Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003927
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-८

Translated Chapter :

शतक-८

Section : उद्देशक-९ प्रयोगबंध Translated Section : उद्देशक-९ प्रयोगबंध
Sutra Number : 427 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! अट्ठविहे पन्नत्ते, तं जहा– नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे जाव अंतराइयकम्मा-सरीरप्पयोगबंधे। नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! नाणपडिणीययाए, नाणणिण्हवणयाए, नाणंतराएणं, नाणप्पदोसेणं, नानच्चासात-णयाए, नाणविसंवादणाजोगेणं नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं नाणाव-रणिज्ज-कम्मासरीरप्पयोगबंधे। दरिसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! दंसणपडिनीययाए, दंसणनिण्हवणयाए, दंसणतराएणं, दंसणप्पदोसेणं, दंसणच्चा-सातणयाए, दंसणविसंवादणाजोगेणं दंसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं दरिसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे। सायावेयणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! पाणाणुकंपयाए, भूयाणुकंपयाए, जीवाणुकंपयाए, सत्ताणुकंपयाए, बहूणं पाणाणं भूयानं जीवाणं सत्ताणं अदुक्खणयाए असोयणयाए अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए अपरियावणयाए सायावेयणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं सायावेयणिज्ज-कम्मासरीर-प्पयोगबंधे। असायावेयणिज्ज कम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! परदुक्खणयाए, परसोयणयाए, परजूरणयाए, परतिप्पणयाए, परपिट्टणयाए, परपरियावणयाए, बहूणं पाणाणं भूयानं जीवाणं सत्ताणं दुक्खणयाए सोयणयाए जूरणयाए तिप्पणयाए पिट्टणयाए परियावणयाए असायावेयणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं असाया-वेयणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे। मोहणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! तिव्वकोहयाए, तिव्वमाणयाए, तिव्वमाययाए तिव्वलोभयाए, तिव्वदंसणमोह-णिज्जयाए, तिव्वचरित्तमोहणिज्जयाए मोहणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं मोहणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे। नेरइयाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! महारंभयाए, महापरिग्गहयाए, पंचिंदियवहेणं, कुणिमाहारेणं नेरइयाउयकम्मासरीर-प्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं नेरइयाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे। तिरिक्खजोणियाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! माइल्लयाए, नियडिल्लयाए, अलियवयणेणं, कूडतुल-कूडमाणेणं तिरिक्खजोणियाउय-कम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं तिरिक्खजोणियाउयकम्मासरीर-प्पयोगबंधे। मनुस्साउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! पगइभद्दयाए पगइविनीययाए, सानुक्कोसयाए, अमच्छरियाए मनुस्साउयकम्मा सरीर-प्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं मनुस्साउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे। देवाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! सरागसंजमेणं, संजमासंजमेणं, बालतवोकम्मेणं, अकामनिज्जराए देवाउयकम्मा सरीर-प्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं देवाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे। सुभनामकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! काउज्जुययाए, भावुज्जुययाए, भासुज्जुययाए, अविसंवादणाजोगेणं सुभनाम-कम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं सुभनामकम्मासरीरप्पयोगबंधे। असुभनामकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! कायअणुज्जुययाए, भावअणुज्जुययाए, भासअणुज्जुययाए विसंवादणाजोगेणं असुभ-नामकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं असुभनामकम्मासरीरप्पयोगबंधे। उच्चागोयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! जातिअमदेणं, कुलअमदेणं, बलअमदेणं, रूवअमदेणं, तवअमदेणं, सुयअमदेणं, लाभ-अमदेणं, इस्सरियअमदेणं उच्चागोयकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं उच्चागोयकम्मा-सरीरप्पयोगबंधे। नीयागोयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! जातिमदेणं, कुलमदेणं, बलमदेणं, रूवमदेणं, तवमदेणं, सुयमदेणं, लाभमदेणं, इस्सरिय-मदेणं नीयागोयकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं नीयागोयकम्मासरीरप्पयोगबंधे। अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा! दाणंतराएणं, लाभंतराएणं, भोगंतराएणं, उवभोगंतराएणं, वीरियंतराएणं, अंतरा-इयकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगबंधे। नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! किं देसबंधे? सव्वबंधे? गोयमा! देसबंधे, नो सव्वबंधे। एवं जाव अंतराइयं। नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते! कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–अनादीए वा अपज्जवसिए, अनादीए वा सपज्जवसिए। एवं जाव अंतराइयस्स। नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधंतरं णं भंते! कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! अनादीयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, अनादीयस्स सपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं। एवं जाव अंतराइयस्स।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! कार्मणशरीरप्रयोगबंध कितने प्रकार का है ? गौतम ! आठ प्रकार का। ज्ञानवरणीयकार्मण – शरीरप्रयोगबंध, यावत् अन्तरायकार्मणशरीरप्रयोगबंध। भगवन् ! ज्ञानवरणीयकार्मणशरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! ज्ञान की प्रत्यनीकता करने से, ज्ञान का निह्नव करने से, ज्ञान मे अन्तराय देने से, ज्ञान से प्रद्वेष करने से, ज्ञान की अत्यन्त अशातना करने से, ज्ञान के अविसंवादन – योग से तथा ज्ञानवरणीयकार्मणशरीरप्रयोगनामकर्म के उदय से। भगवन् ! दर्शनावरणीयकार्मणशरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! दर्शनप्रत्यनीकता से, इत्यादि ज्ञानवरणीयकार्मणशरीरप्रयोगबंध, के समान दर्शनावरणीय कार्मणशरीरप्रयोगबंध के भी कारण जानना; अन्तर इतना ही हे कि यहाँ ‘दर्शन’ शब्द तथा यावत् ‘दर्शनविसंवादन योग से तथा दर्शनावरणीयकार्मणशरीरप्रयोगनामकर्म के उदय से कहना। भगवन् ! सातावेदनीयर्म – शरीरप्रयोगबंध किस कर्म से उदय से होता है ? गौतम ! प्राणियों पर अनुकम्पा करने से, भूतों पर अनुकम्पा करने से इत्यादि, सातवें शतक में कहे अनुसार यहां भी प्राणों, भूतों, जीवों और सत्त्वों को परिताप उत्पन्न न करने से तथा सातावेदनीय कर्मशरीरप्रयोगनामकर्म के उदय से तक कहना। भगवन् ! असातावेदनीयकार्मणशरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! दूसरे जीवों को दुःख पहुंचाने से इत्यादि, सातवें शतक के अनुसार यहाँ भी, उन्हें परिताप उत्पन्न करने से तथा असातावेदनीय – कर्मशरीरप्रयोगनामकर्म के उदय से तक कहना। भगवन् ! मोहनीयकर्मशरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! तीव्र क्रोध से, तीव्र मान से, तीव्र माया से, तीव्र लोभ से, तीव्र दर्शनमोहनीय से और तीव्र चारित्रमोहनीय से तथा मोहनीयकार्मणशरीरप्रयोगनामकर्म के उदय से होता है। भगवन् ! नैरयिकायुष्कार्मणशरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! महारम्भ करने से, महापरिग्रह से, पञ्चेन्द्रिय जीवों का वध करने से और मांसाहार करने से तथा नैरयिकायुष्य – कार्मणशरीरप्रयोगनामकर्म के उदय से होता है। भगवन् ! तिर्यञ्चयोनिकआयुष्यकार्मण – शरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता हे ? गौतम ! माया करने से, निकृति करने से, मिथ्या बोलने से, खोटा तौल और खोटा माप करने से तथा तिर्यञ्चयोनिकआयुष्य – कार्मणशरीरप्रयोगनामकर्म के उदय से होता है। भगवन् ! मनुष्यायुष्यकार्मण – शरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! प्रकृति की भद्रता से, प्रकृति की विनीतता से, दयालुता से, अमत्सरभाव से तथा मनुष्यायुष्यकार्मणशरीरप्रयोगनामकर्म के उदय से। भगवन् ! देवायुष्यकार्मणशरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! सरागसंयम से, संयमासंयम से, बाल तपस्या से तथा अकामनिर्जरा से एवं देवायुष्यकार्मणशरीरप्रयोगनाकर्म के उदय से होता है। भगवन् ! शुभनामर्काणशरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! काया की, भावों की, भाषा की ऋजुता से तथा अविसंवादनयोग से एवं शुभनामकार्मणशरीरप्रयोगनाकर्म के उदय से। भगवन् ! अशुभनामकार्मणशरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! काया की भावों की, भाषा की वक्रता से तथा विसंवादनयोग से एवं अशुभनामकार्मणशरीरप्रयोगनामकर्म के उदय से। भगवन् ! उच्चगोत्रकार्मणशरीर – प्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गोतम ! जातिमद, कुलमद, बलमद, रूपमद, तपोमद, शृतमद, लाभमद और ऐश्वर्यमद न करने से तथा उच्चगोत्रकार्मणशरीरप्रयोगनामकर्म के उदय से। भगवन् ! नीचगोत्रकार्मणशरीर – प्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! जातिमद, यावत् ऐश्वर्यमद करने से तथा नीचगोत्र – कार्मणशरीरप्रयोगनाकर्म के उदय से होता है। भगवन् ! अन्तरायकार्मणशरीरप्रयोगबंध किस कर्म के उदय से होता है ? गौतम ! दानान्तराय से, लाभान्तराय से, भोगान्तराय से, उपभोगान्तराय से और वीर्यान्तराय से तथा अन्तरायकार्मणशरीरप्रयोगनामकर्मके उदय से। भगवन् ! ज्ञानावरणीयकार्मणशरीरप्रयोगबंध क्या देशबंध है अथवा सर्वबंध है ? गौतम ! वह देशबंध है, सर्वबंध नहीं है। इसी प्रकार अन्तरायकार्मणशरीरप्रयोगबंध तक जानना। भगवन् ! ज्ञानावरणीयकार्मणशरीर – प्रयोबंध कालतः कितने काल तक रहता है ? गौतम ! यह दो प्रकार का है, के अनादि – सपर्यवसित और अनादि – अपर्यवसित। तैजसशरीर प्रयोगबंध समान यहाँ भी कहना। इसी प्रकार अन्तरायकर्म तक रहना। भगवन् ! ज्ञानावरणीयकार्मणशरीरप्रयोगबंध का नअन्तर कितने काल का होता है ? गौतम ! अनादि – अपर्यवसित और अनादि – सपर्यवसित का अन्तर नहीं होता। जिस प्रकार तैजसशरीरप्रयोगबंध के अन्तर के विषय में कहा गया है, उसी प्रकार यहाँ भी कहना चाहिए। इसी प्रकार अन्तरायकार्मणशरीरप्रयोगबंध के अन्तर तक समझना। भगवन् ! ज्ञानावरणीयकार्मणशरीर के इन देशबंधक और अबंधक जीवों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! तैजसशरीरप्रयोगबंध के समान कहना। इसी प्रकार आयुष्य को छोड़ कर अन्तरायकार्मणशरीरप्रयोगबंध तक के देशबंधको और अबंधको के अल्पबहुत को कहना। भगवन् ! आयुष्य – कार्मणशरीरप्रयोगबंध के देशबंधक और अबंधक जीवों में कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! आयुष्यकर्म के देशबंधक जीव सबसे थोड़े हैं, उनसे अबंधक जीव संख्यातगुणे हैं।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Atthavihe pannatte, tam jaha– nanavaranijjakammasarirappayogabamdhe java amtaraiyakamma-sarirappayogabamdhe. Nanavaranijjakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Nanapadiniyayae, nananinhavanayae, nanamtaraenam, nanappadosenam, nanachchasata-nayae, nanavisamvadanajogenam nanavaranijjakammasarirappayoganamae kammassa udaenam nanava-ranijja-kammasarirappayogabamdhe. Darisanavaranijjakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Damsanapadiniyayae, damsananinhavanayae, damsanataraenam, damsanappadosenam, damsanachcha-satanayae, damsanavisamvadanajogenam damsanavaranijjakammasarirappayoganamae kammassa udaenam darisanavaranijjakammasarirappayogabamdhe. Sayaveyanijjakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Pananukampayae, bhuyanukampayae, jivanukampayae, sattanukampayae, bahunam pananam bhuyanam jivanam sattanam adukkhanayae asoyanayae ajuranayae atippanayae apittanayae apariyavanayae sayaveyanijjakammasarirappayoganamae kammassa udaenam sayaveyanijja-kammasarira-ppayogabamdhe. Asayaveyanijja kammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Paradukkhanayae, parasoyanayae, parajuranayae, paratippanayae, parapittanayae, parapariyavanayae, bahunam pananam bhuyanam jivanam sattanam dukkhanayae soyanayae juranayae tippanayae pittanayae pariyavanayae asayaveyanijjakammasarirappayoganamae kammassa udaenam asaya-veyanijjakammasarirappayogabamdhe. Mohanijjakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Tivvakohayae, tivvamanayae, tivvamayayae tivvalobhayae, tivvadamsanamoha-nijjayae, tivvacharittamohanijjayae mohanijjakammasarirappayoganamae kammassa udaenam mohanijjakammasarirappayogabamdhe. Neraiyauyakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Maharambhayae, mahapariggahayae, pamchimdiyavahenam, kunimaharenam neraiyauyakammasarira-ppayoganamae kammassa udaenam neraiyauyakammasarirappayogabamdhe. Tirikkhajoniyauyakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Maillayae, niyadillayae, aliyavayanenam, kudatula-kudamanenam tirikkhajoniyauya-kammasarirappayoganamae kammassa udaenam tirikkhajoniyauyakammasarira-ppayogabamdhe. Manussauyakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Pagaibhaddayae pagaiviniyayae, sanukkosayae, amachchhariyae manussauyakamma sarira-ppayoganamae kammassa udaenam manussauyakammasarirappayogabamdhe. Devauyakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Saragasamjamenam, samjamasamjamenam, balatavokammenam, akamanijjarae devauyakamma sarira-ppayoganamae kammassa udaenam devauyakammasarirappayogabamdhe. Subhanamakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Kaujjuyayae, bhavujjuyayae, bhasujjuyayae, avisamvadanajogenam subhanama-kammasarirappayoganamae kammassa udaenam subhanamakammasarirappayogabamdhe. Asubhanamakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Kayaanujjuyayae, bhavaanujjuyayae, bhasaanujjuyayae visamvadanajogenam asubha-namakamma sarirappayoganamae kammassa udaenam asubhanamakammasarirappayogabamdhe. Uchchagoyakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Jatiamadenam, kulaamadenam, balaamadenam, ruvaamadenam, tavaamadenam, suyaamadenam, labha-amadenam, issariyaamadenam uchchagoyakamma sarirappayoganamae kammassa udaenam uchchagoyakamma-sarirappayogabamdhe. Niyagoyakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Jatimadenam, kulamadenam, balamadenam, ruvamadenam, tavamadenam, suyamadenam, labhamadenam, issariya-madenam niyagoyakamma sarirappayoganamae kammassa udaenam niyagoyakammasarirappayogabamdhe. Amtaraiyakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kassa kammassa udaenam? Goyama! Danamtaraenam, labhamtaraenam, bhogamtaraenam, uvabhogamtaraenam, viriyamtaraenam, amtara-iyakammasarirappayoganamae kammassa udaenam amtaraiyakammasarirappayogabamdhe. Nanavaranijjakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kim desabamdhe? Savvabamdhe? Goyama! Desabamdhe, no savvabamdhe. Evam java amtaraiyam. Nanavaranijjakammasarirappayogabamdhe nam bhamte! Kalao kevachchiram hoi? Goyama! Duvihe pannatte, tam jaha–anadie va apajjavasie, anadie va sapajjavasie. Evam java amtaraiyassa. Nanavaranijjakammasarirappayogabamdhamtaram nam bhamte! Kalao kevachchiram hoi? Goyama! Anadiyassa apajjavasiyassa natthi amtaram, anadiyassa sapajjavasiyassa natthi amtaram. Evam java amtaraiyassa.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Karmanashariraprayogabamdha kitane prakara ka hai\? Gautama ! Atha prakara ka. Jnyanavaraniyakarmana – shariraprayogabamdha, yavat antarayakarmanashariraprayogabamdha. Bhagavan ! Jnyanavaraniyakarmanashariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Jnyana ki pratyanikata karane se, jnyana ka nihnava karane se, jnyana me antaraya dene se, jnyana se pradvesha karane se, jnyana ki atyanta ashatana karane se, jnyana ke avisamvadana – yoga se tatha jnyanavaraniyakarmanashariraprayoganamakarma ke udaya se. Bhagavan ! Darshanavaraniyakarmanashariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Darshanapratyanikata se, ityadi jnyanavaraniyakarmanashariraprayogabamdha, ke samana darshanavaraniya karmanashariraprayogabamdha ke bhi karana janana; antara itana hi he ki yaham ‘darshana’ shabda tatha yavat ‘darshanavisamvadana yoga se tatha darshanavaraniyakarmanashariraprayoganamakarma ke udaya se kahana. Bhagavan ! Satavedaniyarma – shariraprayogabamdha kisa karma se udaya se hota hai\? Gautama ! Praniyom para anukampa karane se, bhutom para anukampa karane se ityadi, satavem shataka mem kahe anusara yaham bhi pranom, bhutom, jivom aura sattvom ko paritapa utpanna na karane se tatha satavedaniya karmashariraprayoganamakarma ke udaya se taka kahana. Bhagavan ! Asatavedaniyakarmanashariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Dusare jivom ko duhkha pahumchane se ityadi, satavem shataka ke anusara yaham bhi, unhem paritapa utpanna karane se tatha asatavedaniya – karmashariraprayoganamakarma ke udaya se taka kahana. Bhagavan ! Mohaniyakarmashariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Tivra krodha se, tivra mana se, tivra maya se, tivra lobha se, tivra darshanamohaniya se aura tivra charitramohaniya se tatha mohaniyakarmanashariraprayoganamakarma ke udaya se hota hai. Bhagavan ! Nairayikayushkarmanashariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Maharambha karane se, mahaparigraha se, panchendriya jivom ka vadha karane se aura mamsahara karane se tatha nairayikayushya – karmanashariraprayoganamakarma ke udaya se hota hai. Bhagavan ! Tiryanchayonikaayushyakarmana – shariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota he\? Gautama ! Maya karane se, nikriti karane se, mithya bolane se, khota taula aura khota mapa karane se tatha tiryanchayonikaayushya – karmanashariraprayoganamakarma ke udaya se hota hai. Bhagavan ! Manushyayushyakarmana – shariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Prakriti ki bhadrata se, prakriti ki vinitata se, dayaluta se, amatsarabhava se tatha manushyayushyakarmanashariraprayoganamakarma ke udaya se. Bhagavan ! Devayushyakarmanashariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Saragasamyama se, samyamasamyama se, bala tapasya se tatha akamanirjara se evam devayushyakarmanashariraprayoganakarma ke udaya se hota hai. Bhagavan ! Shubhanamarkanashariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Kaya ki, bhavom ki, bhasha ki rijuta se tatha avisamvadanayoga se evam shubhanamakarmanashariraprayoganakarma ke udaya se. Bhagavan ! Ashubhanamakarmanashariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Kaya ki bhavom ki, bhasha ki vakrata se tatha visamvadanayoga se evam ashubhanamakarmanashariraprayoganamakarma ke udaya se. Bhagavan ! Uchchagotrakarmanasharira – prayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gotama ! Jatimada, kulamada, balamada, rupamada, tapomada, shritamada, labhamada aura aishvaryamada na karane se tatha uchchagotrakarmanashariraprayoganamakarma ke udaya se. Bhagavan ! Nichagotrakarmanasharira – prayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Jatimada, yavat aishvaryamada karane se tatha nichagotra – karmanashariraprayoganakarma ke udaya se hota hai. Bhagavan ! Antarayakarmanashariraprayogabamdha kisa karma ke udaya se hota hai\? Gautama ! Danantaraya se, labhantaraya se, bhogantaraya se, upabhogantaraya se aura viryantaraya se tatha antarayakarmanashariraprayoganamakarmake udaya se. Bhagavan ! Jnyanavaraniyakarmanashariraprayogabamdha kya deshabamdha hai athava sarvabamdha hai\? Gautama ! Vaha deshabamdha hai, sarvabamdha nahim hai. Isi prakara antarayakarmanashariraprayogabamdha taka janana. Bhagavan ! Jnyanavaraniyakarmanasharira – prayobamdha kalatah kitane kala taka rahata hai\? Gautama ! Yaha do prakara ka hai, ke anadi – saparyavasita aura anadi – aparyavasita. Taijasasharira prayogabamdha samana yaham bhi kahana. Isi prakara antarayakarma taka rahana. Bhagavan ! Jnyanavaraniyakarmanashariraprayogabamdha ka naantara kitane kala ka hota hai\? Gautama ! Anadi – aparyavasita aura anadi – saparyavasita ka antara nahim hota. Jisa prakara taijasashariraprayogabamdha ke antara ke vishaya mem kaha gaya hai, usi prakara yaham bhi kahana chahie. Isi prakara antarayakarmanashariraprayogabamdha ke antara taka samajhana. Bhagavan ! Jnyanavaraniyakarmanasharira ke ina deshabamdhaka aura abamdhaka jivom mem kauna kisase alpa, bahuta, tulya athava visheshadhika haim\? Gautama ! Taijasashariraprayogabamdha ke samana kahana. Isi prakara ayushya ko chhora kara antarayakarmanashariraprayogabamdha taka ke deshabamdhako aura abamdhako ke alpabahuta ko kahana. Bhagavan ! Ayushya – karmanashariraprayogabamdha ke deshabamdhaka aura abamdhaka jivom mem kauna kisase yavat visheshadhika haim\? Gautama ! Ayushyakarma ke deshabamdhaka jiva sabase thore haim, unase abamdhaka jiva samkhyatagune haim.