Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003886
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-८

Translated Chapter :

शतक-८

Section : उद्देशक-१ पुदगल Translated Section : उद्देशक-१ पुदगल
Sutra Number : 386 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] एगे भंते! दव्वे किं पयोगपरिणए? मीसापरिणए? वीससापरिणए? गोयमा! पयोगपरिणए वा, मीसापरिणए वा, वीससापरिणए वा। जइ पयोगपरिणए किं मनपयोगपरिणए? वइपयोगपरिणए? कायपयोगपरिणए? गोयमा! मनपयोगपरिणए वा, वइपयोगपरिणए वा, कायपयोगपरिणए वा। जइ मनपयोगपरिणए किं सच्चमनपयोगपरिणए? मोसमनपयोगपरिणए? सच्चामोसमन-पयोग-परिणए? असच्चामोसमनपयोगपरिणए? गोयमा! सच्चमनपयोगपरिणए वा, मोसमनपयोगपरिणए वा, सच्चामोसमनपयोगपरिणए वा, असच्चामोसमनपयोगपरिणए वा। जइ सच्चमनपयोगपरिणए किं आरंभसच्चमनपयोगपरिणए? अनारंभसच्चमनपयोग-परिणए? सारंभसच्चमनपयोगपरिणए? असारंभसच्चमनपयोगपरिणए? समारंभसच्चमनपयोग-परिणए? असमारंभसच्चमनपयोगपरिणए? गोयमा! आरंभसच्चमनपयोगपरिणए वा जाव असमारंभसच्चमनपयोगपरिणए वा। जइ मोसमनपयोगपरिणए किं आरंभमोसमनपयोगपरिणए? एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेण वि। एवं सच्चामोसमनपयोगेण वि। एवं असच्चामोसमन-पयोगेण वि। जइ वइपयोगपरिणए किं सच्चवइपयोगपरिणए? मोसवइपयोगपरिणए? एवं जहा मनपयोगपरिणए तहा वइपयोगपरिणए वि जाव असमारंभवइपयोगपरिणए वा। जइ कायपयोगपरिणए किं ओरालियसरीरकायपयोगपरिणए? ओरालियमीसासरीरकाय-पयोगपरिणए? वेउव्वियसरीरकायपयोगपरिणए? वेउव्वियमीसासरीरकायपयोगपरिणए? आहारग-सरीरकायपयोगपरिणए? आहारगमीसासरीरकायपयोगपरिणए? कम्मासरीरकायपयोगपरिणए? गोयमा! ओरालियसरीरकायपयोगपरिणए वा जाव कम्मासरीरकायपयोगपरिणए वा। जइ ओरालियसरीरकायपयोगपरिणए किं एगिंदियओरालियसरीरकायपयोगपरिणए? जाव पंचिंदियओरालियसरीरकायपयोगपरिणए? गोयमा! एगिंदियओरालियसरीरकायपयोगपरिणए वा जाव पंचिंदियओरालियसरीरकाय-पयोग-परिणए वा। जइ एगिंदियओरालियसरीरकायपयोगपरिणए किं पुढविक्काइयएगिंदिय ओरालियसरीर-कायपयोगपरिणए? जाव वणस्सइकाइयएगिंदियओरालियसरीरकायपयोगपरिणए? गोयमा! पुढविक्काइयएगिंदिय ओरालियसरीरकायपयोगपरिणए वा जाव वणस्सइकाइय-एगिंदिय ओरालियसरीरकायपयोग परिणए वा। जइ पुढविकाइयएगिंदियओरालियसरीरकायपयोगपरिणए किं सुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए? बादरपुढविक्काइय जाव परिणए? गोयमा! सुहुमपुढविकाइयएगिंदिय जाव परिणए वा, बादरपुढविक्काइय जाव परिणए वा। जइ सुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए किं पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए? अपज्जत्ता-सुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए? गोयमा! पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए वा, अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए वा। एवं बादरा वि। एवं जाव वणस्सइकाइयाणं चउक्कओ भेदो। बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियाणं दुयओ भेदो– पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। जइ पंचिंदियओरालियसरीरकायपयोगपरिणए किं तिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीर कायपयोगपरिणए? मनुस्सपंचिंदिय जाव परिणए? गोयमा! तिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा, मनुस्सपंचिंदिय जाव परिणए वा। जइ तिरिक्खजोणिय जाव परिणए किं जलचरतिरिक्खजोणिय जाव परिणए? थलचर-खहचर जाव परिणए? एवं चउक्कओ भेदो जाव खहचराणं। जइ मनुस्सपंचिंदिय जाव परिणए किं संमुच्छिममनुस्सपंचिंदिय जाव परिणए? गब्भ-वक्कंतिय-मनुस्स जाव परिणए? गोयमा! दोसु वि। जइ गब्भवक्कंतियमनुस्स जाव परिणए किं पज्जत्तागब्भवक्कंतिय जाव परिणए? अपज्जत्तागब्भवक्कंतिय जाव परिणए? गोयमा! पज्जत्तागब्भवक्कंतिय जाव परिणए वा, अपज्जत्तागब्भवक्कंतिय जाव परिणए वा। जइ ओरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए किं एगिंदियओरालियमीसासरीरकायपयोग-परिणए? बेइंदिय जाव परिणए? जाव पंचिंदियओरालिय जाव परिणए? गोयमा! एगिंदियओरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए एवं जहा ओरालियसरीरकाय-पयोगपरिणएणं आलावगो भणिओ तहा ओरालियमीसासरीरकायपयोग-परिणएण वि आलावगो भाणियव्वो, नवरं–बादरवाउक्काइय-गब्भवक्कंतियपंचिंदियतिरिक्ख-जोणीय-गब्भवक्कंतिय-मनुस्साणं–एएसिणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं, सेसाणं अपज्जत्तगाणं। जइ वेउव्वियसरीरकायपयोगपरिणए किं एगिंदियवेउव्वियसरीरकायपयोगपरिणए? पंचिंदिय-वेउव्वियसरीर जाव परिणए? गोयमा! एगिंदिय जाव परिणए वा, पंचिंदिय जाव परिणए वा। जइ एगिंदिय जाव परिणए किं वाउक्काइयएगिंदिय जाव परिणए? अवाउक्काइयएगिंदिय जाव परिणए? गोयमा! वाउक्काइयएगिंदिय जाव परिणए, नो अवाउक्काइयएगिंदिय जाव परिणए। एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओगाहण-संठाणे वेउव्वियसरीरं भणियं तहा इह वि भाणियव्वं जाव पज्जत्ता-सव्वट्ठसिद्ध-अनुत्तरोववाइय-कप्पातीता-वेमानियदेव-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीर-कायपयोग परिणए वा, अपज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअनुत्तरोववाइय जाव परिणए वा। जइ वेउव्वियमीसासरीरकायपयोगपरिणए किं एगिंदियमीसासरीरकायपयोगपरिणए? जाव पंचिंदियमीसासरीरकायपयोगपरिणए? एवं जहा वेउव्वियं तहा वेउव्वियमीसगं पि, नवरं–देव-नेरइयाणं अपज्जत्तगाणं, सेसाणं पज्जत्तगाणं जाव नो पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअनुत्तरोववाइय जाव परिणए, अपज्जत्तासव्वट्ठसिद्ध-अनुत्तरोववाइय- देवपंचिंदियवेउव्वियमीसासरीरकायपयोगपरिणए। जइ आहारगसरीरकायपयोगपरिणए किं मनुस्साहारगसरीरकायपयोगपरिणए? अमनुस्सा-हारग जाव परिणए? एवं जहा ओगाहणसंठाणे जाव इड्ढिपत्तपमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउय जाव परिणए, नो अणिड्ढिपत्तपमत्तसंजय-सम्मदिट्ठिपज्जत्तसंखेज्जवासाउय जाव परिणए। जइ आहारगमीसासरीरकायपयोगपरिणए किं मनुस्साहारगमीसासरीरकायपयोगपरिणए? एवं जहा आहारगं तहेव मोसगं पि निरवसेसं भाणियव्वं। जइ कम्मासरीरकायपयोगपरिणए किं एगिंदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए? जाव पंचिंदिय-कम्मासरीरकायपयोग-परिणए? गोयमा! एगिंदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए, एवं जहा ओगाहणसंठाणे कम्मगस्स भेदो तहेव इह वि जाव पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअनुत्तरोववाइय कप्पातीतगवेमानियदेवपंचिंदियकम्मा- सरीरकाय-पयोगपरिणए वा, अपज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअनुत्तरोववाइय जाव परिणए वा। जइ मीसापरिणए किं मणमीसापरिणए? वइमीसापरिणए? कायमीसापरिणए? गोयमा! मनमीसापरिणए वा, वइमीसापरिणए वा, कायमीसापरिणए वा। जइ मनमीसापरिणए किं सच्चमनमीसापरिणए? मोसमनमीसापरिणए? जहा पयोगपरिणए तहा मीसापरिणए वि भाणियव्वं निरवसेसं जाव पज्जत्तासव्वट्ठसिद्ध-अनुत्तरो-ववाइय जाव देवपंचिंदियकम्मा सरीरगमीसापरिणए वा, अपज्जत्तासव्वट्ठसिद्ध-अनुत्तरोववाइय जाव कम्मासरीरमीसापरिणए वा। जइ वीससापरिणए किं वण्णपरिणए? गंधपरिणए? रसपरिणए? फासपरिणए? संठाण-परिणए? गोयमा! वण्णपरिणए वा, गंधपरिणए वा, रसपरिणए वा, फासपरिणए वा, संठाणपरिणए वा। जइ वण्णपरिणए किं कालवण्णपरिणए जाव सुक्किलवण्णपरिणए? गोयमा! कालवण्णपरिणए वा जाव सुक्किलवण्णपरिणए वा। जइ गंधपरिणए किं सुब्भिगंधपरिणए? दुब्भिगंधपरिणए? गोयमा! सुब्भिगंधपरिणए वा, दुब्भिगंधपरिणए वा। जइ रसपरिणए किं तित्तरसपरिणए? पुच्छा। गोयमा! तित्तरसपरिणए वा जाव महुररसपरिणए वा। जइ फासपरिणए किं कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए? गोयमा! कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए। जइ संठाणपरिणए–पुच्छा। गोयमा! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव आयतसंठाणपरिणए वा।
Sutra Meaning : गौतम ! एक द्रव्य क्या प्रयोगपरिणत होता है, मिश्रपरिणत होता है अथवा विस्रसापरिणत होता है ? गौतम ! एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है, अथवा मिश्रपरिणत होता है, अथवा विस्रसापरिणत भी होता है। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है तो क्या वह मनःप्रयोगपरिणत होता है, वचन – प्रयोग परिणत होता है, अथवा काय – प्रयोग – परिणत होता है ? गौतम ! वह मनःप्रयोग परिणत होता है, या वचन – प्रयोग – परिणत होता है, अथवा काय – प्रयोग – परिणत होता है। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य मनःप्रयोगपरिणत होता है तो क्या वह सत्य मनःप्रयोग – परिणत होता है, अथवा मृषामनःप्रयोगपरिणत होता है, या सत्य – मृषामनःप्रयोगपरिणत होता है, या असत्या – अमृषामनःप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वह सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है, अथवा मृषामनःप्रयोग – परिणत होता है, या सत्य – मृषामनःप्रयोगपरिणत होता है या फिर असत्य – अमृषामनःप्रयोग – परिणत होता है। भगवन्‌! यदि एक द्रव्य सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है तो क्या वह आरम्भ – सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है, अनारम्भ सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है, सारम्भ – सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है, असमारम्भ – सत्यमनःप्रयोग – परिणत होता है, समारम्भ – सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है अथवा असमारम्भ – सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वह आरम्भ – सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है, यावत्‌ असमारम्भ – सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य मृषामनःप्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वह आरम्भ – मृषामनःप्रयोगपरिणत होता है, अथवा यावत्‌ असमारम्भ – मृषामनःप्रयोग परिणत ? गौतम ! जिस प्रकार सत्यमनःप्रयोगपरिणत के विषय में कहा है, उसी प्रकार मृषामनःप्रयोगपरिणत के विषय में भी कहना। इसी प्रकार सत्य – मृषामनःप्रयोगपरिणत के विषय में भी तथा असत्य – अमृषामनःप्रयोगपरिणत के विषय में भी कहना। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य वचनप्रयोग – परिणत होता है तो क्या वह सत्य – वचन – प्रयोगपरिणत होता है, मृषा – वचनप्रयोगपरिणत होता है, सत्य – मृषा – वचन – प्रयोग – परिणत होता है अथवा असत्य – अमृषा – वचनप्रयोग – परिणत होता है ? गौतम ! मनःप्रयोगपरिणत के समान वचन – प्रयोग – परिणत के विषय में भी वह असमारम्भ वचन – प्रयोग – परिणत भी होता है तक कहना। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य कायप्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वह औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, औदारिकमिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, वैक्रियमिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, आहारकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, आहारकमिश्र – कायप्रयोगपरिणत होता है अथवा कार्मणशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वह एक द्रव्य औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा यावत्‌ वह कार्मणशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य औदारिकशरीर – कायप्रयोग परिणत होता है, तो क्या वह एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, या द्वीन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोग – परिणत होता है अथवा यावत्‌ पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वह एक द्रव्य एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा यावत्‌ पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोग – परिणत होता है। भगवन्‌ ! जो एक द्रव्य शरीर एकेन्द्रिय – औदारिक – शरीर – काय – प्रयोग – परिणत होता है तो क्या वह पृथ्वी – कायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – काय – प्रयोग – परिणत होता है, अथवा यावत्‌ वह वनस्पतिकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? हे गौतम ! वह पृथ्वीकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोग – परिणत होता है, अथवा यावत्‌ वनस्पतिकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है। भगवन्‌ ! यदि वह एक द्रव्य पृथ्वीकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोग – परिणत होता है, तो क्या वह सूक्ष्म – पृथ्वी – कायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा बादरपृथ्वीकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वह सूक्ष्म – पृथ्वीकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है अथवा बादर – पृथ्वीकायिक। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य सूक्ष्म – पृथ्वीकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोग – परिणत होता है तो क्या वह पर्याप्त – सूक्ष्म – पृथ्वीकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा अपर्याप्त – सूक्ष्म – पृथ्वीकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वह पर्याप्त – सूक्ष्म – पृथ्वीकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोग – परिणत भी होता है, या वह अपर्याप्त – सूक्ष्म – पृथ्वी – कायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोग – परिणत भी होता है। इसी प्रकार बादर – पृथ्वीकायिक के विषय में भी समझ लेना चाहिए। इसी प्रकार यावत्‌ वनस्पतिकायिक तक सभी के चार – चार भेद के विषय में कथन करना चाहिए। (किन्तु) द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय के दो – दो भेद – पर्याप्तक और अपर्याप्तक कहना चाहिए। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वह तिर्यंचयोनिक – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा मनुष्य – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! या तो वह तिर्यंचयोनिक – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा वह मनुष्य – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य तिर्यंचयोनिक – पंचेन्द्रिय – औदारिक – शरीर – कायप्रयोग – परिणत होता है तो क्या वह जलचर – तिर्यंचयोनिक – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, स्थलचर – तिर्यंचयोनिक – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वह जलचर, स्थलचर और खेचर, तीनों प्रकार के तिर्यंचपंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोग से परिणत होता है, अतः खेचरों तक पूर्ववत्‌ प्रत्येक के चार – चार भेद कहना। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य मनुष्य – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वह सम्मू – र्च्छिम – मनुष्य – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिण होता है, अथवा गर्भजमनुष्य – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! दोनों प्रकार के। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य, गर्भजमनुष्य – पंचेन्द्रिय – औदारिक – शरीर – कायप्रयोग – परिणत होता है तो क्या वह पर्याप्त – गर्भजमनुष्य – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा अपर्याप्त – गर्भज – मनुष्य – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वह दोनों गर्भजमनुष्य – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है। यदि एक द्रव्य, औदारिकमिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वह एकेन्द्रिय – औदारिकमिश्र – शरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, द्वीन्द्रिय – औदारिकमिश्रशरीर – कायप्रयोग – परिणत होता है, अथवा यावत्‌ पंचेन्द्रिय औदारिक – मिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वह एकेन्द्रिय – औदारिकमिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा यावत्‌ पंचेन्द्रिय – औदारिकमिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है। औदारिकशरीर – कायप्रयोग – परिणत के समान औदारिकमिश्र – कायप्रयोगपरिणत के भी आलापक कहने चाहिए। किन्तु इतनी विशेषता है कि बादरवायुकायिक, गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक और गर्भज मनुष्यों के पर्याप्तक और अपर्याप्तक के विषय में और शेष सभी जीवों के अपर्याप्तक के विषय में कहना चाहिए। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य, वैक्रियशरीर – कायप्रयोग – परिणत होता है तो क्या वह एकेन्द्रिय – वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा यावत्‌ पंचेन्द्रिय – वैक्रियशरीर – प्रयोग – परिणत होता है ? गौतम ! वह एकेन्द्रिय, अथवा यावत्‌ पंचेन्द्रिय – वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है। भगवन्‌ ! यदि वह एक द्रव्य एकेन्द्रिय – वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वह वायुकायिक – एकेन्द्रिय – वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा अवायुकायिक एकेन्द्रिय – वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वह एक द्रव्य वायुकायिक – एकेन्द्रिय – वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, किन्तु अवायु – कायिक – एकेन्द्रिय – वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत नहीं होता। इसी प्रकार प्रज्ञापनासूत्र के ‘अवगाहना संस्थान’ में वैक्रियशरीर ( – कायप्रयोगपरिणत) के विषय में जैसा कहा है, वैसा यहाँ भी पर्याप्त – सर्वार्थसिद्ध – अनुत्तरौपपातिक – कल्पातीत – वैमानिकदेव – पंचेन्द्रिय – वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा वह अपर्याप्तक – सर्वार्थसिद्ध – अनुत्तरौपपातिक – कल्पातीत – वैमानिकदेव – पंचेन्द्रिय – वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा अपर्याप्तक – सर्वार्थसिद्ध – अनुत्तरौपपातिक – कल्पातीत – वैमानिकदेव – पंचेन्द्रिय – वैक्रियशरीरकायप्रयोगपरिणत होता है पर्यन्त कहना भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य वैक्रियमिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वह एकेन्द्रिय – वैक्रियमिश्र – शरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा यावत्‌ पंचेन्द्रिय – वैक्रियमिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! वैक्रियशरीर – कायप्रयोगपरिणत के अनुसार वैक्रियमिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत के विषय में भी कहना। परन्तु इतना विशेष है कि वैक्रियमिश्रशरीर – कायप्रयोग देवों और नैरयिकों के अपर्याप्त के विषय में कहना। शेष सभी पर्याप्त जीवों के विषय में कहना, यावत्‌ पर्याप्त – सर्वार्थसिद्ध – अनुत्तरौपपातिक – कल्पातीत – पंचेन्द्रिय – वैक्रियमिश्र – शरीर – कायप्रयोगपरिणत नहीं होता, किन्तु अपर्याप्त – सर्वार्थसिद्ध – अनुत्तरौपपातिक – कल्पातीत – पंचेन्द्रिय – वैक्रिय – मिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है; (यहाँ तक कहना।) भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य आहारकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वह मनुष्याहारशरीर – काय – प्रयोगपरिणत होता है, अथवा अमनुष्य – आहारकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! प्रज्ञापनासूत्र के अवगाहनासंस्थान पद अनुसार यहाँ भी ऋद्धिप्राप्त – प्रमत्तसंयत – सम्यग्दृष्टि – पर्याप्तक – संख्येयवर्षायुष्क – मनुष्य – आहारकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, किन्तु आहारकलब्धि को अप्राप्त – प्रमत्तसंयत – सम्यग्दृष्टि – पर्याप्तक – संख्येयवर्षायुष्क – मनुष्यहारक – शरीरकायप्रयोगपरिणत नहीं होता तक कहना। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य आहारक – मिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वह मनुष्याहारकमिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा अमनुष्याहारकशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? गौतम ! आहारकशरीरकायप्रयोग – परिणत (एक द्रव्य) के अनुसार आहारकमिश्रशरीर – कायप्रयोगपरिणत के विषय में भी कहना। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य कार्मणशरीर – कायप्रयोग परिणत होता है, तो क्या वह एकेन्द्रिय – कार्मणशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा यावत्‌ पंचेन्द्रिय – कार्मणशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है ? हे गौतम ! वह एकेन्द्रिय – कार्मणशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, प्रज्ञापनासूत्र के अवगाहना संस्थानपद में कार्मण के भेद कहे गए हैं, उसी प्रकार यहाँ भी पर्याप्त – सर्वार्थसिद्ध – अनुत्तरौपपातिक – कल्पातीत – वैमानिकदेव – पंचेन्द्रिय – कार्मणशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है, अथवा अपर्याप्त – सर्वार्थसिद्ध – अनुत्तरौपपातिक – कल्पातीत – वैमानिकदेव – पंचेन्द्रिय – कार्मणशरीर – कायप्रयोगपरिणत होता है (तक भेद कहना)। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य मिश्रपरिणत होता है, तो क्या वह मनोमिश्रपरिणत होता है, या वचनमिश्रपरिणत होता है, अथवा कायमिश्रपरिणत होता है ? गौतम ! वह मनोमिश्रपरिणत भी होता है, वचनमिश्रपरिणत भी होता है, कायमिश्रपरिणत भी होता है। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य मनोमिश्रपरिणत होता है, तो क्या वह सत्यमनोमिश्र – परिणत होता है, मृषामनोमिश्रपरिणत होता है, सत्य – मृषामनोमिश्रपरिणत होता है, अथवा असत्य – अमृषामनोमिश्र परिणत होता है ? गौतम ! प्रयोगपरिणत एक द्रव्य के अनुसार मिश्रपरिणत एक द्रव्य के विषय में भी पर्याप्त – सर्वार्थसिद्ध – अनुत्तरौपपातिक – कल्पातीत – वैमानिकदेव – पंचेन्द्रिय – कार्मणशरीर – कायमिश्रपरिणत होता है, अथवा अपर्याप्त – सर्वार्थसिद्ध – अनुत्तरौपपातिक – कल्पातीत वैमानिकदेव – पंचेन्द्रियकार्मणशरीर – कायमिश्रपरिणत होता है तक कहना। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य विस्रसा (से) परिणत होता है, तो क्या वह वर्णपरिणत होता है, गन्धपरिणत होता है, रसपरिणत होता है, स्पर्शपरिणत होता है, अथवा संस्थानपरिणत होता है ? गौतम ! वह वर्णपरिणत होता है, अथवा यावत्‌ संस्थानपरिणत होता है। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य वर्णपरिणत होता है तो क्या वह कृष्णवर्ण के रूप में परिणत होता है, अथवा यावत्‌ शुक्लवर्ण के रूप में है ? गौतम ! वह कृष्ण वर्ण के रूप में भी परिणत होता है, यावत्‌ शुक्लवर्ण के रूप में। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य गन्धपरिणत होता है तो वह सुरभिगन्ध रूप में परिणत होता है, अथवा दुरभिगन्ध रूप में ? गौतम ! वह सुरभिगन्धरूप में भी परिणत होता है, अथवा दुरभिगन्धरूप में भी। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य रसरूप में परिणत होता है, तो क्या वह तीखे रस के रूप में परिणत होता है, अथवा यावत्‌ मधुररस के रूप में। गौतम वह तीखे रस के रूप में भी परिणत होता है, अथवा यावत्‌ मधुररस के रूप में भी। भगवन्‌ ! यदि एक द्रव्य स्पर्शपरिणत होता है तो क्या वह कर्कशस्पर्शरूप से परिणत होता है, अथवा यावत्‌ रूक्षस्पर्शरूप में ? गौतम ! वह कर्कशस्पर्शरूप में भी परिणत होता है, अथवा यावत्‌ रूक्षस्पर्शरूप में भी। भगवन्‌ यदि एक द्रव्य संस्थान – परिणत होता है, तो क्या वह परिमण्डल – संस्थानरूप में परिणत होता है, अथवा यावत्‌ आयत – संस्थानरूप में। गौतम ! वह द्रव्य परिमण्डल – संस्थानरूप में भी परिणत होता है, अथवा यावत्‌ आयत – संस्थानरूप में भी।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] ege bhamte! Davve kim payogaparinae? Misaparinae? Visasaparinae? Goyama! Payogaparinae va, misaparinae va, visasaparinae va. Jai payogaparinae kim manapayogaparinae? Vaipayogaparinae? Kayapayogaparinae? Goyama! Manapayogaparinae va, vaipayogaparinae va, kayapayogaparinae va. Jai manapayogaparinae kim sachchamanapayogaparinae? Mosamanapayogaparinae? Sachchamosamana-payoga-parinae? Asachchamosamanapayogaparinae? Goyama! Sachchamanapayogaparinae va, mosamanapayogaparinae va, sachchamosamanapayogaparinae va, asachchamosamanapayogaparinae va. Jai sachchamanapayogaparinae kim arambhasachchamanapayogaparinae? Anarambhasachchamanapayoga-parinae? Sarambhasachchamanapayogaparinae? Asarambhasachchamanapayogaparinae? Samarambhasachchamanapayoga-parinae? Asamarambhasachchamanapayogaparinae? Goyama! Arambhasachchamanapayogaparinae va java asamarambhasachchamanapayogaparinae va. Jai mosamanapayogaparinae kim arambhamosamanapayogaparinae? Evam jaha sachchenam taha mosena vi. Evam sachchamosamanapayogena vi. Evam asachchamosamana-payogena vi. Jai vaipayogaparinae kim sachchavaipayogaparinae? Mosavaipayogaparinae? Evam jaha manapayogaparinae taha vaipayogaparinae vi java asamarambhavaipayogaparinae va. Jai kayapayogaparinae kim oraliyasarirakayapayogaparinae? Oraliyamisasarirakaya-payogaparinae? Veuvviyasarirakayapayogaparinae? Veuvviyamisasarirakayapayogaparinae? Aharaga-sarirakayapayogaparinae? Aharagamisasarirakayapayogaparinae? Kammasarirakayapayogaparinae? Goyama! Oraliyasarirakayapayogaparinae va java kammasarirakayapayogaparinae va. Jai oraliyasarirakayapayogaparinae kim egimdiyaoraliyasarirakayapayogaparinae? Java pamchimdiyaoraliyasarirakayapayogaparinae? Goyama! Egimdiyaoraliyasarirakayapayogaparinae va java pamchimdiyaoraliyasarirakaya-payoga-parinae va. Jai egimdiyaoraliyasarirakayapayogaparinae kim pudhavikkaiyaegimdiya oraliyasarira-kayapayogaparinae? Java vanassaikaiyaegimdiyaoraliyasarirakayapayogaparinae? Goyama! Pudhavikkaiyaegimdiya oraliyasarirakayapayogaparinae va java vanassaikaiya-egimdiya oraliyasarirakayapayoga parinae va. Jai pudhavikaiyaegimdiyaoraliyasarirakayapayogaparinae kim suhumapudhavikkaiya java parinae? Badarapudhavikkaiya java parinae? Goyama! Suhumapudhavikaiyaegimdiya java parinae va, badarapudhavikkaiya java parinae va. Jai suhumapudhavikkaiya java parinae kim pajjattasuhumapudhavikkaiya java parinae? Apajjatta-suhumapudhavikkaiya java parinae? Goyama! Pajjattasuhumapudhavikkaiya java parinae va, apajjattasuhumapudhavikkaiya java parinae va. Evam badara vi. Evam java vanassaikaiyanam chaukkao bhedo. Beimdiya-teimdiya-chaurimdiyanam duyao bhedo– pajjattaga ya apajjattaga ya. Jai pamchimdiyaoraliyasarirakayapayogaparinae kim tirikkhajoniyapamchimdiyaoraliyasarira kayapayogaparinae? Manussapamchimdiya java parinae? Goyama! Tirikkhajoniya java parinae va, manussapamchimdiya java parinae va. Jai tirikkhajoniya java parinae kim jalacharatirikkhajoniya java parinae? Thalachara-khahachara java parinae? Evam chaukkao bhedo java khahacharanam. Jai manussapamchimdiya java parinae kim sammuchchhimamanussapamchimdiya java parinae? Gabbha-vakkamtiya-manussa java parinae? Goyama! Dosu vi. Jai gabbhavakkamtiyamanussa java parinae kim pajjattagabbhavakkamtiya java parinae? Apajjattagabbhavakkamtiya java parinae? Goyama! Pajjattagabbhavakkamtiya java parinae va, apajjattagabbhavakkamtiya java parinae va. Jai oraliyamisasarirakayapayogaparinae kim egimdiyaoraliyamisasarirakayapayoga-parinae? Beimdiya java parinae? Java pamchimdiyaoraliya java parinae? Goyama! Egimdiyaoraliyamisasarirakayapayogaparinae evam jaha oraliyasarirakaya-payogaparinaenam alavago bhanio taha oraliyamisasarirakayapayoga-parinaena vi alavago bhaniyavvo, navaram–badaravaukkaiya-gabbhavakkamtiyapamchimdiyatirikkha-joniya-gabbhavakkamtiya-manussanam–eesinam pajjattapajjattaganam, sesanam apajjattaganam. Jai veuvviyasarirakayapayogaparinae kim egimdiyaveuvviyasarirakayapayogaparinae? Pamchimdiya-veuvviyasarira java parinae? Goyama! Egimdiya java parinae va, pamchimdiya java parinae va. Jai egimdiya java parinae kim vaukkaiyaegimdiya java parinae? Avaukkaiyaegimdiya java parinae? Goyama! Vaukkaiyaegimdiya java parinae, no avaukkaiyaegimdiya java parinae. Evam eenam abhilavenam jaha ogahana-samthane veuvviyasariram bhaniyam taha iha vi bhaniyavvam java pajjatta-savvatthasiddha-anuttarovavaiya-kappatita-vemaniyadeva-pamchimdiya-veuvviyasarira-kayapayoga parinae va, apajjattasavvatthasiddhaanuttarovavaiya java parinae va. Jai veuvviyamisasarirakayapayogaparinae kim egimdiyamisasarirakayapayogaparinae? Java pamchimdiyamisasarirakayapayogaparinae? Evam jaha veuvviyam taha veuvviyamisagam pi, navaram–deva-neraiyanam apajjattaganam, sesanam pajjattaganam java no pajjattasavvatthasiddhaanuttarovavaiya java parinae, apajjattasavvatthasiddha-anuttarovavaiya- devapamchimdiyaveuvviyamisasarirakayapayogaparinae. Jai aharagasarirakayapayogaparinae kim manussaharagasarirakayapayogaparinae? Amanussa-haraga java parinae? Evam jaha ogahanasamthane java iddhipattapamattasamjayasammaditthipajjattagasamkhejjavasauya java parinae, no aniddhipattapamattasamjaya-sammaditthipajjattasamkhejjavasauya java parinae. Jai aharagamisasarirakayapayogaparinae kim manussaharagamisasarirakayapayogaparinae? Evam jaha aharagam taheva mosagam pi niravasesam bhaniyavvam. Jai kammasarirakayapayogaparinae kim egimdiyakammasarirakayapayogaparinae? Java pamchimdiya-kammasarirakayapayoga-parinae? Goyama! Egimdiyakammasarirakayapayogaparinae, evam jaha ogahanasamthane kammagassa bhedo taheva iha vi java pajjattasavvatthasiddhaanuttarovavaiya kappatitagavemaniyadevapamchimdiyakamma- sarirakaya-payogaparinae va, apajjattasavvatthasiddhaanuttarovavaiya java parinae va. Jai misaparinae kim manamisaparinae? Vaimisaparinae? Kayamisaparinae? Goyama! Manamisaparinae va, vaimisaparinae va, kayamisaparinae va. Jai manamisaparinae kim sachchamanamisaparinae? Mosamanamisaparinae? Jaha payogaparinae taha misaparinae vi bhaniyavvam niravasesam java pajjattasavvatthasiddha-anuttaro-vavaiya java devapamchimdiyakamma sariragamisaparinae va, apajjattasavvatthasiddha-anuttarovavaiya java kammasariramisaparinae va. Jai visasaparinae kim vannaparinae? Gamdhaparinae? Rasaparinae? Phasaparinae? Samthana-parinae? Goyama! Vannaparinae va, gamdhaparinae va, rasaparinae va, phasaparinae va, samthanaparinae va. Jai vannaparinae kim kalavannaparinae java sukkilavannaparinae? Goyama! Kalavannaparinae va java sukkilavannaparinae va. Jai gamdhaparinae kim subbhigamdhaparinae? Dubbhigamdhaparinae? Goyama! Subbhigamdhaparinae va, dubbhigamdhaparinae va. Jai rasaparinae kim tittarasaparinae? Puchchha. Goyama! Tittarasaparinae va java mahurarasaparinae va. Jai phasaparinae kim kakkhadaphasaparinae java lukkhaphasaparinae? Goyama! Kakkhadaphasaparinae java lukkhaphasaparinae. Jai samthanaparinae–puchchha. Goyama! Parimamdalasamthanaparinae va java ayatasamthanaparinae va.
Sutra Meaning Transliteration : Gautama ! Eka dravya kya prayogaparinata hota hai, mishraparinata hota hai athava visrasaparinata hota hai\? Gautama ! Eka dravya prayogaparinata hota hai, athava mishraparinata hota hai, athava visrasaparinata bhi hota hai. Bhagavan ! Yadi eka dravya prayogaparinata hota hai to kya vaha manahprayogaparinata hota hai, vachana – prayoga parinata hota hai, athava kaya – prayoga – parinata hota hai\? Gautama ! Vaha manahprayoga parinata hota hai, ya vachana – prayoga – parinata hota hai, athava kaya – prayoga – parinata hota hai. Bhagavan ! Yadi eka dravya manahprayogaparinata hota hai to kya vaha satya manahprayoga – parinata hota hai, athava mrishamanahprayogaparinata hota hai, ya satya – mrishamanahprayogaparinata hota hai, ya asatya – amrishamanahprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha satyamanahprayogaparinata hota hai, athava mrishamanahprayoga – parinata hota hai, ya satya – mrishamanahprayogaparinata hota hai ya phira asatya – amrishamanahprayoga – parinata hota hai. Bhagavan! Yadi eka dravya satyamanahprayogaparinata hota hai to kya vaha arambha – satyamanahprayogaparinata hota hai, anarambha satyamanahprayogaparinata hota hai, sarambha – satyamanahprayogaparinata hota hai, asamarambha – satyamanahprayoga – parinata hota hai, samarambha – satyamanahprayogaparinata hota hai athava asamarambha – satyamanahprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha arambha – satyamanahprayogaparinata hota hai, yavat asamarambha – satyamanahprayogaparinata hota hai. Bhagavan ! Yadi eka dravya mrishamanahprayogaparinata hota hai, to kya vaha arambha – mrishamanahprayogaparinata hota hai, athava yavat asamarambha – mrishamanahprayoga parinata\? Gautama ! Jisa prakara satyamanahprayogaparinata ke vishaya mem kaha hai, usi prakara mrishamanahprayogaparinata ke vishaya mem bhi kahana. Isi prakara satya – mrishamanahprayogaparinata ke vishaya mem bhi tatha asatya – amrishamanahprayogaparinata ke vishaya mem bhi kahana. Bhagavan ! Yadi eka dravya vachanaprayoga – parinata hota hai to kya vaha satya – vachana – prayogaparinata hota hai, mrisha – vachanaprayogaparinata hota hai, satya – mrisha – vachana – prayoga – parinata hota hai athava asatya – amrisha – vachanaprayoga – parinata hota hai\? Gautama ! Manahprayogaparinata ke samana vachana – prayoga – parinata ke vishaya mem bhi vaha asamarambha vachana – prayoga – parinata bhi hota hai taka kahana. Bhagavan ! Yadi eka dravya kayaprayogaparinata hota hai, to kya vaha audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, audarikamishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai, vaikriyasharira – kayaprayogaparinata hota hai, vaikriyamishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai, aharakasharira – kayaprayogaparinata hota hai, aharakamishra – kayaprayogaparinata hota hai athava karmanasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha eka dravya audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava yavat vaha karmanasharira – kayaprayogaparinata hota hai. Bhagavan ! Yadi eka dravya audarikasharira – kayaprayoga parinata hota hai, to kya vaha ekendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, ya dvindriya – audarikasharira – kayaprayoga – parinata hota hai athava yavat pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha eka dravya ekendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava yavat pamchendriya – audarikasharira – kayaprayoga – parinata hota hai. Bhagavan ! Jo eka dravya sharira ekendriya – audarika – sharira – kaya – prayoga – parinata hota hai to kya vaha prithvi – kayika – ekendriya – audarikasharira – kaya – prayoga – parinata hota hai, athava yavat vaha vanaspatikayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? He gautama ! Vaha prithvikayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayoga – parinata hota hai, athava yavat vanaspatikayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai. Bhagavan ! Yadi vaha eka dravya prithvikayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayoga – parinata hota hai, to kya vaha sukshma – prithvi – kayika – ekendriya – audarikasharira kayaprayogaparinata hota hai, athava badaraprithvikayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha sukshma – prithvikayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai athava badara – prithvikayika. Bhagavan ! Yadi eka dravya sukshma – prithvikayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayoga – parinata hota hai to kya vaha paryapta – sukshma – prithvikayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava aparyapta – sukshma – prithvikayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha paryapta – sukshma – prithvikayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayoga – parinata bhi hota hai, ya vaha aparyapta – sukshma – prithvi – kayika – ekendriya – audarikasharira – kayaprayoga – parinata bhi hota hai. Isi prakara badara – prithvikayika ke vishaya mem bhi samajha lena chahie. Isi prakara yavat vanaspatikayika taka sabhi ke chara – chara bheda ke vishaya mem kathana karana chahie. (kintu) dvindriya, trindriya aura chaturindriya ke do – do bheda – paryaptaka aura aparyaptaka kahana chahie. Bhagavan ! Yadi eka dravya pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, to kya vaha tiryamchayonika – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava manushya – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Ya to vaha tiryamchayonika – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava vaha manushya – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai. Bhagavan ! Yadi eka dravya tiryamchayonika – pamchendriya – audarika – sharira – kayaprayoga – parinata hota hai to kya vaha jalachara – tiryamchayonika – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, sthalachara – tiryamchayonika – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha jalachara, sthalachara aura khechara, tinom prakara ke tiryamchapamchendriya – audarikasharira – kayaprayoga se parinata hota hai, atah khecharom taka purvavat pratyeka ke chara – chara bheda kahana. Bhagavan ! Yadi eka dravya manushya – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, to kya vaha sammu – rchchhima – manushya – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparina hota hai, athava garbhajamanushya – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Donom prakara ke. Bhagavan ! Yadi eka dravya, garbhajamanushya – pamchendriya – audarika – sharira – kayaprayoga – parinata hota hai to kya vaha paryapta – garbhajamanushya – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava aparyapta – garbhaja – manushya – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha donom garbhajamanushya – pamchendriya – audarikasharira – kayaprayogaparinata hota hai. Yadi eka dravya, audarikamishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai, to kya vaha ekendriya – audarikamishra – sharira – kayaprayogaparinata hota hai, dvindriya – audarikamishrasharira – kayaprayoga – parinata hota hai, athava yavat pamchendriya audarika – mishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha ekendriya – audarikamishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava yavat pamchendriya – audarikamishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai. Audarikasharira – kayaprayoga – parinata ke samana audarikamishra – kayaprayogaparinata ke bhi alapaka kahane chahie. Kintu itani visheshata hai ki badaravayukayika, garbhaja pamchendriyatiryamchayonika aura garbhaja manushyom ke paryaptaka aura aparyaptaka ke vishaya mem aura shesha sabhi jivom ke aparyaptaka ke vishaya mem kahana chahie. Bhagavan ! Yadi eka dravya, vaikriyasharira – kayaprayoga – parinata hota hai to kya vaha ekendriya – vaikriyasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava yavat pamchendriya – vaikriyasharira – prayoga – parinata hota hai\? Gautama ! Vaha ekendriya, athava yavat pamchendriya – vaikriyasharira – kayaprayogaparinata hota hai. Bhagavan ! Yadi vaha eka dravya ekendriya – vaikriyasharira – kayaprayogaparinata hota hai, to kya vaha vayukayika – ekendriya – vaikriyasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava avayukayika ekendriya – vaikriyasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha eka dravya vayukayika – ekendriya – vaikriyasharira – kayaprayogaparinata hota hai, kintu avayu – kayika – ekendriya – vaikriyasharira – kayaprayogaparinata nahim hota. Isi prakara prajnyapanasutra ke ‘avagahana samsthana’ mem vaikriyasharira ( – kayaprayogaparinata) ke vishaya mem jaisa kaha hai, vaisa yaham bhi paryapta – sarvarthasiddha – anuttaraupapatika – kalpatita – vaimanikadeva – pamchendriya – vaikriyasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava vaha aparyaptaka – sarvarthasiddha – anuttaraupapatika – kalpatita – vaimanikadeva – pamchendriya – vaikriyasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava aparyaptaka – sarvarthasiddha – anuttaraupapatika – kalpatita – vaimanikadeva – pamchendriya – vaikriyasharirakayaprayogaparinata hota hai paryanta kahana Bhagavan ! Yadi eka dravya vaikriyamishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai, to kya vaha ekendriya – vaikriyamishra – sharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava yavat pamchendriya – vaikriyamishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Vaikriyasharira – kayaprayogaparinata ke anusara vaikriyamishrasharira – kayaprayogaparinata ke vishaya mem bhi kahana. Parantu itana vishesha hai ki vaikriyamishrasharira – kayaprayoga devom aura nairayikom ke aparyapta ke vishaya mem kahana. Shesha sabhi paryapta jivom ke vishaya mem kahana, yavat paryapta – sarvarthasiddha – anuttaraupapatika – kalpatita – pamchendriya – vaikriyamishra – sharira – kayaprayogaparinata nahim hota, kintu aparyapta – sarvarthasiddha – anuttaraupapatika – kalpatita – pamchendriya – vaikriya – mishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai; (yaham taka kahana.) Bhagavan ! Yadi eka dravya aharakasharira – kayaprayogaparinata hota hai, to kya vaha manushyaharasharira – kaya – prayogaparinata hota hai, athava amanushya – aharakasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Prajnyapanasutra ke avagahanasamsthana pada anusara yaham bhi riddhiprapta – pramattasamyata – samyagdrishti – paryaptaka – samkhyeyavarshayushka – manushya – aharakasharira – kayaprayogaparinata hota hai, kintu aharakalabdhi ko aprapta – pramattasamyata – samyagdrishti – paryaptaka – samkhyeyavarshayushka – manushyaharaka – sharirakayaprayogaparinata nahim hota taka kahana. Bhagavan ! Yadi eka dravya aharaka – mishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai, to kya vaha manushyaharakamishrasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava amanushyaharakasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? Gautama ! Aharakasharirakayaprayoga – parinata (eka dravya) ke anusara aharakamishrasharira – kayaprayogaparinata ke vishaya mem bhi kahana. Bhagavan ! Yadi eka dravya karmanasharira – kayaprayoga parinata hota hai, to kya vaha ekendriya – karmanasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava yavat pamchendriya – karmanasharira – kayaprayogaparinata hota hai\? He gautama ! Vaha ekendriya – karmanasharira – kayaprayogaparinata hota hai, prajnyapanasutra ke avagahana samsthanapada mem karmana ke bheda kahe gae haim, usi prakara yaham bhi paryapta – sarvarthasiddha – anuttaraupapatika – kalpatita – vaimanikadeva – pamchendriya – karmanasharira – kayaprayogaparinata hota hai, athava aparyapta – sarvarthasiddha – anuttaraupapatika – kalpatita – vaimanikadeva – pamchendriya – karmanasharira – kayaprayogaparinata hota hai (taka bheda kahana). Bhagavan ! Yadi eka dravya mishraparinata hota hai, to kya vaha manomishraparinata hota hai, ya vachanamishraparinata hota hai, athava kayamishraparinata hota hai\? Gautama ! Vaha manomishraparinata bhi hota hai, vachanamishraparinata bhi hota hai, kayamishraparinata bhi hota hai. Bhagavan ! Yadi eka dravya manomishraparinata hota hai, to kya vaha satyamanomishra – parinata hota hai, mrishamanomishraparinata hota hai, satya – mrishamanomishraparinata hota hai, athava asatya – amrishamanomishra parinata hota hai\? Gautama ! Prayogaparinata eka dravya ke anusara mishraparinata eka dravya ke vishaya mem bhi paryapta – sarvarthasiddha – anuttaraupapatika – kalpatita – vaimanikadeva – pamchendriya – karmanasharira – kayamishraparinata hota hai, athava aparyapta – sarvarthasiddha – anuttaraupapatika – kalpatita vaimanikadeva – pamchendriyakarmanasharira – kayamishraparinata hota hai taka kahana. Bhagavan ! Yadi eka dravya visrasa (se) parinata hota hai, to kya vaha varnaparinata hota hai, gandhaparinata hota hai, rasaparinata hota hai, sparshaparinata hota hai, athava samsthanaparinata hota hai\? Gautama ! Vaha varnaparinata hota hai, athava yavat samsthanaparinata hota hai. Bhagavan ! Yadi eka dravya varnaparinata hota hai to kya vaha krishnavarna ke rupa mem parinata hota hai, athava yavat shuklavarna ke rupa mem hai\? Gautama ! Vaha krishna varna ke rupa mem bhi parinata hota hai, yavat shuklavarna ke rupa mem. Bhagavan ! Yadi eka dravya gandhaparinata hota hai to vaha surabhigandha rupa mem parinata hota hai, athava durabhigandha rupa mem\? Gautama ! Vaha surabhigandharupa mem bhi parinata hota hai, athava durabhigandharupa mem bhi. Bhagavan ! Yadi eka dravya rasarupa mem parinata hota hai, to kya vaha tikhe rasa ke rupa mem parinata hota hai, athava yavat madhurarasa ke rupa mem. Gautama vaha tikhe rasa ke rupa mem bhi parinata hota hai, athava yavat madhurarasa ke rupa mem bhi. Bhagavan ! Yadi eka dravya sparshaparinata hota hai to kya vaha karkashasparsharupa se parinata hota hai, athava yavat rukshasparsharupa mem\? Gautama ! Vaha karkashasparsharupa mem bhi parinata hota hai, athava yavat rukshasparsharupa mem bhi. Bhagavan yadi eka dravya samsthana – parinata hota hai, to kya vaha parimandala – samsthanarupa mem parinata hota hai, athava yavat ayata – samsthanarupa mem. Gautama ! Vaha dravya parimandala – samsthanarupa mem bhi parinata hota hai, athava yavat ayata – samsthanarupa mem bhi.