Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003860 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-७ |
Translated Chapter : |
शतक-७ |
Section : | उद्देशक-६ आयु | Translated Section : | उद्देशक-६ आयु |
Sutra Number : | 360 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तीसे णं भंते! समाए भरहे वासे मनुयाणं केरिसए आगारभाव-पडोयारे भविस्सइ? गोयमा! मनुया भविस्संति दुरूवा दुवण्णा दुग्गंधा दुरसा दुफासा अनिट्ठा अकंता अप्पिया असुभा अमणुन्ना अमणामा हीनस्सरा दीनस्सरा अणिट्ठस्सरा अकंतस्सरा अप्पियस्सरा असुभस्सरा अमणुन्नस्सरा अमणामस्सरा अनादेज्जवयणपच्चायाया, निल्लज्जा, कूड-कवड-कलह-वह-बंध-वेरनिरया, मज्जायातिक्कमप्पहाणा, अकज्जनिच्चुज्जता, गुरुनियोग-विनयरहिया य, विकल-रूवा, परूढनह-केस-मंसु-रोमा, काला, खर-फरुस-ज्झामवण्णा, फुट्टसिरा, कविलपलियकेसा, बहुण्हारु- संपिणद्ध-दुद्दंसणिज्जरूवा, संकुडितवलीतरंगपरिवेढियंगमंगा, जरापरिणतव्व थेरगनरा, पविरल-परिसडियदंतसेढी, उब्भडघडामुहा विसमनयना, वंकनासा, वंकवलीवियग-भेसणमुहा,... ...कच्छु-कसराभिभूया, खरतिक्खनखकंडूइय-विक्खयतणू, दद्दु-किडिभ-सिब्भ-फुडिय-फरुसच्छवी, चित्त-लंगा, टोलगति-विसमसंधिबंधन-उक्कुडुअट्ठिगविभत्तदुब्बला कुसंघयणं-कुप्प-माण-कुसंठिया, कुरूवा, कुट्ठाणासण-कुसेज्ज-कुभोइणो, असुइणो, अनेगबाहि-परिपीलियंगमंगा, खलंत-विब्भलगती, निरुच्छाहा, सत्तपरिवज्जिया, विगयचेट्ठ-नट्ठतेया, अभिक्खणं सीय-उण्ह-खर-फरुसवायविज्झडियमलिणपंसुरउग्गुंडियंगमंगा, बहुकोह-मान-माया, बहुलोभा, असुह-दुक्खभागी, उस्सन्नं धम्मसण्ण-सम्मत्तपरिभट्ठा, उक्कोसेणं रयणिप्पमाणमेत्ता, सोलस-वीसतिवासपरमाउसो, पुत्तनत्तुपरिवाल-पणयबहुला गंगा-सिंधूओ महानदीओ, वेयड्ढं च पव्वयं निस्साए बात्तवरिं निओदा बीयं बीयमेत्ता बिलवासिणो भविस्संति। ते णं भंते! मनुया कं आहारं आहारेहिंति? गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं गंगा-सिंधूओ महानदीओ रहपहवित्थराओ अक्खसोय-प्पमाणमेत्तं जलं वोज्झिहिंति, से वि य णं जले बहुमच्छकच्छभाइण्णे, नो चेव णं आउबहुले भविस्सति। तए णं ते मनुया सूरुग्गमणमुहुत्तंसि य सूरत्थमणमुहुत्तंसि य बिलेहिंतो निद्धाहिंति, निद्धाइत्ता मच्छकच्छभे थलाइं गाहेहिंति, गाहेत्ता सीतातवतत्तएहिं मच्छ-कच्छएहिं एक्कवीसं वाससहस्साइं वित्तिं कप्पेमाणा विहरिस्संति। ते णं भंते! मनुया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा, उस्सन्नं मंसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति? कहिं उववज्जिहिंति? गोयमा! उस्सन्नं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिंति। ते णं भंते! सीहा, वग्घा, वगा, दीविया, अच्छा, तरच्छा, परस्सरा निस्सीला तहेव जाव कहिं उववज्जिहिंति? गोयमा! उस्सन्नं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिंति। ते णं भंते! ढंका, कंका, विलका, मद्दुगा, सिही निस्सीला तहेव जाव कहिं उववज्जिहिंति? गोयमा! उस्सन्नं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिंति। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! उस समय भारतवर्ष की भूमि का आकार और भावों का आविर्भाव किस प्रकार का होगा ? गौतम ! उस समय इस भरतक्षेत्र की भूमि अंगारभूत, मुर्मूरभूत, भस्मीभूत, तपे हुए लोहे के कड़ाह के समान, तप्तप्राय अग्नि के समान, बहुत धूल वाली, बहुत रज वाली, बहुत कीचड़ वाली, बहुत शैवाल वाली, चलने जितने बहुत कीचड़ वाली होगी, जिस पर पृथ्वीस्थित जीवों का चलना बड़ा ही दुष्कर हो जाएगा। भगवन् ! उस समय में भारतवर्ष के मनुष्यों का आकार और भावों का आविर्भाव कैसा होगा ? गौतम ! उस समय में भारतवर्ष के मनुष्य अति कुरूप, कुवर्ण, कुगन्ध, कुरस और कुस्पर्श से युक्त, अनिष्ट, अकान्त यावत् अमनोगम, हीनस्वर वाले, दीनस्वर वाले, अनिष्टस्वर वाले यावत् अमनाम स्वर वाले, अनादेय और अप्रतीतियुक्त वचन वाले, निर्लज्ज, कूट – कपट, कलह, वध, बन्ध और वैरविरोध में रत, मर्यादा का उल्लंघन करने में प्रधान, अकार्य करने में नित्य उद्यत, गुरुजनों के आदेशपालन और विनय से रहित, विकलरूप वाले, बढ़े हुए नख, केश, दाढ़ी, मूँछ और रोम वाले, कालेकलूटे, अत्यन्त कठोर श्यामवर्ण के बिखरे हुए बालों वाले, पीले और सफेद केशों वाले, दुर्दर्शनीय रूप वाले, संकुचित और वलीतरंगों से परिवेष्टित, टेढ़े – मेढ़े अंगोपांग वाले, इसलिए जरापरिणत वृद्धपुरुषों के समान प्रविरल टूटे और सड़े हुए दाँतों वाले, उद्भट घट के समान भयंकर मुख वाले, विषम नेत्रों वाले, टेढ़ी नाक वाले तथा टेढ़े – मेढ़े एवं भुर्रियों से विकृत हुए भयंकर मुख वाले, एक प्रकार की भयंकर खुजली वाले, कठोर एवं तीक्ष्ण नखों से खुजलाने के कारण विकृत बने हुए, दाद, एक प्रकार के कोढ़, सिध्म वाले, फटी हुई कठोर चमड़ी वाले, विचित्र अंग वाले, ऊंट आदि – सी गति वाले, शरीर के जोड़ों के विषम बंधन वाले, ऊंची – नीची विषम हड्डियों एवं पसलियों से युक्त, कुगठनयुक्त, कुसंहनन वाले, कुप्रमाणयुक्त, विषमसंस्थानयुक्त, कुरूप, कुस्थान में बढ़े हुए शरीर वाले, कुशय्या वाले, कुभोजन करने वाले, विविध व्याधियों से पीड़ित, स्खलित गति वाले, उत्साहरहित, सत्त्वरहित, विकृत चेष्टा वाले, तेजोहीन, बारबार शीत, उष्ण, तीक्ष्ण और कठोर बात से व्याप्त, मलिन अंग वाले, अत्यन्त क्रोध, मान, माया और लोभ से युक्त अशुभ दुःख के भागी, प्रायः धर्मसंज्ञा और सम्यक्त्व से परिभ्रष्ट होंगे। उनकी अवगाहना उत्कृष्ट एक रत्निप्रमाण होगी। उनका आयुष्य सोलह वर्ष का और अधिक – से – अधिक बीस वर्ष का होगा। वे बहुत से पुत्र – पौत्रादि परिवार वाले होंगे और उन पर उनका अत्यन्त स्नेह होगा। इनके ७२ कुटुम्ब बीजभूत तथा बीजमात्र होंगे। ये गंगा और सिन्धु महानदियों के बिलों में और वैताढ्यपर्वत की गुफाओं में निवास करेंगे। भगवन् ! (उस दुःषमदुःषमकाल के) मनुष्य किस प्रकार का आहार करेंगे ? गौतम ! उस काल और उस समय में गंगा और सिन्धु महानदियाँ रथ के मार्गप्रमाण विस्तार वाली होंगी। रथ की धूरी के प्रवेश करने के छिद्र जितने भागमें आ सके उतना पानी बहेगा। वह पानी भी अनेक मत्स्य, कछुए आदि से भरा होगा और उसमें भी पानी बहुत नहीं होगा। वे बिलवासी मनुष्य सूर्योदय के समय एक मुहूर्त्त और सूर्यास्त के समय एक मुहूर्त्त बिलों से बाहर नीकलेंगे। बिलों से बाहर नीकलकर वे गंगा और सिन्धु नदियों में से मछलियों और कछुओं आदि को पकड़ कर जमीन में गाड़ेंगे। इस प्रकार गाड़े हुए मत्स्य – कच्छपादि ठंड और धूप से सूख जाएंगे। इस प्रकार शीत और आतप से पके हुए मतस्य – कच्छपादि से इक्कीस हजार वर्ष तक जीविका चलाते हुए वे विहरण करेंगे। भगवन् ! वे शीलरहित, गुणरहित, मर्यादाहीन, प्रत्याख्यान और पोषधोपवास से रहित, प्रायः मांसाहारी, मत्स्याहारी, क्षुद्राहारी एवं कुणिमाहारी मनुष्य मृत्यु के समय मरकर कहाँ जाएंगे, कहाँ उत्पन्न होंगे ? गौतम ! वे मनुष्य मरकर प्रायः नरक एवं तिर्यंच – योनियों में उत्पन्न होंगे। भगवन् ! निःशील यावत् कुणिमाहारी सिंह, व्याघ्र, वृक, द्वीपिक, रीछ, तरक्ष और गेंडा आदि मरकर कहाँ जाएंगे, कहाँ उत्पन्न होंगे ? गौतम ! वे प्रायः नरक और तिर्यंचयोनि में उत्पन्न होंगे। भगवन् ! निःशील आदि पूर्वोक्त विशेषणों से युक्त ढंक, कंक, बिलक, मद्दुक, शिखी (आदि पक्षी मरकर कहाँ उत्पन्न होंगे ?) गौतम ! प्रायः नरक एवं तिर्यंच योनियों में उत्पन्न होंगे। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tise nam bhamte! Samae bharahe vase manuyanam kerisae agarabhava-padoyare bhavissai? Goyama! Manuya bhavissamti duruva duvanna duggamdha durasa duphasa anittha akamta appiya asubha amanunna amanama hinassara dinassara anitthassara akamtassara appiyassara asubhassara amanunnassara amanamassara anadejjavayanapachchayaya, nillajja, kuda-kavada-kalaha-vaha-bamdha-veraniraya, majjayatikkamappahana, akajjanichchujjata, guruniyoga-vinayarahiya ya, vikala-ruva, parudhanaha-kesa-mamsu-roma, kala, khara-pharusa-jjhamavanna, phuttasira, kavilapaliyakesa, bahunharu- sampinaddha-duddamsanijjaruva, samkuditavalitaramgaparivedhiyamgamamga, jaraparinatavva theraganara, pavirala-parisadiyadamtasedhi, ubbhadaghadamuha visamanayana, vamkanasa, vamkavaliviyaga-bhesanamuha,.. ..Kachchhu-kasarabhibhuya, kharatikkhanakhakamduiya-vikkhayatanu, daddu-kidibha-sibbha-phudiya-pharusachchhavi, chitta-lamga, tolagati-visamasamdhibamdhana-ukkuduatthigavibhattadubbala kusamghayanam-kuppa-mana-kusamthiya, kuruva, kutthanasana-kusejja-kubhoino, asuino, anegabahi-paripiliyamgamamga, khalamta-vibbhalagati, niruchchhaha, sattaparivajjiya, vigayachettha-natthateya, abhikkhanam siya-unha-khara-pharusavayavijjhadiyamalinapamsurauggumdiyamgamamga, bahukoha-mana-maya, bahulobha, asuha-dukkhabhagi, ussannam dhammasanna-sammattaparibhattha, ukkosenam rayanippamanametta, solasa-visativasaparamauso, puttanattuparivala-panayabahula gamga-simdhuo mahanadio, veyaddham cha pavvayam nissae battavarim nioda biyam biyametta bilavasino bhavissamti. Te nam bhamte! Manuya kam aharam aharehimti? Goyama! Tenam kalenam tenam samaenam gamga-simdhuo mahanadio rahapahavittharao akkhasoya-ppamanamettam jalam vojjhihimti, se vi ya nam jale bahumachchhakachchhabhainne, no cheva nam aubahule bhavissati. Tae nam te manuya suruggamanamuhuttamsi ya suratthamanamuhuttamsi ya bilehimto niddhahimti, niddhaitta machchhakachchhabhe thalaim gahehimti, gahetta sitatavatattaehim machchha-kachchhaehim ekkavisam vasasahassaim vittim kappemana viharissamti. Te nam bhamte! Manuya nissila nigguna nimmera nippachchakkhanaposahovavasa, ussannam mamsahara machchhahara khoddahara kunimahara kalamase kalam kichcha kahim gachchhihimti? Kahim uvavajjihimti? Goyama! Ussannam naraga-tirikkhajoniesu uvavajjihimti. Te nam bhamte! Siha, vaggha, vaga, diviya, achchha, tarachchha, parassara nissila taheva java kahim uvavajjihimti? Goyama! Ussannam naraga-tirikkhajoniesu uvavajjihimti. Te nam bhamte! Dhamka, kamka, vilaka, madduga, sihi nissila taheva java kahim uvavajjihimti? Goyama! Ussannam naraga-tirikkhajoniesu uvavajjihimti. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Usa samaya bharatavarsha ki bhumi ka akara aura bhavom ka avirbhava kisa prakara ka hoga\? Gautama ! Usa samaya isa bharatakshetra ki bhumi amgarabhuta, murmurabhuta, bhasmibhuta, tape hue lohe ke karaha ke samana, taptapraya agni ke samana, bahuta dhula vali, bahuta raja vali, bahuta kichara vali, bahuta shaivala vali, chalane jitane bahuta kichara vali hogi, jisa para prithvisthita jivom ka chalana bara hi dushkara ho jaega. Bhagavan ! Usa samaya mem bharatavarsha ke manushyom ka akara aura bhavom ka avirbhava kaisa hoga\? Gautama ! Usa samaya mem bharatavarsha ke manushya ati kurupa, kuvarna, kugandha, kurasa aura kusparsha se yukta, anishta, akanta yavat amanogama, hinasvara vale, dinasvara vale, anishtasvara vale yavat amanama svara vale, anadeya aura apratitiyukta vachana vale, nirlajja, kuta – kapata, kalaha, vadha, bandha aura vairavirodha mem rata, maryada ka ullamghana karane mem pradhana, akarya karane mem nitya udyata, gurujanom ke adeshapalana aura vinaya se rahita, vikalarupa vale, barhe hue nakha, kesha, darhi, mumchha aura roma vale, kalekalute, atyanta kathora shyamavarna ke bikhare hue balom vale, pile aura sapheda keshom vale, durdarshaniya rupa vale, samkuchita aura valitaramgom se pariveshtita, terhe – merhe amgopamga vale, isalie jaraparinata vriddhapurushom ke samana pravirala tute aura sare hue damtom vale, udbhata ghata ke samana bhayamkara mukha vale, vishama netrom vale, terhi naka vale tatha terhe – merhe evam bhurriyom se vikrita hue bhayamkara mukha vale, eka prakara ki bhayamkara khujali vale, kathora evam tikshna nakhom se khujalane ke karana vikrita bane hue, dada, eka prakara ke korha, sidhma vale, phati hui kathora chamari vale, vichitra amga vale, umta adi – si gati vale, sharira ke jorom ke vishama bamdhana vale, umchi – nichi vishama haddiyom evam pasaliyom se yukta, kugathanayukta, kusamhanana vale, kupramanayukta, vishamasamsthanayukta, kurupa, kusthana mem barhe hue sharira vale, kushayya vale, kubhojana karane vale, vividha vyadhiyom se pirita, skhalita gati vale, utsaharahita, sattvarahita, vikrita cheshta vale, tejohina, barabara shita, ushna, tikshna aura kathora bata se vyapta, malina amga vale, atyanta krodha, mana, maya aura lobha se yukta ashubha duhkha ke bhagi, prayah dharmasamjnya aura samyaktva se paribhrashta homge. Unaki avagahana utkrishta eka ratnipramana hogi. Unaka ayushya solaha varsha ka aura adhika – se – adhika bisa varsha ka hoga. Ve bahuta se putra – pautradi parivara vale homge aura una para unaka atyanta sneha hoga. Inake 72 kutumba bijabhuta tatha bijamatra homge. Ye gamga aura sindhu mahanadiyom ke bilom mem aura vaitadhyaparvata ki guphaom mem nivasa karemge. Bhagavan ! (usa duhshamaduhshamakala ke) manushya kisa prakara ka ahara karemge\? Gautama ! Usa kala aura usa samaya mem gamga aura sindhu mahanadiyam ratha ke margapramana vistara vali homgi. Ratha ki dhuri ke pravesha karane ke chhidra jitane bhagamem a sake utana pani bahega. Vaha pani bhi aneka matsya, kachhue adi se bhara hoga aura usamem bhi pani bahuta nahim hoga. Ve bilavasi manushya suryodaya ke samaya eka muhurtta aura suryasta ke samaya eka muhurtta bilom se bahara nikalemge. Bilom se bahara nikalakara ve gamga aura sindhu nadiyom mem se machhaliyom aura kachhuom adi ko pakara kara jamina mem garemge. Isa prakara gare hue matsya – kachchhapadi thamda aura dhupa se sukha jaemge. Isa prakara shita aura atapa se pake hue matasya – kachchhapadi se ikkisa hajara varsha taka jivika chalate hue ve viharana karemge. Bhagavan ! Ve shilarahita, gunarahita, maryadahina, pratyakhyana aura poshadhopavasa se rahita, prayah mamsahari, matsyahari, kshudrahari evam kunimahari manushya mrityu ke samaya marakara kaham jaemge, kaham utpanna homge\? Gautama ! Ve manushya marakara prayah naraka evam tiryamcha – yoniyom mem utpanna homge. Bhagavan ! Nihshila yavat kunimahari simha, vyaghra, vrika, dvipika, richha, taraksha aura gemda adi marakara kaham jaemge, kaham utpanna homge\? Gautama ! Ve prayah naraka aura tiryamchayoni mem utpanna homge. Bhagavan ! Nihshila adi purvokta visheshanom se yukta dhamka, kamka, bilaka, madduka, shikhi (adi pakshi marakara kaham utpanna homge\?) gautama ! Prayah naraka evam tiryamcha yoniyom mem utpanna homge. He bhagavan ! Yaha isi prakara hai. |