Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003425 | ||
Scripture Name( English ): | Samavayang | Translated Scripture Name : | समवयांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
समवाय प्रकीर्णक |
Translated Chapter : |
समवाय प्रकीर्णक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 325 | Category : | Ang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए नव बलदेवमायरो होत्था, तं जहा– | ||
Sutra Meaning : | इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में नौ बलदेवों की नौ माताएं हुई। जैसे – १. भद्रा, २. सुभद्रा, ३. सुप्रभा, ४. सुदर्शना, ५. विजया, ६. वैजयन्ती, ७. जयन्ती, ८. अपराजिता और ९. रोहिणी। ये नौ बलदेवों की माताएं थीं। सूत्र – ३२५, ३२६ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jambuddive nam dive bharahe vase imise osappinie nava baladevamayaro hottha, tam jaha– | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Isi jambudvipa ke bharatavarsha mem isi avasarpini kala mem nau baladevom ki nau mataem hui. Jaise – 1. Bhadra, 2. Subhadra, 3. Suprabha, 4. Sudarshana, 5. Vijaya, 6. Vaijayanti, 7. Jayanti, 8. Aparajita aura 9. Rohini. Ye nau baladevom ki mataem thim. Sutra – 325, 326 |