Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003549 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१ |
Translated Chapter : |
शतक-१ |
Section : | उद्देशक-४ कर्मप्रकृत्ति | Translated Section : | उद्देशक-४ कर्मप्रकृत्ति |
Sutra Number : | 49 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से नूनं भंते! नेरइयस्स वा, तिरिक्खजोणियस्स वा, मनुस्सस्स वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि णं तस्स अवेदइत्ता मोक्खो? हंता गोयमा! नेरइयस्स वा, तिरिक्खजोणियस्स वा, मनुस्सस्स वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि णं तस्स अवेदइत्ता मोक्खो। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ नेरइयस्स वा तिरिक्खजोणियस्स वा, मनुस्सस्स वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि णं तस्स अवेदइत्ता मोक्खो? एवं खलु मए गोयमा! दुविहे कम्मे पन्नत्ते, तं जहा– पदेसकम्मे य, अनुभागकम्मे य। तत्थ णं जं णं पदेसकम्मं तं नियमा वेदेइ। तत्थ णं जं णं अनुभागकम्मं तं अत्थेगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं नो वेदेइ। नायमेयं अरहया, सुयमेयं अरहया, विण्णायमेयं अरहया–इमं कम्मं अयं जीवे अब्भोवगमियाए वेदनाए वेदेस्सइ, इमं कम्मं अयं जीवे उवक्कमियाए वेदनाए वेदेस्सइ। आहाकम्मं, अहानिकरणं जहा जहा तं भगवया दिट्ठं तहा तहा तं विप्परिणमिस्सतीति। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ– नेरइयस्स वा, तिरिक्खजोणियस्स वा, मनुस्सस्स वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि णं तस्स अवेदइत्ता मोक्खो। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! नारक तिर्यंचयोनिक, मनुष्य या देव ने जो पापकर्म किये हैं, उन्हें भोगे बिना क्या मोक्ष नहीं होता? हाँ, गौतम ! नारक, तिर्यंच, मनुष्य और देव ने जो पापकर्म किये हैं, उन्हें भोगे बिना मोक्ष नहीं होता। भगवन् ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं ? गौतम ! मैंने कर्म के दो भेद बताए हैं। प्रदेशकर्म और अनुभाग – कर्म। इनमें जो प्रदेशकर्म है, वह अवश्य भोगना पड़ता है, और इनमें जो अनुभागकर्म है, वह कुछ वेदा जाता है, कुछ नहीं वेदा जाता। यह बात अर्हन्त द्वारा ज्ञात है, स्मृत है, और विज्ञात है कि यह जीव इस कर्म को आभ्युप – गमिक वेदना से वेदेगा और वह जीव इस कर्म को औपक्रमिक वेदना से वेदेगा। बाँधे हुए कर्मों के अनुसार, निकरणों के अनुसार जैसा – तैसा भगवान ने देखा है, वैसा – वैसा वह विपरिणाम पाएगा। गौतम ! इस कारण से मैं ऐसा कहता हूँ कि – यावत् किये हुए कर्मों को भोगे बिना नारक, तिर्यंच, मनुष्य या देव का मोक्ष नहीं है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se nunam bhamte! Neraiyassa va, tirikkhajoniyassa va, manussassa va, devassa va je kade pave kamme, natthi nam tassa avedaitta mokkho? Hamta goyama! Neraiyassa va, tirikkhajoniyassa va, manussassa va, devassa va je kade pave kamme, natthi nam tassa avedaitta mokkho. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai neraiyassa va tirikkhajoniyassa va, manussassa va, devassa va je kade pave kamme, natthi nam tassa avedaitta mokkho? Evam khalu mae goyama! Duvihe kamme pannatte, tam jaha– padesakamme ya, anubhagakamme ya. Tattha nam jam nam padesakammam tam niyama vedei. Tattha nam jam nam anubhagakammam tam atthegaiyam vedei, atthegaiyam no vedei. Nayameyam arahaya, suyameyam arahaya, vinnayameyam arahaya–imam kammam ayam jive abbhovagamiyae vedanae vedessai, imam kammam ayam jive uvakkamiyae vedanae vedessai. Ahakammam, ahanikaranam jaha jaha tam bhagavaya dittham taha taha tam vipparinamissatiti. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai– neraiyassa va, tirikkhajoniyassa va, manussassa va, devassa va je kade pave kamme, natthi nam tassa avedaitta mokkho. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Naraka tiryamchayonika, manushya ya deva ne jo papakarma kiye haim, unhem bhoge bina kya moksha nahim hota? Ham, gautama ! Naraka, tiryamcha, manushya aura deva ne jo papakarma kiye haim, unhem bhoge bina moksha nahim hota. Bhagavan ! Aisa apa kisa karana se kahate haim\? Gautama ! Maimne karma ke do bheda batae haim. Pradeshakarma aura anubhaga – karma. Inamem jo pradeshakarma hai, vaha avashya bhogana parata hai, aura inamem jo anubhagakarma hai, vaha kuchha veda jata hai, kuchha nahim veda jata. Yaha bata arhanta dvara jnyata hai, smrita hai, aura vijnyata hai ki yaha jiva isa karma ko abhyupa – gamika vedana se vedega aura vaha jiva isa karma ko aupakramika vedana se vedega. Bamdhe hue karmom ke anusara, nikaranom ke anusara jaisa – taisa bhagavana ne dekha hai, vaisa – vaisa vaha viparinama paega. Gautama ! Isa karana se maim aisa kahata hum ki – yavat kiye hue karmom ko bhoge bina naraka, tiryamcha, manushya ya deva ka moksha nahim hai. |