Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Sr No : | 1003931 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-८ |
Translated Chapter : |
शतक-८ |
Section : | उद्देशक-२ आराधना | Translated Section : | उद्देशक-२ आराधना |
Sutra Number : | 431 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कतिविहा णं भंते! आराहणा पन्नत्ता? गोयमा! तिविहा आराहणा पन्नत्ता, तं जहा–नाणाराहणा, दंसणाराहणा, चरित्ताराहणा। नाणाराहणा णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–उक्कोसिया, मज्झिमा, जहन्ना। दंसणाराहणा णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–उक्कोसिया, मज्झिमा, जहन्ना। चरित्ताराहणा णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–उक्कोसिया, मज्झिमा, जहन्ना। जस्स णं भंते! उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा? जस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स उक्कोसिया नाणाराहणा? गोयमा! जस्स उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स दंसणाराहणा उक्कोसा वा अजहण्णुक्कोसा वा। जस्स पुण उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स नाणाराहणा उक्कोसा वा, जहन्ना वा, अजहन्नमनुक्कोसा वा। जस्स णं भंते! उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स उक्कोसिया चरित्ताराहणा? जस्स उक्कोसिया चरित्ताराहणा तस्स उक्कोसिया नाणाराहणा? गोयमा! जस्स उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स चरित्ताराहणा उक्कोसा वा अजहण्णुक्कोसा वा। जस्स पुण उक्कोसिया चरित्ताराहणा तस्स नाणाराहणा उक्कोसा वा, जहन्ना वा, अजहन्नम-नुक्कोसा वा। जस्स णं भंते! उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स उक्कोसिया चरित्ताराहणा? जस्स उक्कोसिया चरित्ताराहणा तस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा? गोयमा! जस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स चरित्ताराहणा उक्कोसा वा, जहन्ना वा, अजहन्नमणुक्कोसा वा। जस्स पुण उक्कोसिया चरित्ताराहणा तस्स दंसणाराहणा नियमा उक्कोसा। उक्कोसियण्णं भंते! नाणाराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? गोयमा! अत्थेगतिए तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, अत्थेगतिए कप्पोवएसु वा कप्पातीएसु वा उववज्जति। उक्कोसियण्णं भंते! दंसणाराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? गोयमा! अत्थेगतिए तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, अत्थेगतिए कप्पोवएसु वा कप्पातीएसु वा उववज्जति। उक्कोसियण्णं भंते! चरित्ताराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? गोयमा! अत्थेगतिए तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, अत्थेगतिए कप्पातीएसु उववज्जति। मज्झिमियण्णं भंते! नाणाराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? गोयमा! अत्थेगतिए दोच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, तच्चं पुण भवग्गहणं नाइक्कमइ। मज्झिमियण्णं भंते! दंसणाराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? गोयमा! अत्थेगतिए दोच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, तच्चं पुण भवग्गहणं नाइक्कमइ। मज्झिमियण्णं भंते! चरित्ताराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? गोयमा! अत्थेगतिए दोच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, तच्चं पुण भवग्गहणं नाइक्कमइ। जहन्नियण्णं भंते! नाणाराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? गोयमा! अत्थेगतिए तच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, सत्तट्ठ भवग्गहणाइं पुण नाइक्कमइ। जहन्नियण्णं भंते! दंसणाराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? गोयमा! अत्थेगतिए तच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, सत्तट्ठ भवग्गहणाइं पुण नाइक्कमइ। जहन्नियण्णं भंते! चरित्ताराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? गोयमा! अत्थेगतिए तच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, सत्तट्ठ भवग्गहणाइं पुण नाइक्कमइ। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! आराधना कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की – ज्ञानधारना, दर्शनाराधना, चारित्राराधना। भगवन् ! ज्ञानाराधना कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की उत्कृष्ट, मध्यम और जघन्य। भगवन् ! दर्शनाराधना कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीनप्रकार की। इसी प्रकार चारित्राराधना भी तीनप्रकार की है। भगवन् ! जिस जीव के उत्कृष्ट ज्ञानराधना होती है, क्या उसके उत्कृष्ट दर्शनाराधना होती हे, और जिस जीव के उत्कृष्ट दर्शनाराधना होती है, क्या उसके उत्कृष्ट ज्ञानाधराना होती है ? गौतम ! जिस जीव के उत्कृष्ट ज्ञानराधना होती है, उसके दर्शनाराधना उत्कृष्ट या मध्यम होती है। जिस जीव के उत्कृष्ट ज्ञानाराधना होती है, उसके उत्कृष्ट, जघन्य या मध्यम ज्ञानाराधना होती है। भगवन् ! जीस जीव के उत्कृष्ट ज्ञानाराधना होती है, क्या उसके उत्कृष्ट चारित्राराधना होती है और जिस जीव के उत्कृष्ट चारित्राराधना होती है, क्या उसके उत्कृष्ट ज्ञानाराधना होती है ? गौतम ! उत्कृष्ट ज्ञानाराधना और दर्शनाराधना के समान उत्कृष्ट ज्ञानाराधना और उत्कृष्ट चारित्राराधना के विषय में भी कहना। भगवन् ! जिसके उत्कृष्ट दर्शनाराधना होती है, क्या उसके उत्कृष्ट चारित्राराधना होती है, और जिसके उत्कृष्ट चारित्राधना होती है, उसके उत्कृष्ट ज्ञानाराधना होती है ? गौतम ! जिसके उत्कृष्ट दर्शनाराधना होती है, उसके उत्कृष्ट, मध्यम या जघन्य चारित्राराधना होती है और जिसके उत्कृष्ट चारित्राराधना होती है, उसके नियमतः उत्कृष्ट दर्शनाराधना होती है। भगवन् ! ज्ञान की उत्कृष्ट आराधना करके जीव कितने भव ग्रहण करके सिद्ध होता है, यावत् सभी दुःखों का अन्त करता है ? गौतम ! कोई एक जीव उसी भव में सिद्ध होकर, कोई दो भव ग्रहण करके सिद्ध होकर यावत् सभी दुःखों का अन्त करता है। कोई जीव कल्पोपपन्न, कोई देवलोकों में अथवा कल्पातीत देवलोकों में उत्पन्न होता है। भगवन् ! दर्शन की उत्कृष्ट आराधना करके जीव कितने भव ग्रहण करके सिद्ध होता है, यावत् सभी दुःखों का अन्त करता है ? गौतम ! ज्ञानाराधना की तरह ही समझना चाहिए। भगवन् ! चारित्र की उत्कृष्ट आराधना करके जीव कितने भव ग्रहण करके सिद्ध होता है, यावत् सभी दुःखों का अन्त करता है। गौतम ! ज्ञानाराधना की तरह ही उत्कृष्ट चारित्राराधना के विषय में कहना चाहिए। विशेष यह है कि कोई जीव कल्पातीत देवलोकों में उत्पन्न होता है। भगवन् ! ज्ञान की मध्यम – आराधना करके जीव कितने भव ग्रहण करके सिद्ध होता है, यावत् सभी दुःखो का अन्त कर देता है ? गौतम ! कोई जीव दो भव ग्रहण करके सिद्ध होता है, यावत् सभी दुःखो का अन्त कर देता है ? गौतम ! कोई जीव दो भव ग्रहण करके सिद्ध होता है, यावत् सभी दुःखो का अन्त करता है; किन्तु तीसरे भव का अतिक्रमण नहीं करता। भगवन् ! दर्शन की मध्यम आराधना करके जीव कितने भव ग्रहण करके सिद्ध होता है, यावत् सब दुःखों का अन्त करता है ? गौतम ! ज्ञान की मध्यम आराधना की तरह यहां कहना चाहिए। पूर्वोक्त प्रकार से चारित्र की मध्यम आराधना के विषय में कहना। भगवन् ! ज्ञान को जघन्य आराधना करके जीव कितने भव ग्रहण करके सिद्ध होता है, यावत् सब दुःखों का अन्त करता है ? गौतम ! कोई जीव तीसरा भव ग्रहण करके सिद्ध होता है, यावत् सर्व दुःखों का अन्त करता है ? गौतम ! कोई जीव तीसरा भव ग्रहण करके सिद्ध होता है, यावत् सर्व दुःखों का अन्त करता है; परन्तु सात – आठ भव से आगे अतिक्रमण नहीं करता। इसी प्रकार जघन्य दर्शनाराधना और जघन्य चारित्राराधना को भी कहना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kativiha nam bhamte! Arahana pannatta? Goyama! Tiviha arahana pannatta, tam jaha–nanarahana, damsanarahana, charittarahana. Nanarahana nam bhamte! Kativiha pannatta? Goyama! Tiviha pannatta, tam jaha–ukkosiya, majjhima, jahanna. Damsanarahana nam bhamte! Kativiha pannatta? Goyama! Tiviha pannatta, tam jaha–ukkosiya, majjhima, jahanna. Charittarahana nam bhamte! Kativiha pannatta? Goyama! Tiviha pannatta, tam jaha–ukkosiya, majjhima, jahanna. Jassa nam bhamte! Ukkosiya nanarahana tassa ukkosiya damsanarahana? Jassa ukkosiya damsanarahana tassa ukkosiya nanarahana? Goyama! Jassa ukkosiya nanarahana tassa damsanarahana ukkosa va ajahannukkosa va. Jassa puna ukkosiya damsanarahana tassa nanarahana ukkosa va, jahanna va, ajahannamanukkosa va. Jassa nam bhamte! Ukkosiya nanarahana tassa ukkosiya charittarahana? Jassa ukkosiya charittarahana tassa ukkosiya nanarahana? Goyama! Jassa ukkosiya nanarahana tassa charittarahana ukkosa va ajahannukkosa va. Jassa puna ukkosiya charittarahana tassa nanarahana ukkosa va, jahanna va, ajahannama-nukkosa va. Jassa nam bhamte! Ukkosiya damsanarahana tassa ukkosiya charittarahana? Jassa ukkosiya charittarahana tassa ukkosiya damsanarahana? Goyama! Jassa ukkosiya damsanarahana tassa charittarahana ukkosa va, jahanna va, ajahannamanukkosa va. Jassa puna ukkosiya charittarahana tassa damsanarahana niyama ukkosa. Ukkosiyannam bhamte! Nanarahanam arahetta katihim bhavaggahanehim sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Goyama! Atthegatie teneva bhavaggahanenam sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti, atthegatie kappovaesu va kappatiesu va uvavajjati. Ukkosiyannam bhamte! Damsanarahanam arahetta katihim bhavaggahanehim sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Goyama! Atthegatie teneva bhavaggahanenam sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti, atthegatie kappovaesu va kappatiesu va uvavajjati. Ukkosiyannam bhamte! Charittarahanam arahetta katihim bhavaggahanehim sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Goyama! Atthegatie teneva bhavaggahanenam sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti, atthegatie kappatiesu uvavajjati. Majjhimiyannam bhamte! Nanarahanam arahetta katihim bhavaggahanehim sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Goyama! Atthegatie dochchenam bhavaggahanenam sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti, tachcham puna bhavaggahanam naikkamai. Majjhimiyannam bhamte! Damsanarahanam arahetta katihim bhavaggahanehim sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Goyama! Atthegatie dochchenam bhavaggahanenam sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti, tachcham puna bhavaggahanam naikkamai. Majjhimiyannam bhamte! Charittarahanam arahetta katihim bhavaggahanehim sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Goyama! Atthegatie dochchenam bhavaggahanenam sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti, tachcham puna bhavaggahanam naikkamai. Jahanniyannam bhamte! Nanarahanam arahetta katihim bhavaggahanehim sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Goyama! Atthegatie tachchenam bhavaggahanenam sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti, sattattha bhavaggahanaim puna naikkamai. Jahanniyannam bhamte! Damsanarahanam arahetta katihim bhavaggahanehim sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Goyama! Atthegatie tachchenam bhavaggahanenam sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti, sattattha bhavaggahanaim puna naikkamai. Jahanniyannam bhamte! Charittarahanam arahetta katihim bhavaggahanehim sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Goyama! Atthegatie tachchenam bhavaggahanenam sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti, sattattha bhavaggahanaim puna naikkamai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Aradhana kitane prakara ki hai\? Gautama ! Tina prakara ki – jnyanadharana, darshanaradhana, charitraradhana. Bhagavan ! Jnyanaradhana kitane prakara ki hai\? Gautama ! Tina prakara ki utkrishta, madhyama aura jaghanya. Bhagavan ! Darshanaradhana kitane prakara ki hai\? Gautama ! Tinaprakara ki. Isi prakara charitraradhana bhi tinaprakara ki hai. Bhagavan ! Jisa jiva ke utkrishta jnyanaradhana hoti hai, kya usake utkrishta darshanaradhana hoti he, aura jisa jiva ke utkrishta darshanaradhana hoti hai, kya usake utkrishta jnyanadharana hoti hai\? Gautama ! Jisa jiva ke utkrishta jnyanaradhana hoti hai, usake darshanaradhana utkrishta ya madhyama hoti hai. Jisa jiva ke utkrishta jnyanaradhana hoti hai, usake utkrishta, jaghanya ya madhyama jnyanaradhana hoti hai. Bhagavan ! Jisa jiva ke utkrishta jnyanaradhana hoti hai, kya usake utkrishta charitraradhana hoti hai aura jisa jiva ke utkrishta charitraradhana hoti hai, kya usake utkrishta jnyanaradhana hoti hai\? Gautama ! Utkrishta jnyanaradhana aura darshanaradhana ke samana utkrishta jnyanaradhana aura utkrishta charitraradhana ke vishaya mem bhi kahana. Bhagavan ! Jisake utkrishta darshanaradhana hoti hai, kya usake utkrishta charitraradhana hoti hai, aura jisake utkrishta charitradhana hoti hai, usake utkrishta jnyanaradhana hoti hai\? Gautama ! Jisake utkrishta darshanaradhana hoti hai, usake utkrishta, madhyama ya jaghanya charitraradhana hoti hai aura jisake utkrishta charitraradhana hoti hai, usake niyamatah utkrishta darshanaradhana hoti hai. Bhagavan ! Jnyana ki utkrishta aradhana karake jiva kitane bhava grahana karake siddha hota hai, yavat sabhi duhkhom ka anta karata hai\? Gautama ! Koi eka jiva usi bhava mem siddha hokara, koi do bhava grahana karake siddha hokara yavat sabhi duhkhom ka anta karata hai. Koi jiva kalpopapanna, koi devalokom mem athava kalpatita devalokom mem utpanna hota hai. Bhagavan ! Darshana ki utkrishta aradhana karake jiva kitane bhava grahana karake siddha hota hai, yavat sabhi duhkhom ka anta karata hai\? Gautama ! Jnyanaradhana ki taraha hi samajhana chahie. Bhagavan ! Charitra ki utkrishta aradhana karake jiva kitane bhava grahana karake siddha hota hai, yavat sabhi duhkhom ka anta karata hai. Gautama ! Jnyanaradhana ki taraha hi utkrishta charitraradhana ke vishaya mem kahana chahie. Vishesha yaha hai ki koi jiva kalpatita devalokom mem utpanna hota hai. Bhagavan ! Jnyana ki madhyama – aradhana karake jiva kitane bhava grahana karake siddha hota hai, yavat sabhi duhkho ka anta kara deta hai\? Gautama ! Koi jiva do bhava grahana karake siddha hota hai, yavat sabhi duhkho ka anta kara deta hai\? Gautama ! Koi jiva do bhava grahana karake siddha hota hai, yavat sabhi duhkho ka anta karata hai; kintu tisare bhava ka atikramana nahim karata. Bhagavan ! Darshana ki madhyama aradhana karake jiva kitane bhava grahana karake siddha hota hai, yavat saba duhkhom ka anta karata hai\? Gautama ! Jnyana ki madhyama aradhana ki taraha yaham kahana chahie. Purvokta prakara se charitra ki madhyama aradhana ke vishaya mem kahana. Bhagavan ! Jnyana ko jaghanya aradhana karake jiva kitane bhava grahana karake siddha hota hai, yavat saba duhkhom ka anta karata hai\? Gautama ! Koi jiva tisara bhava grahana karake siddha hota hai, yavat sarva duhkhom ka anta karata hai\? Gautama ! Koi jiva tisara bhava grahana karake siddha hota hai, yavat sarva duhkhom ka anta karata hai; parantu sata – atha bhava se age atikramana nahim karata. Isi prakara jaghanya darshanaradhana aura jaghanya charitraradhana ko bhi kahana. |