिया जाव महासोक्खा जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पव्वए मंदरचूलियं सव्वओ समंता संप-रिक्खित्ताणं संचिट्ठेज्जा, अहे णं अट्ठ दिसाकुमारीओ महत्तरियाओ अट्ठ बलिपिंडे गहाय माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स चउसु वि दिसासु चउसु वि विदिसासु बहियाभिमुहीओ ठिच्चा ते अट्ठ बलिपिंडे जमगसमगं बहियाभिमुहे पक्खिवेज्जा। पभू णं गोयमा! तओ एग-मेगे देवे ते अट्ठ बलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए। ते णं गोयमा! देवा ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्घाए उद्धयाए दिव्वाए देवगईए लोगंते ठिच्चा असब्भावपट्ठवणाए एगे देवे पुरत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे दाहिणपुरत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे दाहिणाभिमुहे पयाते, एगे देवे दाहिणपच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थउत्तराभिमुहे पयाते, एगे देवे उत्तराभिमुहे पयाते, एगे देवे उत्तरपुरत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे उड्ढाभिमुहे पयाते, एगे देवे अहोभिमुहे पयाते। तेणं कालेणं तेणं समएणं वाससयसहस्साउए दारए पयाते। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति। तए णं तस्स दारगस्स आउए पहीने भवति, नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति। तए णं तस्स दारगस्स अट्ठिमिंजा पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति। तए णं तस्स दारगस्स आसत्तमे वि कुलवंसे पहीने भवति, नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति। तए णं तस्स दारगस्स नामगोए वि पहीने भवति, नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति। तेसि णं भंते! देवाणं किं गए बहुए? अगए बहुए? गोयमा! नो गए बहुए, अगए बहुए, गयाओ से अगए अनंतगुणे, अगयाओ से गए अनंतभागे। अलोए णं गोयमा! एमहालए पन्नत्ते। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! लोक कितना बड़ा कहा गया है ? गौतम ! यह जम्बूद्वीप नामक द्वीप, समस्त द्वीप – समुद्रों के मध्य में है; यावत् इसकी परिधि तीन लाख, सोलह हजार, दो सौ सत्ताईस योजन, तीन कोस, एक सौ अट्ठाईस धनुष और साढ़े तेरह अंगुल से कुछ अधिक है। किसी काल और किसी समय महर्द्धिक यावत् महासुख – सम्पन्न छह देव, मन्दर पर्वत पर मन्दर की चूलिका के चारों ओर खड़े रहें और नीचे चार दिशाकुमारी देवियाँ चार बलि – पिण्ड लेकर जम्बूद्वीप नामक द्वीप की चारों दिशाओं में बाहर की ओर मुख करके खड़ी रहें। फिर वे चारों देवियाँ एक साथ चारों बलिपिण्डों को बाहर की ओर फैके। हे गौतम ! उसी समय उन देवो में से एक – एक देव, चारों बलिपिण्डों को पृथ्वीतल पर पहुँचने से पहले ही, शीघ्र ग्रहण करने में समर्थ हों ऐसे उन देवों में से एक देव, हे गौतम ! उस उत्कृष्ट यावत् दिव्य देवगति से पूर्व में जाए, एक देव दक्षिण दिशा की ओर जाए, इसी प्रकार एक देव पश्चिम की ओर, एक उत्तर की ओर, एक देव ऊर्ध्वदिशा में और एक देव अधोदिशा में जाए। उसी दिन और उसी समय एक हजार वर्ष की आयु वाले एक बालक ने जन्म लिया। तदनन्तर उस बालक के माता – पिता चल बसे। वे देव, लोक का अन्त प्राप्त नहीं कर सकते। उसके बाद वह बालक आयुष्य पूर्ण होने पर कालधर्म को प्राप्त हो गया। उतने समय में भी वे देव, लोक का अन्त प्राप्त न कर सके। उस बालक के हड्डी, मज्जा भी नष्ट हो गई, तब भी वे देव, लोक का अन्त नहीं पा सके। फिर उस बालक की सात पीढ़ी तक का कुलवंश नष्ट हो गया तब भी वे देव, लोक का अन्त प्राप्त न कर सके। तत्पश्चात् उस बालक के नाम – गोत्र भी नष्ट हो गए, उतने समय तक भी देव, लोक का अन्त प्राप्त न कर सके। भगवन् ! उन देवों का गत क्षेत्र अधिक है या अगत क्षेत्र ? हे गौतम ! गतक्षेत्र अधिक है, अगतक्षेत्र गतक्षेत्र के असंख्यातवे भाग है। अगतक्षेत्र से गतक्षेत्र असंख्यातगुणा है। हे गौतम ! लोक इतना बड़ा है। भगवन् ! अलोक कितना बड़ा कहा गया है ? गौतम ! यह जो समयक्षेत्र है, वह ४५ लाख योजन लम्बा – चौड़ा है इत्यादि सब स्कन्दक प्रकरण के अनुसार जानना, यावत् वह (पूर्वोक्त) परिधियुक्त है। किसी काल और किसी समय में, दस महर्द्धिक देव, इस मनुष्यलोक को चारों ओर से घेर कर खड़े हों। उनकी नीचे आठ दिशाकुमारियाँ, आठ बलि – पिण्ड लेकर मनुषोत्तर पर्वत की चारों दिशाओं और चारों विदिशाओं में बाह्याभिमुख होकर खड़ी रहें। तत्पश्चात् वे उन आठों बलिपिण्डों को एक समय मनुष्योत्तर पर्वत के बाहर की ओर फेके। तब उन खड़े हुए देवों में से प्रत्येक देव उन बलिपिण्डों को धरती पर पहुँचने से पूर्व शीघ्र ही ग्रहण करने में समर्थ हों, ऐसी शीघ्र, उत्कृष्ट यावत् दिव्य देवगति द्वारा वे दसों देव, लोक के अन्त में खड़े रहकर उनमें से एक पूर्व दिशा की ओर जाए, एक देव दक्षिणपूर्व की ओर जाए, इसी प्रकार यावत् एक देव उत्तरपूर्व की ओर जाए, एक देव ऊर्ध्वदिशा की ओर जाए और एक देव अधोदिशा में जाए। उस काल और उसी समय में एक गृहपति के घर में एक बालक का जन्म हुआ हो, जो कि एक लाख वर्ष की आयु वाला हो। तत्पश्चात् उस बालक के माता – पिता का देहावसान हुआ, इतने समय में भी देव अलोक का अन्त नहीं प्राप्त कर सके। तत्पश्चात् उस बालक का भी देहान्त हो गया। उसकी अस्थि और मज्जा भी विनष्ट हो गई और उसकी सात पीढ़ियों के बाद वह कुल – वंश भी नष्ट हो गया तथा उसके नाम – गोत्र भी समाप्त हो गए। इतने लम्बे समय तक चलते रहने पर भी देव अलोक के अन्त को प्राप्त नहीं कर सकते। भगवन् ! उन देवों का गतक्षेत्र अधिक है, या अगतक्षेत्र अधिक है ? गौतम ! वहाँ गतक्षेत बहुत नहीं, अगतक्षेत्र ही बहुत है। गतक्षेत्र से अगतक्षेत्र अनन्तगुणा है। अगतक्षेत्र से गतक्षेत्र अनन्तवे भाग है। हे गौतम ! अलोक इतना बड़ा है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] loe nam bhamte! Kemahalae pannatte? Goyama! Ayannam jambuddive dive savvadiva-samuddanam savvabbhamtarae java egam joyanasayasahassam ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasayasahassaim solasasahassaim donniya sattavise joyanasae tinni ya kose atthavisam cha dhanusayam terasa amgulaim addhamgulagam cha kimchivisesahie parikkhevenam. Tenam kalenam tenam samaenam chha deva mahiddhiya java mahasokkha jambuddive dive mamdare pavvae mamdarachaliyam savvao samamta sampari-kkhittanam chitthejja. Ahe nam chattari disakumario mahattariyao chattari balipimde gahaya jambuddivassa divassa chausu vi disasu bahiyabhimuhio thichcha te chattari balipimde jamagasamagam bahiyabhimuhe pakkhivejja. Pabhu nam goyama! Tao egamege deve te chattari balipimde dharanitalamasampatte khippameva padisaharittae. Te nam goyama! Deva tae ukkitthae turiyae chavalae chamdae jainae chheyae sihae sigghae uddhayae divvae devagaie ege deve puratthabhimuhe payate ege deve dahinabhimuhe payate, ege deve pachchatthabhimuhe payate, ege deve uttarabhimuhe payate, ege deve uddhabhimuhe payate ege deve ahobhimuhe payate. Tenam kalenam tenam samaenam vasasahassaue darae payate. Tae nam tassa daragassa ammapiyaro pahina bhavamti, no cheva nam te deva logamtam sampaunamti. Tae nam tassa daragassa aue pahine bhavati, no cheva nam te deva logamta sampaunamti. Tae nam tassa daraga-ssa atthimimja pahina bhavamti, no cheva nam te deva logamtam sampaunamtim. Tae nam tassa daragassa asattame vi kulavamse pahine bhavati, no cheva nam te deva logamtam sampaunamti. Tae nam tassa daragassa namagoe vi pahine bhavati, no cheva nam te deva logamtam sampaunamti. Tesi nam bhamte! Devanam kim gae bahue? Agae bahue? Goyama! Gae bahue, no agae bahue, gayao se agae asamkkhejjaibhage, agayao se gae asamkhejjagune. Loe nam goyama! Emahalae pannatte. Aloe nam bhamte! Kemahalae pannatte? Goyama! Ayannam samayakhette panayalisam joyanasayasahassaim ayama-vikkhambhenam, ega joyanakodi bayalisam cha sayasaha-ssaim tisam cha sahassaim donniya aunapannajoyanasae kimchi visesahie parikkhevenam. Tenam kalenam tenam samaenam dasa deva mahiddhiya java mahasokkha jambuddive dive mamdare pavvae mamdarachuliyam savvao samamta sampa-rikkhittanam samchitthejja, ahe nam attha disakumario mahattariyao attha balipimde gahaya manusuttarassa pavvayassa chausu vi disasu chausu vi vidisasu bahiyabhimuhio thichcha te attha balipimde jamagasamagam bahiyabhimuhe pakkhivejja. Pabhu nam goyama! Tao ega-mege deve te attha balipimde dharanitalamasampatte khippameva padisaharittae. Te nam goyama! Deva tae ukkitthae turiyae chavalae chamdae jainae chheyae sihae sigghae uddhayae divvae devagaie logamte thichcha asabbhavapatthavanae ege deve puratthabhimuhe payate, ege deve dahinapuratthabhimuhe payate, ege deve dahinabhimuhe payate, ege deve dahinapachchatthabhimuhe payate, ege deve pachchatthabhimuhe payate, ege deve pachchatthauttarabhimuhe payate, ege deve uttarabhimuhe payate, ege deve uttarapuratthabhimuhe payate, ege deve uddhabhimuhe payate, ege deve ahobhimuhe payate. Tenam kalenam tenam samaenam vasasayasahassaue darae payate. Tae nam tassa daragassa ammapiyaro pahina bhavamti, no cheva nam te deva aloyamtam sampaunamti. Tae nam tassa daragassa aue pahine bhavati, no cheva nam te deva aloyamtam sampaunamti. Tae nam tassa daragassa atthimimja pahina bhavamti, no cheva nam te deva aloyamtam sampaunamti. Tae nam tassa daragassa asattame vi kulavamse pahine bhavati, no cheva nam te deva aloyamtam sampaunamti. Tae nam tassa daragassa namagoe vi pahine bhavati, no cheva nam te deva aloyamtam sampaunamti. Tesi nam bhamte! Devanam kim gae bahue? Agae bahue? Goyama! No gae bahue, agae bahue, gayao se agae anamtagune, agayao se gae anamtabhage. Aloe nam goyama! Emahalae pannatte. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Loka kitana bara kaha gaya hai\? Gautama ! Yaha jambudvipa namaka dvipa, samasta dvipa – samudrom ke madhya mem hai; yavat isaki paridhi tina lakha, solaha hajara, do sau sattaisa yojana, tina kosa, eka sau atthaisa dhanusha aura sarhe teraha amgula se kuchha adhika hai. Kisi kala aura kisi samaya maharddhika yavat mahasukha – sampanna chhaha deva, mandara parvata para mandara ki chulika ke charom ora khare rahem aura niche chara dishakumari deviyam chara bali – pinda lekara jambudvipa namaka dvipa ki charom dishaom mem bahara ki ora mukha karake khari rahem. Phira ve charom deviyam eka satha charom balipindom ko bahara ki ora phaike. He gautama ! Usi samaya una devo mem se eka – eka deva, charom balipindom ko prithvitala para pahumchane se pahale hi, shighra grahana karane mem samartha hom aise una devom mem se eka deva, he gautama ! Usa utkrishta yavat divya devagati se purva mem jae, eka deva dakshina disha ki ora jae, isi prakara eka deva pashchima ki ora, eka uttara ki ora, eka deva urdhvadisha mem aura eka deva adhodisha mem jae. Usi dina aura usi samaya eka hajara varsha ki ayu vale eka balaka ne janma liya. Tadanantara usa balaka ke mata – pita chala base. Ve deva, loka ka anta prapta nahim kara sakate. Usake bada vaha balaka ayushya purna hone para kaladharma ko prapta ho gaya. Utane samaya mem bhi ve deva, loka ka anta prapta na kara sake. Usa balaka ke haddi, majja bhi nashta ho gai, taba bhi ve deva, loka ka anta nahim pa sake. Phira usa balaka ki sata pirhi taka ka kulavamsha nashta ho gaya taba bhi ve deva, loka ka anta prapta na kara sake. Tatpashchat usa balaka ke nama – gotra bhi nashta ho gae, utane samaya taka bhi deva, loka ka anta prapta na kara sake. Bhagavan ! Una devom ka gata kshetra adhika hai ya agata kshetra\? He gautama ! Gatakshetra adhika hai, agatakshetra gatakshetra ke asamkhyatave bhaga hai. Agatakshetra se gatakshetra asamkhyataguna hai. He gautama ! Loka itana bara hai. Bhagavan ! Aloka kitana bara kaha gaya hai\? Gautama ! Yaha jo samayakshetra hai, vaha 45 lakha yojana lamba – chaura hai ityadi saba skandaka prakarana ke anusara janana, yavat vaha (purvokta) paridhiyukta hai. Kisi kala aura kisi samaya mem, dasa maharddhika deva, isa manushyaloka ko charom ora se ghera kara khare hom. Unaki niche atha dishakumariyam, atha bali – pinda lekara manushottara parvata ki charom dishaom aura charom vidishaom mem bahyabhimukha hokara khari rahem. Tatpashchat ve una athom balipindom ko eka samaya manushyottara parvata ke bahara ki ora pheke. Taba una khare hue devom mem se pratyeka deva una balipindom ko dharati para pahumchane se purva shighra hi grahana karane mem samartha hom, aisi shighra, utkrishta yavat divya devagati dvara ve dasom deva, loka ke anta mem khare rahakara unamem se eka purva disha ki ora jae, eka deva dakshinapurva ki ora jae, isi prakara yavat eka deva uttarapurva ki ora jae, eka deva urdhvadisha ki ora jae aura eka deva adhodisha mem jae. Usa kala aura usi samaya mem eka grihapati ke ghara mem eka balaka ka janma hua ho, jo ki eka lakha varsha ki ayu vala ho. Tatpashchat usa balaka ke mata – pita ka dehavasana hua, itane samaya mem bhi deva aloka ka anta nahim prapta kara sake. Tatpashchat usa balaka ka bhi dehanta ho gaya. Usaki asthi aura majja bhi vinashta ho gai aura usaki sata pirhiyom ke bada vaha kula – vamsha bhi nashta ho gaya tatha usake nama – gotra bhi samapta ho gae. Itane lambe samaya taka chalate rahane para bhi deva aloka ke anta ko prapta nahim kara sakate. Bhagavan ! Una devom ka gatakshetra adhika hai, ya agatakshetra adhika hai\? Gautama ! Vaham gataksheta bahuta nahim, agatakshetra hi bahuta hai. Gatakshetra se agatakshetra anantaguna hai. Agatakshetra se gatakshetra anantave bhaga hai. He gautama ! Aloka itana bara hai. |