Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003551
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-१

Translated Chapter :

शतक-१

Section : उद्देशक-४ कर्मप्रकृत्ति Translated Section : उद्देशक-४ कर्मप्रकृत्ति
Sutra Number : 51 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] छउमत्थे णं भंते! मनूसे तीतं अनंतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेनं केवलाहिं पवयणमायाहिं सिज्झिंसु? बुज्झिंसु? मुच्चिंसु? परिणिव्वाइंसु? सव्व-दुक्खाणं अंतं करिंसु? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ छउमत्थे णं मनुस्से तीतं अनंतं सासयं समयं–केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेनं, केवलाहिं पवयणमायाहिं नो सिज्झिंसु? नो बुज्झिंसु? नो मुच्चिंसु? नो परिनिव्वाइंसु? नो सव्वदुक्खाणं अंतं करिंसु? गोयमा! जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा–सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा– सव्वे ते उप्पन्न-णाण-दंसणधरा अरहा जिणा केवली भवित्ता तओ पच्छा सिज्झंति, बुज्झंति, मुच्चंति, परिनिव्वायंति, सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ छउमत्थे णं मनुस्से तीतं अनंतं सासयं समयं–केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेनं, केवलाहिं पवयणमायाहिं नो सिज्झिंसु, नो बुज्झिंसु, नो मुच्चिंसु, नो परिनिव्वाइंसु, नो सव्वदुक्खाणं अंतं करिंसु। पडुप्पन्ने वि एवं चेव, नवरं–सिज्झंति भाणियव्वं। अनागए वि एवं चेव, नवरं–सिज्झिस्संति भाणियव्वं। जहा छउमत्थो तहा आहोहिओ वि, तहा परमाहोहिओ वि। तिन्नि तिन्नि आलावगा भाणियव्वा। केवली णं भंते! मनूसे तीतं अनंतं सासयं समयं सिज्झिंसु? बुज्झिंसु? मुच्चिंसु? परि-निव्वाइंसु? सव्वदुक्खाणं अंतं करिंसु? हंता गोयमा! केवली णं मनूसे तीतं अनंतं सासयं समयं सिज्झिंसु, बुज्झिंसु, मुच्चिंसु, परिनिव्वाइंसु, सव्वदुक्खाणं अंतं करिंसु। केवली णं भंते! मनूसे पडुप्पन्नं सासयं समयं सिज्झंति? बुज्झंति? मुच्चंति? परिनिव्वायंति? सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति? हंता गोयमा! केवली णं मनूसे पडुप्पन्नं सासयं समयं सिज्झंति, बुज्झंति, मुच्चंति, परि-निव्वायंति, सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति केवली णं भंते! मनूसे अनागयं अनंतं सासयं समयं सिज्झिस्संति? बुज्झिस्संति? मुच्चिस्संति? परिनिव्वाइस्संति? सव्वदुक्खाणं अंतं करिस्संति? हंता गोयमा! केवली णं मनूसे अनागयं अनंतं सासयं समयं सिज्झिस्संति, बुज्झिस्संति, मुच्चिस्संति, परिनिव्वाइस्संति, सव्वदुक्खाणं अंतं करिस्संति। से नूनं भंते! तीतं अनंतं सासयं समयं, पडुप्पन्नं वा सासयं समयं, अनागयं अनंतं वा सासयं समयं जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा, सव्वे ते उप्पन्ननाण-दंसणधरा अरहा जिना केवली भवित्ता तओ पच्छा सिज्झंति? बुज्झंति? मुच्चंति? परिनिव्वायंति? सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा? करेंति वा? करिस्संति वा? हंता गोयमा! तीतं अनंतं सासयं समयं, पडुप्पन्नं वा सासयं समयं, अनागयं अनंतं वा सासयं समयं जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा, सव्वे ते उप्पन्ननाणदंसणधरा अंतं करेंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा, सव्वे ते उप्पन्ननाणदंसणधरा अरहा जिना केवली भवित्ता तओ पच्छा सिज्झंति, बुज्झंति, मुच्चंति, परिनिव्वायंति, सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा। से नूनं भंते! उप्पन्ननाण-दंसणधरे अरहा जिने केवली, अलमत्थु त्ति वत्तव्वं सिया? हंता गोयमा! उप्पन्ननाण-दंसणधरे अरहा जिने केवली अलमत्थु त्ति वत्तव्वं सिया। सेवं भंते! सेवं भंते!
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! क्या बीते हुए अनन्त शाश्वत काल में छद्मस्थ मनुष्य केवल संयम से, केवल संवर से, केवल ब्रह्म – चर्यवास से और केवल (अष्ट) प्रवचनमाता (के पालन) से सिद्ध हुआ है, बुद्ध हुआ है, यावत्‌ समस्त दुःखों का अन्त करने वाला हुआ है ? हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। भगवन्‌ ! किस कारण से आप ऐसा कहते हैं ? गौतम ! जो भी कोई मनुष्य कर्मों का अन्त करने वाले, चरम शरीरी हुए हैं, अथवा समस्त दुःखों का जिन्होंने अन्त किया है, जो अन्त करते हैं या करेंगे, वे सब उत्पन्नज्ञानदर्शनधारी, अर्हन्त, जिन, और केवली होकर तत्पश्चात्‌ सिद्ध हुए हैं, बुद्ध हुए हैं, मुक्त हुए हैं, परिनिर्वाण को प्राप्त हुए हैं, और उन्होंने समस्त दुःखों का अन्त किया है, करते हैं और करेंगे; इसी कारण से हे गौतम ! ऐसा कहा है कि यावत्‌ समस्त दुःखों का अन्त किया। वर्तमान काल में भी इसी प्रकार जानना। विशेष यह है कि ‘सिद्ध होते हैं’, ऐसा कहना चाहिए। तथा भविष्यकाल में भी इसी प्रकार जानना। विशेष यह है कि ‘सिद्ध होंगे’, ऐसा कहना चाहिए। जैसा छद्मस्थ के विषय में कहा है, वैसा ही आधोवधिक और परमाधोवधिक के विषय में जानना और उसके तीन – तीन आलापक कहने चाहिए। भगवन्‌ ! बीते हुए अनन्त शाश्वतकाल में केवली मनुष्य ने यावत्‌ सर्व – दुःखों का अन्त किया है ? हाँ, गौतम! वह सिद्ध हुआ, यावत्‌ उसने समस्त दुःखों का अन्त किया। यहाँ भी छद्मस्थ के समान ये तीन आलापक कहने चाहिए। विशेष यह है कि सिद्ध हुआ, सिद्ध होता है और सिद्ध होगा, इस प्रकार तीन आलापक कहने चाहिए। भगवन्‌ ! बीते हुए अनन्त शाश्वतकाल में, वर्तमान शाश्वतकाल में और अनन्त शाश्वत भविष्यकाल में जिन अन्तकरों ने अथवा चरमशरीरी पुरुषों ने समस्त दुःखों का अन्त किया है, करते हैं या करेंगे; क्या वे सब उत्पन्नज्ञान – दर्शनधारी, अर्हन्त, जिन और केवली होकर तत्पश्चात्‌ सिद्ध, बुद्ध आदि होते हैं, यावत्‌ सब दुःखों का अन्त करेंगे ? हाँ, गौतम ! बीते हुए अनन्त शाश्वतकाल में यावत्‌ सब दुःखों का अन्त करेंगे। भगवन्‌ ! वह उत्पन्न ज्ञान – दर्शनधारी, अर्हन्त, जिन और केवली ‘अलमस्तु’ अर्थात्‌ – पूर्ण है, ऐसा कहा जा सकता है ? हाँ, गौतम ! वह उत्पन्न ज्ञानदर्शनधारी, अर्हन्त, जिन और केवली पूर्ण है, ऐसा कहा जा सकता है। ‘हे भगवन्‌ ! यह ऐसा ही है, भगवन्‌ ! यह ऐसा ही है।’
Mool Sutra Transliteration : [sutra] chhaumatthe nam bhamte! Manuse titam anamtam sasayam samayam kevalenam samjamenam, kevalenam samvarenam, kevalenam bambhacheravasenam kevalahim pavayanamayahim sijjhimsu? Bujjhimsu? Muchchimsu? Parinivvaimsu? Savva-dukkhanam amtam karimsu? Goyama! No inatthe samatthe. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai chhaumatthe nam manusse titam anamtam sasayam samayam–kevalenam samjamenam, kevalenam samvarenam, kevalenam bambhacheravasenam, kevalahim pavayanamayahim no sijjhimsu? No bujjhimsu? No muchchimsu? No parinivvaimsu? No savvadukkhanam amtam karimsu? Goyama! Je kei amtakara va amtimasaririya va–savvadukkhanam amtam karemsu va, karemti va, karissamti va– savve te uppanna-nana-damsanadhara araha jina kevali bhavitta tao pachchha sijjhamti, bujjhamti, muchchamti, parinivvayamti, savvadukkhanam amtam karemsu va, karemti va, karissamti va. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai chhaumatthe nam manusse titam anamtam sasayam samayam–kevalenam samjamenam, kevalenam samvarenam, kevalenam bambhacheravasenam, kevalahim pavayanamayahim no sijjhimsu, no bujjhimsu, no muchchimsu, no parinivvaimsu, no savvadukkhanam amtam karimsu. Paduppanne vi evam cheva, navaram–sijjhamti bhaniyavvam. Anagae vi evam cheva, navaram–sijjhissamti bhaniyavvam. Jaha chhaumattho taha ahohio vi, taha paramahohio vi. Tinni tinni alavaga bhaniyavva. Kevali nam bhamte! Manuse titam anamtam sasayam samayam sijjhimsu? Bujjhimsu? Muchchimsu? Pari-nivvaimsu? Savvadukkhanam amtam karimsu? Hamta goyama! Kevali nam manuse titam anamtam sasayam samayam sijjhimsu, bujjhimsu, muchchimsu, parinivvaimsu, savvadukkhanam amtam karimsu. Kevali nam bhamte! Manuse paduppannam sasayam samayam sijjhamti? Bujjhamti? Muchchamti? Parinivvayamti? Savvadukkhanam amtam karemti? Hamta goyama! Kevali nam manuse paduppannam sasayam samayam sijjhamti, bujjhamti, muchchamti, pari-nivvayamti, savvadukkhanam amtam karemti Kevali nam bhamte! Manuse anagayam anamtam sasayam samayam sijjhissamti? Bujjhissamti? Muchchissamti? Parinivvaissamti? Savvadukkhanam amtam karissamti? Hamta goyama! Kevali nam manuse anagayam anamtam sasayam samayam sijjhissamti, bujjhissamti, muchchissamti, parinivvaissamti, savvadukkhanam amtam karissamti. Se nunam bhamte! Titam anamtam sasayam samayam, paduppannam va sasayam samayam, anagayam anamtam va sasayam samayam je kei amtakara va amtimasaririya va savvadukkhanam amtam karemsu va, karemti va, karissamti va, savve te uppannanana-damsanadhara araha jina kevali bhavitta tao pachchha sijjhamti? Bujjhamti? Muchchamti? Parinivvayamti? Savvadukkhanam amtam karemsu va? Karemti va? Karissamti va? Hamta goyama! Titam anamtam sasayam samayam, paduppannam va sasayam samayam, anagayam anamtam va sasayam samayam je kei amtakara va amtimasaririya va savvadukkhanam amtam karemsu va, karemti va, karissamti va, savve te uppannananadamsanadhara amtam karemsu va, karemti va, karissamti va, savve te uppannananadamsanadhara araha jina kevali bhavitta tao pachchha sijjhamti, bujjhamti, muchchamti, parinivvayamti, savvadukkhanam amtam karemsu va, karemti va, karissamti va. Se nunam bhamte! Uppannanana-damsanadhare araha jine kevali, alamatthu tti vattavvam siya? Hamta goyama! Uppannanana-damsanadhare araha jine kevali alamatthu tti vattavvam siya. Sevam bhamte! Sevam bhamte!
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Kya bite hue ananta shashvata kala mem chhadmastha manushya kevala samyama se, kevala samvara se, kevala brahma – charyavasa se aura kevala (ashta) pravachanamata (ke palana) se siddha hua hai, buddha hua hai, yavat samasta duhkhom ka anta karane vala hua hai\? He gautama ! Yaha artha samartha nahim hai. Bhagavan ! Kisa karana se apa aisa kahate haim\? Gautama ! Jo bhi koi manushya karmom ka anta karane vale, charama shariri hue haim, athava samasta duhkhom ka jinhomne anta kiya hai, jo anta karate haim ya karemge, ve saba utpannajnyanadarshanadhari, arhanta, jina, aura kevali hokara tatpashchat siddha hue haim, buddha hue haim, mukta hue haim, parinirvana ko prapta hue haim, aura unhomne samasta duhkhom ka anta kiya hai, karate haim aura karemge; isi karana se he gautama ! Aisa kaha hai ki yavat samasta duhkhom ka anta kiya. Vartamana kala mem bhi isi prakara janana. Vishesha yaha hai ki ‘siddha hote haim’, aisa kahana chahie. Tatha bhavishyakala mem bhi isi prakara janana. Vishesha yaha hai ki ‘siddha homge’, aisa kahana chahie. Jaisa chhadmastha ke vishaya mem kaha hai, vaisa hi adhovadhika aura paramadhovadhika ke vishaya mem janana aura usake tina – tina alapaka kahane chahie. Bhagavan ! Bite hue ananta shashvatakala mem kevali manushya ne yavat sarva – duhkhom ka anta kiya hai\? Ham, gautama! Vaha siddha hua, yavat usane samasta duhkhom ka anta kiya. Yaham bhi chhadmastha ke samana ye tina alapaka kahane chahie. Vishesha yaha hai ki siddha hua, siddha hota hai aura siddha hoga, isa prakara tina alapaka kahane chahie. Bhagavan ! Bite hue ananta shashvatakala mem, vartamana shashvatakala mem aura ananta shashvata bhavishyakala mem jina antakarom ne athava charamashariri purushom ne samasta duhkhom ka anta kiya hai, karate haim ya karemge; kya ve saba utpannajnyana – darshanadhari, arhanta, jina aura kevali hokara tatpashchat siddha, buddha adi hote haim, yavat saba duhkhom ka anta karemge\? Ham, gautama ! Bite hue ananta shashvatakala mem yavat saba duhkhom ka anta karemge. Bhagavan ! Vaha utpanna jnyana – darshanadhari, arhanta, jina aura kevali ‘alamastu’ arthat – purna hai, aisa kaha ja sakata hai\? Ham, gautama ! Vaha utpanna jnyanadarshanadhari, arhanta, jina aura kevali purna hai, aisa kaha ja sakata hai. ‘he bhagavan ! Yaha aisa hi hai, bhagavan ! Yaha aisa hi hai.’